चुदक्कड़ भतीजी की चुदाई

(Chudakkad Bhatiji Ki Chudai)

दोस्तो नमस्कार, मैं राज शर्मा एक बार फिर अपनी कहानियों को लेकर हाजिर हूं. अपनी मेरी पिछली कहानी
भाई की कुंवारी साली की चुदाई
पढ़ कर बहुत मेल किए उसके लिए धन्यवाद. मुझसे फेसबुक पर जुड़ने वाले दोस्तों का भी आभार. सभी गर्म आंटी भाभियों का इतना प्यार देने के लिए दिल से शुक्रिया.

आप सिर्फ एक कहानी समझ कर ही इसका आनन्द लें. इस कहानी को कुमार की जुबानी सुनिये.

मेरा नाम कुमार है उम्र 30 साल. ये कहानी मेरी व मेरे चचेरे भाई की बेटी के बीच की चुदाई की है. उसकी उम्र 19 साल है. वह दिखने में भी बहुत सुंदर थी. मस्त चूचियां, पतली कमर, गदराया बदन, गांड भी पीछे से बहुत ही सुन्दर. वो पूरी तरह चुदने लायक माल थी. मेरा उसे चोदने का पहले कोई ख्याल नहीं था, पर धीरे धीरे ख्याल बदलने लगा.

वो बार बार अपना फेसबुक आईडी बदलती रहती थी और मुझे हर बारी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती रहती थी.
मैंने उससे पूछा- ऐसा क्यों करती है?
वो बोली- लड़के बहुत परेशान करते हैं.
मैंने कहा- तू उनसे बात मत किया कर … क्यों बार बार आईडी बदलती है.
उसने ‘ठीक है..’ बोला.

फिर कुछ दिन बाद ही उसने नई आईडी से मुझे रिकवेस्ट भेजी. मुझे कुछ शक सा हुआ. मैंने उसके बारे में पता लगाया, तो मुझे पता चला कि जिसे मैं सीधी साधी समझता था, वो बहुत तेज हो गयी है. लड़कों के साथ बाइक में घूमती है. दिन भर लड़कों से फेसबुक पर चैट करती है.

मैंने भी एक फेक आईडी बनाई औऱ उसे रिक्वेस्ट भेजी. उसने एकसेप्ट कर ली. धीरे धीरे हमारी बातें होने लगीं. मैंने उसके बारे में पूछा, तो उसने सब गलत बताया. उसने मेरी पिक मेरे से मांगी मैंने अपने ऑफिस के एक लड़के की पिक भेज दी. उसे वो अच्छी लगी, तो उसने भी अपनी पिक भेज दी. मैंने उसकी बहुत तारीफ कर दी. तो वो मुझ से थोड़ा खुल गयी.

मैंने एक दिन उससे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा, तो उसने मना कर दिया. जबकि उसने पता नहीं कितने लड़के पटाये हुए थे.
मैंने पूछा- क्यों नहीं है?
उसने जवाब दिया- कोई मिला ही नहीं.
मैं- अब तो मैं मिल गया हूँ, तुम्हें मुझे बना लो.
तो वो बोली- सोचूंगी.

कुछ दिनों बाद वो मुझे अपना बॉयफ्रेंड बनाने को मान गयी. फिर हमारे मैसेज कुछ ज्यादा ही शुरू हो गए. धीरे धीरे मैं उसे नॉनवेज मैसेज भेजने लगा. वो भी नॉनवेज से ही जवाब देती.

एक दिन मैंने उससे पूछा- कभी किस किया है?
वो बोला- नहीं … नहीं किया अभी तक.
मैं- बॉयफ्रेंड से मजे लेने का मन नहीं करता कभी.
वो- करता तो है, पर तुम जो दूर हो.
मैं- पास आऊंगा तो जो भी करूँगा करने दोगी?
वो- आओ तो सही … फिर देखूंगी. बताओ वैसे करोगे क्या?
मैं- वो सब कुछ जो एक बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रैंड से करता है.

धीरे धीरे हम सेक्स चैट करने लगे. वो भी खुलने लगी. मैंने उसे अपने खड़े लंड की पिक भेजी. तो उसने भी जोश में अपनी चुचियों और चूत की पिक भेजी. चूत देखते ही लग गया था कि वो चुद चुकी है. पर साली शरीफ होने के नखरे दिखा रही थी. अब हम रोज ही सेक्स चैट करने लगे.

कुछ दिन बाद मैंने उससे कहा- अब सेक्स चैट बहुत कर लिया, अब ये सब कुछ मैं तुम्हारे साथ सचमुच में करना चाहता हूं. तुम्हारे होंठ चूमना चाहता हूं. चूचियां चूसना चाहता हूं. तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूं.. औऱ उसके बाद तुम्हारी चूत में अपना लंड डालकर तुम्हें जमकर चोदना चाहता हूं.
वो बोली- तो आ जाओ तुम्हारा ये लंड देखने के बाद मुझे भी इसे अपनी चूत में लेने को मन कर रहा है. तुम्हारे लंड की फ़ोटो देखकर रोज मैं अपनी चूत में उंगली करती हूं.

मैंने मन ही मन सोचा कि साली उंगली नहीं पूरा लंड खाती होगी लड़कों का.

मैंने उससे कहा- जब तक मैं ना आ जाता, तब तक तुम किसी औऱ से चुदवा कर मजे ले लो.
वो- किससे चुद लूँ … कोई है ही नहीं. वैसे भी पकड़े जाने का डर लगता है.
मैं- अरे किसी रिलेटिव से चुद लो. घर की बात घर में रहेगी. मैं भी अपनी भतीजी को चोदता हूं. तुम भी अपने किसी चाचा से चुदवा लो. कोई है नहीं क्या तुम्हारा चाचा, जो तुम्हें चोद सके.
वो- हैं तो.. पर वो मेरे से उम्र में बड़े हैं.
मैं- बड़ी उम्र वाले ही अच्छा चोदते हैं. हम उम्र वाले तो सिर्फ अपना मजा देखते हैं पार्टनर का नहीं. तुम बस उन्हें ज़रा भाव दो.. बाकी सब हो जाएगा.

इस तरह रोज मैं उसे अपने चाचा से चुदाई के लिये उकसाने लगा और हमारी बातचीत होती रही. अब वो भी मेरी बातें सुन सुन कर अपने चाचा से चुदने के बारे में सोचने लगी.

अगले महीने जब मैं घर गया तो मैंने गले लगाने के बहाने उसे जोर से बांहों में भर लिया. जिससे उसकी चूचियां मेरे सीने से दब गईं. एक अलग ही एहसास था. उसने भी कुछ नहीं कहा. हम कुछ देर इधर उधर की बातें करते रहे. फिर शाम के वक्त वो मेरे घर पर बैठने के लिए आई. मैं अपने कमरे में मूवी देख रहा था, तो वो भी वहीं आकर बैठ गयी.

मैंने टीवी की आवाज कम करके उसके हाल चाल जानने लगा. मैंने उसे बातों ही बातों में पूछा- अब तो तुम बड़ी हो गयी हो, कोई बॉयफ्रेंड बनाया या नहीं.
साली फिर झूठ बोल गई.

मैंने कहा- तो फिर बना लो, नहीं तो शादी के बाद पति को कैसे खुश रख पाओगी?
वो- उसके लिए बायफ्रेंड की क्या जरूरत है. जो चीजें जाननी हैं, वो आप सिखा देना.
वो भी मुझ पर लाइन मार रही थी.
मैं- ठीक है, समय आने पर तुझे सब सिखा दूँगा.

अगले दिन मुझे मार्केट जाना था और उसे भी कॉलेज जाना था. गांव में गाड़ियां तो कम ही मिलती हैं. मेन बस स्टैंड भी गांव से दूर ही था. हम दोनों पैदल ही बस स्टैंड तक साथ चलने लगे.

रास्ते में मैंने फिर बॉयफ्रेंड की बात छेड़ दी. अब वो खुलने लगी.
बोली- पहले एक था, पर अब नहीं है.
मैं- कभी मिले भी या नहीं?
वो- हां, एक दो बार मिले थे.
मैं- कुछ किया भी या नहीं?
वो- क्या करना था … घूमे फिरे औऱ वापस आ गए.
मैं- अरे किस किए या नहीं.. एक दूसरे को प्यार दिया या नहीं?
वो- अरे मैं ऐसी लड़की नहीं हूं. उसने किस मांगा तो था, पर मैंने मना कर दिया.
मैं- इसका मतलब तुझे कुछ नहीं आता. तुझे सब सिखाना पड़ेगा.
वो- हां सिखा देना.

इस तरह हम स्टैंड पहुंच गए. वो वहां से कॉलेज निकल गई औऱ मैं मार्केट.

कुछ घंटे में मेरा काम निपट गया.. तो मैंने उसे फोन किया- कहां हो?
उसने बताया- कॉलेज में.. आज क्लास थी ही नहीं, इसलिए मैं भी मार्केट आ गयी हूं.
मैं- चल ठीक है मेरे पास आ जा.. मिल कर घूमेंगे फिरेंगे, ऐश करेंगे.

वो मेरे पास आ गयी. मैंने उससे कहा कि घर फोन करके बता दे कि आज दो क्लास हैं और थोड़ी देर सहेली के साथ घूम कर शाम तक ही तू वापस आ पाएगी. फिर खूब मजे करेंगे आज मैं तुझे पार्टी दूँगा.
वो खुश हो गयी और घर लेट आने को बता दिया.

हम थोड़ी देर इधर उधर घूमे और उसे थोड़ा बहुत खिलाया पिलाया. थोड़ी देर में ही वो थक गई औऱ बोली- मैं थक गई हूं, चलो अब घर चलते हैं.
मैं बोला- इतनी धूप में कौन घर जाएगा. अभी दोपहर में तो गाड़ी भी नहीं मिलेगी शाम को वापसी में ही गाड़ी मिलेगी. थोड़ा देर आराम कर लेते हैं. फिर घूम लेंगे.

वो- पर आराम कहां करें इतनी धूप में?
मैं- तू चिंता क्यों करती है … मैं हूँ न. चल मेरे साथ.

मैं उसे पास के ही एक होटल में ले गया औऱ एक कमरा बुक करके हम दोनों रूम में आ गए.
वो बोली- यहाँ क्यों ले आए.
मैं- इतनी धूप में और कहां जाते. अभी हमने खाना भी खाया है थोड़ा देर सुस्ता लेते हैं. फिर यहां हमारी बातें सुनने वाला भी कोई नहीं है तो मैं तुझे शादी के बाद क्या क्या करना होता है, वो सब भी सिखा देता हूँ. फिर ऐसा मौका पता नहीं कब मिलेगा.

कुछ देर वो चुप रही फिर पलंग पर बैठ गयी.
मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसका हाथ अपनी हाथों में लेकर सहलाते हुए बोला- बोल सीखना चाहती है कि नहीं.

उसे भी लग ही गया था कि ये अच्छा मौका है चाचा से चुदने का तो उसने सर हिला कर हां कर दिया.

मैंने उससे कहा- देख सिखा तो मैं सब दूँगा, पर तुझे मेरा पूरा पूरा साथ देना होगा. दूसरा मुझ से झूठ मत बोलना. थोड़ी देर के लिए सोच ले कि मैं ही तेरा पति हूं. और बिल्कुल भी मत शरमाना. यहां तेरे और मेरे बीच में जो भी होगा वो न तो कभी किसी को बताएगी न मैं.
उसने फिर सिर हिलाया.

थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद मैंने उससे कहा- मान ले मैं ही तेरा पति हूं औऱ आज हमारी सुहागरात है. तू पलंग पर बैठी होगी औऱ तेरा पति तेरा पास आएगा और तेरा घूंघट उठाएगा, तेरा गाल चूमेगा. धीरे धीरे तुझे बांहों में लेकर तेरे होंठ चूमेगा. तू समझ रही है कि नहीं.
वो शरमा कर बोली- हां सब समझ रही हूं.
मैं- तू बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है.. रूक मैं तुझे करके बताता हूं.
वो- नहीं नहीं ऐसे ही बताओ न.

पता तो उसे भी था कि मैं उसे रूम में चोदने ही लाया हूँ. फिर भी उसने थोड़ा नखरा करना ही था.

मैं- तू कुछ नहीं समझ पा रही है, अब देख करके बताता हूँ सुहागरात में तेरा पति क्या क्या करेगा औऱ तुझे क्या करना है.
मैंने उसे अपने पास खींचा और उसके गालों पर किस कर दिया. फिर होंठों पर होंठ रखकर चूसने लगा. वो मुझे हटाने लगी.
मैं- हां वो ऐसा ही करेगा और तू ऐसे ही करना. अब सही सीख रही है तू.
मैं उसे बांहों में भरते हुए बोला.

फिर ऊपर से ही उसकी चूचियां मसलने लगा. पेट सहलाने लगा. कभी कभी जांघों में हाथ फिराने लगा. वो गरम होने लगी. जैसे ही मैंने इसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फिराया तो उसकी आह निकल गयी.

वो- आहहहह मत करो न.. कुछ अजीब सा हो रहा है.
मैं- हाँ हाँ … बिल्कुल सही जा रही हो. वो यही करेगा तुम्हें यही कहना है.
मैंने उसकी चुचियों को मसलते हुए चूत सहलाना जारी रखा. वो मेरा हाथ हटाने लगी.

मैं- देख, बिल्कुल भी शरमा मत, बस मजे ले. जब सही से सीखेगी नहीं तो सुहागरात कैसे मना पाएगी. सबके पति ऐसा ही करते हैं पहली रात को पति कैसे खुश किया जाता है. अब देख मैं तुझे बताता हूँ. बस जो मैं कर रहा हूँ मुझे करने दे, बीच में मत रोकना. समझ गयी न.

गरम तो वो हो ही गयी थी, तो उसने भी साथ देने में ही भलाई समझी.

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और एक एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए. उसने कोई विरोध नहीं किया, बस अपनी आंखें बंद कर लीं.

जिन चुचियों और चूत की फ़ोटो देख कर मैंने कितनी बार उसके नाम की मुठ मारी थी, वो आज बिल्कुल सामने देख लंड का तो हाल बेहाल था. मैंने उसकी चूत चाटी, वो तो पानी निकाल रही थी. फिर थोड़ी देर मैंने उसकी चूत चाटने के बाद उसकी चूत में एक उंगली डाली, तो वो जगह बनाते हुई अन्दर घुस गई.
उसकी आह निकल गयी.

मैंने उससे कहा- तुम तो सब कुछ सीखी हुई हो. फिर मुझ से झूठ क्यों बोला.
वो बोली- क्या मतलब?
मैं- मेरी जान, तू तो पहले ही सुहागरात मना चुकी है और किसी का लंड पहले भी खा चुकी है. बस ये बता दे कि पहला लंड किसका खाया था.
वो- नहीं … क्या कह रहे हो तुम. मैं तो अभी तक कुंवारी हूं.
मैं- जानेमन, अगर तू कुंवारी है तो दो दो उंगलियां तेरी चूत में कैसे जा रही हैं. मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में घुसाते हुए कहा.

वो सकपका गई क्योंकि उसकी चोरी पकड़ी गई थी.

मैंने चूत में उंगलिया घुमाते हुए बोला- बता भी दे अब किसका लंड लिया था.
वो- हां ये सच है कि एक दो बार मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे चोदा है.
मैं- कहां चुदवाकर आयी थी?
वो- उसने अपने रूम बुला कर चोदा था.
मैं- तो रानी मजा आया कि नहीं?
वो- कहां मजा आया.. मजा आया होता तो क्या आज यहां नंगी लेटी होती चुदवाने को … वो तो अपना काम कर मुझे ऐसे ही छोड़ देता था.
मैं- अच्छा तो तुझे भी पता था कि आज तुझे मुझसे चुदना है.
वो- मैं तो कब से आपसे चुदवाने के लिए मर रही थी. आज जाके ये मौका मिला है.
मैं- अच्छा जी आग दोनों तरफ लगी है. तो अब देख, मैं तुझे कैसा मजा देता हूँ.

यह कहकर मैंने भी फटाफट अपने कपड़े उतारे और नंगा होकर उसकी टांगों के बीच में आ गया और अपने खड़े लंड को उसकी चूत से रगड़ने लगा. उसकी चूत वासना की आग में जल रही थी और बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
मेरा लंड भी उसकी चूत रस से गीला होकर अपनी ही भतीजी की चूत में जाने को तैयार था.

थोड़ी देर चूत पर लंड रगड़ने के बाद वो अब लंड लेने को बेकाबू होने लगी. मैंने भी देर न करते हुऐ उससे पूछा- जान डाल दूँ अन्दर?
वो- हां.. कब से तड़प रही हूं लंड लेने को … अब डाल भी दो.
मैंने उसकी चूत पर लंड अच्छे से फिट किया और उसके मुँह पर एक हाथ रखा और एक जोरदार झटके के साथ एक ही बार में लंड उसकी चूत में उतार दिया. पर चूत थोड़ा टाइट थी तो आधा ही जा पाया. उसके चेहरे पर दर्द नजर आ रहा था. मैंने एक बार फिर लंड बाहर निकाला औऱ फिर दूसरे जोरदार झटके के साथ पूरा लंड अन्दर उतार दिया.

वो कराहने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मुझे ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी. पर मैंने झटके जारी रखे, फिर मैंने उसके मुँह से हाथ हटा दिया.

वो- चाचू जरा धीरे से अन्दर करते.. तुमने मेरी चूत फाड़ दी. मुझे दर्द हो रहा है.
मैं- अरे चुदी तो हो तुम पहले से ही. कुंवारी होती तो जरा ध्यान रखता.
वो- चाचू, दो ही बार तो चुदी हूं. कुछ तो रहम करते मेरे पर.
मैं- रानी चुदी तो तू बहुत बार लगती है. पर तेरी चूत फिर भी ठीक ठीक है. चोदने में मजा आ रहा है. चल अब दर्द नहीं होगा. चुदाई का मजा ले.

अपने से छोटी उम्र की लड़की की चूत चोदने में मेरा मजा भी बहुत बढ़ गया था. मैंने कभी उसकी टांगें कंधे में रखकर, कभी उसे कुतिया बना कर उसकी जोरदार चुदाई की. वो भी उछल उछल कर चुदाई के मजे ले रही थी.

बहुत दिनों बाद चुदने के कारण उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. पर उसे मजा भी बहुत आ रहा था. थोड़ी देर में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. पर मैंने चोदना जारी रखा.

वो- हो गया चाचू अब छोड़ दो मुझे. आपने तो मेरी चूत ही फाड़ डाली. अब सहन नहीं हो पा रहें हैं तुम्हारे झटके. मुझे जलन हो रही है.
मैं- ये बता मजा आया कि नहीं?
वो- मजा तो बहुत आया, पर अब जलन हो रही है, शायद मेरी चूत छिल गयी है. आपने मुझे बहुत बेदर्दी से रगड़ा है.
मैं- तेरी जैसी चूत मिलेगी तो कौन नहीं रगड़ेगा.. अभी तो मेरा हुआ ही नहीं है. पर चल पहले मैं तेरी जलन ठीक करता हूँ.

मैंने लंड उसकी चूत से निकाला और उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी. थोड़ी ही देर में वो फिर गरम होने लगी तो मैंने अपना लंड उसके आगे कर दिया.
मैं- चल जरा तू भी चूस दे इसे.
वो लंड देखकर चौक सी गयी.
मैं- क्या हुआ लंड नहीं देखा है क्या पहले कभी?
वो- देखा तो है पर आपका लंड कुछ जाना पहचाना सा लग रहा है.
मैं- अच्छा जी, मेरे लंड की फोटो बहुत सी लड़कियों के पास है, उसमें से एक तुम भी हो.

फिर मैंने उसे अपने फेसबुक अकाउंट के बारे में बता दिया. अब वो सारी कहानी समझ गयी कि आखिर लंड जाना पहचाना क्यों लगा.
वो बोली- मुझे चोदने के लिए तुमने बहुत बड़ा गेम खेला चाचू. अपनी ही भतीजी को फेक आईडी बना कर अपने लंड की पिक भेज दी.
मैं- तुम भी तो सबसे चुदती फिर रही थी.. और घर में इतनी अच्छी चूत बंट रही हो, तो उसे पाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा ना.
वो मुस्कुराई.

मैं- चल अब शिकवे गिले छोड़ और उस लंड को चूस भी ले, जिसे तूने फोटो में देख देख कर बहुत बार अपनी चूत में उंगली की है.

वो भी मजे से मेरा लंड चूसने लगी. थोड़ी देर चुसवाने के बाद मैंने उसे फिर से लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया. वो भी गरम हुई पड़ी थी, मैंने पूछा- अब चुदाई शुरू करूँ.
वो- हां, अब जलन व दर्द कम है. अब पेल दो अपना लंड मेरी चूत के अन्दर मेरे बॉयफ्रेंड.
यह कह कर वो मुस्कुराने लगी.
मैं- ओह्ह चाचू से सीधे बॉयफ्रेंड. चल ठीक है ले अब सम्हाल अपने बॉयफ्रेंड का लंड.

मैंने अब उसे पेलना शुरू किया, वो भी हर धक्के का भरपूर मजा ले रही थी. कुछ देर की जबरदस्त चुदाई के बाद वो फिर झड़ गयी. मेरा भी होने वाला था मैंने भी स्पीड बढ़ा दी. कमरा फच्च फच्च की आवाज से गूंज रहा था. उसने भी मुझे कस कर पकड़ लिया. मैंने भी अपना सारा जोश चार पांच पिचकारियों के साथ उसकी चूत में भर दिया.

उसकी चूत में अपना माल गिरा कर मुझे जो सुकून मिला, वो मैं बयान नहीं कर सकता. थोड़ी देर उसके ऊपर पड़े रहने के बाद मैंने लंड उसकी चूत के बाहर निकाल लिया. लंड बाहर निकालते ही उसका और मेरा रस उसकी चूत से बाहर आने लगा.

वो- चाचू के आपने क्या किया … अपना सारा माल अपनी भतीजी की चूत के अन्दर ही गिरा दिया. अगर कुछ हो गया तो. ऐसा तो उस लड़के ने भी नहीं किया था, उसने बाहर निकाल लिया था.
मैं- वो लड़का तो अंजान था, तेरा चाचू चुदाई का जानकार है. मैं सब सम्हाल लूंगा. तू बस ये बता जब मेरा माल तेरी चूत में गिर रहा था, तुझे ऐसा लगा कि नहीं कि गर्म गर्म कुछ चूत में जा रहा है औऱ जलती चूत को बहुत सुकून दे रहा है? तुझे मजा आया कि नहीं मेरे से चुदवाकर या चाचू के लंड के नीचे आकर भी प्यासी रह गयी?
वो- हां सही कहा आपने … मेरी चूत को सुकून तो बहुत मिला और आपसे चुदवाकर मजा भी बहुत आया. साली चूत की तीन बार पानी गिरवाकर सारी प्यास बुझा डाली. बड़ा मस्त चोदा है आपने मुझे.

मैं- चल फिर तू आज सब कुछ सीख गई. यही होता है शादी के बाद सुहागरात में.
वो- हां चाचू सिखाने के लिए धन्यवाद.
वो मेरे गले लग गयी और हँसने लगी.

फिर हमने थोड़ी देर नंगे रहकर ही आराम किया और थोड़ी देर बाद साथ में नहाये. वहां भी हमने एक राउण्ड चुदाई का खेला. रूम से जाते जाते भी एक बार मैंने उसकी चूत का एक बार बाजा बजा दिया. फिर हम रूम से बाहर निकल गए.

तीन बार की चुदाई के बाद उसकी हालत बहुत ख़राब थी. उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था. असल में असली चुदाई तो उसकी आज ही हुई थी. अपने से 11 साल छोटी भतीजी को चोदने में मेरे लंड को तो जो मजा आया था, वो कहना ही क्या. मैंने मार्केट से उसे दर्द की व गर्भनिरोधक दोनों दवा खिलाईं.

उसे उसका मनपसंद लंड खिलाने के बाद उसका मनपसंद खाना भी खिलाया. फिर दो जोड़ी नई ब्रा पेंटी गिफ्ट में दिलवाकर वापस हम घर की तरफ चल दिए. तब से लेकर अब तक जब भी हमें मौका मिला, हम चार बार औऱ चुदाई कर चुके हैं. देखो अब कब मौका मिलता है.

आपको मेरी कहानियां कैसी लगती हैं. आप अपने सुझाव व जवाब मुझे मेल या फेसबुक पर इसी आईडी पर दे सकते हैं.
आपके जबाव के इंतजार में आपका अपना राज.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top