पुलिस वाले ने मुझे सैट करके मेरी चूत चोद दी- 2

(Wild Sex With Bhabhi)

वाइल्ड सेक्स विद भाभी वाला मजा मैंने एक दबंग पुलिस वाले को दिया. वह मेरे पीछे पड़ गया था. उसका हट्टा कट्टा बदन देख मेरी चूत भी गीली होने लगी थी.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मैं प्रिया आपको अपने साथ हुई एक कामुक घटना से भरी सेक्स कहानी सुना रही थी.
कहानी के पहले भाग
गैर मर्द से चुदाई की चाह होने लगी
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि गुरमीत नामक दरोगा अपनी कामुक हरकतों से गर्म करने लगा था.

अब आगे वाइल्ड सेक्स विद भाभी:

मैं सोचने लगी कि आज गुरमीत ने क्या कर दिया; मैंने तो इसके बारे में सोचा भी नहीं था.

अब मेरे दिमाग में गुरमीत के प्रति कई तरह के ख्याल आने लगे.
मैं यह भी सोच रही थी कि अगर गुरमीत मुझे पकड़ कर किस ले लेता या मेरे शरीर को छूकर मुझे उत्तेजित करता तो शायद मैं भी उसके किस का जवाब देती या नहीं?
यही सब सोचती हुई मैं सोफे पर बैठी रही और आधा घंटा बीत गया.

तभी डोरबेल बजी.
मैंने समय देखा तो रात के 11 बज रहे थे.
मैं सोचने लगी कि इस समय कौन आ सकता है?

मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने गुरमीत खड़ा था.
उसने शायद और ज्यादा शराब पी ली थी क्योंकि उसकी सांसों से शराब की गंध आ रही थी.

मैंने कहा- तुम अभी यहां? अब क्या काम है?
मैं तीन कदम पीछे हट गई.

इसका फायदा उठाकर गुरमीत अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने कहा- तुम यहां? अगर किसी ने तुम्हें यहां देख लिया तो क्या होगा, समझो … अभी चले जाओ!

वह मुझे हवस भरी नजरों से देख रहा था.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करूँ.
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था.

अब गुरमीत आगे बढ़ने लगा और मैं पीछे हटती गई.
कुछ ही पलों में मैं दीवार से टकरा गई और गुरमीत मेरे बिल्कुल करीब आ गया.

उसने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और जोर से दबा दिया.
मेरे मुँह से आह निकल गई, जिसे मैंने मन ही मन दबा लिया.

मैं बोली- यह क्या कर रहे हो, गुरमीत? यहां से चले जाओ. कोई तुम्हें मेरे घर देख लेगा तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.
यह कहते हुए मेरी आंखों में हल्के आंसू आ गए.

वह बोला- देखो प्रिया, जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तभी से तुम मुझे अच्छी लगने लगी थी. तुम इतनी खूबसूरत और हॉट हो कि तुम्हें देखकर कोई भी फिदा हो जाएगा.

मैं उसकी आंखों में देख रही थी लेकिन शायद शराब की वजह से वह इतने खुले ढंग से बोल रहा था.

उसने कहा- शायद मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.
मैंने जवाब दिया- देखो गुरमीत, मेरी शादी हो चुकी है. मैं अपने पति को कैसे धोखा दे सकती हूँ?

लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था.
हालांकि मेरे मन में भी उसके लिए आकर्षण पैदा हो चुका था शायद इसलिए मैं सिर्फ बोलकर विरोध कर रही थी.

कुछ देर बाद गुरमीत ने मेरा कंधा पकड़ कर मुझे घुमा दिया.
अब वह पीछे से मुझसे चिपक गया और मेरी गर्दन व ब्लाउज के खुले हिस्से पर अपनी पीठ पर होंठों से चूमने लगा.

मैं बस यही कह रही थी- गुरमीत, तुम गलत कर रहे हो.
लेकिन वह सुनने वाला नहीं था.

कुछ ही पलों में उसने मेरे बालों का जूड़ा खोल दिया और मेरे बाल लहराने लगे.
उसने मेरे बालों को एक तरफ करते हुए मुझे दीवार से पूरी तरह सटा दिया.

मेरे बूब्स दीवार में मानो गड़ गए थे.
उसने एक हाथ से मेरा कंधा पकड़ा और दूसरे से मेरे पेट को, इस तरह से उसने मुझे अपनी पकड़ में बांध सा लिया.

उसकी इस हरकत से मेरी आंखों से हल्के-हल्के आंसू गिरने लगे क्योंकि वह मुझे जोर से दबा रहा था.

फिर उसने अचानक मेरे ब्लाउज को पीछे से पकड़ कर खींचा, जिससे मेरा ब्लाउज पीछे से फट गया.

मेरी ब्रा की सफेद पट्टी उसकी आंखों के सामने थी.
अब वह और भी जोश में मेरी पूरी पीठ पर किस करने लगा और जहां मन करता, काट भी लेता.

उधर उसके ऐसा करने से मेरे अन्दर भी सेक्स की ज्वाला बढ़ने लगी और मेरी चूत भी गीली हो गई.

कुछ पल बाद उसने मुझे सीधा किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वह मेरे होंठों को चूसने और काटने लगा.

मैं अपने हाथों से गुरमीत को दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके अन्दर मुझसे कहीं ज्यादा ताकत थी.
शायद इसलिए मेरा विरोध उसके सामने बेअसर हो रहा था.

उसने मेरे फटे ब्लाउज को मेरे शरीर से निकाल फेंका.
फिर उसने नीचे हाथ डालकर मेरी साड़ी को मेरे शरीर से खींचकर अलग कर दिया.

अब मैं उसके सामने केवल ब्रा, पेटीकोट और अन्दर पैंटी में थी.

गुरमीत ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया था.
उसने एक बार फिर से मेरे होंठों को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.

इस बार मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी.

शायद वह भी यह बात समझ चुका था इसलिए उसने पास रखे एक टेबल पर, जो दीवार से सट कर रखी थी, मुझे उठाकर बिठा दिया.

फिर पीछे हटकर उसने अपनी शर्ट उतार दी और पैंट को जिप तक खोल दिया.

मैं उसकी मर्दाना देह को देखकर मन ही मन अपने आप को खुशकिस्मत मानने लगी और सोचने लगी कि काश इससे ही सात फेरे लिए होते!

आखिरकार वह फिर से आगे बढ़ा और मुझसे चिपक गया.
इस बार उसने मेरे साए को ऊपर करते हुए एक ही झटके में मेरी पैंटी को नीचे खींच लिया और उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया.

कुछ ही पलों में वह मेरे गले, मेरे चेहरे, मेरे होंठों पर और धीरे-धीरे नीचे मेरे ब्रा के ऊपर मेरे बूब्स पर भी किस करने लगा.

मेरे बूब्स के ऊपर काले तिल पर तो गुरमीत ने जोर से काटा, जिससे मेरी चीख निकल गई.

अब मैं उसका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उसके साथ देने लगी थी.
मैं उसके बालों को पकड़ कर अपने बूब्स पर दबा रही थी.

उसने मेरी ब्रा की पट्टी को कंधे से नीचे कर दिया और ब्रा को भी खिसका दिया.
फिर मेरे बूब्स को पूरी ताकत से अपने हाथों से दबाने लगा और सहलाते हुए एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

मैं बोली- आह गुरमीत … यह क्या कर रहे हो? रुक जाओ प्लीज ऐसा मत करो!

लेकिन वह कहां मानने वाला था.
मैं भी उसे ऐसा बोलकर उकसा रही थी.

कुछ पल बाद मैंने अपने बूब्स खुद ही उसके मुँह में दे दिए जिन्हें वह किसी माहिर खिलाड़ी की तरह चूसने में जुट गया.
वह मुझे मदहोश करने लगा.

मैं उसके चेहरे को अपने बूब्स पर और जोर से दबा रही थी और बोल रही थी- गुरमीत आह … क्या कर रहे हो? छोड़ दो. मत काटो इन्हें … ओह … ओह … गुरमीत छोड़ो ना उम्म उई उई!

उधर नीचे मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

उसने मेरे साए को मेरी कमर तक नीचे कर दिया था.

फिर अचानक से गुरमीत उठा और मेरी आंखों में आंखें डालकर मुझे देखने लगा.
इस बार उसने अपने इनरवियर से अपने लंड को निकाला और मेरी जांघ पर ले आया.

उधर नीचे मेरी चूत से धार बहने लगी थी जो यह बता रही थी कि मैं चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी.

गुरमीत ने मेरे चेहरे को पकड़ा और नीचे अपने लंड को मेरी चूत पर रखते हुए कहा- आई लव यू!

उसी पल उसने अपना लंड मेरी चूत में धकेल दिया.
शायद उसका लंड मोटा और बड़ा दोनों था इसलिए मुझे बहुत तेज दर्द हुआ.

मैं उसकी पीठ पर अपने नाखून गड़ाते हुए उससे चिपकने लगी.
मेरी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी और मेरी आह तक निकल गई.
मैं चिल्ला पड़ी- आह मर गई … निकालो प्लीज!

गुरमीत ने एक बार लंड बाहर निकाला और फिर एक बार जोर से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया.
मैंने उसे और जोर से पकड़ा, शायद रुकने का इशारा किया.

लेकिन वह कहां मानने वाला था.
उसने मेरे होंठों को पूरी तरह काटना और चूसना शुरू कर दिया.

मैं उसे अपने से चिपकाए हुई थी.
मेरे बूब्स उसकी छाती से पूरी तरह दबे थे. उसके हाथ पीछे मेरी पीठ और कमर को सहलाते हुए मुझे चोदने में जुटे थे.

उसी पोजीशन में उसने मुझे करीब 15 से 20 मिनट तक चोदा.
इस दौरान उसने कई बार मेरे बूब्स चूसे, कभी मेरी गर्दन पर गाल काट दिए, कभी होंठों को काटा, कभी प्यार से किस किया, कभी मेरी पीठ को सहलाया, कभी मेरी कमर पर हाथ फेरा और कभी मेरी गांड पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगा.

कभी मेरे बालों को खींचते हुए मुझे तेज रफ्तार से चोदने लगता.

वाइल्ड सेक्स विद भाभी का मजा पुलिस वाला ले रहा था और सारे कमरे में मेरी सिसकारियां गूंज रही थीं.
आखिर 15 से 20 मिनट बाद उसने अपने शॉट्स की स्पीड बढ़ा दी.

उस समय तक मैं तीन-चार बार झड़ चुकी थी और अभी फिर झड़ने की कगार पर थी.
मेरे पैर तो हवा में ही थे जिस कारण वे सुन्न पड़ गए थे.
पैरों में थिरकन-सी होने लगी थी.

मैं अब उसकी पीठ और बालों को सहलाने में जुट गई, उसे अपने सीने से चिपकाए हुई थी ताकि वह जल्द ही अपना वीर्य मेरे अन्दर गिरा दे.

उसी दौरान उसने अपने शॉट्स की स्पीड और बढ़ाई और मुझे बेरहमी से चोदते हुए अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया.

फिर मुझे जोर से गले लगाते हुए हांफने लगा.

इस दौरान मैं यह भी भूल चुकी थी कि उसने शराब पी रखी थी और मैं उसका साथ दे रही थी.

मैंने उसके सिर को सहलाते हुए उसे अपने से चिपका लिया.
वह भी मेरे गले पर हल्के-हल्के किस कर रहा था.

फिर अचानक वह मुझसे दूर हुआ और अगले ही पल अपने कपड़े पहनने लगा.
मैं वहीं बैठे-बैठे उसे देख रही थी.

जब वह कपड़े पहन चुका, तो बोला- प्रिया, आज से तू मेरी है. सिर्फ मेरी है!

मैं भी अपनी ब्रा की स्ट्रिप को ऊपर करती हुई खड़ी हुई और ब्रा व पेटीकोट में ही जाकर उससे सामने से चिपक गई.
वह मेरे बालों को सहलाते हुए कुछ देर खड़ा रहा.

फिर मेरे बालों को खींचते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों के सामने लाया और एक जोरदार स्मूच किया.

इस बार मैंने उसका पूरा साथ दिया.
हमारा स्मूच इस बार काफी लंबा चला … करीब 5-7 मिनट तक.

फिर उसने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा- मैं जा रहा हूँ और कल मिलूँगा तुझसे!
उसने दरवाजा खोला और निकल गया.

मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया.

मेरी चुदाई इतनी जोरदार हुई थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
शायद इतना मोटा, लंबा और कटा हुआ लंड मैंने जीवन में पहली बार लिया था.
लेकिन मजा मुझे बहुत मिला.

फिर मैं बेड पर आई और गुरमीत के साथ जो हुआ, उसे सोचने लगी कि किस तरह उसके लंड ने मुझे मजा दिया.
सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

दूसरे दिन सुबह उठी तो मोबाइल पर गुरमीत का मैसेज था.
मैं उस समय भी ब्रा और पेटीकोट में थी.

उसने मैसेज में काफी रोमांटिक बातें लिखी थीं और मेरी तारीफ भी की थी.

तभी गुरमीत का कॉल मेरे फोन पर आया.
उसने कहा- तो कैसी रही कल रात प्रिया डार्लिंग?
मैंने कहा- देखो गुरमीत … कल जो भी हुआ, सो हो गया. अब हम कभी नहीं मिलेंगे!

गुरमीत बोला- वह तो समय के ऊपर निर्भर करता है.
मैं बोली- मैं इसे एक हादसा समझ कर भूल जाऊंगी, तुम भी भूल जाओ!
आखिर वह बोला- ठीक है, दोपहर के वक्त मॉल में मिलो!

मैंने कहा- ठीक है … लेकिन सिर्फ मैं तुम्हें समझाने के लिए आऊंगी!
फिर मैं दोपहर के 2 बजे मॉल के लिए निकली.

मैंने व्हाइट स्किन टाइट कुर्ता पहना, जिसमें मेरे बूब्स बड़े लग रहे थे और रेड स्किन टाइट लेगिंग्स पहनी, जिसमें मेरी गांड भरी-भरी लग रही थी … साथ ही ब्लैक सैंडल पहनी.

मेरे बालों का जूड़ा बना था और होंठों पर लाइट लिपस्टिक लगाई थी.
जब मैं मॉल पहुंची, गुरमीत पहले से ही वहां खड़ा था.

मुझे देखते ही मेरे पास आया और बातचीत शुरू कर दी.
वह बोला- आज तो कड़क माल लग रही हो!
मैंने कहा- झूठी तारीफ बंद करो जनाब.

फिर हम लोग एक रेस्टोरेंट में गए, जहां हमने कुछ स्नैक्स लिए.

उस दौरान हमने काफी देर तक बातचीत की.
गुरमीत बोला- आज रात को मैं फिर आऊंगा.

मैंने उसे मना किया और कहा- आज वैसे भी मुझे एक शादी के रिसेप्शन में जाना है.
वह कुछ नहीं बोला.

मैंने कहा- वैसे भी जो हुआ, उसे भूल जाओ … मैं यही बोलने आई हूँ.
वह अब भी चुप था.

आखिर में मैंने पुनः कहा- चलो, अब मैं चलती हूँ!
फिर मैं और गुरमीत लिफ्ट से नीचे आने लगे, लिफ्ट में हम अकेले ही थे.

लिफ्ट का दरवाजा बंद होते ही गुरमीत ने अचानक मेरे हाथ को पकड़ा, मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया.
शायद उसके इस अचानक हमले के लिए मैं तैयार नहीं थी.

मेरे मुँह से बस ‘उम्म्म’ की आवाज़ निकल रही थी.

उसके हाथ पीछे मेरी गांड तक पहुंच चुके थे और उसने मेरी गांड को दबाया भी.
इतने में लिफ्ट रुकी और हम दोनों अलग हो गए.

जब मैं लिफ्ट से बाहर निकली, मैंने मुस्कुराते हुए कहा- सच में तुम पागल हो गए हो!

मॉल के बाहर तक वह मेरे साथ आया.

वह बोला- आज रात तो तुम मेरी ही रानी बनोगी प्रिया!
मैं बोली- बस रहने दो, अब ऐसा कुछ नहीं होगा.

लेकिन अब मैं शर्मा और मुस्कुरा भी रही थी.
इस बार मैं खुद ही उसके पीछे चिपक कर उसकी बाइक पर बैठ गई.

उसने मुझे घर तक छोड़ा.

मैं घर आई, रेस्ट किया और शाम को 9 बजे खाना खाकर टीवी देखने लगी.
साथ ही सोच रही थी कि गुरमीत कहीं आ तो नहीं जाएगा और आज मेरे साथ क्या करेगा.

सोचते-सोचते कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी चुदाई से भरी यह वाइल्ड सेक्स विद भाभी कहानी पसंद आई होगी.
मुझे आपके कमेंट्स का इंतजार है.
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