तलाकशुदा की कामवासना और सेक्स का सुख- 7
(Hot Nangi Chudai Ki Kahani)
हॉट नंगी चुदाई की कहानी में अपनी सहेली के पति से चुदाई की मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी. हमारे पहले सेक्स के बाद हम दोनों बेड पर पूरे नंगे थे और आज हुए सेक्स के बारे में बात कर रहे थे.
दोस्तो, मैं जाह्नवी आपको अपनी सेक्स कहानी में वापस जवानी का सुरूर देने हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
सहेली के पति से चुद गयी
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि यामिनी के पति रमित ने मुझे यानि एक तलाकशुदा लड़की को चोद दिया था.
अब आगे हॉट नंगी चुदाई की कहानी:
शायद ख़ामोशी की अपनी जुबां होती है, अपनी भाषा होती है.
मैंने थोड़ा सा सर उठा कर रमित की तरफ देखा, तो उसने मेरे माथे को चूम लिया.
वह बोला- क्या सोच रही हो?
मैंने न में सर हिलाया और उसकी आंखों में देखने लगी.
रमित बोला- फिर इतनी खामोश क्यों हो?
मैंने एक शेर कहा.
‘तमाम जुबानें बेज़ुबान लगती हैं …
जब आंखों से इश्क समझाया जाता है.’
थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहने के बाद मैं रमित से अलग हुई और वाशरूम में घुस गयी.
मैंने खुद को साफ़ किया, जब शीशे में देखा तो मेरे बूब्स पर रमित के प्यार के निशान थे.
उन्हें देख कर मेरे होंठों पर मुस्कराहट आ गयी.
तभी रमित भी वाशरूम में आ गया.
उसने मुझे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और अपनी ठुड्डी मेरे कंधे पर टिका दी.
उसने मुझसे कहा- क्या बात है … अकेली अकेली मुस्कुरा रही हो?
मैंने कहा- मुझे आज सारे जहां की ख़ुशी मिल गयी है … तुम जो मिल गए हो. जानती हूँ कि तुम्हारा ये साथ ज़िन्दगी भर के लिए तो नहीं, पर ये रात मेरे लिए बहुत ख़ास है. शायद इसके बाद कोई रात मेरे लिए इतनी हसीं और ख़ास नहीं होगी.
रमित मेरी गर्दन को चूमने लगा और उसके हाथ मेरे बूब्स पर फिसलने लगे.
गर्दन को चूमते चूमते वह मेरे कानो की लौ को चूमने लगा, उन्हें अपने होंठों से चूसने लगा.
मैं एक बार फिर से मदहोश होने लगी थी.
मदहोशी में मेरी आंखें बंद होने लगी थीं.
मैंने कहा- रमित!
‘हां जाह्नवी!’
मैंने कहा- चलो न बाहर … बेडरूम में चलते हैं. तुम फ्रेश होकर आ जाओ.
रमित ने मुझको छोड़ दिया.
मैं बाहर आ गयी और बेड पर लेट कर मैंने अपने ऊपर एक चादर ओढ़ ली.
रमित भी आकर मेरे साथ चादर में घुस गया.
मैंने अपना सर उसकी बाजू के ऊपर टिका लिया.
उसने भी मुझे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया.
वह बोला- जाह्नवी, न तो मैं यामिनी के बिना रह सकता हूँ और आज के बाद ना तुम्हारे बिना रहना आसान होगा!
मैंने अपने होंठ रमित के होंठों पर रख दिए.
एक मीठे किस के बाद मैं बोली- रमित, प्लीज आज की रात तुम सिर्फ मेरे हो, आज और कोई दूसरी बात नहीं. कल यामिनी के आने के बाद मैं तुम्हारे नज़दीक भी नहीं आऊंगी, पर जब तक यामिनी यहां नहीं है, तुम पर सिर्फ मेरा हक़ है!
मैंने अपना चेहरा रमित की छाती में छुपा लिया और उसने भी मुझे अपनी बांहों में समेट लिया.
पता नहीं हम ऐसे चिपटे हुए कब नींद के आगोश में चले गए.
सुबह जब मेरी नींद खुली, तब भी रमित की बांहें मेरी कमर के इर्द-गिर्द लिपटी थीं.
हम दोनों बिल्कुल निर्वस्त्र थे … न रमित के … और न मेरे तन पर कोई कपड़ा था.
आज मुझे वह सुबह मिली थी, जिसका शायद मुझे एक अरसे से इन्तजार था.
मैं धीरे से रमित की बांहों में से निकली, उठ कर वार्डरोब से रमित के लिए शॉर्ट और टी-शर्ट निकाल कर रख दी.
ये वे ही कपड़े थे, जो उस दिन मैं और यामिनी लेकर आई थीं.
पर उस दिन रमित को दिल्ली निकलना पड़ा और यामिनी ने उसके कपड़ों का बैग ये सोच कर यहीं छोड़ दिया था कि फिर से हम तीनों किसी वीकेंड पर आएंगे.
अब मैं अपने पहनने के लिए कपड़े ढूंढ़ने लगी, तो मैंने रमित की रात की उतारी हुइ शर्ट पहन ली और नीचे सिर्फ पैंटी पहनी.
रमित के बदन की महक को भी मैं अपने ऊपर ओढ़ लेना चाहती थी इसीलिए मैंने उसकी शर्ट पहन ली.
फ्रेश होने के बाद मैं किचन में आकर कॉफ़ी बनाने लगी.
तभी रमित भी फ्रेश होकर आ गया.
उसने मुझे पीछे अपनी बांहों में भर लिया और अपनी ठुड्डी मेरे कंधे पर टिका दी.
उसने मेरी गर्दन पर चूमा तो मेरी आंखें बंद हो गईं.
फिर मैंने उससे कहा- तुम बैठो, मैं ब्लैक कॉफ़ी लेकर आयी.
वह वहीं पड़ी आराम कुर्सी पर बैठ गया.
मैंने उसे उसकी कॉफ़ी पकड़ाई और अपना कप लेकर बालकनी से बाहर देखने लगी.
मौसम अभी भी बहुत सुहाना था, अभी भी बारिश की हल्की हल्की फुहार पड़ रही थी.
मस्त ठंडी हवा चल रही थी.
मुझे थोड़ी ठंडक महसूस हुई तो मैं अन्दर की तरफ आ गयी.
मैंने अपनी कॉफ़ी ख़त्म की और कप वहीं साइड में रखे स्टूल पर रख दिया.
रमित भी अपनी कॉफ़ी खत्म कर चुका था.
मैं जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने उसकी तरफ नज़र उठा कर देखा तो उसकी आंखों में प्यार के साथ शरारत नज़र आ रही थी.
उसने मुझे खींचा तो मैं उसकी गोद जा गिरी, उसने मुझे अपनी बांहों में थाम लिया.
मैंने भी अपनी बांहें उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट दीं.
उसने एक हाथ से मेरे चेहरे पर आते बालों को पीछे किया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मैंने भी कोई विरोध नहीं किया, शायद मैं यही हॉट नंगी चुदाई तो चाहती थी.
हमारे होंठ आपस में उलझे थे, कभी वह मेरा होंठ चूसता, कभी मैं उसका होंठ.
जब हमारे होंठ अलग हुए तो मैंने हया से अपनी आंखें झुका लीं.
उसने ठुड्डी को पकड़ कर मेरे चेहरे को ऊपर किया और बोला- जाह्नवी, इस तरह खामोश न रहो!
मैंने कहा- रमित मुझे शायद इस सुबह का कबसे इंतज़ार था, मैं भी ऐसे ही तुम्हारा प्यार पाना चाहती थी. रमित मैं तुमसे, पता नहीं कबसे प्यार करने लगी. शायद क्रूज़ की उस रात से जब पार्टी में तुम मेरे लिए एक आदमी से उलझ गए थे … या तब से जब तुम्हें मैंने यामिनी को प्यार करते देखा था. सच कहूं … तो मुझे यामिनी से जलन भी हुई थी. फिर उसकी दोस्ती ने मेरा मन जीत लिया. मैं तुम्हें प्यार तो करने लगी थी पर तुम्हें पाने की शर्त नहीं रखी थी. बस तुम्हें अपने सामने देख कर खुश थी. खुश हो लेती थी तुम्हारी और यामिनी की चुहलबाज़ियां देख कर. यामिनी मुझे अपने साथ अपने घर ले आयी थी, पर मैं डरती थी कि कहीं दिल के जज्बात जुबां पर ना आ जाएं और यामिनी जैसी दोस्त न खो दूं! फिर दिल में ख्याल आया कि क्या हुआ गर तुम्हें पा नहीं सकती, तुम्हारे सामने तो रह सकती हूँ. तुम्हें देख कर ही दिल को तसल्ली दे लिया करूंगी. पर रमित इस दिल का क्या करूं … कल रात मौका पाते ही तुम्हें पा लेने के लिए मचल उठा और तुम्हें पाने की हठ कर बैठा. प्लीज मेरे बारे में कुछ गलत न सोचना. जी नहीं पाऊंगी तुम्हारी नजरों में गिर कर … सच में, मैं नहीं चाहती थी कि कभी ऐसे हालात बने और मैं और तुम … पर क्या करूं इस दिल का … वह कहते हैं न कि
‘इश्क पानी है, दरारों से भी रिस जाता है
इश्क पीपल है, कहीं भी उग जाता है!’
रमित ने मेरे माथे पर एक चुम्बन रखा, फिर मेरी पलकों को चूम लिया.
मेरी आंखों में आंसू भर आए थे.
उसने अपनी उंगलियों से मेरे आंसू साफ़ किये और बोला- जाह्नवी, रात तुमने ही बोला था कि आज शाम तक सिर्फ मैं और तुम … और हमारी बातें रहेंगी. नो रिग्रेट फीलिंग! हम जितना समय साथ हैं, उसे और खूबसूरत बना लेते हैं. इन प्यार के लम्हों के संग …
यह कह कर रमित ने मुझे अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम में ले आया.
उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगा.
हम दोनों फिर से गर्म होने लगे.
रमित फिर से मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे शरीर के हर हिस्से पर अपना प्यार अंकित कर रहा था.
मैं भी उसके प्यार में मदहोश थी और मदहोशी में उसका पूरा साथ दे रही थी.
तभी रमित ने मुझे अपने घुटनों के बल पर खड़ा होने के लिए बोला … मतलब इस बार रमित मुझे घोड़ी बनने के लिए बोल रहा था और मैं उसके प्यार में पहले से ही पागल थी, तो उसे किसी भी चीज़ के लिए मना करना बनता ही नहीं था.
उसके कहते ही मैं झट से बेड अपने घुटने पर आ गयी. अपने हाथ आगे बेड के सिरहाने पर टिका लिए.
रमित मेरे पीछे आया. पहले उसने मेरे चूतड़ों कर देख कर कहा- बहुत सुन्दर!
फिर वह उन्हें सहलाने लगा.
मुझे भी मजा आ रहा था. मेरी उत्तेज़ना बढ़ने लगी.
कभी कभी वह अपनी उंगलियां मेरे चूतड़ों से फिराते हुए नीचे मेरी चूत पर ले जाता और सहलाने लगता.
फिर वह मेरे चूतड़ों को चूमने लगा और चूमते हुए मेरी चुत पर आ गया.
उसने मेरी चुत के एक होंठ को अपने होंठ में दबा लिया और खींचने लगा.
मैं सिहर उठी.
वह कभी अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में घुसा देता तो कभी अपनी जीभ से ही मुझे चोदने लगता.
मेरी तड़प बढ़ती जा रही थी.
तभी मैंने उससे कहा- ओह रमित … अब और सहन नहीं हो रहा … प्लीज अब चोद डालो!
रमित सीधा हुआ और उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रख दिया.
अभी मैं कुछ समझ पाती कि उसने एक ही तेज झटके में अपने लंड को मेरी चूत की जड़ तक पहुंचा दिया.
मुझे मीठा सा दर्द हुआ, पर रमित को पाने के सुख के आगे ये दर्द कुछ भी नहीं था.
रमित अब धीरे धीरे मुझे चोदने लगा.
कभी कभी वह अपनी स्पीड बढ़ा देता, तो कभी धीमी गति से अपने लौड़े को मेरी चुत में पेलने लगता.
अब वह मुझे मेरी कमर से पकड़ कर चोदने औसत गति से चोदने लगा.
फिर उसने मुझे कुछ और झुकाया और अपने होंठ मेरी गर्दन और पीठ पर रख कर मुझको चूमने लगा.
उसी वक्त उसके दोनों हाथों ने मेरे दोनों बूब्स को थाम लिया और अब वह धीरे धीरे धक्के देता हुआ मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रहा था.
मेरे मुँह से ‘उह आह उफ़’ की आवाजें निकल रही थीं.
तभी मैं भी अपनी कमर को आगे पीछे करती हुई उसकी ताल से ताल मिलाने लगी.
मैं झड़ने के करीब थी कि तभी रमित ने अपना लंड बाहर निकाल लिया.
मैंने तड़फ कर कहा- ओह रमित … ये क्या किया बाहर क्यों निकाला … मैं अपने चरम पर पहुँचने वाली थी!
वह बोला- नहीं जानेमन … सफर साथ में शुरू किया है तो मंज़िल पर भी साथ में ही पहुंचेंगे!
मैं सीधी लेट गयी, रमित मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया.
मैंने अपनी टांगें खोल कर उसकी कमर के इर्द गिर्द लपेट लीं.
रमित ने अपनी बांहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट लीं और अपने होंठ मेरी गर्दन और कंधों पर चलाने लगा, साथ साथ वह धीरे धीरे धक्के भी लगाने लगा.
थोड़ी देर मैं भी अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर उसके हर धक्के से ताल मिलाने लगी.
वह अपना पूरा लंड मेरे अन्दर करता, फिर बाहर खींचता … और अगले ही पल वापस फिर से पूरा लंड अन्दर तक डाल देता.
जब वह अन्दर लंड डालता, तो मैं अपनी कमर को ऊपर उठा कर उसके लौड़े को पूरा अन्दर ले लेती.
इस दरमियान मेरी आंखें बंद थीं और मेरे मुँह से मीठी सिसकारियां निकल रही थीं.
रमित ने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
मैं रमित का ऊपर वाला होंठ छोड़ने को तैयार नहीं थी जबकि रमित के धक्के चालू थे. वह अपने लंड को मेरी चूत के आखिरी सिरे तक पहुंचाने में लगा था.
मैं झड़ने वाली थी, इसी लिए मैं तेज़ तेज़ गति से अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी.
तभी रमित ने भी अपने धक्कों की गति बढ़ा दी.
थोड़ी ही देर में हम दोनों अपने चरमसुख के अंतिम बिन्दु पर आ गए थे और दोनों ही झड़ने लगे. हम दोनों अपनी मंज़िल पर पहुंच चुके थे.
रमित ने कसके मुझे अपने साथ चिपका लिया था और मेरी बांहें उसकी पीठ पर कसी हुई थीं, टांगें उसके चूतड़ों पर कसी हुई थीं.
उसका गर्म वीर्य मेरी चूत को भर रहा था.
मेरा काम रस मेरी जांघों को भिगोता हुआ नीचे बेडशीट को गीली कर रहा था.
हम दोनों बहुत देर इसी अवस्था में लेटे रहे.
फिर रमित मेरे ऊपर से उतर कर मेरी साइड में लेटा तो मैंने अपना सर उसके सीने पर रख लिया.
उसने भी मुझे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया.
मेरी आंखें बंद थीं, मैं इस पल को भरपूर जीना चाहती थी.
मैं जानती थी कि ये पल मेरी ज़िन्दगी में दोबारा नहीं आएंगे.
मैं यामिनी की गृहस्थी नहीं उजाड़ना चाहती थी.
इसलिए मैं रात में ही फैसला ले चुकी थी कि मैं जल्दी से कहीं और शिफ्ट कर जाऊंगी … और जल्दी ही इस शहर को छोड़ कर कहीं और चली जाऊंगी.
इसलिए मैं इस पल को भरपूर तरीके से जी लेना चाहती थी.
थोड़ी देर बाद रमित ने मुझे उठाया और पूछा- क्या सारा दिन ऐसे ही रहने का इरादा है?
मैंने कहा- क्यों नहीं … शाम को यामिनी को एयरपोर्ट से लेते हुए ही घर चलेंगे!
रमित ने कहा- लेकिन मुझे भूख लगी है.
मैं उठ कर वाशरूम में गयी और शॉवर के नीचे खड़ी होकर शॉवर खोल दिया.
मैं नहाने लगी, तभी रमित भी अन्दर आ गया.
हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे थे.
ठंडे पानी की फुहारों में रमित का साथ और भी अच्छा लग रहा था.
थोड़ी देर साथ नहाने के बाद मैं बाहर आयी, टॉवल से खुद को पौंछ कर मैंने वार्डरोब से एक छोटी सी निक्कर निकाल कर पहन ली और उसके साथ ही ऊपर से छोटा सा टॉप पहन लिया.
मैंने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
अब मैंने किचन में आकर खाने के लिए देखा, उधर मैग्गी का एक पैकेट रखा हुआ था.
जब मैं और यामिनी यहां रुके थे, तो यह सामान में लेकर आए थे.
मैंने जल्दी से मैग्गी बनाई और दो ब्लैक कॉफ़ी.
तब तक रमित भी नहा कर अपने कपड़े पहन चुका था.
मैंने उसे मैग्गी दी और कहा- अभी तो यही है, इसी से काम चलाना पड़ेगा. ये खा कर कहीं बाहर चलते हैं, तो ब्रेकफास्ट बाहर ही करेंगे!
रमित बोला- अभी तो बोल रही थी कि सारा दिन यहीं ऐसे ही इस कमरे में रहेंगे, इतनी जल्दी विचार बदल दिया!
मैं थोड़ा सा मुस्करायी- रमित, मेरे पास तुम सिर्फ आज आज हो … और इसी में पूरी ज़िन्दगी जी लेना चाहती हूँ. तुम्हें और तुम्हारे प्यार को पूरी तरह से महसूस करना चाहती हूँ. इसी लिए थोड़ी देर कहीं बाहर तुम्हरे हाथों में हाथ डाल कर भी घूमना चाहती हूँ.
वह थोड़ा मुस्कराया और बोला- ओके चलो, कहां चलना हैं … पर उससे पहले हमें मॉल जाना पड़ेगा क्योंकि मैं फॉर्मल कपड़ों में सारा दिन नहीं रह सकता.
मैंने कहा- तुम्हें फॉर्मल्स पहनने के लिए कौन बोल रहा है. तुम भूल गए … जब मैं और यामिनी लास्ट संडे यहां आए थे तो तुम्हारे कपड़े भी लाये थे. वे उधर वार्डरोब में हैं. मैं अभी निकाल कर देती हूँ.
मैंने रमित को उसकी ब्लू कलर की जीन्स निकाल कर दी, साथ में वाइट शर्ट और उसका उस दिन का ब्लू ब्लेजर भी यहीं छूट गया था.
वह बोला- वाह यार … थैंक्स जाह्नवी!
मैंने कहा- ये यामिनी लायी थी, पर चॉइस मेरी थी.
वह बोला- ये मेरे भी मनपसंद कपड़े हैं और यामिनी के भी हम तीनों की पसंद बहुत मिलती है न … शायद . इसी लिए किस्मत ने हमें मिलाया है.
मैंने भी ब्लू कलर की जीन्स वाइट टॉप के साथ पहन ली.
रमित ब्लू जीन्स, वाइट शर्ट और ब्लू ब्लेजर में था.
उसने नीचे स्नीकर शूज पहने हुए थे जो उसकी कार में हमेशा रखे रहते थे.
इस ड्रेस में रमित हृतिक रोशन लग रहा था, वैसे मैं बता दूं कि हृतिक पर मेरा कॉलेज टाइम से ही क्रश था.
पर रमित तो आज उसे भी भी मात दे रहा था.
थोड़ी देर हम हाथों में हाथ डाले नीचे कार के पास पहुंचे और एक अच्छे से रेस्टोरेंट की तरफ चल दिए.
दोस्तो, यह हॉट नंगी चुदाई की कहानी अभी यहीं रोक रही हूँ.
आपको अच्छी लग रही होगी.
तो मुझे अपने विचार लिख दीजिए.
यदि आपकी पसंद का बहुमत हुआ, तो इस हॉट नंगी चुदाई की कहानी को आगे भी लिखूँगी.
धन्यवाद.
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