मेरी मुंहबोली बहन की एक अनकही चाहत- 2
(Xxx Khet Sex Kahani)
Xxx खेत सेक्स कहानी में मैंने अपनी छोटी बहन के फोन में एक वीडियो देखी जिसमें मैं अपनी दूसरी मुंहबोली बहन को खेतों में चोद रहा था. मैं उसकी वासना को समझ गया.
कहानी के पहले भाग
मेरी छोटी बहन की चूत में उंगली की वीडियो
में आपने पढ़ा कि मेरी मुंहबोली बहन के फोन में मैंने देखा कि उसने अपनी चूत में उंगली करने की वीडियो बनाई हुई थी.
अब आगे Xxx खेत सेक्स कहानी:
मैंने बाकी वीडियो भी देखे।
ज्यादातर एक जैसे थे।
लेकिन आखिरी वीडियो खेतों का था।
वो बाजरे की फसल के समय का था।
वीडियो में कोई फोन लेकर धीरे-धीरे चल रहा था।
कुछ दूरी से कराहने की आवाज़ें आ रही थीं।
मुझे समझते देर न लगी कि ये मेरा ही वीडियो था।
थोड़ा और आगे बढ़ने पर वीडियो रुका।
उसमें मैं और अन्नू की बड़ी बहन संगीता थे, जिसका ज़िक्र मैंने पहली कहानी में किया था।
संगीता ने एक पेड़ का सहारा लिया था।
मैं उसके बाल पकड़कर उसे घोड़ी बनाकर जोर-जोर से चोद रहा था।
वो “आह! आह!” की मादक सिसकारियाँ निकाल रही थी।
मैं इधर-उधर देख रहा था ताकि कोई हमें न देख ले।
लेकिन मुझे अन्नू नहीं दिखी थी क्योंकि बाजरा बड़ा था।
खेत में मुझे जल्दी निपटाना था क्योंकि किसी के आने का डर था।
मैंने संगीता को पूरी तरह नीचे झुका दिया।
उसकी गांड पूरी तरह उठी थी जिससे उसकी चूत खुली थी।
मैं उसे दबा-दबाकर चोद रहा था।
उसकी आवाज़ें तेज़ हो रही थीं।
उस पोज़ीशन में उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन मज़ा भी आ रहा था।
उसकी आवाज़ें और तेज़ हो गई थीं।
वीडियो बनाने वाले ने कैमरा अपनी तरफ घुमाया।
उसका पजामा नीचे था, और उसकी उंगली उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी।
Xxx खेत सेक्स वीडियो में पजामे को देखकर मैं समझ गया कि वो अन्नू थी।
अन्नू भी जल्दी-जल्दी उंगली कर रही थी।
तभी उसने हड़बड़ाकर पजामा पहना और वीडियो खत्म हो गया।
मुझे अब डर लगने लगा कि अन्नू हमारे बारे में जानती है।
कुछ दिनों बाद हमारे गाँव से चार धाम यात्रा के लिए बस जा रही थी।
मैंने सोचा कि माँ-बाप को यात्रा पर भेज देता हूँ।
शुक्रवार सुबह मैं उन्हें बस स्टैंड ले गया और बस में बिठाकर घर आ गया।
अन्नू पिछले कुछ दिनों से कॉलेज नहीं जा रही थी।
मैंने ज्यादा पूछा नहीं क्योंकि मुझे कारण पता था।
मैं अकेले दुकान पर चला गया।
अन्नू ने घर पर ही खाना खाने को कहा तो मैं टिफिन नहीं ले गया।
दोपहर में भूख लगी तो मैंने दुकान लॉक की और घर जाने लगा।
बस स्टैंड क्रॉस करते समय एक गाड़ी ने मेरी बाइक को टक्कर मार दी।
मेरा बैलेंस बिगड़ा, और बाइक फिसल गई।
मेरे हाथों में चोट लग गई।
गाड़ी वाला लोकल था।
वह मुझे हॉस्पिटल ले गया।
वहाँ डॉक्टर ने एक्स-रे लिया।
चोट ज्यादा नहीं थी, बस हथेलियों में अंदरूनी चोट थी और घुटनों की चमड़ी छिल गई थी।
डॉक्टर ने मेरी हथेलियों पर पट्टी बाँध दी, जिससे मेरी उंगलियाँ भी ढक गईं।
घुटनों पर दवाई लगाकर कुछ दवाइयाँ दीं।
गाड़ी वाले ने मुझे और मेरी बाइक घर पहुँचाया।
अन्नू ये सब देखकर डर गई।
मैंने उसे समझाया, “कोई दिक्कत नहीं है! बस दो दिन पट्टी रहेगी, फिर निकल जाएगी!”
वो मान गई।
मैंने माँ-बाप को इस बारे में न बताने को कहा ताकि वो बिना टेंशन के घूम सकें।
शाम होने वाली थी।
मैंने दिन भर खाना नहीं खाया था और अब भूख लग रही थी।
मैंने अन्नू से खाना खिलाने को कहा।
मेरे दोनों हाथ पट्टी से बंधे थे तो कुछ कर नहीं पा रहा था।
अन्नू ने मुझे खाना खिलाया और खुद भी मेरे साथ खाया।
मैं उससे मजाक करता रहा ताकि उसका मूड अच्छा रहे।
खाने के बाद मुझे पेशाब जाना था।
मैं अन्नू को बोलकर टॉयलेट गया।
वहाँ बहुत जद्दोजहद के बाद पैंट की ज़िप खोलकर पेशाब किया लेकिन ज़िप बंद नहीं कर पाया।
मैंने पाँच-छह मिनट कोशिश की, लेकिन ज़िप बंद नहीं हुई।
मैं बिना ज़िप बंद किए अंदर आ गया।
अन्नू की नज़र मेरी ज़िप पर पड़ी।
वो मेरे पास आई और सीधे ज़िप पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया।
मुझे अजीब लगा और मैं उछलकर पीछे हट गया।
मैंने उसे घूरकर देखा।
अन्नू ने मुझे खड़े रहने का इशारा किया और पास आई।
मैंने स्थिति समझी और कहा, “मुझे अब पजामा ही पहनना है। इसे निकाल दे और पजामा पहना दे!”
मैं कमरे में चला गया।
अन्नू ने झुककर मेरा बेल्ट निकाला और पैंट खोलने लगी।
मुझे अजीब-सी फीलिंग आई लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया।
फिर भी, मेरे दिमाग में गलत विचार आने लगे।
जब अन्नू ने पैंट नीचे की तो मैं केवल अंडरवियर में था।
मेरा लिंग धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
मैं पैर लटकाकर बेड पर बैठ गया ताकि वो मेरी उत्तेजना न देख ले।
अन्नू ने पैंट खुंटी पर टाँगी और मेरा पजामा लाकर पैरों में पहनाया।
फिर उसने मुझे खड़ा होने को कहा।
मैंने कहा, “एक मिनट रुक, होता हूँ!”
अन्नू बोली, “क्या दिक्कत है?”
मैंने कहा, “कुछ नहीं, बस लड़कों वाली प्रॉब्लम है!”
वो गुस्से में बोली, “जब तुम मेरे लिए पहली बार सैनिटरी पैड लाए थे, तब शर्माए थे क्या?”
मैंने कहा, “नहीं!”
अन्नू बोली, “तो फिर आज क्या प्रॉब्लम है? मेरी प्रॉब्लम में तुम्हें शर्म नहीं आई, तो अब क्यों शर्म आ रही है? जल्दी खड़े हो जाओ, मुझे और भी काम करना है!”
मैं उसके इस रंग को देखकर डर गया और चुपचाप खड़ा हो गया।
मेरा लिंग अंडरवियर में तंबू बनाकर खड़ा था।
अन्नू को हँसी आई लेकिन उसने उसे दबाया।
उसने पजामा ऊपर सरकाया और मेरी ओर मुस्कुराकर देखा।
उसकी मुस्कान देखकर मेरी जान में जान आई।
मैंने उसे कसकर गले लगाया।
मेरा लिंग उसकी चूत से टकरा रहा था।
अन्नू बोली, “क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा, “तू बस मुझे आराम से बोल दिया कर! तेरे गुस्से से मेरी तो जान निकल गई थी! अब जाकर जान में जान आई है। अब कभी ऐसे गुस्से में बात मत करना!”
अन्नू बोली, “नहीं करूँगी! अब मुझे जाने दो!”
मैं बोला, “ऐसे ही गले लगी रह, यार! अच्छा लग रहा है!”
अन्नू बोली, “लेकिन मैं कंफर्टेबल नहीं हूँ! तुम्हारी कील चुभ रही है!”
मैं बोला, “कील?”
तभी मुझे नीचे की बात याद आई।
मैंने उसे झट से छोड़ दिया और शर्माते हुए बोला, “ये तो लड़कों वाली प्रॉब्लम है!”
अन्नू बोली, “पता है! अब मैं और काम कर लूँ? फिर आकर दवाई देती हूँ!”
मैं बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा।
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मेरा लिंग फिर से खड़ा होने लगा।
मैंने सोचा कि आज अन्नू को अपने पास बिठाकर उससे बात करूँगा।
मैं टीवी देखने लगा।
रात को अन्नू घर का काम करके दरवाजे बंद करने के बाद मेरे कमरे में आई।
वो मेरे लिए दूध और दवाई लाई थी।
वह अपनी पानी की बोतल भी साथ लाई।
उसने मुझे अपने हाथ से दूध पिलाया, फिर दवाई देने को कहा।
मैं टॉयलेट जाने के लिए खड़ा हुआ।
अन्नू बोली, “मैं भी चलती हूँ!”
मुझे कोई ऐतराज़ नहीं था।
उसने दरवाजे खोले और मुझे टॉयलेट तक ले गई।
फिर उल्टी तरफ मुँह करके खड़ी हो गई।
मैंने पजामा नीचे करने की कोशिश की लेकिन नहीं कर पाया।
अन्नू ने मुझे देखा और झट से मेरी अंडरवियर समेत पजामा नीचे कर दिया।
मैंने मजाक में कहा, “अब पकड़ेगा कौन इसे?”
अन्नू बोली, “जिसका है, वो ही पकड़े!”
हम दोनों हँसने लगे।
मैंने पेशाब किया।
फिर अन्नू की तरफ देखा।
वो दूसरी तरफ देख रही थी।
मैंने कहा, “हो गया! अब पहना दे!”
उसने ऊपर देखा और पजामा ऊपर किया।
वो ठीक से ऊपर नहीं हुआ लेकिन मैंने एडजस्ट कर लिया।
हम अंदर आए।
अन्नू ने दरवाजे बंद किए।
उसने मुझे दवाई दी।
फिर मेरे पास तकिया लगाकर मेरे बेड पर आ गई।
मैंने पूछा, “यहीं सोएगी क्या?”
अन्नू बोली, “रात को तुझे कुछ चाहिए होगा, तो मैं बार-बार उठकर थोड़ी आऊँगी!”
उसने घुटनों पर लगाने वाली दवाई निकाली और पजामा ऊपर खिसकाने लगी।
लेकिन पजामा केवल घुटनों तक ही ऊपर गया, दवाई जाँघों पर लगानी थी।
उसने बहुत कोशिश की, लेकिन पजामा और ऊपर नहीं गया।
मैंने कहा, “एक काम कर, इस पजामे को निकाल दे!”
उसने मेरी तरफ बिना देखे पजामा नीचे किया।
फिर पैरों से पकड़कर उसे निकालने के लिए खींचा।
मैंने कमर थोड़ी ऊपर उठाई ताकि पजामा आसानी से निकल जाए।
लेकिन मेरे अचानक ऊपर होने से पजामा मेरी अंडरवियर के साथ घुटनों तक खुल गया।
मुझे सचमुच शर्मिंदगी महसूस हुई।
अन्नू की नज़रें मेरे लिंग पर टिक गईं।
मैं उसे ही देख रहा था।
जब उसने कोई हरकत नहीं की तो मैंने उसे पैरों से हिलाया।
तब वो होश में आई और बेड पर आकर बड़े आराम से मुझे अंडरवियर पहनाई जैसे मेरी बीवी हो और ये सब हमारे बीच हमेशा होता हो।
अंडरवियर पहनाने के बाद उसने पजामा निकाल दिया।
फिर चोट के निशानों पर दवाई लगाई।
दवाई लगाने के बाद वो पजामा फिर से पहनाने लगी।
मैंने मना कर दिया।
मैं रात को केवल अंडरवियर और बनियान में सोता हूँ।
अन्नू ने मुझे दवाई दी और मेरे पास सो गई।
मैंने कहा, “दवाइयों का डोज़ कुछ भारी है। सुबह जल्दी न जागूँ, तो मुझे जगा देना!”
अन्नू बोली, “वैसे भी तुझे जल्दी उठकर करना क्या है?”
मैंने पूछा, “एक बात पूछूँ? बुरा तो नहीं मानेगी?”
अन्नू बोली, “बुरा मानने वाली बात हो, तो मानूँगी! नहीं तो नहीं!”
मैं बोला, “तू पहले इतनी खुली नहीं थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि कुछ ही समय में इतनी बेबाक और ओपन हो गई?”
अन्नू बोली, “समय, परिस्थितियाँ, और ज़रूरत अपने आप सब कुछ खोल देती हैं, चाहे तुम उस पर ध्यान दो या न दो!”
मैं बोला, “मैंने तो ध्यान दिया था, तभी तो मुझे पता चला है!”
अन्नू बोली, “जब ध्यान देना था, तब नहीं दिया! जब खुद की लगी, तब ध्यान दिया!”
मैंने कहा, “ऐसी क्या बात हो गई, जो मैंने ध्यान नहीं दिया?”
अन्नू बोली, “तुमने ध्यान दिया होता, तो तुम्हें पता होता!”
मैंने कहा, “तू उस लड़के के बारे में बात कर रही है?”
अन्नू बोली, “कुछ नहीं! अब सो जाओ! मुझे सुबह जल्दी उठकर काम भी करना है!”
उसने मेरी तरफ करवट ले रखी थी।
मैं थोड़ा उसकी तरफ खिसका और उसके माथे को चूम लिया।
मैंने कहा, “मुझे नहीं पता तू किस बारे में बात कर रही है, लेकिन मैं जल्दी ही पता करके इस प्रॉब्लम को सॉल्व कर लूँगा!”
अन्नू ने मुँह बनाया और आँखें बंद कर लीं। मैं भी सो गया।
देर रात मुझे सपना आया कि अन्नू मेरे लिंग को अंडरवियर के ऊपर से सहला रही है।
मेरा लिंग धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
फिर उसने अंडरवियर नीचे खिसकाना शुरू किया।
मेरा लिंग फनफनाता हुआ बाहर निकला।
तभी मेरी आँख खुल गई।
मुझे अहसास हुआ कि ये सपना नहीं, हकीकत थी।
अन्नू मेरी तरफ बेड पर नीचे खड़ी थी और चुपके से ये सब कर रही थी।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था लेकिन मैंने आँखें बंद करके सोने का नाटक किया।
अन्नू मेरे लिंग को धीरे-धीरे सहलाने लगी।
उसने अपने पजामे को भी थोड़ा नीचे कर लिया था।
वो एक हाथ से मेरे लिंग को सहलाती और दूसरे से अपनी चूत को मसलती।
थोड़ी देर बाद उससे रहा नहीं गया।
उसने अपनी एक टाँग मेरे ऊपर से निकालकर बेड पर रखी।
मेरा लिंग उसकी चूत के ऊपर आ गया।
अंधेरे में उसकी चूत दिख तो नहीं रही थी लेकिन उसके बाल मेरे लिंग को छू रहे थे।
मैंने उसकी चूत को ढूँढने के लिए अपनी कमर हल्की-सी ऊपर की ताकि उसे लगे कि मैंने कोई हरकत नहीं की।
कमर ऊपर करते ही मेरा लिंग उसकी चूत से टच हो गया।
अन्नू थोड़ा नीचे झुकी और मेरे लिंग को अपनी चूत पर हल्के-हल्के मसलने लगी।
उसकी चूत पूरी तरह गीली थी।
उसका रस मेरे लिंग पर लग रहा था।
अन्नू धीरे-धीरे अपनी चूत को मेरे लिंग पर दबाती और उसे अपनी चूत की फाँकों में घुमाती।
कुछ देर बाद वो बेड से नीचे उतरी और अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
मेरे लिंग को सहलाते हुए उसने उंगली की स्पीड बढ़ा दी।
कुछ देर में वो हिलने लगी और मेरे लिंग को छोड़कर नीचे बैठ गई।
मैंने उसकी तेज़ साँसें सुनीं।
मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी थी।
मैंने कोई हरकत नहीं की ताकि उसे लगे कि मैं सो रहा हूँ।
कुछ देर बाद वो उठी, मेरे लिंग को ऊपर से चूमा, फिर धीरे से मेरी अंडरवियर ऊपर की और मेरे पास सो गई।
वो थक चुकी थी, तो उसे नींद आ गई।
लेकिन मेरी नींद उड़ चुकी थी।
मुझे यकीन हो गया कि अन्नू के दिल में मेरे लिए कुछ है।
वो तस्वीरें और वीडियो सिर्फ़ मज़ाक के लिए नहीं थे।
मैं बेड से उतरा, उसकी बोतल से पानी पिया और टहलने लगा ताकि नींद आ जाए।
फिर मैं सो गया।
अगले भाग की प्रतीक्षा करें और Xxx खेत सेक्स कहानी पर अपनी राय मुझ तक भेजें.
[email protected]
Xxx खेत सेक्स कहानी का अगला भाग:
What did you think of this story
Comments