सेक्स का अखाड़ा- 1
(Muslim Sex Kahani)
मुस्लिम सेक्स कहानी उत्तर प्रदेश के किसी छोटे कसबे की है. कस्बों में लोग पुराने तौर तरीकों से अपना जीवन जीते रहते हैं. ऐसे ही एक बड़े परिवार की कहानी.
दोस्तो, आपने मेरी पिछली कहानी
थैंक्स हबी डार्लिंग
को सराहा, इसके लिए धन्यवाद.
मेरी कहानियां आप लोगों को पसंद इसलिए आती हैं क्योंकि इनके किरदार और कथानक आप लोगों के आसपास से ही आते हैं.
आपको कहानी पढ़ते पढ़ते ऐसा अहसास होता है कि ये कहानी तो कहीं आपके आसपास ही घटित हुईं हो.
मुझसे आप लोग मेल करके पूछते हैं कि इस कहानी को मुझे कैसे मालूम?
यकीन रखिये, ये कोई खुफिया सिस्टम नहीं है. बस आप जैसे ही मेरे पाठक/पाठिकाएं मेरे कान में कुछ कह जाते हैं, जो एक कहानी का रूप लेकर आपके बीच आ जाता है.
आज की मुस्लिम सेक्स कहानी भी कुछ हटकर है.
कहानी की मुख्य किरदार साराह के कहने पर मुझे इस विषय को छूना पड़ा.
देखते हैं कि आप लोग इसे पसंद करते हैं या नहीं.
मुस्लिम सेक्स कहानी के मुख्य किरदार साराह, शम्मी और अली हैं.
शम्मी और अली चचेरे भाई हैं और साराह इनके पास के मोहल्ले में रहने वाली दूर की रिश्तेदार एक निहायत खूबसूरत और चंचल एक हमउम्र लड़की है, जिसके मां-बाप नहीं हैं.
उसे उसके मामू ने पाला है.
बात शुरू करते हैं शम्मी से.
शम्मी के पिता शेर मोहम्मद के रामपुर में बागान हैं जो उन्हें अपने ससुर से दहेज़ में मिले.
दहेज़ के साथ साथ बाद में उनके बड़े लड़के जाहिद के लिए दुल्हन आसमा भी उसी परिवार से आई.
आसमा अपने बाप की अकेली औलाद थी तो दहेज़ में शेर मोहम्मद को अपने बाग़ से लगा हुआ बाग़ भी मिला.
बाग़ घर की औरतों के नाम से थे तो शेर मोहम्मद की औकात केवल चौकीदार भर की थी.
आम तो बेगमें खाती थीं, उनके हिस्से में तो गुठलियाँ ही आती थीं.
हाँ, शेर मोहम्मद को जो असली फायदा मिलता था कि बाग़ की देखरेख के लिए जो मजदूर और उनकी औरतें रहती थीं, उनकी चुदाई शेर मोहम्मद जी भर के कर लेता था.
वो औरतें भी पठान से चुद कर आपस में होड़ करती थीं, चुदने के लिए.
बदले में शेर मोहम्मद उन्हें बाग़ के एक कौने में उनकी जरूरत के हिसाब से गेहूं और सब्जियां बोने देते थे.
अब जो उन मजदूरों की औलादें होती थीं, वो कंजरों और पठानी कतरे का मिलाजुला रूप होती थीं.
शेर मोहम्मद का निकाह अपने सगे चचा की बेटी जायरा बेगम से हुआ था.
सुना तो ये जाता था कि जायरा शेर मोहम्मद के पिता अशरफ और और उनके छोटे भाई रियाज़ की बीवी सलमा की नाजायज़ औलाद है.
आप पाठक यहाँ पर रिश्तों को समझने में मुश्किल का सामना कर सकते हैं.
तो मैं सारे रिश्तों को स्पष्ट करके बता रहा हूँ.
सबसे बड़े मर्द- अशरफ
अशरफ का छोटा भाई- रियाज़
रियाज़ की बीवी- सलमा
अशरफ का बेटा- शेर मोहम्मद
शेर मोहम्मद की बीवी- जायरा बेगम (जो रियाज़ और सलमा की बेटी है और जिस पर शक है कि वह अशरफ और सलमा के नाजायज़ रिश्तों की पैदाइश है.)
शेर मोहम्मद के बेटे- जाहिद, शम्मी
शम्मी का चचेरा भाई- अली
अशरफ अपने छोटे भाई रियाज़ से नौकरों सा व्यवहार करता था और उनकी ड्यूटी दिनरात बाग़ में रहने की होती थी.
रियाज़ दिमाग से कमजोर तो था ही, शरीर से भी कमजोर था.
जबकि सलमा गदराये बदन की खूबसूरत औरत थी.
अब सलमा की चूत में आग भड़काने और उसे बुझाने का काम अशरफ ही करते थे.
अशरफ जब दिल चाहे सलमा के लहंगे में घुस जाते और खूब घपाघप होती.
सलमा भी जानती थी कि अगर वो अशरफ को खुश रखेगी तो जिस्मानी आग के साथ पेट की आग भी मिटेगी.
अब अशरफ अपनी बीवी के साथ कम सलमा के साथ ज्यादा रहते.
दबदबा था तो कोई कुछ बोलता नहीं था.
अशराफ ने सलमा के साथ जब चुदाई की सारी हदें पार कर दीं तो तमाम एहतियातों के बाद भी सलमा पेट से हो गयी.
जब औलाद जायरा पैदा हुई तो सलमा ने अशरफ से ये वायदा ले लिया कि बड़ी होने पर वो इसका निकाह अपने लड़के शेर मोहम्मद से करा देंगे.
अशरफ ने अपना वायदा निभाया.
पर एक ही कतरे (वीर्य) की पैदाइश शेर मोहम्मद और जायरा की जो औलाद हुई वो जाहिद पैदाइशी नपुंसक था.
उसकी लुल्ली पेंसिल सी पतली थी.
इस बात को शेर मोहम्मद ने हमेश छिपाए रखा.
जायरा बेगम का इंतकाल बहुत जल्दी ही हो गया.
जायरा बेगम ने अपनी बीमारी के दौरान ही अपने मरहूम चचेरे भाई की बेवा सुल्ताना और उनकी जवान लड़की हिना को अपने पास रख लिया था, इस वायदे के साथ की हिना का निकाह वो अपने खर्चे से करा देंगी.
सुल्ताना एक साफ़ सुथरी, मांसल जिस्म की खूबसूरत औरत थी.
और उसकी बेटी हिना भी मां की तरह बला की खूबसूरत और गुलाबी बदन थी.
मां बेटी का साराह वक़्त जायरा बेगम की सेवा में निकलता.
घर पर अब केवल एक सफाई वाली आती थी कुछ समय के लिए, बाक़ी साराह खाने पीने और ऊपर का काम सुल्ताना संभालती थी.
सुल्ताना पर शेर मोहम्मद गन्दी निगाह रखता था.
वह भी सब जानती थी पर पेट की खातिर चुप थी.
सुल्ताना जब जायरा की तेल मालिश करती तो अपने पैर और पीठ में दर्द का बहाना बना कर शेर मोहम्मद भी मालिश करवा लेता और इस बहाने वो सुल्ताना के नर्म हाथों को इधर उधर लगवा लेता.
इससे पहले की सुल्ताना शिकायत करती, शेर मोहम्मद उसकी जुबान पैसों से चुप करा देता.
जायरा बेगम के इंतकाल के बाद शेर मोहम्मद ने सुल्ताना को अपनी रखैल बना लिया.
अब वो जब मर्जी आती, सुल्ताना की जोरदार चुदाई कर लेता.
पर हाँ, ये सब सिर्फ सुल्ताना और शेर मोहम्मद को ही मालूम था.
सलमा बार बार शेर मोहम्मद को जायरा बेगम के हिना के निकाह को किये वायदे की याद दिला देती.
जाहिद की सरकारी नौकरी भी लग गयी.
पर वो अपनी कमजोरी जानता था तो निकाह को तैयार नहीं होता था.
उसने अपना ट्रांसफर कहीं दूर करा लिया था.
शेर मोहम्मद ने सरकारी नौकरी का लालच दिखा कर अपने ससुराल से ही एक सुंदर लड़की आसमा से उसका निकाह करा दिया.
आसमा एक भरे बदन की सेक्सी सोच की लड़की थी.
उसके दिल में चुदाई के ढेरों अरमान थे.
वो एक पैसे वाले घर में अपने निकाह को लेकर बहुत उत्साहित थी.
पर पहली ही रात में जाहिद की कलई खुल गयी.
वो कब आसमा की चुदाई को तड़फती चूत में घुसे और दो चार धक्कों में ही पस्त होकर बिना पानी निकाले बाहर आ गये.
आसमा ने सुबह उठते ही हंगामा कर दिया.
शेर मोहम्मद ने उसे जैसे तैसे शांत किया और फिर बंद कमरे में गुफ्तगू की.
शेर मोहम्मद ने आसमा को कैसे भी ये यकीन दिला दिया कि जाहिद का इलाज़ चल रहा है और वो जल्दी ही काबिले चुदाई हो जाएगा.
आसमा कुछ सुनने को तैयार नहीं थी पर वो एक लालची किस्म की चालू लड़की थी.
यह बात शेर मोहम्मद को उसके साले ने बतायी.
शेर मोहम्मद और उसके साले ने ने बंद कमरे में आसमा से यह सौदा किया की दहेज़ में मिला बाग़ और जाहिद की आधी तनखा आसमा को मिला करेगी.
आसमा बिना किसी हील हुज्जत के घर में रहे.
जब जाहिद छुट्टी पर आये तो दोनों शौहर बीवी की तरह रहें.
आसमा ने एक शर्त रख दी की उसके घूमने फिरने और पहनने ओढने पर किसी की दखलंदाजी नहीं होगी.
अब दखलंदाजी करता भी कौन?
शेर मोहम्मद तो अधिकतर समय बाग़ में रहते या घर आते तो अपने कमरे में ही रहते.
उनकी देखभाल के लिए सुल्ताना ही उनके नजदीक जातीं.
शम्मी को अपनी बॉडी बनाने और गुलछर्रे उड़ाने से फुर्सत नहीं थी.
बाग़ की आमदनी से घर चलता था.
हिना और आसमा तो बस घर की साफ़-सफाई से लेकर खाना बनाने और सभी काम करती थीं.
हिना तो अब दिन भर आसमा के आगे पीछे ही घूमती.
आसमा उससे मालिश करवाने और बदन दबवाने सभी काम करवाती.
जितनी सेवा हिना ने जायरा बेगम की की थी, उससे ज्यादा खिदमत तो उसे आसमा की करनी पड़ती.
पर बदले में उसे अच्छे कपड़े और भरपेट मुर्ग मुस्सलम खाने को मिलता.
आसमा का बचा खुचा मेकअप का सामान भी उसे ही मिलता.
धीरे धीरे आसमा ने ऐसा क्या जादू कर दिया हिना के ऊपर, कि अब हिना उसकी हवस भी मिटाने में मदद करने लगी.
आसमा को अपनी चूत में खीरा, केला करने के लिए एक हमराज मिल गयी थी.
हिना की जवानी उबाल मार रही थी.
तो वो भी आसमा की हवस मिटाते मिटाते जिस्मानी मिलन की शौक़ीन हो गयी.
आसमा अब खुद के साथ हिना को भी साफ़ सुथरा और चिकना रखती.
पर आसमा की तड़प लंड के लिए बढ़ती ही जा रही थी.
एक रात आसमा की आधी अधूरी प्यास बुझाकर जब हिना अपने कमरे में पहुंची तो सुल्ताना वहां नहीं थी.
हिना के जिस्म में आग लगी थी.
वो नहाने घुस गयी.
नहाकर उसके एक नाईटी डाली और दबे पाँव शेर मोहम्मद के कमरे की ओर सुल्ताना को ढूँढने गयी.
कमरा बंद था.
कान लगा कर सुनने पर उसे सुल्ताना और शेर मोहम्मद की हांफने की आवाज आयीं.
हिना ने दरवाजे में एक झिरी ढूंढ ली और झाँक कर देखा तो उसके होश उड़ गए.
अंदर सुल्ताना और शेर मोहम्मद दोनों नंगे थे.
सुल्ताना शेर मोहम्मद का लंड चूस रही थी और शेर मोहम्मद की जुबान उसकी चूत में थी.
ये देख कर पहले से ही गर्म हिना की चूत में तो चीटियाँ रेंगने लगीं.
उसने अपनी नाईटी नीचे से उठा ली और अपने दाने को मसलने लगी.
दोबारा अंदर देखा तो अब सुल्ताना शेर मोहम्मद के ऊपर चढ़कर चुद रही थी.
शेर मोहम्मद उसके मम्मे निचोड़ रहा था.
हिना की आहें निकलने लगी.
उसकी उंगली अब चूत से निकल कर मुंह में चली गयी.
तभी हिना को किसी की पास आने का अहसास हुआ.
उसने चौंक कर देखा तो शम्मी था.
उसकी चीख निकलने को हुई तो शम्मी ने अपने हाथ से उसका मुंह दबा लिया और जबरदस्ती उसे खींच कर अपने कमरे में ले गया.
हिना थर थर काँप रही थी. उसकी साँसें उखड़ रही थी.
शम्मी ने आव देखा न ताव … उसे ताबड़ तोड़ चूमना शुरू कर दिया.
हिना ने थोड़ा तो विरोध किया … पर वो भी तो गर्म थी तो शम्मी का साथ देने लगी.
शम्मी ने उसकी नाईटी उतार दी और उसके मांसल मम्मों को बेरहमी से चूसना शुरू किया और एक उंगली सीधी हिना की चूत में घुसा दी.
हिना तो तड़प उठी.
पठान के पट्ठे शम्मी की उंगली बहुत मोटी थी.
हिना की चूत मचल रही थी.
शम्मी ने अपना लोअर उतार दिया.
उसका फनफनाता हुआ लंड सामने था.
हिना ने पहली बार किसी का लंड देखा था.
शम्मी ने अपना मूसल हिना के हाथ में थमा दिया.
हिना ने बचना चाहा तो शम्मी ने उसे धमका दिया- उधर तेरी माँ चुद रही है और यहाँ तू मुझसे चुदेगी. कोई ड्रामा किया तो घर से अभी निकाल दूंगा दोनों को.
हिना बोली- भाईजान, मैं तो कुंवारी हूँ. मुझ पर रहम करो. हाँ, मैं आपको अपने से भी ज्यादा गर्म जिस्म घर में ही दिलवा देती हूँ.
शम्मी हैरानी से बोला- क्या मतलब.
हिना रोते हुए बोली- आसमा भाभी रोज़ तड़पती हैं किसी मर्द के लिए. मैं अभी आपको उनसे मिलवा देती हूँ. आप खूब मजे करना. वो हैं भी बहुत गर्म. घर की बात घर में ही रहेगी. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
शम्मी की आँखों में चमक आ गयी.
वह बोला- अगर तू झूठ बोल रही होगी तो अभी तेरी चूत यहीं फाड़ दूंगा.
हिना हाथ जोडती उसका हाथ पकड़ कर उसे आसमा के कमरे की और ले गयी.
दरवाजा खटखटाने पर पहले तो हिना अंदर गयी और फिर दो मिनट बाद ही बाहर आ गयी और शम्मी को अंदर ठेलते हुए बोली- जाओ भाईजान, मजे करो.
अंदर शम्मी को आसमा का बदला हुआ रूप देखने को मिला.
आसमा ने एक छोटी सी फ्रॉक पहनी थी और उसके हाथ में शराब का गिलास था.
उसे देखते ही आसमा बोली- आइये भाई जान! हमारी तड़प बहुत दिनों बाद दिखाई दी आपको. हम तो पहले दिन ही तय कर लिए थे कि हमें आपसे चुदना है.
शम्मी ने झपट कर आसमा को लपेट लिया और ताबड़ तोड़ चुम्बनों की बौछार कर दी.
अब क्या था … आसमा के लिए भी यह सुहागरात ही थी.
यह मुस्लिम सेक्स कहानी 3 भागों में है.
प्रत्येक भाग पर अपने विचार केवल कमेंट्स में बताते रहिये.
मुस्लिम सेक्स कहानी का अगला भाग:
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