वो मुझे भावनाओं में बहा ले गई

(Wo Mujhe Bhavnaon Me Baha Le Gai)

मैं प्रेम एक बार फिर आपसे अपनी कहानी शेयर करने हाजिर हूँ. जैसा आप सब जानते है मैं नागपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उमर 30 वर्ष है और मैं एक साधारण युवक हू जो अपनी लाइफ और कामों को खुल के एंजाय करता है.

आप सभी अंतर्वासना सेक्स स्टोरीज के पाठकों का धन्यवाद जिन्होंने मेरी सभी कहानियों को सराहा और मुझे मेल किए.
मेरी पिछली कहनी थी- अन्तर्वासना फ़ैन इंडियन कॉलेज गर्ल के साथ
दोस्तो, लाइफ में वैसे बहुत सारे इन्सिडेंट होते हैं पर हर इन्सिडेंट आप तक पहुंचाना संभव नहीं होता, कुछ खास पल ही आप तक पहुंचाए जा सकते हैं, वरना जिंदगी तो चलती ही रहती है.
यह कहानी भी कुछ ऐसी ही खास है.

दोस्तो, इस कहानी में मैंने नायिका के रूप और बदन के बारे में कुछ नहीं लिखा है क्योंकि हर वो लड़की खूबसूरत होती है जिसे आप प्यार करते हो तो इस कहानी में मेरी जगह आप खुद को रखें और नायिका की जगह जिसे आप प्यार करना चाहते हो उसे और कहानी का मज़ा लीजिए.

कहानी शुरू होती है मेरे दोस्त की एंगेज्मेंट से जो इस साल जनवरी महीने में थी, मैं दूल्हे का खास दोस्त होने से मज़ा ले रहा था, जब मेरा दोस्त रिंग पहना रहा था तो मैंने एक चमकी वाला फटाका फोड़ा पर मस्ती में होने की वजह से मुझे धक्का लगा और वो फटाका ऊपर ना फूटते हुए दुल्हन के पीछे खड़ी लेडीज़ पर जाकर फूटा और उसकी सारी चमकी आस पास खड़ी लेडीज़ पर जा गिरी जिससे वो लेडीज़ थोड़ा घबरा गई और मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी.

मेरे दोस्तों ने भी मुझे टोका, मैंने उस लेडीज़ को सॉरी कहा, रिंग सेरेमनी का प्रोग्राम खत्म हुआ तो बधाई देने का और फोटो खिंचवाने का दौर चल पड़ा, हम दोस्त के पीछे खड़े होकर मज़ा ले रहे थे पर बार बार मेरी नज़र एक लेडी पर पड़ी जो रिंग सेरेमनी वाले इन्सिडेंट के बाद से लगातार घूरे जा रही थी.

वहाँ मेरे दोस्त की छोटी सिस्टर थी तो मैंने उससे पूछ लिया- ये कौन है जो तुझे घूर रही है?
तो उसने बताया- ये दुल्हन की बड़ी बहन है और ये मुझे नहीं तुझे घूर रही है, तूने काम ही ऐसे किए हैं.
फिर मैंने उससे पूछा- ये दुल्हन से बड़ी लग तो नहीं रही?
तो उसने बताया कि ये दुल्हन से 1-2 साल ही बड़ी है और 2 साल पहले ही उनकी शादी हुई है.

मैं फिर दोस्तो में बिज़ी हो गया, वहाँ मेहमान खाना ख़ाकर चले गये थे, मेरे दोस्त की फॅमिली और दुल्हन की फॅमिली के लोग ही बचे थे, हम सबको खाना खाने बोला गया मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी तो मैं अपने दोस्तो से बोला- तुम लोग प्लेट्स लो, मैं आता हूँ.
और मैं टायलेट की तरफ चला गया.

जब हल्का होकर आया तो सब लोग अपनी अपनी प्लेट ले चुके थे और जैसा कमीने दोस्तो में होता है, मुझे किसी ने अपनी प्लेट में खाने नहीं दिया.
तो मैं अपने लिए प्लेट लेने चला गया, मैं प्लेट ले रहा था तो वहाँ दुल्हन की बहन भी प्लेट लेने आई तो मैंने उन्हें प्लेट उठा के दी और उस हादसे के लिए माफी माँगी तो उन्होंने भी इट्स ओके कहा और कहा- अगली बार ध्यान से, आज तुम्हारे मस्ती में मुझे चोट लग सकती थी.
मैंने फिर से उनको सॉरी कहा तो इस बार उन्होंने एक स्माइल दी तो मैंने भी स्माइल किया और खाने की टेबल की तरफ चला गया.

खाना होने के बाद मैं और मेरे दोस्त अपने अपने घर की और चल दिए यह घटना उसी दिन खत्म हो गई और मैं भी अपने काम में व्यस्त हो गया.

मेरे दोस्त की शादी मई महीने में फिक्स हुई थी. 2-3 महीने तो ऐसे ही निकल गये पर शादी के दिन नज़दीक आए तो मेरे दोस्त के कामों का बोझ भी बढ़ गया था तो उसने मुझसे हेल्प माँगी, मेरा सीज़न ऑफ चल रहा था तो हर काम हम दोनो साथ में मिलकर कर रहे थे, शॉपिंग से लेकर कार्ड बांटने तक…
इस सिलसिले में हमारा दोस्त के ससुराल में भी आना जाना ज़्यादा हो गया था, शादी के दिन नज़दीक होने से दुल्हन की बड़ी सिस्टर भी मायके आई हुई थी तो जब भी हम वहाँ जाते, हमारी आवभगत बहुत होती, जब भी मेरा दुल्हन की बड़ी सिस्टर से सामना होता हम एक दूसरे को स्माइल ज़रूर करते.

ऐसे ही शादी का दिन आ गया, हम सब नाचते हुए मंडप में पहुँचे तो दूल्हे के स्वागत के लिए दुल्हन की पूरी फॅमिली बाहर खड़ी थी जिसमें दुल्हन की सिस्टर भी थी जो बहुत प्यारी लग रही थी. गेट पे दूल्हे और उसकी फॅमिली का स्वागत हुआ, मैं बैंड और घोड़े वाले का पेमेंट करके अंदर जाता, तब तक सारे मेहमान अंदर जा चुके थे.

मैं अंदर जाने लगा तो भाभी की सिस्टर मुझे गेट पर दिखी तो मैंने उनसे हेलो कहा और पूछा- आप अंदर नहीं गई?
एंग़जमेंट के बाद ये पहली बार था जब मैंने उनसे कोई बात की थी.
तो उन्होंने कहा- एक खास मेहमान का स्वागत बाकी था तो मैं रुक गई.
मैंने पूछा- कौन से मेहमान?
तो उन्होंने कहा- आप का, आप भी खास हो!
मैंने उन्हे थैंक्स कहा साथ में उनकी तारीफ भी कर दी कि वो आज बहुत प्यारी लग रही हैं.

उन्होंने कहा- क्यों पहले नहीं लगती थी क्या?
तो मैंने भी कह दिया- पहले कभी इतने गौर से नहीं देखा.
तो उन्होंने कहा- लगता है आज ज़्यादा ही गौर से देख रहे हैं?
मैं सिर्फ़ मुस्कुरा के रह गया.

उसके बाद हम अंदर गये तो उनका पति उन्हे ढूँढने बाहर आ रहा था, उसने पूछा- कहाँ रह गई थी?
तो उसने जो जवाब दिया उससे मैं थोड़ा शॉक हुआ, उसने कहा- बाहर गेट पे पूजा का कुछ समान छूट तो नहीं गया, चेक करने गई थी.
इसका मतलब या तो वो अपने पति से झूट बोल रही थी या मुझसे!
मैंने उसको देखा तो वो चुपचाप नज़र झुका के आगे निकल गई.

उसके बाद शादी में जब भी हमारा आमना सामना होता वो मुझे शरारत भरी स्माइल ज़रूर देती.

फेरों का समय आया जिसमें ज़्यादा वक़्त तो लग ही जाता है, मेरे कुछ दोस्त खाना खाने चले गये और मैं पुजारी को किसी सामान की ज़रूरत ना पड़े इसलिए वहीं रुक गया, दोनो फॅमिली के मेंबर भी फेरे वाले मंडप को घेरे हुए बैठे थे तो मैं भी सबके पीछे कुर्सी लेकर बैठ गया, पंडित को जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ती, मैं उसे लाकर दे देता.

जब सब सामान आ गया तो मैं भी फेरे देखने वहीं बैठ गया, भाभी की सिस्टर जो सामने बैठी थी वो किसी काम से उठकर बाहर गई और जब वापस आई तो उनकी जगह पे कोई और आके बैठ गया था.
मेरे पास ही एक खाली कुर्सी पड़ी थी, मुझे लगा के वो कुर्सी लेकर जाएगी पर उसने मुझे देखा और वो वहीं बैठ गई.

हमने फिर एक दूसरे को हेलो कहा. मैंने उनसे पूछा कि वो अकेली क्यों है, उनके पति कहाँ गये?
तो वो बोली- वो दोस्तो के साथ बैठे होंगे कहीं पीते हुए, आराम से आएँगे जब उनका कोटा पूरा हो जाएगा.
यह बोलते वक़्त वो उदास हो गई तो मैंने फ्लर्ट करते हुए उनको बोला- आपकी स्माइल बहुत प्यारी है, आप उदास अच्छे नहीं लगती.
तो उसने फिर से स्माइल कर दी.

हम एक दूसरे से बात कर रहे थे, बातों बातों में मैंने उनसे गेट वाली बात का ज़िक्र किया कि उन्होंने मुझसे झूठ बोला, वो बोली- झूठ तो मैंने बोला है पर तुमसे नहीं.
हमारे आस पास लोग थे तो मैंने बात को और नहीं खींचा, मैं बैठे बैठे दूल्हा दुल्हन की फोटो खींच रहा था, उसने मुझसे मेरा मोबाइल माँगा और अपने पिक्चर लिए, वो मुझसे बोली- आपके मोबाइल से पिक्चर अच्छी और क्लियर आ रही हैं.
उन्होंने कहा- आप सारी पिक्चर मेरे मोबाइल पे भेज दें!
मैं बोला- मेरे पास तो आपका नंबर नहीं है?
तो उन्होंने मुझे अपना नंबर दिया और सारे पिक्चर सेंड करने बोला.

फेरों के वक़्त कुछेक ऐसी रस्में आती हैं जिससे हमें बहुत हँसी आ रही थी. फेरे होने के बाद उनके कुछ फॅमिली मेंबर और कुछ दोस्त अपना ड्रिंक का प्रोग्राम निपटा कर आए, उनका पति भी आ गया जो पूरा नशे में था.

जब विदाई का समय आया, तब तक आधी रात बीत चुकी थी, सबने एक दूसरे से विदा ली और हम घर आ गये.

दूसरे दिन घर पे हल्दी उतारने की रस्म होती है जो दुल्हन के मायके में होती है, उस दिन दूल्हा दुल्हन वहाँ गये, मुझे मंडप में काम होने की वजह से मैं नहीं गया.
थोड़ी देर बाद मुझे दूल्हे का कॉल आया- तुम्हें सब यहाँ बुला रहे हैं.
पर मैंने उसको काम ज़्यादा होने के बारे में बोला और उसको सिचुयेशन संभालने के लिए बोला.
शाम के पहले वो सब वापस आ गये.

रात को मेरे मोबाइल पे दुल्हन की सिस्टर का व्हाट्सअप आया कि वो मुझसे नाराज़ है और मेरे वहाँ नहीं जाने का कारण पूछा.
मैंने उनको सारी बात बता दी.
उसके बाद हमारी नॉर्मल बात हुई और उसने मुझसे शादी की पिक्स माँगे जो मैंने उनको भेज दिए.

मैंने शादी वाले दिन की बात छेड़ दी कि उसने अपने पति से झूट क्यों बोला तो उसने बताने से मना कर दिया. फिर मेरे थोड़े मनाने और कसम दिलाने पर उसने बताया कि शायद उसने मुझे पहले भी कहीं देखा था, शायद किसी प्रोग्राम में या किसी रिलेटिव के घर पर… इसलिए उसका ध्यान मुझा पर ज़्यादा था. मैं उसे एंगेज्मेंट के दिन से ही अच्छा लगने लगा था क्योंकि हमारे ग्रुप में मैं अकेला कुंवारा था तो सबकी खिंचाई और मस्ती भी ज़्यादा कर रहा था. पर मैंने वो फटाके वाला कांड कर दिया जिससे वो नाराज़ हो गई थी.

मैंने उससे उसकी शादी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसका पति गवर्नमेंट सर्विस में है, घर वालों को रिश्ता पसंद था तो वो भी राज़ी हो गई. पर शादी के कुछ दिन बाद पता चला कि उसके पति को पीने की आदत है. पहले पहले वो कभी कभार ही पीकर आते पर बाद में वो रोज ही पीकर आने लगा जिससे उन दोनों में झगड़े होने लगे और एक बार तो उसकी इच्छा डाइवोर्स लेने की भी हुई. फिर घर वालों ने उन दोनों को समझाया और उसने भी सोचा कि डाइवोर्स लेकर क्या होगा, इससे उसके घर वालों की ही परेशानी बढ़ेगी.

फिर हमारी बातें उसके लव लाइफ की तरफ गई क्योंकि उनको कोई बच्चा नहीं था तो मैंने उनसे पूछा. उसने बताया कि शादी के बाद सब ठीक था पर उनको जल्दी नहीं चाहिए था और बाद में ये ज़्यादा पीके आते और खाना खा के सो जाते जिससे बाद में कुछ नहीं हुआ.

बात करते करते जब उसको अहसास हुआ कि वो मुझसे कुछ ज़्यादा ही खुल के बात कर रही है और ज़्यादा अंदर की बाते शेयर कर दी है तो वो गुड नाइट बोली और बिना रिप्लाई का वेट किए ऑफलाइन चली गई.

दूसरे दिन रिसेप्शन का प्रोग्राम था, सारा काम मॅनेजमेंट वालों के पास था तो मेरे लिए करने को कुछ नहीं था, बस थोड़ी बहुत अरेंज्मेंट चेक करनी थी तो मैं एक राउंड लॉन का लेकर आया और आराम करने के इरादे से घर आ गया.
मैं बैठा ही था कि मेरे मोबाइल पे दुल्हन के सिस्टर का कॉल आया, उसने मुझे जल्दी से उसके घर जो मेरे घर से 7-8 किलो मीटर दूर है, वहाँ आने के लिए कहा.

मैंने उसको बोला- क्यों? और वैसे भी अभी तो आप दुल्हन के घर होंगी ना?
तो वो बोली- तुम ज़्यादा सवाल मत करो, मुझे मिलो, बाद में बताती हूँ.
मैंने उसको बोला- मुझे उसका घर नहीं पता.
तो उसने अड्रेस बताया और वहाँ पहुँचने के लिए बोला.

मैं तैयारी करके घर से निकला और वहाँ पहुँच कर उसको कॉल किया तो उसने कहा कि वो मेरा ही वेट कर रही है.
मैं उसके घर गया जहाँ उसके और मेरे अलावा और कोई नहीं था. रिसेप्शन के प्रोग्राम के लिए सब दुल्हन के घर ही रुके हुए थे और वहीं से तैयार होकर लॉन में जाने वाले थे, उसके पति के बारे में पूछा तो बोली- आज उनका सवेरे से ही प्रोग्राम चालू है, उसका कुछ समान घर पे छूट गया था जिसे लेने वो यहाँ आई है. घर वालों ने उसे किसी को साथ ले जाने के लिए कहा पर उसने मना कर दिया. वैसे भी सबको अपनी अपनी तैयारी करनी थी.

इसी बीच बात करते हुए उसने मेरे लिए चाय भी बना ली, मैंने फिर से उससे पूछा- मुझे क्यों बुलाया?
तो उसने बताया कि उसने रात को मुझसे कुछ ज़्यादा ही बाते शेयर कर ली थी और वो चाहती थी कि मैं ये सब किसी और को ना बताऊँ और रात की सारी बातें मोबाइल से डिलीट कर दूँ.

मैंने कहा कि वो मुझ पर भरोसा कर सकती है, ये बात मैं किसी से शेयर नहीं करूँगा और मोबाइल से भी डिलीट कर दूँगा. पर यह बात वो मुझसे फोन पर भी बोल सकती थी?
उसने कहा- हाँ मुझे भी पता है कि यह बात मैं तुमसे फोन पे भी कर सकती थी पर मुझे तुमसे मिलना था.

उसने बताया कि उसे एंग़जमेंट के दिन से मेरा स्वभाव अच्छा लगा और वो मुझे चाहने लगी है, मेरे लिए कुछ भी कर सकती है रात की बातों ने उसकी सेक्स की भावनाओं को जगा दिया है. ये कहते हुए वो उदास हो गई और उसकी आँखों से आँसू आने लगे.

मैंने उसकी आँखों को पौंछा और उसे धीरज बँधाया तो वो मुझसे गले लग गई और फिर हम कब एक दूसरे में खो गये, हमें पता ही नहीं चला.

उस दिन उसने अपनी लाज की सीमा लाँघ ली, उसके बाद हमारे बीच वही सब हुआ जो अक्सर आप अंतर्वासना की कहानियों में पढ़ते हैं.
उन 2 घंटे के बीच में हमने पूरी कसर उतार ली, उसकी भी सेक्स की प्यास कुछ हद तक पूरी हो गई थी.

हम फिर फ्रेश हुए, उसे जो सामान लेना था, ले लिया और वहाँ से निकल गये.

रात को हम जब रिसेप्शन में मिले तो वो ज़्यादा खुश और प्यारी लग रही थी.

रिसेप्शन के बाद मैं उसके घर तो नहीं जा पाया पर कभी कभी हम दिन में ही फोन सेक्स कर लेते हैं. रात को उसका पति जो साथ में होता है.

वो जल्दी ही मुझसे फिर से मिलने का प्लान बनाने वाली है.

दोस्तो वैसे तो उसने मुझे ये बातें किसी के बताने के लिए मना किया था पर मैंने उसको अंतर्वासना की कहानी के बारे में बताया और आज यह कहानी भी उनको पूछकर ही लिख रहा हूँ.

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दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताइएगा.
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कहानी का अगला भाग: वो मुझे भावनाओं में बहा ले गई-2

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