विधवा सहेली की अन्तर्वासना-1

(Vidhwa Saheli ki Antarvasna- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, आप सभी की मुस्कान हाज़िर है फिर से अपनी एक नई कहानी लेकर।

मेरी पिछली सभी कहानियों को आप लोगों ने बहुत पसंद किया उसके लिए आप लोगों का दिल से धन्यवाद।

कुछ दिन पहले मेरी सेक्स कहानी
मेरी कॉलेज गर्ल बनी कॉलगर्ल-1https://www.antarvasna3.com/chudai-kahani/college-girl-bani-callgirl-1/
प्रकाशित हुई थी अन्तर्वासना पर.

कई लोगों ने मुझे कहानी को और उत्तेजक बनाने के लिए कई बातें बताई. मैं कोशिश करुँगी उनकी बातों को कहानी में शामिल कर सकूं।
मैं कहानी हमेशा सत्य घटनाओं पर ही लिखना पसंद करती हूं. बनावटी कहानी में वो बात और मजा नहीं आता।

दोस्तो, आज की कहानी मेरी एक सहेली की है जिसका नाम सुमन है।
मेरी और सुमन की दोस्ती काफी दिनों से है उसे मेरे और सुखविंदर के बारे में पता है।

सुमन अभी 35 साल की है मगर जब वो 25 साल की थी तब उसके पति का एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था।
तब से उसने कभी भी सेक्स नहीं किया. उसकी एक किशोर बेटी है और सुमन एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करती है।

सुमन देखने में काफी सुंदर है वो, उसकी लम्बाई 5 फिट 6 इंच है, रंग गोरा, दूध का साइज 36 डी और गांड का 38″ की!
लंबी होने के साथ साथ उसका बदन अच्छा भरा हुआ है।

दोस्तो, सेक्स की भूख तो सब को होती है, उसे भी थी. लेकिन वो बदनामी के कारण किसी के साथ रिश्ता नहीं बना रही थी। उसकी जवानी पूरे शवाब में थी और उसको भी जिस्म की आग परेशान करती थी।

उसके घर में सास ससुर और बेटी ही थी।

कई लोग उसके अकेलेपन का फायदा उठाना चाहते थे मगर उसने किसी को अपने ऊपर हाथ भी रखने नहीं दिया।
10 साल से उसने सेक्स नहीं किया था उसकी भूख अब बरदाश्त नहीं हो रही थी।

एक दिन मेरे घर पर हम दोनों की बात हो रही थी और मैंने सुखविंदर के बारे में उसको बताया की हम दोनों कैसे मिलते हैं।
मुझे उसके चेहरे से पता चल रहा था कि वो सेक्स की प्यासी है।

फिर मैंने खुलकर उससे बात की और बोली- अगर तुझे कोई गुप्त दोस्त बनाना हो तो मैं तेरी मदद कर सकती हूं। यह बात केवल हम दोनों तक ही रहेगी और तू कहीं भी उससे मिल लिया कर. वो भी ये बात किसी को नहीं बताएगा।
उसने कुछ देर सोचा फिर बोली- अगर ऐसा हो सकता है तो मैं तैयार हूं।

मैंने उसे सुखविंदर के ही बारे में बोला तो वो बोली- अरे वो तो तेरा दोस्त है. फिर वो मेरे साथ ये सब क्यों करेगा।
तब मैंने उसे समझाया- उसकी भी पत्नी नहीं है उसे भी सेक्स की जरूरत है और मुझे भी … क्योंकि मुझे पति से वो सुख नहीं मिलता। हम दोनों अपनी जरूरत पूरी करते हैं। अगर तू भी राजी हो गई तो इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है।

तब वो बोली- अगर ऐसा हो सकता है तो मुझे दिक्कत नहीं है। बस ये बात हमेशा गुप्त रहनी चाहिए।
मैंने उससे वादा किया- ये बात मैं कभी किसी को नहीं पता चलने दूँगी।
मेरी बात सुनकर वो काफी संतुष्ट थी।

फिर कुछ दिन बीत गए और एक दिन जब मैं सुखविंदर से अपने घर पर ही मिली और हम दोनों चुदाई के बाद लेटे हुए थे।
तब सुखविंदर को ये सारी बातें बताई।

सुखविंदर भी इस बात के लिए तैयार हो गया मगर उसने कहा- उसे मैं अपने शहर में नहीं मिलूंगा, उसे मेरे साथ बाहर चलना पड़ेगा। यहाँ अगर किसी ने देखा तो उसको दिक्कत हो सकती है।
यह बात मैंने सुमन को बताई. लगता था कि वो भी यही चाहती थी और वो तैयार हो गई। मगर उसने एक बार उससे मिलने के लिए कहा।

फिर एक दिन मेरे पति के ऑफिस जाने के बाद मैंने सुमन को बुलाया और सुखविंदर को भी।
दोनों ने अलग कमरे में काफी देर तक बात की और एक दूसरे को अच्छे से समझे। करीब एक घंटे तक दोनों ने बातचीत की।
उसके बाद अब दोनों को ही फैसला लेना था कि कहाँ मिलना है और कब।

फिर उसके एक हफ्ते बाद सुखविंदर ने मुझे बताया कि हम दोनों कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं।
मैं समझ गई कि इन दोनों का प्लान बन गया है।

दोस्तो, इसके बाद कि कहानी अब आप सुखविंदर के शब्दों में पढ़ेंगे.

रविवार का दिन था जब मैं और सुमन पचमढ़ी जाने के लिए निकले. मैंने और सुमन दोनों ने एक हफ्ते की छुट्टी ले ली थी अपने अपने काम से।

मुझे सुमन बहुत अच्छी लगी थी उसका रूपरंग औऱ उसका व्यवहार काफी अच्छा था। देखने में एक सामान्य परिवार की लगती थी मगर उसका फिगर गजब का था। वो हमेशा साड़ी ही पहनती थी और वो उसमें काफी सेक्सी भी लगती थी।

हम दोनों में ये तय हुआ था कि दोनों ही एक दूसरे को केवल जिस्मानी सुख देगे और दोनों को बस इसी की जरूरत भी थी।

मुस्कान जब से मेरी दोस्त बनी थी तब से मुझे सेक्स का असली मजा मिला. वो खुद भी बहुत सेक्सी थी और उसने अपनी कुछ सहेलियों को भी मुझसे मिलवाया था।

तो मैं और सुमन रविवार को सुबह सुबह 8 बजे ही मेरी कार से चल दिये। मैंने उसे बस स्टॉप से कार में बैठाया।
हम दोनों ही पूरी सतर्कता बरत रहे थे ताकि हम दोनों के बारे में किसी को कुछ पता न चले।

रास्ते में मैंने सुमन से पूछा कि उसने घर में क्या बताया था।
उसने अपने घर पर बताया कि वो अपने ऑफिस के काम से बाहर जा रही है।

उस वक्त उसने एक क्रीम कलर की साड़ी पहनी हुई थी। और काले रंग का छोटी बाजू का ब्लाऊज जिसमें से उसकी गोरी बांहें मस्त दिख रही थी।
वो मेरे बगल वाली सीट पर ही बैठी थी।
हम दोनों के ही मन में कुछ हिचकिचाहट थी हम दोनों एक दूसरे के लिए नए थे।

सच बताऊँ तो दोस्तो, मेरे मन में तो इतनी बेताबी थी कि कब मैं सुमन को नंगी करूं और उसका नंगा बदन देखूँ क्योंकि उसका फिगर मुझे काफी पसंद आया था।

बात करते करते कई बार मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. अब हम दोनों ही खुलते जा रहे थे।
उसी वक़्त मैंने उससे पूछ लिया- क्या तुमने कभी शराब पी है?
उसने मना कर दिया- आज तक नहीं पी।
मगर बोली- अगर आप चाहते हैं तो कोशिश कर सकती हूं।

मैंने भी मन ही मन सोच लिया कि इसका पूरा मजा लेना है. और ये शराब पीयेगी तो खुल कर मेरा साथ भी देगी. इसलिए इसको शराब जरूर पिलाऊंगा।

दोस्तो करीब 6 घंटे के सफर के बाद हम दोनों पचमढ़ी पहुँच गए। वहाँ पर एक अच्छे से होटल में मैंने एक ऐ.सी. रूम बुक किया। रविवार से लेकर बुधवार तक हम दोनों को वहीं रहना था।

आप सोच रहे होंगे कि इतने दिन तक के लिए क्यों।
तो वो इसलिए क्योंकि मैं उसको पूरी तरह से संतुष्ट करना चाहता था. वो भी पिछले 10 साल से अनछुई थी। मेरे लिए तो वो कुंवारी लड़की से कम नहीं थी। मैं उसको हर तरह से भोगना चाहता था।
वैसे भी वो मस्त गोरी माल थी और गोरी औरत मुझे काफी पसंद है।

हम दोनों होटल के कमरे में गए. वहाँ सामान रखने के बाद सुमन ने कहा- मुझे नहाना है.
और वो नहाने के लिए बाथरूम चली गई।

मैंने भी अपने कपड़े बदले और बाहर की तरफ निकल गया। बाहर जाकर मैंने एक वेटर से बियर के बारे में पूछा तो वो सब कुछ लाने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसे 200 रुपये दिए वो खुश हो गया और अपना फ़ोन नंबर देकर चला गया।
अब जब भी मुझे उसकी जरूरत पड़ेगी उसको बुला सकता था।

करीब आधे घंटे बाद मैं कमरे में गया।
तब तक सुमन नहा कर आ गई थी उसको देख मेरा लंड हिलोरे मारने लगा।
वो एक काले रंग की बिना बांह की जालीदार नाइटी पहने हुए थी। उसमें उसका गोरा बदन काफी सेक्सी लुक दे रहा था। उसकी ब्रा की पट्टी मुझे साफ दिख रही थी। खुले गीले बाल उसके पीठ पर चिपके हुए थे।

मेरी तो आह निकल रही थी। मन किया कि अभी नंगी करके उसको चोद दूँ.

इतने में उसने तौलिये से अपने बालों को पौंछा और अपनी दोनों बांहें उठा कर बालों को जूड़ा बांधने लगी।
कसम से दोस्तो … उनके ऐसा करने से उसके अंडर आर्म देख मेरा लंड झटके मारने लगा।
कितने मस्त और गोरे आर्म्स थे उसके।
वो अपने जिस्म का बहुत ख्याल रखती थी. शायद कहीं पर एक बाल नहीं था।

मुझे देखते हुए उसने मुस्कुराते हुए अपना जूड़ा बनाया.

मैं धीरे धीरे उसके पास गया और उसकी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया- क्या चीज़ हो यार तुम! तुम्हें देख कर रहा नहीं जाता अब!

वो भी मेरे कान के पास आई और बहुत ही नशीली आवाज में धीरे से बोली- अभी बहुत वक़्त है, थोड़ा सब्र रखो। अब तो मैं तुम्हारी ही हूँ।
कसम से उसकी ऐसी आवाज से ही पता चल रहा था कि वो कितनी सेक्सी होगी।

फिर मैंने उसके गाल पे एक पप्पी ली और उसे छोड़ते हुए बोला- अभी आराम कर लेते हैं. रात में तुम्हारे जिस्म की गर्मी मिटाता हूँ।

उसके बाद हम दोनों ही ने खाना मंगाया और उसके बाद बिना कुछ किए ही सो गए।

वो पल सच में बहुत कठिन था जब एक चुदासी औरत मेरे बगल में थी और कुछ किये बिना सोना।

पर सफर के कारण दोनों ही थक गए थे और जल्द ही नींद भी आ गई।

सफर की थकान मिटाने के बाद शाम 6 बजे हम दोनों की नींद खुली बारी बारी से दोनों ही लोग बाथरूम में फ्रेश हुए और तैयार होकर बाहर थोड़ा घूमने के लिए निकले।
जैसे ही हम बाहर आये, वहीं वेटर दिखा जिसने अपना नम्बर दिया था।

मैं सुमन को कार में छोड़ कर उसके पास गया और उसे कुछ रुपए दिए और उसे क्या करना है ये उसको बता दिया।

मगर आपको कहानी में आगे पता चलेगा कि मैंने उसे क्यों पैसे दिए।

मैं और सुमन पचमढ़ी के बाजार में कुछ देर घूमते रहे, वहाँ काफी सारे विदेशी पर्यटक भी थे। वहीं पास में ही हमें एक मंदिर दिखा तो कुछ वक्त वहाँ पर बिताया। फिर एक रेस्टोरेंट में हम दोनों ने खाना खाया।
और फिर करीब 9 बजे होटल की तरफ चल दिये।

अब मेरी धड़कन का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि सुमन जैसी माल आज मुझसे चुदवाने वाली थी।
कुछ देर में हम लोग होटल पहुँच गए.

दोस्तो, इसके आगे की कहानी आप अगले भाग में पढ़ सकेंगे।
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