मोहल्ले की जवानी को धर्मशाला में चोदा

(Mohalle Ki Jawani Ko Dharmshala Me Choda)

रेनू रवि 2018-01-21 Comments

प्रिय पाठको, मेरी पिछली सेक्स कहानी
मेरे पति बने चुदाई टीचर
आप लोगों ने काफी पसंद की, भारी संख्या में मिले आपके ईमेल से मुझे काफी खुशी हुई है। मेरे लिए अपना सहयोग इसी तरह बनाये रखिये और अन्तर्वासना पर मेरी कहानियां लगातार पढ़ते रहिये।

लीजिए अब पेश है मेरी नई सेक्स कहानी:

मेरे पति रवि की आंखें हैरानी से फैल गई थीं। वो अपने मोबाइल पर कुछ देख रहे थे, मोबाइल पर चल रहा वीडियो ही कुछ ऐसा था। वीडियो में हमारे मोहल्ले में रहने वाली अंशु अपनी चूचियों को झटके दे देकर हिला रही थी और उसकी गांड पर दो लोग हाथ फेर रहे थे।
रवि को यह क्सक्सक्स विडियो उसके एक दोस्त पंकज ने भेजा था, रवि ने अपने दोस्त पंकज से पूछा-यार, तुझे यह वीडियो कहां से मिला?
इस पर पंकज ने कहा- पहले पूरा xxx वीडियो देख… इसके बाद वीडियो की पूरी कहानी सुन लेना।

वीडियो धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था, देखते ही देखते उन दोनों ने अंशु के कपड़े फाड़ दिये थे और तेजी से उन्होंने अपने भी कपड़े उतार दिये थे। दोनों के लंड तने हुए थे और वो अंशु की एक एक चूची पीने में मस्त थे। कुछ देर तक चूची पिलाने के बाद अंशु ने दोनों के लंड पकड़ लिये।

वीडियो देख कर रवि की सांस तेज हो गई थी, उसने पंकज से कहा- यार, पहले पूरी बात बता… साली ने लंड खड़ा करवा दिया है, ज्यादा देखूंगा तो माल बाहर निकल जायेगा। ये अंशु तो मेरे मोहल्ले की लड़की है, जब भी सड़क पर निकलती है तो सिर झुका कर जाती है। लेकिन यहां तो ये सेक्स की खिलाड़िन बनी हुई है।

पंकज ने हंसते हुए कहा- देख रवि, मुझे अंशु के बारे में ज्यादा नहीं पता… बस इतना पता है कि वो हफ्ते में एक दिन सेक्स क्लब में जाती है और एक दिन के उसे दस हजार रुपये मिलते हैं। हां… उसे यह नहीं पता कि उसकी वीडियो भी बनाई जाती है।

रवि का दिमाग चकरघिन्नी बना हुआ था, साली को अब तक ऊपर से ही देखा था लेकिन अंदर से गजब का आइटम है। अब उसके दिमाग में अंशु की चूत घूम रही थी.
उसने पंकज से कहा- यार, अब वीडियो नहीं देखना… वीडियो में हीरो बनना है और अंशु की चुत चुदाई करनी है।

उसका दिमाग कंप्यूटर की तरह सोच रहा था। उसने अपने इंदौर के दोस्त मोहन को फोन किया और कहा- यार, अपने दफ्तर में एक लड़की को इंटरव्यू के लिये बुला ले, फिर दोनों लोग मिल कर चोदेंगे। बड़ी कमसिन जवानी है।
मोहन तुरंत उसकी मदद करने को तैयार हो गया।
रवि और मोहन दोनों ने मिल कर सब कुछ तय कर लिया कि कैसे क्या करना है.

इसके बाद रवि अंशु के घर पहुंच गया, घंटी बजाने पर दरवाजा अंशु के पिता जी ने खोला.
रवि ने उन्हें नमस्ते की तो खुश होकर वो बोले- अरे रवि बेटा… आओ अंदर आओ।
रवि ने इधर उधर की बातें की और फिर पूछा- चाचा जी, अपनी अंशु के लिये नई नौकरी है… इंदौर में है, अच्छा पैसा मिलेगा।

“अच्छा वेतन…” अंशु के पिता जी तुरंत राजी से होते दिखे लेकिन उन्होंने मुझसे और ज्यादा जानकारी पूछी नौकरी के बारे में… सब बातों से सन्तुष्ट होकर चाचा जी ने कहा- तो बेटा, तुम अगले हफ्ते अंशु को लेकर इंदौर चले जाओ।
मैंने भी कहा- ठीक है चाचा जी… दो घंटे का रास्ता है, सुबह जल्दी जाएंगे और शाम तक वापस आ जाएंगे।

तभी अंशु भी आ गई। अंशु काफी थकी थकी सी लग रही थी.
उसके पिता ने कहा- आज काम कुछ ज्यादा था क्य़ा?
अंशु ने थकी थकी आवाज में कहा- हां पापा, कभी कभी काम ज्यादा हो जाता है।

रवि मन ही मन सोच रहा था कि शायद आज ज्यादा लोगों ने चढ़ाई चुदाई कर दी।

तभी अंशु के पिता ने कहा- अब तू ये नौकरी छोड़ दे। रवि ने अपने दोस्त से बात की है, बीस हजार रुपये महीना मिलेंगे और काम भी इससे कम होगा।
पिता की बात सुनते ही अंशु बोली- नहीं पापा, ये नौकरी ठीक है।
लेकिन उसके पिता ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा- नहीं, कई दिन से देख रहा हूं मिलते हैं पांच हजार… और काम कराते हैं पचास हजार का। अब रवि के साथ इंदौर जा और बीस हजार की नौकरी की बात पक्की कर ले।

असल में अंशु ने घर में बता रखा था कि वो पांच हजार रूपए महीने की जॉब करती लेकिन वो महीने में चालीस पचास हजार रुपये कमाती थी होटल जाकर और उसमें से पांच हजार रूपये घर में दे देती थी, बाक़ी पैसों से वो अपनी सहेलियों, दोस्तों के साथ मौज मस्ती करती थी.

अंशु के पास इंदौर जाने के अलावा कोई चारा नहीं था। तो अगले ही हफ्ते सुबह साढ़े आठ बजे की ट्रेन पकड़ कर हम इंदौर चल दिये।
दोपहर करीब साढ़े ग्यारह बजे हम दोनों मोहन के दफ्तर पहुंच गए, वहां पर पता चला कि वो आज देर से आएगा। यह बात पहले से ही तय थी कि मोहन हमें नहीं मिलेगा.

समय बिताने के लिये दोनों लोग दफ्तर से बाहर निकले और आस पास टहलने लगे। डेढ़ बजे पास में एक रेस्तरां देख कर दोनों खाना खाने चले गए. रेस्तरा में अंशु बाथरूम गई तो पीछे से रवि ने अंशु के पर्स से सारे पैसे गायब कर दिए और पर्स वैसे ही रख दिया. वो खुद तो पर्स लाया ही नहीं था. थोड़े से पैसे ऊपर की जेब में लाया था, और सारे पैसे उसने अंदर की जेब में छिपा कर रखे थे.

खाने का बिल देने के लिए जब अंशु पर्स खोलने लगी तो रवि ने उसे मना किया और खुद भुगतान कर दिया.

खाना खाकर वे फिर ऑफिस गए तो तब भी मोहन नहीं आया था. साढ़े तीन बज चुके थे. वे बाजार की तरफ घूने चले गए.
इंदौर के बाजार में घूमते घूमते शाम के चार बज गये थे। अचानक अंशु की निगाह एक शोरूम के शोकेस में टंगी कुर्ती पर पड़ी, उसे अच्छी लगी तो वो उसे खरीदने के लिए दूकान में चली गई. जैसे ही उसने पेमेंट के लिए पर्स खोला तो उसमें पैसे ना पाकर वो सन्न रह गई और रवि की तरफ देखने लगी.
रवि ने पूछा- क्या हुआ अंशु?
अंशु बोली- मेरे पैसे?
कहते हुए उसने जल्दी से पर्स की पूरी तलाशी ली तो उसमें से पैसे गायब थे। उसी समय रवि ने कहा- लगता है ट्रेन में आते वक्त जेबकतरों के गिरोह का काम है।
फिर रवि ने कुर्ती का भुगतान कर दिया और वे दोनों मोहन के दफ्तर वापस लौटे जहां उसके स्टाफ ने बताया कि अब मुलाकात तो कल ही हो सकती है। कल सुबह दस बजे तक हर हाल में आ जाना।
अब साढ़े छह बज चुके थे और रात को रुकना ही था.

रवि ने अंशु से खा- अब क्या करें?
अंशु बोली- रात को तो यहीं रुकना पड़ेगा?
रवि बोला- हां रुकना तो पड़ेगा ही, लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम होटल में रह सकें!
उन्होंने कोई धर्मशाला तलाशने का निर्णय लिया और इधर उधर पूछ ताछ करते हुए एक धर्मशाला में पहुँच गए.

वहां पूछने पर एक कोठरीनुमा कमरा मिल गया उन्हें, उसमे एक चारपाई, और उस पर एक बिस्तर था. फिलहाल उस कमरे में रात गुजारने के अलावा दोनों के पास कोई चारा नहीं था।

मौसम थोड़ा ठंडा था। एक ही कम्बल था बिस्तर पर… यह देख कर रवि को बड़़ी खुशी हुई लेकिन उसने नाटक करते हुए कहा- अरे एक कम्बल? अभी दूसरा मांग कर लाता हूं।
इसके बाद वो कमरे से निकला और धर्मशाला वालों से बात किये बिना ही पांच मिनट के बाद फिर कमरे में आ गया।

रवि ने अंशु को बताया- और कम्बल नहीं मिला, एक ही कम्बल से काम चलाना होगा। मजबूरी है।

दोनों के पास दूसरे कपड़े भी नहीं थे। एक कमरा…एक बिस्तर और एक कम्बल…ऊपर वाला भी रवि पर मेहरबान था।
रवि ने अंशु की आंख में आंख डाल कर कहा… कमरा तो ठीक है लेकिन रात में कपड़े पहन कर सोये तो सुबह क्या पहन कर जाएंगे।

अंशु ने हड़बड़ा कर पूछा- क्या मतलब है तुम्हारा?
रवि ने कहा- सीधी बात है, कपड़े पहन कर सोएंगे तो कपड़े खराब हो जाएंगे। सुबह मोहन से भी मिलना है। लाइट बंद कर देते हैं और कपड़े उतार कर सो जाते हैं।

अंशु ने कहा- बिल्कुल नहीं…
लेकिन मजबूरी थी और दूसरा रास्ता भी नहीं था और उसका पर्स भी खाली हो गया था, उसने कहा- अंधेरे से डर लगता है इसलिये नाइट लैंप जलता रहेगा।
रवि ने कहा- ठीक है, जैसी तेरी मर्जी।

कमरे की लाइट बंद कर दी गई थी लेकिन नाइट लैंप की हल्की रोशनी भी नजारा देखने के लिये काफी थी।

अंशु ने कम्बल ओढ़ा और अपनी जींस और टी शर्ट उतार दी। कम्बल बार बार सरक रहा था जहां से रवि को अंशु की सिल्की ब्रा का नजारा दिख रहा था। उसने मन ही मन सोचा…साली तेरी तो चूत और चूची भी देख चुका हूं। लेकिन पक्की नाटकबाज है।

रवि ने भी पैंट और शर्ट उतार दी थी। दोनों ने अपने बीच में तकिये रखे और कम्बल ओड़ लिया। कम्बल में घुसते ही रवि का लंड फनफना उठा लेकिन उसने अपने ऊपर कंट्रोल रखा। आधी रात में रवि ने अंशु और अपने मोबाइल की घड़ी एक घंटा आगे कर दी। उसने अंधेरे में अंशु को देखा वो पैर फैलाकर सो रही थी और उसका हाथ चूत पर था। एक बार रवि की इच्छा हुई कि अंशु की चूत का रस पी ले… लेकिन उसने पर कंट्रोल रखा। सोते जागते रवि ने एक दो बार अपना हाथ अंशु की चूचियों पर रख दिया लेकिन अंशु ने हाथ हटा कर करवट ले ली।

सुबह आठ बजे जब अंशु की आंख खुली। लेकिन उसके मोबाइल की घड़ी एक घंटा आगे थी इसलिये उसमें नौ बज रहे थे। अंशु ने हड़बड़ा कर कपड़े पहने और रवि को उठाया। दस बजे तक ऑफिस जो पहुंचना था।

दोनों फटाफट उठे… जल्दी जल्दी ब्रश किया लेकिन घड़ी की सुई काबू में नहीं आ रही थी। रवि ने कहा देख अंशु आज भी अगर मोहन निकल गया तो मुश्किल हो जायेगी… एक एक करके नहाएँगे तो देर हो जाएगी… क्यों न एक साथ नहा लें। समय बच जायेगा।

अंशु ने रवि को घूरते हुए कहा… तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है। क्या बोल रहे हो?
रवि ने कहा- देख दोनों एक दूसरे की तरफ पीठ कर लेंगे, जो भी करना है जल्दी कर।
अंशु उलझन में थी, फिर धीरे से बोली- ठीक है लेकिन मेरी तरफ पीठ ही रखना।
रवि ने अपनी खुशी को छिपाते हुए कहा- हां हां जैसा तुम चाहोगी।

रवि का दिल जोर जोर से धड़क रहा था। रवि ने अपना अंडरवियर भी उतार दिया था। लंड में थोड़ी कसर थी तो उसे हाथ लगा कर पूरा कर दिया… अब रवि का लंड अपनी ड्यूटी पूरी करने के लिये तैयार था। उसकी पीठ अंशु की तरफ थी लेकिन उसे कपड़े उतरने की आवाज सुनाई दे रही थी। अंशु ने टी शर्ट उतारी… फिर जींस भी उतार दी। अब वो ब्रा और पैंटी में थी।

रवि ने कहा कोई भी कपड़ा गीला हुआ तो सूख नहीं पायेगा। रवि की बात सुनकर अंशु ने ब्रा और पैंटी भी उतार दी।

एक बाथरूम… दो जवानियां… तना हुआ लंड और तनी हुई चूत…

सारी कोशिश के बाद भी दोनों के शरीर एक दूसरे से छू जाते थे। साबुन के लेकर भी कई बार उनके हाथ टकराये। अचानक रवि घूमा और उसके सामने अंशु की गांड आ गई।

रवि ने लंड पर साबुन लगाया और हल्के से अंशु की गांड में जोर मारा।
गांड में लंड जाते ही अंशु जोर से बोली- क्या बदतमीजी है? क्या कर रहे हो?
रवि ने कहा- खुद ही देख ले!
रवि की बात सुन कर अंशु भी घूम गई… अब उसकी चूत रवि के लंड के सामने थी। तनी हुई चूचियाँ… रवि की कनपटी गर्म होने लगी… उसने अंशु को बाहों में भर लिया… अंशु ने छूटने की कोशिश की लेकिन तब तक रवि का लंड महाराज अंशु की चूत महारानी से मिल चुके थे।

उसने धीरे से अंशु के कान में कहा…अब नाटक मत कर… तेरी चुदाई का पोर्न वीडियो भी मेरे पास है.
अंशु जोर से चौंकी और बोली- क्या कह रहो हो?
रवि ने कहा- नाटक मत कर… पांच हजार रुपये महीना नहीं कमाती है… तू तो दस हजार रुपये हफ्ते कमाती है।
इतना कह कर रवि ने अंशु की चूत में जोर का झटका मारा।

अंशु भी समझ गई थी कि उसकी सच्चाई रवि को पता चल चुकी है।
उसने कहा- मेरी चूत की चुदाई ही करनी थी तो इतना नाटक क्यों किया?

रवि ने कहा- तेरा चुदाई का पोर्न वीडियो मोहन को भेजा था। उसे भी तेरे को चोदना था इस लिये ही तुझे इंदौर लाया था। उसने एक होटल में रूम बुक कर रखा है, थोड़ी देर में वो वहां पहुँच जाएगा और हमें भी वहां पहुँचना है.
इतना कह कर रवि ने अंशु के रसीले होठों को चूसना शुरू कर दिया और उसके हाथ अंशु की चूचियों को निचोड़ रहे थे, उसके लंड के झटके तेज होने लगे थे और अंशु भी किसी खिलाड़ी की तरह उसके हर शॉट का जवाब दे रही थी।

कैसी लगी मेरी सेक्सी कहानी?
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