रिया की कहानी

यह मेरी निजी दास्तान है, जो मैं आप लोगों के सामने रखने जा रही हूँ।

मेरा नाम रिया है। मेरे दो भाई हैं, एक मुझसे 3 साल बड़ा है। उसका नाम ऋषभ हैं, और एक मुझसे तीन साल छोटा है, उसका नाम रोहित है। मेरी माँ और पापा दोनों जॉब करते हैं। मेरे पापा बैंक में जॉब करते हैं और माँ स्कूल की टीचर हैं।

जब हम छोटे थे, तब हम तीनों भाई बहन एक साथ एक ही कमरे में सोते थे। मेरे घर में तीन कमरे हैं। एक में माँ-पापा और एक में हम तीनों भाई-बहन और एक रूम डाइनिंग रूम की तरह था। उसमें कोई सोता नहीं था, बस कभी कोई मेहमान आते तो उस कमरे में सोते थे।

मेरा बड़ा भाई ऋषभ दसवीं में था, मैं आठवीं में और मेरा छोटा भाई रोहित सातवीं में था।

हम तीनों भाई-बहन में बहुत प्यार था। हम आपस में गले लगते, खेलते और मस्ती में रहते।

अब मैं बड़ी हुई तो मेरे स्तन बड़े होने लगे थे, जो कि मेरे टॉप्स में और बड़े दिखते थे। जब हम गले लगते तो मेरे दुद्दू मेरे भाई की छाती में दबते थे।

मैंने माँ को बोला- मुझे एक अलग कमरा चाहिए।

तो फिर मेरे दोनों भाई एक कमरे में और मैं एक में जो तीसरा कमरा था, उसमें रहने लगी।

हम लोग मिडल क्लास फैमिली थे, पर हम लोग काफ़ी खुले थे। मुझे स्कर्ट के साथ टॉप पहनना बहुत अच्छा लगता था। मेरी स्कर्ट बहुत छोटी हुआ करती थी। जब मैं बैठती थी, तो मेरी पेंटी दिखती थी। पर इससे मेरे घर में कभी किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी।

एक बार की बात है, उस दिन घर में कोई नहीं था। न माँ न पापा, और छोटा भाई दोस्तो के साथ खेल रहा था। घर में सिर्फ़ मैं और ऋषभ थे।

ऋषभ- रिया, मैं नहाने जा रहा हूँ।

रिया- ठीक है जा, मैं टीवी देख रही हूँ। तुम जल्दी नहाओ, फिर मुझे भी नहाना है।

ऋषभ- ठीक है।

थोड़ी देर बाद ऋषभ- रिया, सुन तो ज़रा।

रिया- हाँ, बोल क्या हुआ?

ऋषभ- थोड़ा मेरी पीठ में साबुन लगा दे, और रगड़ दे ना ! बहुत गंदी है।

रिया- अच्छा रुक, आती हूँ कपड़े उतार दूँ, नहीं तो गीले हो जाएँगे।

ऋषभ- ओके, जल्दी आ।

फिर मैंने अपने स्कर्ट-टॉप उतार दिए। मैं सिर्फ़ पेंटी और सिंगल स्ट्रिप वाली लड़कों जैसी बनियान पहने थी। उस वक्त मेरे दुद्दू काफ़ी बड़े दिख रहे थे। मेरा फिगर 34′-28′-34′ था। मैंने एक तौलिया कमर में लपेटा जो कि मेरे घुटने तक आता था, मैं गुसलखाने के अंदर गई, देखा ऋषभ जाँघिये में है और उसका लण्ड अभी सोया हुआ था। वो मुझे एक टक घूर के देखने लगा।

रिया- ऐसे क्या देख रहे हो कभी मुझे देखा नहीं है क्या?

ऋषभ- देखता तो रोज ही हूँ, पर आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो।

रिया- बस, अब इतनी तारीफ काफ़ी है। चल, जल्दी से पीठ मलवा ले और भाग यहाँ से, मुझे भी नहाना है।

मैं बहुत फेयर हूँ और मेरे चेहरा दीपिका पादुकोण से मिलता है। ऊपर से मैं इतने कम कपड़े पहने हुई थी। मेरा भाई क्या, कोई भी होता तो मेरा दीवाना हो जाता।

फिर मैं ऋषभ की पीठ में साबुन लगाने लगी और रगड़ कर साफ करने लगी। ऋषभ को शरारत सूझी, वो मुझ पर पानी फेंकने लगा। मैं पूरी भीग गई जिससे मेरी बनियान गीली हो गई और मेरे उरोज दिखने लगे। मेरे चुचूक भी कड़े हो गए।

मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया, मैंने उससे गुस्से से देखा तो ऋषभ ने मुझसे सॉरी कहा।

तब मैं भी उसे देख कर मुस्कुराई और उसके ऊपर पानी डाल दिया। उसे तो जैसे ग्रीन सिग्नल मिल गया हो, उसने भी मेरे साथ वही किया और मुझ पर एक मग्गा पानी डाल दिया और हम दोनों में छीना झपटी होने लगी, जिससे मेरा तौलिया खुल गया और मैं गिरने लगी तो ऋषभ ने मुझे सम्भाला। मैं उसकी बाहों में थी, पूरा बदन भीगा हुआ था। फिर मैं संभल कर उसके बगल में खड़ी हुई।

रिया- हो गई तेरी मस्ती?

मेरी नज़र उसकी जाँघिया पर थी जिसमें उसका तन्नाया हुआ लण्ड खड़ा था।

ऋषभ- हाँ।

रिया- ठीक है, बाहर जाओ। अब मुझे भी नहाना है।

ऋषभ- ओके, मुझे कपड़े तो पहन लेने दे रिया, मैं तो तौलिया ही नहीं लाया हूँ।

रिया- ऐसे ही चेंज कर ले, मैं तेरी बहन ही तो हूँ, शरमा क्यों रहा है।

उसने मेरी ओर देखा और फिर उसने अपना जाँघिया नीचे कर दिया। अब वो पूरा नंगा था। उसका लण्ड खड़ा था और उसके झाँटों के बाल काले थे और घने थे।

रिया- तेरा तो बहुत बड़ा है, और तुम बाल को साफ क्यों नहीं करते? गंदगी रहेगी तो इन्फेक्शन हो जायगा।

ऋषभ- मैं अकेले साफ नहीं कर पाता हूँ।

रिया- अच्छा किसी सम्य मैं तेरे बाल साफ कर दूँगी।

ऋषभ- पर कब?

रिया- जब घर में कोई नहीं होगा।

ऋषभ- मैंने तो तुम्हें अपना सब कुछ दिखा दिया तुम नहीं दिखाओगी?

रिया- तुम अपने कपड़े पहन कर बाहर आओ। मैं दरवाजा खोल कर ही नहाऊँगी, तब तुम देख लेना।

वो अपने कपड़े पहन कर बाहर गया और मुझे देखने लगा। मैं उसके सामने बिल्कुल नँगी हो गई, वो मुझे घूरने लगा और बोला- रिया आज मैं पहली बार किसी लड़की को नँगी देख रहा हूँ। तुम बहुत खूबसूरत और सेक्सी हो।

तब मैंने कहा- जो देखना है, देख लिया न! अब तुम जाओ मुझे नहाने दो।

फिर वो चला गया और मैं नहाने लगी।

मैं इस बात को पक्के से समझ चुकी थी कि वो मेरा दीवाना हो गया है और मुझे अब चोदना भी चाहता होगा। पर मुझे उस पर भरोसा था कि वो कभी भी मेरी मर्ज़ी के बगैर मुझे नहीं चोदेगा।

मैं नहा कर बाहर आई और अपने कपड़े पहने। मेरा भाई भी बहुत अच्छा और हॉट दिखता था। बिल्कुल शाहिद कपूर की तरह।

ऋषभ मेरे पास आया और बोला- थैंक्स रिया !

मैंने कहा- थैंक्स किस बात के लिए?

बोला- आज जो तुमने मुझे दिखाया, और मेरी नहाने में हेल्प की, उसके लिए।

मैं बोली- अरे हम भाई-बहन हैं, मैं तेरी हेल्प नहीं करूँगी तो कौन करेगा? और सुन, तेरी इस हेल्प के चक्कर में मेरे कंधे में दर्द हो रहा है।

ऋषभ- कैसे? क्या हुआ?

रिया- तुमने मेरा तौलिया खींचा था न ! उसी समय छीना झपटी में, लगता है, मोच आ गई।

ऋषभ- चल मूव लगा देता हूँ, ठीक हो जाएगी। तुम अपना टॉप उतारो, मैं मूव लेकर आता हूँ।

मैंने अपना टॉप उतार दिया। मैं अब सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी। मैं बेड पर लेट गई। ऋषभ आया और मेरे कन्धे पर मूव लगा कर मालिश करने लगा और मुझे आराम मिलने लगा।

मैं ऋषभ से बोली- तुम तो मालिश बहुत अच्छा करते हो।

ऋषभ ने कहा- पूरी बॉडी की मालिश कर दूँ क्या?

मैं उसकी नशीली आँखों में झाँक कर कुछ सोचने लगी, मैंने कहा- अभी रहने दे, रोहित आने वाला होगा।

मैंने टाल दिया।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और हम भाई-बहन क्लोज़ होते गये। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि माँ-पापा और छोटा भाई शादी में गए हुए थे। वो लोग दो दिन बाद लौटने वाले थे। घर में मैं और ऋषभ अकेले थे। हम रात में खाना खाने के बाद साथ में टीवी देखने लगे। फिर थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में सोने चली गई। मुझे ऋषभ के बारे में सोच कर कुछ गुदगुदी सी होने लगी थी।

अगली सुबह मैं उठी और खाना बनाया, ऋषभ भी उठ गया था। फिर वो फ्रेश हो गया और उसे खाना दिया।

फिर दिन में टीवी देखते हुए मैं सोच रही थी कि कैसे अपने भाई को पटाऊँ?

मैंने आज एक मिनी स्कर्ट पहन ली और अपनी पेंटी नहीं पहनी और ऊपर एक चुस्त सा टॉप पहन लिया। जब दिन में हम टीवी देख रहे थे तो मुझे सीरियल देखना था और वो मूवी देख रहा था। सो हम दोनों में आपस में रिमोट को लेकर छीना-झपटी होने लगी और उससे जबरदस्ती करने लगी। इसी छीना झपटी में, दोनों एक दूसरे के शरीर के अँगों को भी मस्ती से छेड़ रहे थे।

मेरा भाई मेरे चूचे दबा रहा था और मैंने भी उसके लौड़े को एक बार अपने हाथ से पकड़ लिया था। उसके लौड़े के नीचे लटकने वाले उसके दो बँटे भी मैंने दबा दिए तो वो जोर से चीख पड़ा था और उसी हड़बड़ाहट में उसने चूची पकड़ कर जोर से मसक दी थी।

हम दोनों को ही मज़ा आ रहा था, हम दोनों एक दूसरे में मदहोश थे। आखिर मैं रिमोट लेने में कामयाब हो गई थी और मैं उससे अलग हो गई।

फिर दस बजे मेरा कॉलेज था तो मैं चली गई, कॉलेज में स्पोर्ट डे था। मैं खूब खेली और 4 बजे घर आई। भाई घर में ही था क्योंकि घर में कोई नहीं था तो घर की देख भाल करने के लिए वो स्कूल नहीं गया था।

ऋषभ- आज तुम बहुत थकी लग रही हो।

रिया- हाँ, वो आज स्पोर्ट्स डे था न ! इस लिए मैं बहुत थक गई हूँ।

फिर, मैं फ्रेश हो गई और रात का खाना बनाया। हमने साथ में खाया। मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा था। मैंने सोचा आज अच्छा मौका है। आज अपने भाई से मालिश करवा लूँ।

रिया- भाई, आज मेरा अँग-अँग बहुत दर्द कर रहा है। तुम मालिश कर दोगे?

ऋषभ- हाँ रिया, क्यों नहीं। तुम मेरी बहन हो तेरा ख्य़ाल मैं नहीं रखूँगा, तो फिर कौन रखेगा?

फिर मैंने सरसों के तेल को हल्का गरम किया और ऋषभ को बोली- चलो मालिश कर दो।

मैं अपने कमरे में गई और लेट गई।

ऋषभ- ऐसे कैसे मालिश करूँ? अपने कपड़े तो उतारो।

मैंने अपनी स्कर्ट और टॉप उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। मैं पेट के बल लेट गई। उसने मेरे पीठ पर तेल डाला और मालिश करने लगा। जब वो मालिश कर रहा था। तो बार-बार उसका हाथ मेरी ब्रा की स्ट्रेप में फँस रहा था।

उसने कहा- तुम अपनी ब्रा उतार दो।

मैंने कहा- तुम्हीं उतार दो।

उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मैं सिर्फ़ पेंटी में थी, और वो मेरी मालिश करने लगा।

दस मिनट तक वो मेरे पीठ की मालिश करता रहा। उस वक्त मानो जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही थी।

फिर उसने कहा- पैरों की भी मालिश कर दूँ क्या?

मैंने कहा- सिर्फ़ पैर नहीं, पूरी बॉडी की मालिश करो।

ऋषभ मेरे पैरों की मालिश करने लगा, अब वो मेरी जाँघों की मालिश करने लगा।

ऋषभ- तुम्हारी जाँघें बहुत मस्त हैं।

रिया- तो फिर मालिश करो ना ! मुझे मज़ा आ रहा है।

ऋषभ- वो ही तो कर रहा हूँ। पर तुम्हारी पेंटी बीच में आ रही है।

रिया- तो उतार दो न इसको भी।

फिर उसने मेरी पेंटी भी उतार दी, अब मैं अपने भाई के सामने बिल्कुल नँगी पड़ी थी।

ऋषभ ने कहा- तुम्हारे कूल्हे बहुत मस्त हैं।

मैंने कुछ नहीं कहा। वो मेरे नितम्बों की मालिश करने लगा, मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था।

अब वो मुझसे पीठ के बल लेट जाने को बोला और मैं झट से चित लेट गई, वो मेरे मम्मों की मालिश करने लगा। आज पहली बार मेरे संतरे मेरे अलावा कोई और दबा रहा था, मेरी बुर में आग लग गई थी पर आख़िर वो तो मेरा भाई था।

मालिश हो जाने के बाद ऋषभ ने कहा- मैंने तुम्हारी मालिश कर दी है। बदले में मुझे क्या मिलेगा?

मैने कहा- बोल तुझे क्या चाहिए?

ऋषभ ने कहा- अब तू भी मेरी मालिश कर दे। पूरी बॉडी की ज़रूरत नहीं है। बस तू मेरे लण्ड की मालिश कर दे।

मैं बोली- ठीक है, चल अपना पैंट उतार। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

वो झट से अपनी पैंट उतार कर चित लेट गया। उसके लौड़े के आस पास झाँटों का घना जंगल था।

मैंने उससे कहा- कैसे करूँ मालिश? तुम्हारा लौड़ा तो बाबा जी बना है।

उसने कहा- तुमने ही मुझसे वादा किया था कि तुम मेरी झाँटें साफ़ करोगी।

मैं बोली- ठीक है, चल गुसलखाने में चल।

वो बोला- अरे इधर ही बना दे। मैं नीचे लेट जाता हूँ।

मैंने कहा- ठीक है !

और फिर मैंने रेजर से उसकी झाँटों की सफाई की। उसका लण्ड तन्ना रहा था। उसके बाल साफ़ करके अपने हाथों में तेल लगा कर उसके लौड़े की मालिश करने लगी।

दस मिनट में उसका पानी निकल आया। मुझे उसके माल की गन्ध बहुत ही अच्छी लग रही थी।

हम लोग एक दूसरे से बहुत हद तक खुल चुके थे। उसके लौड़े से माल निकल जाने के बाद मुझे मेरी चूत का पानी निकालना था।

ऋषभ ने मुझे बोला- रिया मेरा तो निकल गया अब तेरा ?

मैं अपनी भावनाओं पर काबू रखे थी पर जब उसने मेरी दुःखती नस पर ऊँगली रख ही दी तो !

आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए- रिया की कहानी !

आप लोग मुझे मेल कर सकते हैं।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category रिश्तों में चुदाई or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

रिया की कहानी

Comments

Scroll To Top