जवानी की पहली बरसात-2

जवानी की पहली बरसात-1
Jawani ki Pahli Barsat-2

मैं पहली बार जिंदगी में किसी के साथ चुदाई कर रहा था..

वो भी इतनी कामुक और सुन्दर महिला के साथ.. यह सोच कर मेरा लंड और भी तन गया था।

तभी मेरा बदन अकड़ने लगा और मैंने एक तेज़ धार की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी।
भाभी भी उस मधुर रस की तरह स्वादिष्ट लगने वाले मेरे वीर्य को पी गई।

मैं उस अनुभूति से विभोर था.. जो उस वक़्त मुझे मिल रही थी।

कुछ देर बाद प्रभा भाभी ने मेरे लंड को चाट-चाट कर अच्छे से साफ किया और खुद बाथरूम की ओर चली गई।

वो फ्रेश होकर वापस आई और मेरे पास आकर बोली- तुम्हारा तो काम हो गया है राज.. अब क्या अपनी भाभी को खुश नहीं करोगे?

मैं बोला- आप बोलो तो भाभी करना क्या है.. मैंने आप की बात आज तक कभी टाली है?

उसने मुस्कुरा कर मुझे बाँहों में ले लिया और मेरे होंठों से होंठ मिला दिए। एक बार फिर मेरे लौड़े में हरकत होने लगी।

भाभी अपनी साड़ी खोलने लगी.. कुछ ही पलों में वो सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में रह गईं..

भाभी की आसमानी ड्रेस देख कर.. और उस पर उसका गदराया जवान जिस्म… क्या खूब लग रहा था.. आह्ह…

मैं उसे अपने पास खींच कर बेइन्तहा चूमने लगा। फिर धीरे से उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए।
अगले ही क्षण उसके गुलाबी ब्रा में छिपे हुए मस्त गोरे और भरे-पूरे मम्मे.. मेरे सामने थे।

मैं बिना कोई समय नष्ट किए उस हसीन घाटी में अपने हाथ फेरने लगा..
मेरे हाथ लगाते ही प्रभा भाभी के मुँह से एक मादक ‘आह’ निकल गई।

कुछ क्षण तक यूँ ही सहलाने के बाद मैं खड़े-खड़े ही उसके मम्मों को मुँह में भर कर चूसने लगा..

मेरा एक हाथ उसके मखमली कमर को सहला रहे थे और एक उसके कंधे पर था।
मैं बारी-बारी से उसके मम्मों को चूम और चूस रहा था।

इस बीच में मुझे पता ही नहीं चला कि भाभी ने कब अपना पेटीकोट का नाड़ा खोल कर नीचे सरका दिया।

मैं चुम्बन करते-करते अपने घुटनों के बल आ गया.. उसकी नाभि को अपने लबों में भर कर चाटने लगा और उसके मस्त चूतड़ों और जाँघों को अपने हाथों से सहलाने लगा।

वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी.. और मेरी बांहों को अपने हाथों से सहला रही थी.. और कामातुर होकर उसने अपने होंठों को दांतों से दबा लिया था।

मैं अपने ब्लू-फिल्म के ज्ञान का खूब फायदा ले रहा था.. मैं जान चुका था कि भाभी अब क्या चाहती हैं।

मैं उसे सोफे में लेटा कर उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गया.. फिर उसकी पैंटी नीचे खींच कर उतार दी।

उसकी चूत के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा फिर हथौड़ा बन चुका था और लण्ड पर गीलापन महसूस हो रहा था।

मैं जानता था पहली बार में गच्चा कहा गया तो खेल खत्म.. इसलिए मैं जल्दबाज़ी में कोई गलती नहीं करना चाहता था।

मैं भाभी की जाँघों को चूमते हुए और सहलाते हुए उसकी चूत की मस्त खुश्बू को महसूस कर रहा था। मैं अपनी ऊँगली से चूत सहलाने लगा।

मेरे छूने मात्र से भाभी के मुँह से ‘आह’ निकल गई और उसने अपनी गाण्ड ऊपर उठा दी।

मैंने धीरे-धीरे ऊँगली का दबाव बढ़ा दिया और अपने होंठों को लेजा कर उसकी चूत की फांकों के बीच में रख दिए।

अब मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा.. भाभी मेरे बालों को सहलाने लगीं।

‘आह आह’ की सिसकी के साथ ही उसके मुँह से ‘आई लव यू राज.. लव यू राज..’ की आवाजें भी आने लगीं।

मैं अपने पूरी जीभ उसकी चूत में अन्दर तक ले जा रहा था और जोर डाल कर उसकी चूत चाट रहा था।

थोड़े ही पल में वो मुझे ऊपर खींचने लगी।
मैं ऊपर उठ गया और हम 69 की अवस्था में आ गए।
वो मेरे लौड़े को पागलों की तरह चूसने लगी और पूरे हलक तक अन्दर ले जा रही थी।

इधर मैं जीभ से उसकी चूत को और लौड़े से उसके मुँह को चोदने में लगा था।

दस मिनट मैं वो कहने लगी- अब बस भी करो राज… तड़फाओ मत.. आओ अब मुझे अपने लौड़े का मज़ा दो.. कब से तरस रही हूँ इस सुख के लिए प्लीज़… आओ चोदो मुझे.. फाड़ दो मेरी प्यासी चूत को.. भिगा दो.. अपने रस से…

मैंने सीधे होकर तौलिया से अपना लंड साफ किया और भाभी की गीली चूत को भी पौंछा।

फिर उसकी टांगों को फैला कर दोनों टांगों के बीच में आ गया और अपने सुपारे को उसकी चूत पर फांकों को खोल कर दरार में लौड़े को फंसा कर एक हल्का सा धक्का दिया..
भाभी के मुँह से चीख निकल गई..
क्योंकि मेरा हल्का धक्का उसके लिए मानो हल्का नहीं बहुत तेज था।
मैंने जोश के मारे कुछ ज़्यादा ही तेज झटका दे दिया था इसलिए मेरा आधा लौड़ा उसकी चूत में आधा घुस गया था।

उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े थे।

मैंने पूछा- तुम रो क्यों रही हो?

तो उसने कहा- इतना दर्द दोगे तो क्या हँसू मैं…

मैंने लंड को फंसाए हुए ही उससे पूछा- तुम तो शादीशुदा हो फिर भी ऐसा क्यों?

तो वो बोली- तुम्हारे भैया का तुमसे भी आधा है और वो कभी मुझे अच्छे से चोद भी नहीं पाया है.. वो ऊपर चढ़ते ही झड़ जाता है और मैं सालों से प्यासी हूँ… प्लीज़ तुम मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो.. मेरी गोद भर दो.. अब तुम ज़्यादा बात करो.. चोदो अपनी भाभी को.. अपनी प्रेमिका समझकर चोदो।

मैं उसके होंठों से होंठ मिला कर चूमने लगा और एक ज़ोर का झटका उसकी चूत में दिया मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया था।

वो चाह कर भी नहीं चीख पाई.. क्योंकि मेरे होंठ उसके मुँह पर जमे थे, हाँ.. आँसू वो नहीं रोक पाई…

मैंने थोड़ी देर रुक कर हल्के-हल्के चुदाई शुरू कर दी।

फिर वो भी साथ देने लगी.. अपनी कमर उठा-उठा कर वो भी अब चुदाई के मज़े लेने लगी।

मैं अपने हाथों से उसके बदन को सहला-सहला कर चुदाई कर रहा था।

मेरे लंड को ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी गर्म भट्टी में हो।

मैं सातवें आसमान में था.. लेकिन भाभी की बातों से मैं एक बात जान गया था कि इसे संतुष्ट किए बगैर झड़ना ठीक नहीं होगा।
इसलिए मैं अपना दिमाग किसी दूसरे बारे में लगा कर सोचने लगा और लंबी साँसें लेकर अपना संयम स्थिर करने लगा।

इस तरह मैं जम कर चुदाई करने लगा।

मेरी चुदाई की रफ़्तार से भाभी खुश थी और अब उसका बदन अकड़ने लगा था। उसके हाथों की पकड़ मजबूत होने लगी थी.. मैं समझ गया।

करीब 15 मिनट की इस ज़ोरदार चुदाई में भाभी अब झड़ने ही वाली थी। मैंने भाभी को और ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद भाभी ढीली हो गईं और गीलापन हो जाने के कारण ‘पछ..पछ’ की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी।

अब मैं भी थोड़ा ऊपर उठ कर उसकी जाँघों को उठा कर चुदाई करने लगा।

लगभग 5 मिनट तक इसी अवस्था में चुदाई करके उसके ऊपर फिर से आ गया। मुझे लगा मेरा निकलने वाला है.. तो मैं लौड़े को बाहर खींचने लगा.. पर उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और बोली- अन्दर ही डाल दो प्लीज़.. मेरी सूनी गोद हरी कर दो.. मेरे बंजरपन के तानों को दूर कर दो… अन्दर ही निकालो…

मैं अब ज़ोर-ज़ोर से पूरी ताक़त से चोदने लगा और कुछ ही पलों में मैंने अपना पूरा का पूरा वीर्य उसके चूत के अन्दर ही डाल दिया।
मेरा पूरा माल निकलने के भी बाद मैं कुछ समय उसे चोदता रहा.. फिर शान्त होकर भाभी के ऊपर ही ढेर हो गया।

वो मुझे चुम्बन करने लगी और मैं भी उसे चूमने लगा, मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर ही था।

कुछ देर बाद मैं उठा और बाथरूम गया.. वहाँ से फ्रेश होकर आकर अपने कपड़े पहनने ही वाला था कि अचानक लाइट आ गई और इस उजाले में मैं भाभी के नंगे जिस्म को निहारने लगा.. जो आँखें बन्द करके अभी भी उसी स्थिति में लेटी हुई थीं।

मैंने देखा.. क्या जिस्म था भाभी का.. राजकुमारियों की तरह.. मैं अपनी किस्मत पर नाज़ कर रहा था।

प्रभा की चूत से अभी भी मेरे प्यार का रस थोड़ा बाहर आ रहा था.. उसकी चूत को देखते ही मेरा लंड फिर आकार लेने लगा।

मैं फिर उसकी जाँघों को सहलाने लगा और उसके ऊपर एक बार चढ़ गया।

फिर हवस का तूफान कमरे में छा गया और प्रेम-रस की बारिश से हम दोनों सराबोर हो गए।

मेरी चुदाई से वो मेरी दीवानी हो गई थी.. मैं अपने कमरे में आया और वो भी नहा-धो कर खाना बनाने की तैयारी करने लगी।

आपसे फिर मुलाक़ात होगी, मुझे ईमेल जरूर लिखिएगा।

 

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