जयपुर की रूपा की अन्तर्वासना-1

(Indian Sex Stories: Jaipur Ki Rupa Ki Antarvasna Part-1)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरा नाम अमित शर्मा है, मैं जयपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 31 साल है और मैं एक मल्टिनेशनल कम्पनी में अच्छे पद पर हूँ. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली इंडियन सेक्स स्टोरी है और पूरी तरह काल्पनिक है. अगर कुछ भूल हुई हो तो माफ़ कीजिएगा और अपने विचार भेजना ना भूलिएगा.

बस भीड़ से एकदम पैक थी. सारे एक दूसरे के बदन से एकदम सटे थे. किसी को भी हिलने की जगह नहीं थी. रूपा भी उस भीड़ में बुरी तरह फंसी थी. उसकी सहेली ने उसे बुलाया था. पति घर ना होने से वो आज अपनी सहेली के पास जाने को निकली थी. जब भी उसे या उसकी सहेली को ऐसा समय मिलता तो वो एक दूसरे के घर एक रात आती जाती थीं, जिससे उनका समय पास हो सके.

सहेली ने नया फ्लैट लिया था और आज पहली बार वो अपनी सहेली के नये घर जा रही थी. दिखने में रूपा अपने नाम के मुताबिक रूपवती थी और उसकी फिगर भी एकदम मस्त थी. आज 42 की होने के बाद और शादी के इक्कीस साल के बाद भी वो एकदम 30-32 की लग रही थी.
आम तौर पे गुजराती औरतें शादी और बच्चे होने के बाद मोटी हो जाती हैं, पर रूपा ने अपनी सेहत का काफी ध्यान रखते हुए अपने जिस्म पे ज़रा भी चर्बी चढ़ने नहीं दी.

रूपा की 5 फीट 4 इंच की लंबाई पे 36-28-36 का जिस्म बहुत अच्छा दिखता था. कंधों तक बाल, टाइट कसी साड़ी और हल्का सा मेकअप उसे भीड़ में अलग दिखाता था. रूपा के जिस्म का सबसे आकर्षक हिस्सा था उसकी गांड. जब वो ऊंची ऐड़ी की सैंडल पहन कर चलती तो उसकी वो गांड बड़ी मस्त ठुमकती थी. टाइट गांड होने से ठुमकने में एक मदहोशी थी. टाइट साड़ी और ऊंची ऐड़ी की सैंडल पहनने से उसकी वो गांड नज़रों में और भरती थी.

आज रूपा ने क्रीम कलर की कॉटन की साड़ी पहनी थी. क्रीम ब्लाउज और गले में सिर्फ़ मंगलसूत्र था. पैरों में गहरे ब्राऊन कलर के चार इंच ऊंची ऐड़ी की सैंडल थे. भीड़ की वजह से पसीना चू रहा था और वो कॉटन की साड़ी पसीने से कमर और पेट पे चिपकी थी. पसीने से ब्लाउज भी तरबतर होने से उसमें से रूपा की ब्रा दिखाई दे रही थी. ऊपर हैंडल पकड़ने से उसके ब्लाउज के अन्दर की ब्लैक ब्रा और उनमें दबे मम्मों की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी.

सिटी बस में 1-2 ही लाईट जल रही थीं. उस भीड़ में बाकी मर्दों में पप्पू भी था और इत्तफ़ाक से वो एकदम रूपा के पीछे खड़ा था. पप्पू एक 30-31 साल का मर्द था. भीड़ में छेड़छाड़ करने का उसका कोई इरादा ना था, पर बार-बार पीछे के धक्कों से वो आगे वाली औरत यानि रूपा से टकरा जाता था.

रूपा ने जब 1-2 बार मुड़ के ज़रा नाराज़गी से उसे देखा तो उसने सोचा कि मैं जानबूझ के कुछ नहीं कर रहा तो भी ये औरत मुझ पे क्यों बिगड़ रही है? वो उस औरत को पीछे से देखने लगा. उस औरत की टाइट साड़ी में लिपटी गांड, पसीने से गीली कमर, ब्लाउज से दिख रही ब्रा और बगलों से दिखते ब्रा में छिपे गोल मम्मे देख के उसकी पैंट में हलचल होने लगी.

पप्पू ने सोचा कि कुछ किया नहीं तो भी ये औरत नाराज़गी दिखा रही है तो कुछ करके इसकी नाराज़गी लेना अच्छा है.
यही सोचते हुए पप्पू ने पीछे खड़े होते हुए हल्के से उस औरत की गांड को छूते हुए खुद बोला- उफ्फ साली कितनी भीड़ और गर्मी है, कितने लोग भरे हैं बस में.. और ये बस भी कितनी धीरे चल रही है.

इस बार गुस्सा होने के बजाय रूपा को लगा जैसे उसकी ही गलती है और वो थोड़ी शिष्टाचार के लिए मुस्कुराते हुए बोली- ओह आय एम सारी, भीड़ की वजह से मैंने आपको गुस्से से देखा.
उस औरत की बात सुन के पप्पू ने भी कहा- नहीं नहीं, कोई बात नहीं, पर इस भीड़ में तो खड़े रहने तक की जगह नहीं है.
इतने में पीछे से भीड़ ने फिर धक्का मारा और पप्पू पीछे से रूपा के जिस्म से पूरा चिपक गया. पप्पू भीड़ को पीछे धक्का दते हुए बोला- सॉरी मैडम… लेकिन क्या करूँ? पीछे से इतनी भीड़ का धक्का आता है और आपसे टकरा जाता हूँ, आय एम सॉरी.
रूपा समझी कि पप्पू सच कह रहा है, इसलिए वो भी बेबस हो कर मुस्कुराते हुए कुछ नहीं बोली.

पप्पू को पीछे से उस औरत के पसीने से गीले ब्लाउज से उसकी ब्लैक ब्रा दिखाई दी. पूरा पसीना पीठ पे था, पसीने की बूँदें बालों से टपक के पीछे और आगे से ब्लाउज गीला कर रही थीं. सहारे के लिए हाथ ऊपर होने से उसकी चूची दिख रही थी. अब पप्पू ज़रा बिंदास होकर उस औरत के पीछे चिपक के गर्म साँसें उसकी गर्दन पे छोड़ने लगा.
रूपा उस आदमी की साँसों से और उसके तने हुए लंड का स्पर्श अपनी गांड पे महसूस करके मचली ज़रूर, पर पीछे मुड़ के उसकी और नाराज़गी से देखते हुए अपनी अप्रसन्नता जताई कि उसकी हरकतें उसे पसंद नहीं.

पप्पू ने उसकी नज़र को पढ़ा, पर ध्यान ना देते हुए पीछे से उसे और दबा के अपना हाथ हल्के से उसके पसीने से गीले नंगे पेट पे रखते हुए बोला- साला कितनी आबादी बढ़ गई है देश की, ठीक से सफ़र भी नहीं कर सकते. ना जाने लोगों को इतने बच्चे पैदा करने का समय कैसे मिलता है.

अपने पेट पे उस आदमी का हाथ पाकर रूपा को कैसा तो लगा. उस मर्द का हाथ हटाने की उसके पास जगह भी नहीं थी. इसलिए वो थोड़ा आगे होते हुए हल्की आवाज़ में बोली- देश की आबादी और लोग क्या-क्या करते हैं… ये जाने दो आप! आप थोड़े पीछे खड़े रहो.

अब पप्पू पीछे हटने वाला नहीं था. वो भी थोड़ा आगे खिसकते हुए फिर उसके पसीने से गीले पेट को उंगली से मसलते हुए बोला- अरे भाभी, कैसे पीछे जाऊँ, देखो पीछे कितनी भीड़ है, आप तो सिर्फ़ पीछे से दब रही हो, मैं तो आगे आपसे और पीछे भीड़ से दबा हूँ… बोलो क्या करूँ?
रूपा पीछे हो कर थोड़ा उस आदमी के नज़दीक आकर उसके पैर पे अपना ऊंची ऐड़ी का सैंडल रख के दबे होंठों से बोली- अपना हाथ हटाओ.

जैसे उसने कुछ सुन ही नहीं हो, पप्पू अपना हाथ और रगड़ के पीछे से उससे चिपकते हुए बोला- यार सबको क्या इसी बस से आना था! भाभी सॉरी… आपको तकलीफ हो रही है पर क्या करूँ? फिर हल्की आवाज़ में रूपा के कान के पास आके पप्पू बोला- अरे भीड़ है तो ये सब चलता है.

उस आदमी की बात से रूपा समझ गई कि ये भीड़ का पूरा फायदा लेने वाला है और अब वो पीछे हटने वाला नहीं.

इसलिए जैसे तैसे करके अपने आपको आराम देने की कोशिश करते हुए वो बोली- कबीर मोहल्ला और कितनी दूर है पता नहीं, ये बस भी कैसे धीरे चल रही है. इससे तो अच्छा होता कि मैं रिक्शा ले लेती तो इस भीड़ से तो नहीं जाना पड़ता.
पप्पू ने सोचा कि इज़्ज़त की वजह से ये औरत कुछ नहीं बोल सकेगी. अपने हाथ से उसका पेट मसलते हुए, गर्म साँसें गर्दन पे छोड़ते हुए और गांड पे हल्के से लंड रगड़ते हुए वो बोला- कबीर मोहल्ला अब 20 मिनट में आएगा भाभी जी! आपका तो फिर भी ठीक है… मुझे तो रहमान नगर जाना है, आपके स्टाप से 30 मिनट आगे. आपके उतरने के बाद मुझे आधा घंटा इस भीड़ में आपके बिना गुजारना है.

रूपा को भी पूरा एहसास हुआ कि वो आदमी इस भीड़ का फायदा उठा रहा है और वो कुछ नहीं कह सकती.
बेबस हो कर अब कोई विरोध किये बिना अपना जिस्म ढीला छोड़ते हुए वो बोली- वैसे ये कबीर मोहल्ला इलाका कैसा है? वहाँ से मुझे राम टेकरी जाना है.
पप्पू अब बिंदास उस औरत को मसल रहा था. उस औरत की नाभि में उंगली डालते हुए वो बोला- मोहल्ला तो अच्छा है लेकिन लोग हरामी हैं. ज़रा संभल के जाना, बहुत गुंडे रहते हैं वहाँ, खूब छेड़ते हैं लड़कियों और औरतों को… अपने रिक्शा से ही जाना ठीक था.

अपना हाथ अब वो उसके मम्मों के नीचे तक लाकर और 1-2 बार उसकी गर्दन हल्के से चूमते हुए पप्पू आगे बोला- भाभी तुम आरम से खड़ी रहो… पीछे भीड़ बढ़ भी गई तो तुमको तकलीफ नहीं होने दूँगा. तुम्हारा नाम क्या है भाभी, मैं पप्पू हूँ.

रूपा के पास अब आगे जाने की जगह नहीं थी इसलिए वो अब पप्पू की हरकतों का मजा लते हुए कोई विरोध नहीं कर रही थी. पर वो एक बात का ख्याल रख रही थी कि कोई ये देखे नहीं. इसलिए जब पप्पू ने उसकी नाभि में उंगली डाली तो उसने सहारे का हाथ निकाल कर अपना पल्लू पूरा सीने पे ओढ़ते हुए कहा- ओह थैंक यू. मेरा नाम रूपा शाह है. राम टेकरी जाने का कोई दूसरा रास्ता है क्या? आप मुझे पहुँचाएंगे वहाँ? आप साथ रहेंगे तो वो गुंडे मुझे तंग भी नहीं करेंगे.

इशारे से रूपा पप्पू को अपने साथ आने के लिए बोल रही थी… ये पप्पू समझ गया और रूपा के पल्लू ओढ़ने से ये भी समझ गया कि ये औरत अब मस्ती चाहती है. वो समझा कि ये साली गुजराती रूपाबेन को मज़ा आ रहा है, कुछ बोल ही नहीं रही है, देखें कब तक विरोध नहीं करती.

अब पप्पू ने पल्लू के नीचे से अपना हाथ रूपा के मम्मों पे रखते हुए कहा- दूसरा रास्ता बड़ा दूर का है भाभी, तुम चाहो तो मैं छोड़ूंगा तुमको राम टेकरी, मैं मर्द हूँ, मेरे साथ कबीर मोहल्ले से आओगी तो कोई नहीं छेड़ेगा तुमको. तेरे लिए इतना तो ज़रूर करूँगा मैं रूपा भाभी.

इस भीड़ में अपने मम्मों पे हाथ पाके रूपा ज़रा घबरा गई और सिर पीछे करके दबे होंठों से पप्पू से बोली- शुक्रिया पप्पू… पर तेरा इरादा क्या है? भीड़ का इतना भी फायदा लेने का… ऐसे? मैं कुछ बोलती नहीं.. इसलिए ये मत समझो कि मुझे कुछ पता नहीं है, पहले पीछे से सट गए मुझसे, फिर पेट रगड़ा और अब सीने तक पहुँच गए. इरादा क्या है बता तो सही?
पप्पू ने मुस्कुराते हुए कहा- ऐसा ही कुछ समझो रूपा रानी, अब तुम लग रही हो इतनी मस्त कि रहा नहीं गया… पहले दिल में कुछ नहीं था पर छूने के बाद अब सब करने का इरादा है, अब तक पिछवाड़ा और पेट सहलाते हुए हाथ अब सीने तक पहुँचा है, पर अभी नीचे छेद तक जाना बाकी है, बोल तेरा इरादा क्या है? तू भी तो मजा ले रही है, तू बोल क्या चाहती है?

पप्पू का हाथ अब रूपा के ब्लाउज के हुक पे आ गया. रूपा समझी कि पप्पू ब्लाउज खोलना चाहता है, इसलिए उसने झट से मुड़ कर पप्पू का हाथ वहाँ से खिसका दिया, पर ऐसा करने से पप्पू का हाथ उसके पूरे कड़क मम्मों को छू गया.

पप्पू को देखते हुए उसने कहा- हम्म छोड़ो उसे, जहाँ जितना करना है उतना ही करना. तुम लोगों की यही तकलीफ है, थोड़ी ढील दी कि पूरा हाथ पकड़ लेते हो. ये लो मेरा स्टैंड आ गया. तुम चलते हो क्या मेरे साथ… मुझे राम टेकरी छोड़ने पप्पू?
रूपा ने आखिरी शब्द आँख मारते हुए कहे.
पप्पू रूपा के हाथ को पकड़ के बोला- अब तेरी जैसी गरम माल मिले तो रहा नहीं जाता, इसलिए तेरा ब्लाउज खोलने लगा था. तेरे साथ आऊँगा रूपा लेकिन मेरे वक्त की क्या कीमत देगी तू?
पप्पू ने रूपा का हाथ कुछ ऐसे पकड़ा कि वो हाथ उसके लंड तो छू गया.

लंड को छूने से रूपा ज़रा चमकी. वो अब चाहने लगी थी कि इस मर्द के साथ थोड़ा वक्त बिताऊँ. वो भी गर्म हो गई थी. मुस्कुरा कर वो बोली- अरे पहले बस से उतर तो सही, मुझे ठीक से पहुँचाया तो अच्छी कीमत दूँगी तेरे वक्त की. देख बस रुकेगी अब… मैं उतर रही हूँ… तुझे कुछ चाहिये इससे ज्यादा तो तू भी उतर नीचे मेरे साथ.

रूपा का स्टाप आया और वो झट से आगे जाके बस से उतरने लगी. रूपा का जवाब सुन के पप्पू खुश हो कर उसके पीछे उतरा और ज़रा आगे तक दोनों साथ-साथ चलने लगे.

पप्पू रूपा को ले के चलने लगा. रूपा ने जानबूझ के अपना पल्लू ऐसे रखा, जिससे पप्पू को बगल से उसके मम्मों का तगड़ा नज़ारा दिखे और उसके मम्मों के बीच की गली साफ़ दिखाई दे.

आगे काफी सुनसान गली में पूरा अंधेरा था. पप्पू रूपा की कमर में हाथ डाल के कमर मसलते हुए बोला- राम टेकरी में इतनी रात क्या काम है तेरा? किसको मिलने जा रही है तू इतनी रात रूपा.
घबराते हुए रूपा पप्पू का हाथ कमर से हटाते हुए बोली- पप्पू हाथ हटा कमर से, पता नहीं चलता यहाँ रास्ते में कितने लोग आते जाते हैं. मैं राम टेकरी अपनी सहेली के घर जा रही हूँ.
पप्पू ने हाथ फिर रूपा की कमर में डाल के उसे अपने से सटते हुए कहा- रूपा जैसा अच्छा तेरा नाम है वैसा अच्छा तेरा रूप है. सुन रूपा इस अंधेरे में किसी को कुछ नहीं दिखता, वैसे भी इस वक्त कोई भी आता जाता नहीं यहाँ से… इसलिए डरना तो बिल्कुल नहीं रानी.
ये कहते हुए पप्पू अपने दूसरे हाथ को रूपा के नंगे पेट पे रखते हुए बोला- इस वक्त सहेली के घर क्या काम निकाला तूने?

किसी के देखने के डर से रूपा जल्दी जल्दी पप्पू के आगे चलते हुए सड़क से ज़रा उतर के सुनसान जगह में एक पेड़ के पीछे जाके खड़ी हो गई. तेज़ चलने से उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं, जिससे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था और पल्लू तकरीबन पूरा-पूरा ढलक गया था.

जैसे ही पप्पू उसके सामने आया तो वो बोली- उफ्फ ओहह, तुम क्या कर रहे थे सड़क पे ऐसे? कोई देखेगा तो क्या सोचेगा? आज मेरी सहेली ने मुझे उसके नये घर बुलाया था, इसलिए मैं उसके घर जा रही हूँ.

पप्पू रूपा के सामने खड़ा हो कर रूपा का बिना पल्लू का उछलता हुआ सीना देखते हुए एक हाथ से ब्लाउज पर से मम्मे मसलते हुए और दूसरे हाथ से उसका पेट सहलाता हुआ बोला- यहाँ कौन देखने आता है कि कौन मर्द कौन सी औरत के साथ क्या कर रहा है? अब वैसे भी कोई हमें देखे तो क्या होगा? वो भी वही करेगा जो मैं कर रहा हूँ तेरे साथ, है ना? या तो ये सोचेगा कि हम मियाँ बीवी हैं और घर में मस्ती करने को नहीं मिलती… इसलिए जवानी का मज़ा लने यहाँ आए हैं.

रूपा अब कोई भी ऐतराज़ किये बिना पप्पू को अपने जिस्म को मसलने देते हुए बोली- हाय रब्बा, कितना बेशरम है तू, बाप रे कैसी गंदी बात करता है? हम पति पत्नी तो बच्चों के सोने के बाद ही करते हैं ये सब… अगर बहुत रात हो जाये तो ये खेल कई दिनों तक खेलते भी नहीं हैं.

रूपा का ढलका हुआ पल्लू किनारे हटा के पप्पू ने झुक कर उसके मम्मों के बीच में मुँह से मसलते और ब्लाउज से मम्मों को हल्के से काटते हुए बोला- अब तेरी जैसी गर्म औरत इतनी बिंदास होगी तो शर्म क्यों जान? बस में भी कितनी मस्ती से मसलवा रही थी जान… वैसे रात को देर हो जाये और तेरा पति मस्ती नहीं करता, तो तुझे बुरा नहीं लगता रूपा?

जब पप्पू झुक कर उसके मम्मों को चूमने लगा तो रूपा अपने सीने को और ऊंचा उठा के उसके मुँह पे दबाते हुए बोली- उम्म्म्म… मैं बिंदास लगी तुझे… वो कैसे ये तो पता नहीं… बस में ऐतराज़ करती तो मेरी ही बे-इज़्ज़ती होती ना?

रूपा की चूचियाँ जीभ से चाटते हुए पप्पू रूपा की साड़ी पेटीकोट से निकालने लगा. रूपा का ज्यादा से ज्यादा क्लीवेज चाटते हुए पप्पू ने अपना मुँह रूपा के ब्लाउज में घुसाया, जिससे रूपा के ब्लाउज का एक हुक टूट गया और रूपा का ज्यादा क्लीवेज नंगा हो गया.

मम्मों को नीचे से ऊपर दबाते हुए पप्पू रूपा का सीना चाटते हुए बोला- वैसे जान…! माना कि बस में ऐतराज़ करती तो तेरी बे-इज़्ज़ती होती… पर ये सच बता कि क्या तुझे ऐतराज़ करना था जब मैं बस में तेरे जिस्म से खेल रहा था?

पप्पू साड़ी निकालने लगा तो रूपा उसे थोड़ा दूर करके अपने साड़ी पकड़ती हुई बोली- अरे इतनी जल्दी क्या है जो वीराने में तू सीधे पेटीकोट पे आ गया? पहले अच्छे से गरम तो कर. उफ्फ देख तूने मेरा हुक तोड़ दिया… अब मैं क्या करूँ? पप्पू बस में तुझसे अगर ऐतराज़ करना होता तो क्या मैं तुझे इतना खेलने देती? मेरा पति रात को आकर देखता है कि लड़कियाँ सोई नहीं तो बिना कुछ किये जा के सीधे खर्राटे लगाने लगता है.

पप्पू अपनी जीभ रूपा के क्लीवेज पे घुमा कर पेटीकोट के नीचे हाथ डाल के एक हाथ से उसकी नंगी टाँगें सहलाते हुए और दूसरे हाथ से मम्मे ज़रा ज़ोर से मसलते हुए बोला- जल्दी तो नहीं रानी, बस तेरा गर्म और गोरा जिस्म नंगा देखने की ख्वाहिश है और कुछ नहीं. अरे हुक टूटा तो क्या हुआ? जब यहाँ से जायेगी तो जान तू क्या सीने पे पल्लू नहीं लेगी? उम्म बड़ा गर्म माल है तू. मुझे ये समझ में नहीं आता कि ऊपर वाला तेरी जैसी गर्म माल को इतना ठंडा पति क्यों देता है.. या शादी को इतने साल हो गए.. इसलिए पति को अपनी सेक्सी बीवी में दिलचस्पी नहीं रहती?

रूपा अपना सीना और तान के पप्पू का सिर पकड़ के अपने मम्मों पे दबाते हुए बोली- अरे अब तेरे पास हूँ तो नंगी करेगा ही ना, इतनी जल्दबाज़ी मत कर, या तूने किसी और को समय दे रखा है? अरे पल्लू तो डालूँगी पर उसके नीचे से खुला हुक लोगों को मुफ्त का तमाशा दिखाएगा… उसका क्या? रहा मेरी किस्मत का सवाल तो तू तो ऐसे बोल रहा है कि हर खूबसूरत औरत का पति ऐसा होता है. असल में मेरा पति काम की वजह से थकता है, नहीं तो मैं उसके साथ दो लड़कियां कैसे पैदा करती? आहह सुन इतना बेरहम मत बन, आराम से मेरा सीना हौले हौले मसल न.

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कहानी जारी है.

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