मामी की बिमारी

(Mami Ki Bimari)

हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम राजवीर संगवान है, मेरी उम्र लगभग 28 साल है और मैं अपने आप को ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर ना लिखूँ तो मैं एक साधारण सा दिखने वाला इंसान हूँ और मैं पानीपत हरियाणा का रहने वाला हूँ।

मैं अन्तर्वासना का लगभग 8 साल पुराना पाठक हूँ, बहुत दिनों तक सोचने के बाद आज मैं आपके सामने अपना एक निजी अनुभव लेकर आया हूँ, यह कहानी मेरी प्यारी सी मामी और मेरी है।

मेरी मामी और मेरी उम्र में लगभग चार साल का अंतर है, वो जींद में मेरे मामा और अपने दो बच्चों के साथ रहती है। वो हर तरह से परिपूर्ण शरीर की मालकिन है जिसे देख कर कोई भी उसे चोदना चाहेगा परन्तु मेरे मामा एक शराबी इंसान हैं जिस कारण वो मेरी मामी को शारीरिक सुख नहीं दे पाते थे, जो मुझे बाद में पता लगा था। मैं अपनी मामी को शुरू से ही अच्छा लगता था और मुझे मेरी मामी, परन्तु हम दोनों का एक दूसरे को पसंद करने का नज़रिया बिल्कुल अलग था।

हम एक दूसरे से फोन पर बहुत बात करते थे मैं उनसे दो अर्थों वाली बात कह देता था, जिन्हें मेरी मामी हल्का हल्का नज़र अंदाज़ कर देती थी। ऐसे ही बातों का दौर लगभग तीन साल तक चला।

एक बार मैंने वैसे ही उनके पास फोन किया तो मामी रोने लगी और कहने लगी- मैं बीमार हूँ और तेरे मामा कई दिन से काम के सिलसिले में घर से बाहर गए हुए हैं।
तो मैंने कहा- मैं कल आ जाता हूँ !
तो वो कहने लगी- आना ही है तो आज शाम को आओ ! वरना कल तो मैं अपने मायके जा रही हूँ।

मैं उसी शाम को लगभग सात बजे तक वहाँ पहुँच गया। हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे।

वो कहने लगी- तू दूसरे कमरे में आराम कर, तब तक मैं बच्चों को सुला कर आती हूँ, फिर आराम से बात करेंगे।

वो मेरे पास लगभग नौ बजे आई, फिर हम बात करने लगे..

बातों ही बातों में वो कहने लगी- मेरे दो बच्चे हो गए है परन्तु मुझे आज तक अच्छी तरह शारीरिक सुख नहीं मिला।

यह सुनते ही मेरी आँखों में चमक आ गई और मन में सोचा कि बेटा राजबीर आज तेरी लाटरी निकलने वाली है, और मैंने कहा- मैं जैसा भी हूँ आपके लिए हर समय हर काम के लिए तैयार हूँ !

और यह कहते हुए उनकी जांघ पर हाथ रख दिया।

इस पर वो थोड़ा शरमाई परन्तु मेरा हाथ नहीं हटाया उल्टा मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया। मैं इसे हरी बत्ती समझ कर उनकी जांघ को सहलाने लगा और उनके साँस की तेज़ी मुझे महसूस होने लगी।

मामी ना मुझे रोक रही थी और ना ही आगे बढ़ रही थी तो मैंने ही उनको थोड़ा जोर देकर लेटा दिया और उनके बगल लेट कर उनको चूमने लगा और सूट के ऊपर से ही उनके लगभग 38′ के बूब्स दबाने लगा।

इस पर मामी आह-आह करने लगी और धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी। फिर मैं अपना एक हाथ उनकी सलवार की ओर ले गया और उनका नाड़ा खोलते हुए उनकी चूत पर फ़ेरने लगा और उनको धीरे धीरे गरम करने लगा।

धीरे धीरे हम दोनों ने एक दूसरे को कपड़ों के बंधनों से मुक्त कर दिया। मामी को इस रूप में देख कर मैं पागल सा हो गया और उनको ऊपर से लेकर नीचे तक चूमने लगा और फिर मैं धीरे धीरे उनकी चूत पर जीभ फ़िराने लगा। इस पर वो सिसकारियाँ लेने लगी और कहने लगी- तेरे मामा ने आज तक मेरे साथ ऐसे नहीं किया।

मैंने कहा- देखती जाओ मामी, आज आपको आज क्या क्या नए अनुभव करवाता हूँ।

और फिर से उनकी चूत चाटने लग गया। लगभग 15 मिनट चूत चाटने के बाद मामी ने अपना नमकीन पानी छोड़ दिया, मैंने कुछ चाट लिया और कुछ छोड़ दिया। अब मैंने मामी को अपना चूसने के लिए कहा तो मामी ने मना का दिया और ज्यादा जोर मैंने नहीं दिया।

मैं दोबारा से शुरू हो गया, उनके होंठों से शुरू कर उनके बूब्स से होते हुए मैं उनके पेट को चूमते हुए लगभग 10 मिनट में वापस चूत तक पहुँचा ही था कि मामी बोली- राजबीर, अब और नहीं सहा जाता, अब तो चोद दे !

तो मैंने भी इसी में अपनी भलाई समझी क्योंकि मेरा लंड भी तनाव में फटने को हो रहा था, और मामी को सीधा लेटा कर उनकी चूत पर अपना लंड फिराना चालू किया तो मामी बोली की- अब मानेगा नहीं? डाल भी दे !

और मैंने उनकी चूत पर थोड़ा थूक लगा कर अपना लंड लगा कर दबाव बनाया तो वो थोड़ा सा अंदर ही गया तो मामी उई-ऊई करने लगी और बोली- आराम से कर ! आज चार महीने इसे लंड नसीब हो रहा है।

और मैंने उनकी ना सुनते हुए लगातार तीन चार जोरदार झटके मारते हुए लंड जड़ तक उनकी चूत में डाल दिया। उनके चेहरे पर हल्के हल्के दर्द और आनन्द का मिलाजुला असर साफ़ नज़र आ रहा था।

और फिर मैं झटके पर झटके लगाने शुरू हो गया। लगभग 5 मिनट बाद मामी ने भी नीचे से झटके और अलग अलग तरह की आवाजें निकालनी शुरू कर दी। मैंने उन्हें लगभग 20 मिनट तक लगभग तीन चार आसनो में चोदा और अंत में जब मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- कहाँ छोड़ूँ?

इस पर वो कुछ ज्यादा ना कह कर सिर्फ यह कहा- लगे रहो ! मज़ा आ रहा है !

और मैं भी लगा रहा, लगभग 2 मिनट बाद मैंने उनकी चूत में ही पिचकारी छोड़ दी और मेरे साथ ही उनकी चूत ने भी कामरस का त्याग कर दिया। और मैं उनके मखमली बदन पर ही लेट गया फिर आधे घंटे के बाद वो दोबारा से मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मुस्कारने लगी और फिर दोबारा से वही खेल चला।

इस तरह उस रात मैंने अपनी मामी को तीन बार चोदा परन्तु उन्होंने एक बार भी मेरा लंड अपने मुँह में नहीं लिया जो इस कामक्रिया का मेरा प्रिय खेल है।

फिर सुबह मैं उन्हें लेकर उनके मायके छोड़ कर आया। उसके बाद मैंने लगभग 10-15 बार उन्हें चोदा। मेरी उनसे आज भी फोन पर बाते होती है और मौका मिलते ही मैं उनको चोदने के लिए उनके घर पहुँच जाता हूँ।

मेरी यह कहानी प्रकाशित होने के बाद आप सबकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद बताऊँगा कि कैसे मेरी मामी की सहेली ने एक सीधे-सादे इस देसी लड़के को एक प्रोफेशनल चोदू बनाया।

आपको मेरी यह घटना कैसी लगी, इसका मुझे मेरी इस मेल आई डी पर इंतज़ार रहेगा।
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