अंजलि की प्यास

जीत शर्मा 2006-05-25 Comments

हेल्लो दोस्तो, मैं जीत शर्मा दिलवाला एक बार फिर हाजिर हूँ अपनी सच्ची दास्ताँ ले कर।

मेरी पिछली कहानी को पढ़ कर मुझे काफी सराहना मिली मैं उसके लिए धन्यवाद करता हूँ।
आज मैं आपको अपनी जिन्दगी की एक और सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।

आज से दो साल पहले मेरे ऑफिस में अंजलि काम करने आई।
ऑफिस में मेरे अलावा सिर्फ एक चपरासी मैं और मेरे बॉस होते हैं। लेकिन जब बॉस टूर पर जाते तो हम अकेले होते हैं।

अब अंजलि भी आ गई तो अच्छा लगा।
एक तो वो बहुत सुंदर और भरे हुई बदन की मलिका थी और दूसरा वो तलाकशुदा थी।

जिस दिन वो पहली बार ऑफिस में आई तो बिना किसी से ज्यादा बात किये सिर्फ सामान्य बात की उसने।

उन दिनों बॉस टूर पर थे तो ऑफिस इंचार्ज मैं था।

अगले दिन वो आई तो लाइट नहीं थी।
ऑफिस में हम लोग बात करने लगे तो वो अचानक अपनी कहानी बताने लगी कि कैसे उसका पति उसको मारता था और उसको परेशान करता था।

मैंने भी रुचि दिखाई सुनने में।
मैं सुनता रहा फिर वो रो पड़ी मैंने उसको चुप किया तो वो चुप हो गई।

फिर मैंने पूछा कि क्या तुम्हारी कोई संतान भी है?
तो वो मुस्कुरा कर बोली कि नहीं।
मैंने पूछा कि क्यों? हुई नहीं या की नहीं?
तो वो बोली चुप कर गई।

फिर एक दिन बॉस जब टूर पर गए तो उनके जाने के बाद हम लोग जरुरी काम करके बात करने लगे।

फिर वो और बाते बताने लगी अपनी बारे में। इस बीच में मेरा हाथ उसके हाथ से लग गया मुझे जैसे करंट लगा पर मैंने हाथ हटाया नहीं और धीरे धीरे सहलाने लगा।
वो अपनी बात बताती रही।

मैंने धीरे से उसका हाथ अपनी हाथ में ले लिया और बोला कि देखो जिन्दगी बहुत लम्बी है, ऐसे परेशान ना हो और खुश रहना सीखो। मैं जब उसका हाथ सहला रहा था। वो बोली कि मुझे पता है कि तुम क्या करने की कोशिश कर रहे हो?

मैंने कहा- क्या?
तो बोली कि कुछ नहीं पर मुझे इससे कुछ फरक नहीं पड़ता।
यह तो मुझे अपनी बेइज्जती लगी तो मैंने कहा एक मौका दो, तुमको भी फरक पड़ेगा!
तो वो बोली- ठीक है।

मैंने उसके हाथों पर, कंधों पर सहलाना शुरु कर दिया।
उसकी सांसें तेज हो गई पर वो अपने आप को सामान्य ही दिखाती रही।

फिर मैं उसके पीछे गया और उसके बालों को सहलाने लगा। उसके बालों के नीचे गर्दन पर अपनी गरम सांसे छोड़ने लगा तो वो बुरी तरह गरम हो गई, उसकी सांसे और तेज हो गई और उसकी मोटी मोटी चूचियां ऊपर नीचे होने लगी।
उसकी साँसों के साथ मैं उसके सामने आ गया और फिर उसके गले पर ऊँगली से सहलाने लगा तो उसकी आंखे लाल हो गई थी और उसके निप्पल इतनी टाइट हो गए कि उसके सूट के ऊपर से भी नजर आने लगे तो मैंने उसको छोड़ दिया।

वो बोली- क्या हुआ?
तो मैंने कहा- तुमको तो कुछ होता ही नहीं है, पर मेरी हालत खराब हो रही है
तो बोली कि जीतू आज ३ साल बाद फिर से किसी ने मुझे इतना गरम किया है ऐसे छोड़ कर मत जाओ, मुझे माफ़ कर दो मेरी प्यास बुझा दो।
मैंने कहा कि लो मेरा लण्ड चूसो!

तो वो फट से तैयार हो गई और मेरा 6.5″ इंच लम्बा लंड निकाल कर बोली- तुम्हारा तो बहुत लम्बा है और मोटा है, मेरे पति का तो छोटा सा ही था।
मैंने कहा- लम्बे लंड से चुदने में जो मजा तुमको आएगा वो कहीं नहीं आएगा।
वो बोली- तो जल्दी से चोद दो ना!

और मेरा लंड जल्दी जल्दी चूसने लगी।
मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार निकाल कर उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत में ऊँगली डाल दी।
मैं ऊँगली से चोदने लगा, वो ऑफिस के फर्श पर लेट गई और मैं उसकी चूत चाटने लगा। वो मेरा लंड चूसने लगी 69 की पोजिशन में।

तभी उसने मेरा लंड छोड़ कर मेरा मुंह अपनी चूत पर दबा दिया और आआ आआ आअह्ह ह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्हा आआ ऊऊ उईईइ मम्म म्म्म्म्मा करने लगी और जोर से झड़ गई।
मैंने उसका पूरा पानी साफ़ कर दिया चाट चाट कर।

फिर मैंने उससे कहा कि अपना सूट उतार दो तो उसने उतार दिया और मैंने उसकी चूची चूसनी शुरू कर दी।
वो फिर से गरम होने लगी और आआआअह ह्ह मम्म म्माआअ करने लगी और अपनी चूत रगड़ने लगी।

मैंने उसके मुंह में अपना लंड डाला और उसने उसको चूसा तो उसका थूक उस पर लग गया तो मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो बोली कि अब मत तड़पाओ, जल्दी से डाल दो।

मैंने एक धक्का दिया तो वो चिल्लाने लगी- निकालो मैं मरी!
मैंने कहा कि तुम्हारे पति ने तुमको चोदा हुआ है, फिर भी ऐसे चिल्ला रही हो जैसे पहली बार चुदवा रही हो!
तो बोली कि एक तो तुम्हारा मोटा है, दूसरा मुझे चुदवाये हुए ३ साल हो गए, जरा धीरे करो ना।
मैंने कहा- ठीक है!

तो फिर मैं फिर से धक्का लगाने लगा और उसकी चूची चूसने लगा।
उसने कहा- आराम से!

तो मैंने सोचा कि इसको अगर आराम से चोदा तो यह चोदने नहीं देगी तो मैंने उसके मुंह पर अपना मुंह लगा कर किस करने लगा।
फिर एक जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया पर वो बुरी तरह मचलने लगी।
उसकी आंखें बुरी तरह खुल गई और वो रोने लगी।

मैं थोड़ी देर रुक गया और उसकी चूची चूसने लगा।

वो बोली- तुम जानवर हो, मुझे छोड़ दो, मेरी चूत फट गई, मेरी जान निकल रही है, बाहर निकालो।

मैंने झटके लगाने शुरू कर दिए तो वो और चिल्लाने को हुई तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और जोर जोर से चोदने लगा। 5 मिनट बाद उसको मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी और फिर शुरू हुआ असली चुदाई का मजा।

मैं जितनी तेज ऊपर से झटके मारता वो नीचे से उतनी ही तेजी से जवाब देती।
सच दोस्तों क्या बताऊँ क्या क़यामत चुदाई चल रही थी कि तभी वो मुझसे चिपक गई और मेरे कंधे पर काटने लगी और उसने अपने नाखून मेरी पीठ में चुभा दिए। वो आआ आआआह्ह ह्ह्हह करती हुई झड़ गई। फिर कहने लगी जल्दी करूं अब सहन नहीं हो रहा है।

मैंने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से चोदने लगा और अपनी स्पीड बढ़ा दी, 15-20 झटके लगाने के बाद मैंने अपना माल उसकी पीठ पर निकाल दिया।
वो सीधी हो कर लेट गई और बोली कि जीतू आज तुमने मेरी सालों की प्यास एक बार में ही बुझा दी, पर तुमने अपना माल बाहर क्यों निकाला?
मैंने कहा- अगर तुम प्रेग्नेंट हो जाती तो?
वो बोली कि मैं पिल ले लेती, पर तुम्हारा माल मेरे अंदर जाता तो और मजा आता।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगली बार जरुर तुम्हारी कोख में अपना बीज डालूँगा।

फिर हमने जल्दी से कपड़े पहने। (यहाँ में यह बताना भूल गया कि जिस दिन यह सब हुआ, उस दिन ऑफिस के चपरासी को ऑफिस के किसी काम से हेड ऑफिस भेजा था तो ऑफिस में मैं और अंजलि ही थे)।

उसके बाद मैंने अंजलि के साथ दो और बार सेक्स किया क्यूंकि ना तो रोज बॉस बाहर जाते थे, ना रोज हेड ऑफिस में कोई काम होता था।
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर मेल करना!
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