मामा का लंड गांड में लेने की तमन्ना- 1

(Gand Ka Sex Kahani)

गांड का सेक्स कहानी में मैं मामा के साथ सेक्स के मामले में खुल चुका था. मैं उनके मोटे लम्बे लंड से गांड मरवाना चाहता था मगर वे सिर्फ मुझे लंड चूसने देते थे.

हैलो फ्रेंड्स, आपने मेरी और मेरे मामा जी के बीच हुई गे सेक्स कहानी
मामा के लंड संग जीवन के रंगीन पल
को पढ़ा था, उस कहानी का लिकं आपको दे रहा हूँ. प्लीज उसे जरूर पढ़ लें.

यह उसके आगे की गांड का सेक्स कहानी है.

मैं और मामा अब नीचे आ चुके थे.
घर पर उनके और मेरे अलावा कोई नहीं था.
मम्मी अभी मार्केट से नहीं लौटी थीं.

जैसा कि मम्मी मुझसे कह कर गई थीं कि तुम दोनों नाश्ता कर लेना, तो मैं सीधा किचन में चला गया.

मैंने मामा को डाइनिंग टेबल की एक कुर्सी पर बैठने के लिए कह दिया और खुद चाय बनाने में लग गया.

मैं चाय बना रहा था, तभी मामा किचन में आ गए.

मैंने उन्हें एक मुस्कान दी और अपने काम में लग गया.
मामा मेरे पीछे आकर खड़े हो गए.
शरारत करने में मेरे मामा पीछे नहीं थे मेरे पीछे खड़े होकर उन्होंने मेरे कान काटना शुरू कर दिया.

मीठे सुख से मेरी आंखें अपने आप बंद हो गईं.

धीरे-धीरे उन्होंने मेरे गले को चूमना शुरू कर दिया.
इतना प्यार मैंने पहले कभी नहीं पाया था.

जैसे-जैसे बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी, हम दोनों भी कामवासना से गर्म होते जा रहे थे.

मामा जी का लंड अब खड़ा होने लगा था.

जब मैंने नीचे मुड़कर देखा, तो उनकी पैंट में लंड का आकार साफ नजर आ रहा था.

वे धीरे-धीरे मेरी गांड को पीछे से अपने लंड से रगड़ रहे थे, अपने हाथों से मेरे दोनों निप्पलों को मींज रहे थे और गले को चूम रहे थे.

‘मेरी रानी, क्या बना रही हो?’ मामा ने शरारती अंदाज में पूछा.
‘वही जो आपको पसंद है … चाय.’ मैंने जवाब दिया.

‘बस … इतना ही?’ मामा ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘हां, तो और क्या चाहिए?’ मैंने पूछा.

मामा ने मुझे नीचे से अपने लंड से झटका दिया और हंसते हुए बोले- तुम्हारे पास देने को तो बहुत कुछ है मेरी जान!
‘अच्छा!’ मैंने हंसकर जवाब दिया.

‘ओके, माय बेबी, रोमांस बहुत हुआ, चलो चाय-नाश्ता करते हैं!’ मामा ने कहा.

मैंने उन्हें डाइनिंग टेबल के पास जाकर बैठने को कहा और चाय व नाश्ता वहां ले गया.

मामा और मैंने चाय पी और नाश्ता करने लगे.
मैं बस उन्हें ही देख रहा था.

‘ऐसे क्या देख रहे हो?’ मामा ने पूछा.
‘कुछ नहीं.’ मैंने जवाब दिया.

तभी मैंने जानबूझ कर अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे चला गया.

मैंने चम्मच को उनके पैरों के पास गिराया था, ताकि मुझे टेबल के नीचे जाना पड़े.

घुटनों के बल सरकते हुए मैं अपनी मंजिल के करीब जा रहा था.
मेरी नजर वहां पड़ी, जहां मैंने सुबह पेट भरकर रसपान किया था.

उसमें एक अलग ही चुंबकीय आकर्षण था.
मैं अपने आप उसकी ओर खिंचता चला गया.

मैंने धीरे से उनकी पैंट की जिप खोली और लंड को बाहर निकाला.
उनके मुँह में निवाला अटक गया था.
वे बस नीचे मुझे देख रहे थे.

कुछ कहने से पहले ही मैंने उनका लंड अपने मुँह में भर लिया.
लंड अभी सोया हुआ था पर काफी वजनदार लग रहा था.

मामा के मुँह से मदभरी सिसकारियां निकलने लगीं.
मैं बस उनके लंड को उसके सही आकार में लाने का काम कर रहा था.

‘आह समीर मेरी जान … आह रुक जा … प्लीज हम नीचे हैं, कोई आ जाएगा!’
मामा ने घबराते हुए कहा.

मैं बस उनके लौड़े को चूसता रहा.
फिर मैंने जोर-जोर से अपना मुँह चलाना शुरू कर दिया.

उनकी हालत अब खराब होने लगी थी. वे जोर-जोर से हिल रहे थे.

मैं इतनी जोर जोर से चूस रहा था कि उनके पसीने छूटने लगे थे.
‘आआहह … आआह हह … ओह्ह् येस्स्स … म्म्म्म!’

मामा के मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं.
पिछले पंद्रह मिनट से मैं बस चूस ही रहा था और उनका मादक संगीत मुझे और उत्तेजित कर रहा था.

उनका बड़ा हो चुका लंड अब मेरे मुँह में आधे से भी कम जा पा रहा था.
फिर भी उनकी हालत बद से बदतर हो चली थी क्योंकि मेरी लंड चूसने की स्पीड बहुत तेज थी … इतनी तेज कि उन्हें मचलता देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था.
पर वे इतने सख्त थे कि इसके बावजूद उनका पानी नहीं निकल रहा था.

उनके प्रीकम का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मैं बस उनकी आंखें बंद देखते हुए उनके लंड को मस्ती से चूसता जा रहा था.

फिर उन्होंने हल्का सा ‘आआहह’ किया, अपने होंठों को दाँतों तले दबाया … एक मादक-सी मुस्कान दी, आंखें बंद कीं और ‘म्म्म्म … म्म्म्म …’ करते रहे.

शायद वे अब झड़ने वाले थे.
उनके चेहरे के हाव-भाव से साफ पता चल रहा था कि वे अब स्खलन के करीब आ गए थे.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से लंड चूसने लगा.
उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और उसे अपने लंड पर जोर से हिला रहे थे.

उनकी आवाजें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं.
शायद वे अब झड़ने ही वाले थे … उसी वक्त मैं रुक गया.
मैंने अपने मुँह से लंड निकाल लिया.

मामा ने मेरे सिर को पकड़ा और लंड को फिर से मेरे मुँह में देने की कोशिश की.
लेकिन मैं पीछे हट गया.

‘क्या हुआ … जान? लो ना … मुझसे अब रहा नहीं जाता … जल्दी से ले लो!’ मामा तड़पते हुए बोले.

मैंने उन्हें इतने करीब लाकर छोड़ दिया था.
वे यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे.

मैंने उन्हें इतना तड़पते हुए पहले कभी नहीं देखा था. उनकी हालत खराब हो रही थी.
फिर मैंने सोचा कि उन्हें पूरा मजा दे ही दूँ.

मैंने उनके लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा.
उन्होंने आंखें बंद कर लीं.

फिर मैंने उनके लौड़े को दबाया, तो उनकी ‘आह’ निकल गई.
मैंने उसे चूमा और लंड के बड़े से टोपे को, जो नींबू जितना बड़ा था … अपने मुँह में भरकर गोल-गोल घुमाकर चूसा.

ऐसा करने से जैसे उनके शरीर में करंट दौड़ गया और वे जोर से उछल पड़े.

मैंने लंड को फिर से छोड़ दिया और उसे उनकी पैंट में डाल दिया.

वे मेरी इस नई हरकत को समझने की कोशिश कर रहे थे.
उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था.

‘तुम क्या कर रहे हो? प्लीज, मेरी हालत खराब हो रही है इसे ऐसे मत तड़पाओ प्लीज!’
मामा ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

मैंने मामा की तरफ देखा और उन्हें एक मुस्कान दी.
फिर उनके लंड को पैंट में कैद करके, उसे उसी हालत में तड़पता छोड़ कर, अपनी चेयर पर बैठ गया.

‘तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? कुछ बोलते क्यों नहीं?’ मामा ने पूछा.
मैं अपनी चेयर से उठा और उनकी गोद में जाकर बैठ गया.

उनका खड़ा लंड मुझे चुभ रहा था.

मैंने उस पर अपनी गांड रगड़ी और कहा- आपको पूरा मजा चाहिए?
‘हां, मेरी जान!’ मामा ने मुझे चूमते हुए जवाब दिया.

‘तो मुझे अपने साथ रोक लो.’ मैंने कहा.
‘तुम तो मेरे ही साथ हो ना!’ मामा बोले.

‘मैंने सुबह कहा था ना कि पापा मुझे अपने साथ ले जाने वाले हैं.’ मैंने याद दिलाया.
‘मैंने भी तो हां कहा था ना, जान तो फिर ऐसा क्यों तड़पा रहे हो?’ मामा ने कहा.
‘ताकि आप भूल ना जाओ!’ मैंने जवाब दिया.

मैंने उनकी तरफ देखा.
उनकी आंखों में मेरी तस्वीर साफ नजर आ रही थी.

मैं अभी भी उनके खड़े लंड पर बैठा था, जो काफी कड़क था.

मैंने धीरे से उनके होंठों को चूसना शुरू किया.
मैं बस उनके रस को चूस रहा था.
हम दोनों एक-दूसरे को चूम रहे थे.

‘पापा अभी आने वाले होंगे, तो अब सब नॉर्मल करना होगा. आप अपने लंड को बैठने को कहो अगर आप आज मुझे उनके साथ जाने से रोक पाए, तो ठीक है. उनके जाने के बाद आप सीधे बाथरूम में जाना और मेरा इंतजार करना. तो डील पक्की समझूँ?’ मैंने शरारती अंदाज में कहा.

मामा ने मुझे चूमते हुए कहा- हां, मेरी रानी … जितना तड़पाया है ना, उससे दुगना वसूल करूँगा … बस यह याद रखना!

‘पहले रोककर तो दिखाएं!’ मैंने शरारती अंदाज में जवाब दिया.
मामा ने मुझे नीचे उतारते हुए कहा- जान, अब तुम नाश्ता कर लो और आगे का मुझ पर छोड़ दो. तुम अपनी डील याद रखना!’
‘जी जनाब.’ मैंने हंसते हुए कहा.

मैं अपनी चेयर पर आकर बैठ गया और फिर हम दोनों नाश्ता करने लगे.

मैंने नीचे से अपने पैर उठाए और सीधे उनके लंड पर रख दिए और पैरों से उन्हें तंग करने लगा.

‘क्यों तड़पा रहे हो? डील याद है मुझे!’ मामा ने तड़पते हुए कहा.
‘इस पर मेरा हक है, ऐसा आपने ही कहा था … फिर मेरी मर्जी, जो चाहूँ वह करूँ!’ मैंने जवाब दिया.

‘क्या मुसीबत है यार .. तेरे पापा कब आएंगे?’ मामा ने झुंझलाते हुए पूछा.

उन्हें छेड़ने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
जैसे-जैसे मैं अपने पैर हिलाता, वे पहले से ही हिल चुके थे, तो उन्हें अजीब झटके लग रहे थे.

उन्हें तड़पता देख मुझे हंसी आ जाती थी.
आखिरकार उन्होंने मुझसे रिक्वेस्ट की- प्लीज … मुझे थोड़ा आराम दे दो … अब और मत छेड़!

मुझे भी उन पर दया आ गई और मैंने अपने पैर हटा लिए. उन्होंने राहत की साँस ली.

‘मामा … एक बात बताइए, आपका इतना बड़ा क्यों है?’ मैंने उत्सुकता से पूछा.
‘मैं जिम जाता हूँ, कसरत करता हूँ, हेल्दी खाना खाता हूँ और उसकी अच्छे से मसाज करता हूँ. शायद इस वजह से!’
मामा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.

‘आपने कभी वह वाला सेक्स किया है, जैसा ब्लू फिल्म में होता है?’ मैंने पूछा.
‘हां कई बार!’ मामा ने आत्मविश्वास से कहा.

‘किसके साथ?’ मैंने उत्साह से पूछा.
‘लड़की, लड़के बहुत हैं … गिनना मुश्किल है!’ मामा ने हंसते हुए जवाब दिया.

‘इतने सारे लड़के-लड़कियां आपको कहां मिले?’ मैंने हैरानी से पूछा.
‘मुझे ढूँढने की जरूरत नहीं पड़ती, वे खुद मेरे पास आ जाते हैं … और मैं उनकी प्यास बुझा देता हूँ.’ मामा ने शरारती अंदाज में कहा.

‘तो आप मेरे साथ सेक्स क्यों नहीं करते?’ मैंने पूछा.
‘जानू, तुम मेरा सह नहीं पाओगे!’ मामा ने गंभीरता से जवाब दिया.

‘उनके साथ तो किया ही था ना … उन्होंने भी तो पूरा लिया था अन्दर … तो क्या मैं नहीं ले सकता? मैंने नाराजगी से कहा.
मैं रूठ गया और मुँह नीचे करके बैठ गया.

मामा उठे, मेरे पास वाली चेयर पर आकर बैठ गए.
उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों से ऊपर उठाया.

वे मेरी आंखों में आंखें डालकर बोले- जान, उनके साथ मुझे किसी बात की फिक्र नहीं थी. वे चिल्लाते, तो मैं और जोर से करता क्योंकि मुझे सिर्फ उनकी हवस मिटानी थी. पर तू मेरी जान है. पता नहीं क्यों, पर जब से तुझसे मिला हूँ, तुझे दर्द से तड़पता हुआ मैं नहीं देख सकता. मेरा बड़ा लंड तुम झेल नहीं पाओगे. तुम अभी कुंवारे हो, तुम्हारा छेद बहुत टाइट है. तुम्हें बहुत तकलीफ होगी. इसलिए इसे रहने दे!

‘तो क्या मैं वह सब कभी नहीं सीखूँगा?’ और वह मजा, जो दर्द में भी लोग लेते हैं, मैं कभी नहीं ले पाऊंगा?’ मैंने उदासी से पूछा.

‘ना … ना … मेरी जान तुम्हें तो मैं दुनिया की सारी खुशियां दूँगा. पर उसके लिए तुम्हें पहले तैयार भी तो करना होगा. मैं तुम्हें इस तरह तैयार करूँगा कि जब चाहो, मेरा लंड अपने अन्दर करके तुम मजा ले सको!’ मामा ने प्यार से कहा.

‘आप मुझे इतना प्यार क्यों करते हैं?’ मैंने पूछा.
‘पता नहीं, पर तुम्हें छोड़ने का मन नहीं करता. बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहता हूँ, घूमना चाहता हूँ, अपनी रातें बिताना चाहता हूँ, तुमसे मोहब्बत करना चाहता हूँ!’ मामा ने गहरी भावनाओं के साथ कहा.

‘बस, बस.’ मैंने हंसते हुए कहा.
मामा ने मेरी नजरों में देखा और बोले- आई लव यू, समीर!
‘आई लव यू टू.’ मैंने जवाब दिया.

फिर हम दोनों ने नाश्ता किया और सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगे.

टीवी के सामने सोफे पर मैं मामा की गोद में बैठा हुआ था.
मैं उनके लंड से खेल रहा था, उस पर धीरे-धीरे कूद रहा था.

मुझे और मामा को बहुत मजा आ रहा था.
वे मेरे निपल्स को सहला रहे थे और मेरी गर्दन को अपने होंठों से चूम रहे थे.

उनकी धड़कनें मुझे साफ-साफ सुनाई दे रही थीं.
उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और उसे अपने लंड पर घिसने लगे.

वे फिर से हॉर्नी होने लगे थे.
मुझे भी अब उनके लंड पर कूदना अच्छा लग रहा था.

वे करते भी क्या?
उनका हाल तो बेहाल हो चुका था.

मैंने उनके लंड को इतना छेड़ा था कि वे बस मुझे किसी भी तरह चोदना चाहते थे.
पर अफसोस की बात, वह मेरी गांड नहीं, मेरा मुँह चोदना चाहते थे.

उनके लंड और मेरी गांड के बीच सिर्फ हमारी पैंट का कपड़ा था.
मैं बस यही सोच रहा था कि कब वह कपड़ा हट जाए और उनका लंड मेरी गांड के अन्दर घुस जाए.

लंड लेने की इच्छा मेरी इतनी बढ़ रही थी कि मैं अपने आपे से बाहर हो रहा था.

जिन-जिन लड़कों और लड़कियों को मामा ने चोदा था, वे आज भी उनसे चुदवाने के लिए बेकरार रहते थे.

मुझे अब समझ आ रहा था कि वे सब ऐसा क्यों करते थे.
इतना अच्छा, बड़ा, मोटा और सुंदर लंड किसी के पास हो, तो कोई भी अपनी पैंट खोलकर उसे अन्दर लेने की इच्छा जता सकता है … और मैं भी उनमें से एक था.

हालांकि, उन सबकी हालत से मेरी स्थिति कुछ अलग थी.
उन सबको जब चाहे, तब मामा अपना लंड दे देते थे … लेकिन मुझे दर्द न हो, इस वजह से वे मुझे अपने लंड से नहीं चोद रहे थे.

पर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं अभी भी उनके लंड पर अपनी गांड घिस रहा था.

तभी दरवाजे के खुलने की आवाज आई और मैं जल्दी से मामा की गोद से उठकर बाजू में बैठ गया.

उन्होंने अंडरवियर नहीं पहना था, इस वजह से उनका मोटा लंड पैंट से झलक रहा था.
उन्होंने अपनी शर्ट से उसे छिपा लिया.

मां और पापा आ चुके थे.
उन्होंने आने के बाद हमसे बातें की.

पापा ने भी चाय पी और अपने रूम में चले गए.
जाते वक्त उन्होंने मुझे तैयार होने को कहा.

मैंने मां की तरफ देखा और फिर मामा की पैंट की तरफ.
मामा ने मेरा इशारा समझ लिया.

दोस्तो, इस गांड का सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको अपने मामा जी के साथ हुई गे सेक्स कहानी को आगे लिखूँगा.
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गांड का सेक्स कहानी का अगला भाग:

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