प्यार को तड़फती लुगाई हुई पराई- 4

(Xxx Luv Sex Kahani)

सनी वर्मा 2025-05-07 Comments

Xxx लव सेक्स कहानी में भाभी को पर पुरुष का प्यार मिला तो वह उसी की हो गयी. और वह पुरुर्ष भी अपने जीवन का सच्चा प्यार पाकर उसी में खो गया.

कहानी के तीसरे भाग
प्यार मिला तो पराई अपनी हो गयी
में आपने पढ़ा कि जब एक अच्छी भाभी को गैर मर्द का प्यार मिला तो वह पिघल गयी और उसने अपने को उस पराये आदमी को समर्पित कर दिया.

अब आगे Xxx लव सेक्स कहानी:

हवा ठंडी थी।
सोनिया ने सचिन के कंधे पर सर रखा हुआ था।
सचिन ने सोनिया का हाथ थामा हुआ था।

सोनिया धीरे से बोली, “जब तुम चले जाओगे, तब मेरा क्या होगा? ये तो फिर जंगली हो जाएगा।”

सचिन चुप रहा।
सोनिया ने उसे कुरेदा कि वो चुप क्यों है।

सचिन बोला, “घर से माँ का फोन आया था। उन्होंने कोई लड़की देखी है, जो उन्हें बहुत पसंद है।”
सोनिया ठिठक गई, बोली, “तुम शादी कर लो। जो मेरे नसीब में होगा, देखा जाएगा।”
सचिन चुप घूमता रहा।

फिर कुछ पल बाद धीरे से बोला, “मुझे तुम पसंद हो।”
सोनिया चौंककर बोली, “पागल हो क्या? मैं ठहरी शादीशुदा। तुम जवान हो, अच्छी नौकरी है। तुम्हें भला एक ब्याहता से शादी की क्या जरूरत?”
सचिन बोला, “कुछ भी हो, मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”

दोनों हाथ में हाथ डाले घूमते रहे।

अचानक सोनिया ने अपना हाथ छुड़ा लिया, बोली, “मुझे नीचे जाना है। तुमने मेरे लिए जो कुछ किया, उसका एहसान मैं नहीं उतार सकती। पर तुम अपने माँ-बाप की पसंद की लड़की से शादी कर लो। मैं तुम्हारी खुशी में रुकावट नहीं बन सकती।”

सचिन ने उसे बहुत रोका, पर वो नहीं रुकी और जाते-जाते उसने जीने की किवाड़ भी नीचे से बंद कर ली।

सचिन रातभर नहीं सो पाया, वो दिल से सोनिया से प्यार करने लगा था।

सोनिया में कोई कमी भी नहीं थी सिवाय इसके कि वो शादीशुदा थी।

सुबह 6 बजे करीब ओमी के जाने की आवाज़ आई।
सचिन का बदन बुखार से तप रहा था।
वो फ्रेश हुआ और अपने लिए चाय बनाने लगा।

तभी पीछे से सोनिया आई।
उसकी आँखें लाल थीं।
शायद वो भी रात को नहीं सोई थी।

उसने सचिन को चाय बनाते देखा, तो बोली, “रुको, मैं बनाती हूँ।”

सचिन बोला, “नहीं, तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए भी बना लेता हूँ। अब तो अपने आप बनाने की आदत डालनी ही होगी।”

सोनिया पास आ गई और उसके हाथ से चाय का बर्तन ले लिया।

जैसे ही सोनिया ने सचिन को छुआ, तो वो चौंककर बोली, “तुम्हारा बदन तो गर्म हो रहा है।”
फिर उसने सचिन के माथे पर हाथ रखा, तो सचिन तो तप रहा था।

सोनिया ने उसे बेड पर लिटाया, बोली, “चाय के साथ बिस्कुट ले लेना, फिर मैं दवाई देती हूँ।”

सोनिया चाय बनाकर ले आई और सचिन से सटकर ही बैठ गई।

दोनों चुप थे, बिना बोले दोनों ने चाय पीनी शुरू की।

सोनिया सचिन से लिपटकर रो पड़ी, बोली, “मेरी सोचो, मैं तो मर ही जाऊँगी। मर तो मैं पहले ही चुकी थी। पिछले एक हफ्ते में तुमने दोबारा जीने की उम्मीद पैदा कर दी। पर मैं इतनी सेल्फिश नहीं कि अपनी खुशी की खातिर तुम्हारी खुशियों से खेलूँ। कुछ भी हो जाए, तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है, तुम अपनी माँ की पसंद की लड़की से शादी कर लो। हाँ, जब तक शादी नहीं होती, तब तक तो हम एक-दूसरे के होकर रह ही सकते हैं। उसके बाद तुम्हारे प्यार के सहारे जी लूँगी।”

सोनिया कहते-कहते रुकी।

सचिन ने पूछा, “क्या हुआ?”
सोनिया बोली, “कुछ नहीं। अभी तुम आराम करो। मैं दवाई ला रही हूँ और फिर तुम्हारा सर दबा दूँगी। आज तुम ऑफिस मत जाना।”

सोनिया की दवाई से सचिन को नींद आ गई।
वो 11 बजे सोकर उठा।

उसने हेमा को आवाज़ दी तो सोनिया ही ऊपर आई और उसके माथे को चूमकर उसकी तबीयत पूछी।

सचिन ने कहा, “अब अच्छा महसूस कर रहा हूँ। भूख लगी है।”
सोनिया फटाफट नीचे से हल्का नाश्ता और दूध ले आई।

सचिन उसका सेवाभाव देखकर बहुत विचलित था।
उसको लग रहा था कि यही वो लड़की है, जो उसे खुश रख सकती है।

सचिन नहाकर फ्रेश हुआ और ऑफिस जाने के लिए तैयार हुआ।

सोनिया बहुत नाराज़ हुई और अधिकार से उसे ऑफिस नहीं जाने दिया, बोली, “मैं यहीं बैठती हूँ। तुम मुझे देखते रहो, तबीयत ठीक हो जाएगी।”

सचिन का बदन दर्द कर रहा था तो वो उसकी बात मानकर लेट गया।
सोनिया उसका सर और कमर सहलाने लगी।

सचिन को दोबारा नींद आ गई।
सोनिया भी वहीं कुर्सी पर बैठे-बैठे सो गई।

अब सचिन शाम को ही उठा।
अब वो बिल्कुल ठीक था।

नीचे शायद ओमी आ चुका था।
पर अब नीचे शांति थी।
सचिन मुस्कुरा दिया।

वो बाहर के जीने से नीचे उतरा और कोठी के अंदर आ गया।
सोनिया उसे देखकर चौंक गई।
उसने ओमी के कमरे की ओर इशारा किया।

सचिन सीधा उधर गया।

ओमी शराब पी रहा था, उसे देखकर वो हड़बड़ा कर खड़ा हुआ, “आपकी तबीयत कैसी है? मुझे बुला लेते, मैं आ जाता।”
सचिन ने हँसकर कहा, “तुम जीना चढ़ सकते हो इस हालत में? लाओ, मेरे लिए भी पेग बनाओ।”

पीछे से सोनिया की आवाज़ आई, “दिमाग ठिकाने नहीं है क्या?”
ओमी ने उसे झिड़का, “साहब से ऐसे बातें करते हैं।”

सचिन हँसकर बोला, “इन्हें हक है कुछ भी कहने का।”
फिर वो सोनिया से बोला, “चलो, दारू कैंसिल, तुम चाय बनाओ।”

ओमी पी नहीं रहा था उसके सामने।
सचिन ने कहा, “तुम पीते रहो, वरना जो पी है, उसका भी नशा उतर जाएगा।”
ओमी ने खींसें निपोर दीं और पेग एक घूँट में चढ़ा गया।

सचिन ने सोनिया को सुनाते हुए ओमी से कहा, “मैं घर जा रहा हूँ, एक-दो दिन में आऊँगा। पीछे कोई शिकायत तो नहीं आएगी।”
ओमी ने हाथ जोड़कर गर्दन हिला दी।

अलबत्ता सोनिया का चेहरा बुझ गया।

सचिन गाड़ी निकालकर जाने लगा तो सोनिया ने धीरे से कहा, “जल्दी आ जाइएगा।”
सचिन कुछ न बोला, बस फीकी मुस्कान से उसने कहा, “अपना खयाल रखना। ओमी कुछ परेशानी करे, तो मेरी बात करा देना। माँ बार-बार फोन करके बुला रही है।”

अगले दिन सोनिया के कई फोन आए।
वो बार-बार रिश्ते के बारे में पूछ रही थी।

एक बार तो सचिन ने उसकी अपनी माँ से बात भी करा दी।
सोनिया ने बहुत आदर से उनसे बात की और कहा कि वो रिश्ते में गाँठ लगा ही दें।

तीसरे दिन सचिन ने सोनिया को बताया कि रिश्ता तो लगभग तय ही था पर उसने लड़की को स्पष्ट कह दिया कि वो अभी शादी नहीं करना चाहता, कुछ रुकना चाहता है।

लड़की भी बहुत खुश हुई।
उसने कोई जॉब अभी शुरू ही किया था।
वो भी एक-दो साल अभी रूककर शादी के चक्कर में पड़ना चाहती थी।

तो दोनों ने आपसी सहमति से अपने-अपने घरवालों से कह दिया कि उन्हें रिश्ता मंजूर नहीं।
बात वहीं खत्म हो गई।

सोनिया सुनकर कुछ न बोली।

फिर उसने पूछा, “कब आ रहे हो?”
सचिन बोला, “क्यों पूछ रही हो?”
सोनिया पहले तो चुप रही, फिर खिखिलाकर हँसते हुए बोली, “याद आ रही है।”

सचिन अगले दिन सुबह आ गया था।
पर वो सीधा ऑफिस गया और रात को 8 बजे करीब वापस आया।

सब ओर शांति थी।
वो धीरे से जीने से ऊपर पहुँचा, जीने का गेट लॉक किया।

कमरे में आया, तो देखा कि उसका कमरा साफ किया हुआ था, बेड शीट बदली हुई थी और कमरे में खुशबू थी।

जीने में सोनिया की हल्की-सी आहट हुई।
सोनिया उसका खाना ले आई थी।

सचिन ने कहा भी, “भूख नहीं है.”
पर सोनिया ने जबरदस्ती उसे थोड़ा-बहुत खिला ही दिया।
उसने भी सचिन की प्लेट से ही खाना खाया।

अब सोनिया नीचे जाने लगी, तो सचिन ने उससे कहा, “आज रात तुम मेरे पास ही सो जाओ।”
सोनिया बोली, “दिमाग खराब है क्या? ओमी उठ गया, तो बवाल हो जाएगा।”

सचिन बोला, “बहुत बात करनी हैं, कुछ नहीं होगा, तुम आ जाओ। ओमी जागेगा, तो मैं संभाल लूँगा।”
सोनिया ने बहुत ही नटखट अंदाज़ में पूछा, “क्या बात करनी है जनाब को?”

सचिन ने कहा, “सारी बातें अभी समझाऊँगा, तो गड़बड़ हो जाएगी।”
सोनिया ने उसकी आँखों में बदमाशी देखी, तो वो बोली, “ठीक है, अभी थोड़ी देर में आती हूँ, पर जल्दी ही चली जाऊँगी। वैसे ओमी तो अब उठने से रहा। आजकल उसने ज्यादा पीनी शुरू कर दी है।”

सचिन को मालूम था कि सोनिया आएगी, आएगी तो सेक्स होगा ही।

वो शावर लेने गया और पता नहीं क्या सोचकर उसने अपने लंड पर अच्छे से तेल मालिश की।
उसने बाहर की सारी लाइट बंद कर दीं और कमरे में भी बहुत कम रोशनी करके AC चला लिया।

कुल मिलाकर रूम का माहौल बहुत रोमांटिक हो गया।

थोड़ी देर में जीने से सोनिया के आने की आहट हुई।

सोनिया कमरे का दरवाजा खोल अंदर आई और बोली, “आज तो मूड बनाकर रखा है।”
सचिन बोला, “मूड तो तुमने कमरे को महकाकर बना दिया, मैंने तो बस लाइट धीमी की है।”

सोनिया ने एक स्लीवलेस शॉर्ट मिडी पहनी थी। लगता है उसने अभी नेल पेंट किए होंगे, पेंट की खुशबू आ रही थी। रेड नेल पेंट से मैचिंग उसने रेड कलर की लिपस्टिक लगाई थी।

जब वो बेड के पास आई तो उसके बदन से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी।

सचिन ने हाथ बढ़ाया तो सोनिया ने हाथ थाम लिया।
उसे सचिन ने खींच लिया अपनी ओर … सोनिया सीधी उसकी गोद में जा गिरी।

सचिन ने उसे चूम लिया।
वह पैर फैलाए बेड पर बैठा था।

सोनिया उससे चिपटकर बैठ गई।
उसने अपनी एक टाँग सचिन की टाँग के ऊपर रख दी।
हल्की रोशनी में उसका जिस्म और हाथ-पैर के लाल रंग से रंगे नेल्स चमक रहे थे।

सोनिया के चेहरे पर Xxx लव सेक्स की शैतानी भरी मुस्कुराहट थी।
चेहरा उसका दमक रहा था।
उसकी करीबी ने सचिन को पागल बना दिया था।

सचिन का दिल उसके मन पर हावी हो चुका था।
उसने सोनिया को अपने से चिपटाते हुए कहा कि उसने घर पर माँ को कह दिया है कि अभी दो साल वो शादी का जिक्र न करें।

फिर सचिन ने सोनिया से कहा, “तुमने मेरे बारे में क्या सोचा?”
सोनिया बोली, “क्या बताऊँ? बात प्रैक्टिकल करो। ओमी मुझे नहीं छोड़ेगा। और न मैं ओमी को इस हालत में छोड़ सकती। अब वो हद से ज्यादा पीने लगा है। मुझे लगता है कि उसे कोई बीमारी भी हो गई है। बताता कुछ नहीं, पर तबीयत ठीक भी नहीं है। मैंने प्यार किया है उससे! और फिर ये सब गैरकानूनी होगा। तुम्हीं बताओ, कैसे मैनेज करोगे?”

फिर सोनिया बोली, “इसमें कोई शक नहीं कि मैं तुम्हें भी बहुत प्यार करने लगी हूँ। इसीलिए इस समय यहाँ हूँ।”
सचिन उससे लिपटते हुए बोला, “मुझे कुछ नहीं मालूम। मुझे बस तुम चाहिए हो।”
सोनिया बोली, “मैं तो हूँ तुम्हारे पास। कल की कल देखेंगे। आओ, अब मुझसे ये दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही।”

कह कर सोनिया सचिन के ऊपर चढ़कर बैठ गई और उसके सर को पकड़कर उसके होंठों को चूमने लगी।

सचिन उद्वेलित था।
इस समय उसे सेक्स से ज्यादा इस बात की परवाह थी कि कैसे भी सोनिया हाँ कह दे।

जब उसने कोई उत्तेजना नहीं दिखाई तो सोनिया ने पूछा, “आखिर क्या चाहते हो?”
सचिन बोला, “तुम्हें!”
सोनिया ने कहा, “मेरा जिस्म चाहते हो या मेरी खुशी?”

सचिन ने उसे कसके जकड़ लिया और बोला, “किसी भी हालत में तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ।”

सोनिया बोली, “तो इस समय मुझे भरपूर प्यार दो। मेरा वादा है कि हम जुदा नहीं होंगे।”
कहकर सोनिया ने हाथ ऊपर कर दिए।

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