मौसी के घर मस्ती

अजय 2007-09-25 Comments

प्रेषक : अजय

बात यह हुई कि एक साल पहले मेरी मौसी ने मुझे अपने गाँव बुलाया था, वहाँ मैं पंद्रह दिन रहा। इस दरमियाँ मैने उनकी बेटी माधवी को कस कर चोदा, मेरी यह पहली चुदाई थी। हम दोनों ने एक दूजे से वचन लिया था कि चुदाई का राज़ हम किसी से नहीं कहेंगे।

लेकिन माधवी ने अपना वचन तोड़ दिया। दो महीने बाद मेरी बहन रिया को मौसी के घर जाना हुआ, माधवी ने कुछ व्रत रखा था। उस वक़्त माधवी ने रिया से बता दिया कि कैसे हमने चुदाई की थी। जब रिया वापस आई तब ख़ुद चुदवाने के लिए बेताब हो चुकी थी। ‘छोटी बहन को चोदा’ कहानी में आपने पढ़ा कि कैसे रिया ने मुझ से चुदवाया।

अब मैं मूल कहानी पर आता हूँ एक साल पहले गर्मी की छुट्टियों के दौरान मौसी ने मुझे अपने गाँव बुला लिया। मैं वहाँ पहुँचा तब पता चला कि मौसा बिज़नेस के काम से मुंबई गये हुए थे और परीक्षा के कारण परेश दो सप्ताह बाद आने वाला था। माधवी की परिक्षाएँ ख़त्म हो गई थी इसलिए वो आ गई थी। मैं थोड़ा नाराज़ हुआ लेकिन क्या कर सकता था ? माधवी और मौसी मुझे मिल कर बहुत ख़ुश हुए।

मेरे ये मौसा बिहारी लाल और मौसी भानुमति कई बरस पहले ईस्ट अफ़्रीका गये थे, वहाँ उन्होंने बहुत पैसे कमाए। परेश और माधवी वहाँ जन्मे और बड़े हुए।

तीन साल पहले मौसा को अचानक वापस भारत लौटना पड़ा। आते ही अपने गाँव में चार मंजिला बड़ा मकान बनवाया। मुंबई में रहते उनके एक दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने काग़ज़ का होलसेल बिज़नेस खड़ा कर दिया।

इनके अलावा गाँव में मौसा का एक भतीजा था गंगाधर जिसे मैं जानता था। गंगाधर की पत्नी कैलाश भाभी को भी मैं पहचानता था। वो दोनो भी मुझसे मिल कर ख़ुश हुए।

पहले ही दिन शाम का खाना खाया ही था कि गंगाधर और कैलाश भाभी मुझ से मिलने आए। हम चारों दूसरी मंज़िल पर दीवानखाने में बैठ इधर उधर की बातें करने लगे।

कैलाश : मन्मथ भैया, आप तो हमारे परेश भैया जैसे ही देवर हैं, मुझे भाभी कहना।

मैं : ठीक है भाभी।

कैलाश : आप डाक्टरी पढ़ते हैं ना ? कितने ? पाँच साल में डाक्टर बन जाएँगे ?

मैं :हाँ, बीच में फ़ेल ना हो जाऊँ तो !

कैलाश : मैं आपकी पहली मरीज़ बनूँगी, मेरा इलाज करेंगे ना ?

मैं : क्यूं नहीं ? फ़ीस लगेगी लेकिन !

कैलाश : देवर होकर भाभी से फ़ीस लेंगे आप ? मैं तो आपसे फ़ीस मागूंगी !

मैं : ऐसी कौन सी बीमारी है जिसके इलाज में फ़ीस लेने के बजाय डाक्टर फ़ीस देता है ?

माधवी और गंगाधर मुस्कुराते रहे थे।

माधवी बोली : भाभी, तेरा इलाज के वास्ते मन्मथ भैया को पूरा क्वालीफ़ाइड डाक्टर बनाने की ज़रूरत कहाँ है ? पूछ कर देख, उनके पास इन्जेक्शन है ?

मैं : इन्जेक्शन देना मैं सीख गया हूँ ! दे सकूंगा !

माधवी और कैलाश दोनों खिलखिला कर हंस पड़े, गंगाधर बोले : मज़ाक कर रही हैं ये दोनों, मन्मथ, इनकी बातों में मत आना !

मैं : कोई बात नहीं, मेरी भाभी जो बनी है ! हाँ, अब बताइए आपको क्या तकलीफ़ है?

कैलाश : साब, खाना खाने के बाद भूख नहीं लगती और दिन भर नींद नहीं आती।

माधवी लंबा मुँह किए बोली : हर रोज़ इन्जेक्शन लेती है फिर भी? और इन्जेक्शन भी कैसा ? बड़ी लंबी मोटी सुई वाला ! लगाने में आधा घंटा लगता है !

मेरे दिमाग़ में अब बत्ती चमकी, मैने पूछा : सुई कैसी है ? नोकदार या ?

माधवी : गोल खुण्डी ! और दवाई ऐसे अंदर से नहीं निकलती ! सुई अंदर-बाहर करनी पड़ती है !

मैंने भी सीरीयस मुँह बना कर कहा : माधवी, इन्जेक्शन देने वाला कोई, लेने वाली भाभी, तुझे कैसे पता चला कि सुई कैसी है? कितनी लंबी है? कितनी मोटी है?

माधवी शरमा गई, कुछ बोली नहीं।

कैलाश ने कहा : माधवी इन्जेक्शन ले चुकी है !

मैं : अच्छा ? किसने लगाया ?

सब चुप हो गये थोड़ी देर बाद कैलाश ने कहा : माधवी ख़ुद आपको बताएगी, जब उसका दिल करेगा तब !

मैं : मैं समझ सकता हूँ !

शरमाने की अब मेरी बारी थी, मैं कुछ बोला नहीं।

कैलाश : हाय हाय, अभी आप कच्चे कंवारे हैं ! माधवी, कौन स्वाद चखाएगी मन्मथ भैया को? मैं या तू ?

गंगा : तुम दोनो छोड़ो उसे ! उसे तय करने दो ना ! क्यूँ मन्मथ ? कैलाश तेईस साल की है और माधवी उन्नीस की ! कौन पसंद है तुझे ?

मैं : मुझे तो दोनों पसंद हैं !

गंगा : देख, तेरे पास एक लंड है है ना ? वो एक समय एक चूत में जा सकता है दो में नहीं ! तुझे तय करना होगा ! समझ गया ना ?

इस वक़्त माधवी उठ कर चली गई।

मैंने कहा : रुठ गई क्या ?

कैलाश : ना ना ! अपने बड़े भैया के मुँह से लंड-चूत ऐसा सुनना नहीं चाहती।

गंगा : अजीब लड़की है लंड ले सकती है लेकिन लंड की बातें सुन नहीं सकती?

कैलाश : इसमें नई बात क्या है ? लंड लेती है चूत, सुनता है कान ! यह ज़रूरी नहीं है कि चूत को जो पसंद आए वो कान को भी पसंद आए !

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top