संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 4
(Hot Indian Wife Xxx Kahani)
हॉट इंडियन वाइफ Xxx कहानी में नई दुल्हन अपने ससुर से चुद चुकी थी. अब दुल्हन के पिता बेटी की ससुराल आये तो उनकी नजर बेटी की सेक्सी सास पर थी.
फ्रेंड्स, आप इस सेक्स कहानी के तीसरे भाग
ससुर बहू का वासना भरा प्रेमालाप
में अब तक पढ़ चुके थे कि रूपा का बाबा मोहन अपने गांव से समधी और मित्र प्रमोद के घर के लिए निकल चुका था.
अब आगे हॉट इंडियन वाइफ Xxx कहानी:
ससुर के जाने के बाद रात को अकेले पति से चुदवाने में सोनाली को मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए उसने पंकज से सचिन को वीडियो कॉल लगाने के लिए कहा.
वहां सचिन-रूपा की भी चुदाई चल रही थी.
लेकिन जब देखा कि पंकज का वीडियो कॉल है … तो बिना किसी शर्म के कॉल एक्सेप्ट कर लिया.
रूपा- अरे वाह! आप लोगों की भी चुदाई चल रही थी … तो ये चुदाई के बीच हमारी याद कैसे आ गई?
सोनाली- कुछ नहीं ससुर जी गांव के लिए निकल गए हैं तो अकेला सा लग रहा था इसलिए सोचा तुम लोगों को कॉल किया जाए.
सचिन- क्या दीदी आप भी न. ससुर जी के जाने अकेलापन भी आपको चुदाई के बीच लग रहा था? हा हा हा …
पंकज- सच कहें तो वह भी एक बात थी जो तुम लोगों को बतानी थी इसलिए भी कॉल किया.
ये बाते करते करते दोनों जोड़ों ने करवट लेकर चोदना शुरू कर दिया था ताकि दोनों वीडियो भी देख सकें और चुदाई में भी रुकावट न आए.
मतलब पंकज और सचिन अपनी अपनी पत्नियों पीछे के बाजू में करवट लेकर पोजीशन लिए हुए थे, जिससे वीडियो पर उन दोनों लड़कियों की गुंदाज छातियां एक दूसरे को दिखाई दे रही थीं.
साथ साथ दोनों धीरे धीरे अपने लंड अपनी माशूकाओं की चूत के अन्दर बाहर करते जा रहे थे.
रूपा- ऐसी क्या खबर है भैया … जो चुदाई के बीच में देने का मन कर गया आपका?
पंकज- सोनाली, तुम ही बताओ.
सोनाली- अब कैसे बताऊं … बस ये समझ लो कि तुम्हारी ननद ने तीसरा केला भी चख लिया है.
सचिन- किसका केला चख लिया दीदी? ससुर जी का तो नहीं?
सोनाली- हम्मऽऽऽ
रूपा- सच दीदी? बस तुमने ही चखा या फिर अपनी चुनिया-मुनिया को भी चखा दिया?
सोनाली- चुनिया-मुनिया-गुनिया सब ने गपागप ले लिया.
इतना कह कर सोनाली थोड़ा शर्मा गई और अपनी आंखों को हथेली से ढक कर हंसने लगी.
रूपा- अरे थोड़ा विस्तार से बताओ न. कैसे लिया, कितना बड़ा केला था. जब चुदवाने में नहीं शर्माईं तो बताने में कैसी शर्म!
पंकज- आराम से रूपा … अपने ही बाबा के बारे में बोल रही है तू!
सोनाली- अच्छा जी! उसे नसीहत दे रहे हो और खुद जब बाबा के साथ मिल कर मुझे चोद रहे थे, तब तो आपको जरा भी शर्म नहीं आ रही थी!
ये सुन कर रूपा और सचिन भी हंस पड़े.
सोनाली- अरे यार! सच तो ये है कि ससुरजी अपनी समधन पर लट्टू थे और मैं मां जैसी दिखती हूँ तो मुझे नजरों से चोदने की कोशिश कर रहे थे तो मैंने सोचा लो सच में ही चोद लो.
उसने आंख मारते हुए कहा.
फिर थोड़े शरारती अंदाज में वह आगे बोली- रूपा, अगर तुझे अपने भाई का केला पसंद है तो बाबा का भी पसंद आएगा.
इतना कह कर वह जोर से हंस पड़ी और पंकज मस्ती में उसके मम्मे ऐसे मसलने लगा, जैसे इस शरारत की उसे सजा दे रहा हो.
लेकिन फिर थोड़ा संजीदा होते हुए सोनाली से सचिन से कहा.
सोनाली- सचिन, हो सके तो उनका मां से टांका भिड़वा दे. पता नहीं कब के प्यासे हैं. बड़ी दुवाएं दे रहे थे मुझे!
सचिन- मेरे बस में होता तो करवा देता लेकिन मैं तो खुद कब से बस आंखें ही सेंक रहा हूँ.
सोनाली- हम्म, पता है मुझे. बल्कि मुझे तो शक था कि तू कहीं कुछ कर न बैठे. तब मुझे ये बात थोड़ी ज़्यादा लगती थी. मतलब भाई-बहन तो ठीक है लेकिन मां-बाप का रिश्ता पवित्र होता है वगैरह वगैरह.
सचिन- और अब?
सोनाली- अब समझ आ गया है कि इन सब बातों में कुछ नहीं रखा है. अब तो बल्कि मैं चाहती हूँ कि तू भी मादरचोद बन ही जा!
ऐसा कहकर सोनाली सचिन को जीभ चिढ़ाने लगी.
सचिन- हां-हां आप भी मजे ले लो. वैसे भी मादरचोद बनने के लिए मां की इजाजत चाहिए … बहन की नहीं.
रूपा- उदास मत हो प्रिये. मैं वचन देती हूँ कि तुम्हारी इस मनोकामना को पूरा करने में पूरी मदद करूंगी.
रूपा- अब मां चोदने के सपने बाद में देखना, पहले बीवी चोद ले भेनचोद!
रूपा की इस जोशभरी ललकार से दोनों तरफ जोश की लहर दौड़ गई और दोनों जोड़े वीडियो कॉल पर ही धुंआधार चुदाई करने लगे.
चुदाई के बाद एक दूसरे से विदा लेकर वीडियो कॉल खत्म किया गया.
तब रूपा सचिन से बोली- वैसे मैंने भी एक बात तुमसे अभी तक छिपा कर रखी थी.
सचिन- क्या?
रूपा- मैं भी अपने ससुर जी से चुदवा चुकी हूँ.
सचिन- अरे वाह … कब?
रूपा- पिछले महीने.
सचिन- और साली तुम अब बता रही हो? मैं कौन सा मना करने वाला था अगर बता देतीं तो?
रूपा शरारती मुस्कराहट के साथ बोली- वह क्या है न कि छुप छुप पर चुदवाने का अलग ही मज़ा है, इसलिए अभी तक बताया नहीं था, लेकिन अब जब बात निकली ही है … तो बता दिया.
सचिन- अभी छिपा ही रहने दो. बाकी सबको फिर कभी सही वक्त आने पर बता देना.
अगली सुबह मोहन अपने समधी प्रमोद के घर पहुंच गया.
वैसे तो उसका प्लान शाम तक गांव के लिए निकलने का था लेकिन प्रमोद ने उसे कम से कम एक रात के लिए रुकने को मना लिया … क्योंकि दिन में तो वह खुद और रूपा भी ऑफिस में रहते हैं.
मोहन भी रात भर के सफर का थका हुआ था इसलिए वह भी दिन में आराम करने लगा.
शाम को प्रमोद, सचिन और रूपा के साथ जल्दी घर आ गया … फिर सब लोग साथ बैठ कर बातचीत करने लगे.
खाने के बाद प्रमोद ने मोहन से कहा- तुम मेरा छत पर जाकर इंतज़ार करो, मैं पीने का बंदोबस्त करके वहीं आ जाऊंगा.
इसके बाद वह एक स्कॉच की बोतल और कुछ चखना एक बास्केट में रख कर अपने बेडरूम में शारदा के पास आया.
शारदा अभी अभी मुँह धोकर आई थी और अपने चेहरे पर मॉइस्चराइजर लगा रही थी.
प्रमोद को पता था कि जो वह उससे पूछने जा रहा था, उसके लिए शारदा मना ही करेगी लेकिन आज उसके पास एक ऐसी चीज थी जो शायद उसका मन बदल सकती थी.
इसलिए प्रमोद ने पहले वही बात उसके सामने रखने का सोचकर कहा- काफी समय से तुमको कुछ बताना चाहता था.
शारदा- बताओ.
प्रमोद- तुमको तो पता ही है कि मुझे अक्सर रात को प्यास लगती है तो मैं किचन में जाकर पानी पीता हूँ.
शारदा- हां, तो?
प्रमोद- जिस रात सचिन की सुहागरात थी, उस रात भी मैं ऐसे ही गया था कि मुझे कुछ सुनाई दिया. मैंने ध्यान से सुना तो समझ आया सचिन के साथ केवल बहू ही नहीं थी बल्कि और भी कोई थी. मैंने रिकॉर्ड भी किया था, तुमको सुनाता हूँ … सुनो.
… जितनी बार चाहेगा आपकी गांड मारेगा … ओके बाबा … आज रात मेरा जिस्म तुम दोनों का खिलौना है … जैसे मर्जी खेल सकते हो …
शारदा- हे भगवान! सुहागरात पर कोई ऐसा कैसे कर सकता है? ये तो सच में दो लड़कियों की आवाज है. तौबा तौबा.
प्रमोद- हम्म … जमाना बदल गया है शारदा! आजकल के बच्चे मजे के लिए कोई लोकलाज की परवाह नहीं करते.
शारदा- लेकिन मियां-बीवी राज़ी तो हम कर ही क्या सकते हैं. क्या कहते हो आप? क्या करना चाहिए अब?
प्रमोद- अभी हम लोग इतने बूढ़े भी नहीं हुए हैं. थोड़े मजे हम भी कर ही सकते हैं.
शारदा- क्या मतलब है आपका?
प्रमोद- तुमको याद है जब मैं तुमको सामूहिक चुदाई के लिए मनाने की कोशिश करता था तो तुम कहती थीं कि इस रास्ते गए तो आगे चल कर बच्चों पर क्या असर पड़ेगा!
शारदा- हां तो क्या गलत कहती थी?
प्रमोद- सही भी कहती थीं तो क्या फर्क पड़ गया? बच्चे तो फिर भी तुम्हारे वही कर रहे हैं. हमारी उम्र भी अब ज़्यादा बची नहीं है ये सब करने के लिए. आठ दस साल बाद पछताने के अलावा कुछ हाथ नहीं आएगा. मैं तो बस सलाह दे सकता हूँ. तुम्हारी मर्ज़ी के बिना तो न पहले कुछ हुआ था न आगे कुछ होगा. मैं छत पर जा रहा हूँ मोहन के साथ ड्रिंक लेने. तुम्हारा मन हो तो मैसेज कर देना फ़ोन पर … नहीं तो वह बेचारा तो एक जमाने से अकेला है आज भी अपने कमरे में जाकर अकेला सो जाएगा.
इतना कह कर प्रमोद छत पर चला गया.
शारदा पहले ही रिकॉर्डिंग सुनने के बाद कुछ समझ नहीं पा रही थी.
प्रमोद ने गुत्थी सुलझाने के बजाए और उलझा कर चला गया.
ऐसा तो नहीं था कि उसका कभी मन न किया हो, लेकिन समाज के कायदे कुछ सोच कर ही बनाए होंगे किसी ने … बस यही सोच कर कभी हिम्मत नहीं हो पाई.
शादी के बाद हनीमून में शर्म-लिहाज के कपड़े उतार भी फेंके थे और इतना ही नहीं, पति के कहने पर मोहन-संध्या के साथ एक ही कमरे में पति के साथ चुदाई तक कर ली थी.
वह तो मोहन के छूने से थोड़ा भड़क गई थी वरना आगे भी ऐसा-वैसा बहुत कुछ हो सकता था.
लेकिन फिर जब बच्चे हुए तो यही दिमाग में आया कि कल को ये न हो कि बच्चे समाज में मुँह काला करा दें और जवाब मिले कि आप लोग भी तो यही सब करते हो.
लेकिन अब तो बच्चे भी यही सब करने लगे हैं, वह भी सुहागरात पर …
तो फिर कल को जब धीरे-धीरे एक दूसरे से ऊबने लगेंगे तब तो जाने क्या ही करेंगे!
उधर शारदा अपनी सोच में डूबी थी और इधर छत पर प्रमोद, मोहन के साथ शराब में डूबा अपने जवानी के किस्से याद कर रहा था.
बचपन में छिप-छिप कर अपने मां-बाप की चुदाई देखने से लेकर जो दोनों ने मिल कर मोहन की पत्नी संध्या की चुदाई की थी, तब तक की हर बात को दोनों सोच कर खुश हो रहे थे कि कितनी खुशियां दोनों ने एक दूसरे से बांटी हैं.
मोहन- हां, लेकिन एक तमन्ना अधूरी ही रह गई. वह जो हम चारों मिल कर मजे करने सोचे थे … वह अधूरा रह गया.
प्रमोद- हां यार वह तो अब हो नहीं सकता. संध्या भाभी होतीं तो फिर भी उम्मीद रहती, लेकिन अब क्या कर सकते हैं.
इस बात से माहौल थोड़ा उदास हो गया और दोनों थोड़ी देर के लिए चुपचाप अपनी अपनी यादों में चले गए.
लेकिन तभी मैसेज बजने की आवाज आई ‘टिंग-टॉँग …’
प्रमोद के फोन पर मैसेज आया था.
शारदा का मैसेज देख का प्रमोद ने तुरंत उठा कर देखा.
एक तो है कम ज़िंदगानी …
उससे भी कम है जवानी …
मुझे होश में आने ना दो …
दारू बची हो तो कमरे में ले आना, तीनों साथ पिएंगे …
प्रमोद- यार, तेरी अधूरी तमन्ना भले ही पूरी नहीं हो सकती लेकिन उसका जो बचा हुआ आधा हिस्सा है … वह आज पूरा हो जाएगा. चल शारदा ने नीचे बुलाया है. बाकी की दारू वहीं पिएंगे.
मोहन- क्या बात कर रहा है? मतलब बस पीने के लिए या मैं जो समझ रहा हूँ वह सच है?
प्रमोद- सही समझ रहा है भाई लेकिन बस पिछली बार की तरह जल्दीबाज़ी मत करना!
मोहन- फ़िक्र मत कर, बिना पूछे छोटी उंगली को भी हाथ नहीं लगाऊंगा.
खुशी के मारे दोनों बस इतनी ही देर में बेडरूम के सामने थे.
दोनों शराफत से अन्दर गए तो शारदा बिस्तर पर पैर लम्बे करके पीछे पलंग के सिरहाने से टिक कर बेतरतीब बैठी हुई थी.
इन दोनों को देखकर उसने अपने पैर नीचे कर लिए और थोड़ा ठीक से बैठ गई.
उसने एक लम्बा गाउन पहना था जो कन्धों पर नूडल-स्ट्रिंग डिज़ाइन की डोरियों से टिका हुआ था.
मोहन भी उसी पलंग के पैर वाली तरफ किनारे पर ही जाकर शराफत से बैठ गया जैसे शारदा बैठी थी.
प्रमोद एक हाथ में बोतल और दूसरे में ट्रे लेकर पलंग पर चढ़ गया और बीचों बीच जाकर बैठ गया.
उसने ट्रे शारदा और मोहन के बीच रख दी और उसमें रखे दोनों ग्लास में बाकी बची स्कॉच, आधी आधी डाल कर बोतल पलंग के नीचे सरका दी.
प्रमोद- मैंने तो पहले ही काफी पी ली है. अब इतनी ही बची है तो तुम दोनों पियो.
मोहन- पी तो मैंने भी काफी ली है. भाभीजी बुरा न मानो तो मेरा गिलास भी आप ही ले लेना.
शारदा ने प्रमोद का ग्लास उठा लिया और धीरे-धीरे पीने लगी.
तीनों इधर उधर की बातें करने लगे जैसे पंकज और सोनाली कैसे हैं या फिर सोनाली मोहन का ख्याल तो रखती है न … वगैरह-वगैरह.
जब शारदा का ग्लास खाली होने को आया, तब तक उसकी बातों से शराब झलकने लगी थी.
मौके की नज़ाकत देख कर प्रमोद ने पीछे से शारदा के कंधे दबाने शुरू कर दिए.
शारदा भी प्रमोद के सहारे से थोड़ा और बेतकल्लुफ हो कर बैठ गई.
मोहन- अब ये आपके कंधे दबा रहा है तो मुझे खाली बैठे अजीब लग रहा है. भाभीजी मैं आपके पैर दबा दूँ?
शारदा- नेकी और पूछ पूछ! आज तो पूरा बदन दर्द कर रहा है. काम काफी कर लिया आज!
प्रमोद- हम तो पूरा बदन दबाने को तैयार हैं जानेमन!
इस बात से तीनों के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई.
मोहन जमीन पर बैठ कर शारदा के पैरों के तलवे और पंजे दबाने लगा.
अब बातों की दिशा भी थोड़ी बदल गई थी.
मोहन- कितने दिनों बाद पी रही हो भाभीजी?
शारदा- अरे मैं कहां … संध्या दीदी के साथ वाइन पी थी, उसके बाद सीधे बच्चों के ऑफिस के उद्घाटन पर.
मोहन- थोड़ा और ऊपर दबा दूँ?
शारदा- हां, जरूऽऽऽर दबाइए … लेकिन इस बला को पहली बार मुँह से लगाया है.
प्रमोद- तुझे तो मैंने हमेशा कहा कि हर बला को मुँह से लगा के देख. तू ही हिम्मत नहीं करती थी.
अब मोहन शारदा की पिंडलियां दबाते दबाते लगभग उसके घुटनों तक आ गया था.
उधर शारदा का ग्लास खाली होने ही वाला था कि प्रमोद ने अपने हाथ कन्धों से नीचे सरका कर शारदा के गाउन में सरका दिए और उसके मम्मे सहलाने लगा.
शारदा ने अपने गिलास को मुँह में उड़ेला और एक ठंडी सांस छोड़ते हुए ग्लास वापस ट्रे में रख दिया.
शारदा- आऽहऽऽऽ …
मोहन- थोड़ा और ऊपर …?
शारदा- हम्मऽऽ
अब मोहन जांघों तक पहुंच गया था.
गाउन घुटनों से ऊपर गया तो मोहन की नजर शारदा की चूत के बालों से जा मिली.
शारदा ने चड्डी नहीं पहनी थी.
मोहन ने इसकी उम्मीद नहीं की थी.
घबरा कर उसने ऊपर देखा तो शारदा की निगाहें उसी पर गड़ी हुई थीं.
अब वह वापस नीचे शारदा की जांघों के बीच में भी नहीं देख सकता था.
दोनों एक दूसरे को टकटकी लगा कर ऐसे देख रहे थे जैसे कि शेर के सामने अचानक से उसका शिकार आ गया हो और वे दोनों एक दूसरे को देख रहे हों.
मोहन शारदा की आखों के आलावा अपनी नजर हिलाने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था लेकिन उसे फिर भी दिखाई दे रहा था कि कैसे प्रमोद शारदा के उरोजों को मसल रहा था.
कुछ देर बाद मोहन के मुँह से अनायास ही निकल गया- और ऊपर?
शारदा ने मोहन को घूरना छोड़ कर ट्रे से मोहन का ग्लास उठाया और एक लंबा घूँट अपने मुँह में उड़ेल लिया.
फिर जब वापस मोहन की तरफ देखा तो मोहन उसकी जांघों के बीच नजरें गड़ाए बैठा था.
शारदा ने मोहन की बांह पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा … और जैसे ही वह उसके नजदीक आया, शारदा ने अपने होंठ मोहन के होंठों से चिपका दिए.
एक ही क्षण में शारदा की जीभ भी दोनों होंठों के बीच होती हुई मोहन की जीभ से जा मिली.
लेकिन ये तो केवल इसलिए था कि मोहन का मुँह खुल जाए क्योंकि उसी पल शारदा के मुँह में भरी सारी स्कॉच मोहन के मुँह में आने लगी.
मोहन बिना कोई समय गंवाए उसे पी गया और वह शारदा को बेतहाशा चूमने लगा.
थोड़ी सी चूमा-चाटी के बाद शारदा ने उसे अलग किया.
शारदा- क्या लगा था कि मैं आपका झूठा नहीं पियूँगी? अरे, जब ऐश करने का मन बना ही लिया है तो कैसी शर्म!
प्रमोद- सही बात है! शर्म जाए तेल लेने ऐश तू कर डार्लिंग!
अपने जमाने का ये गाना गुनगुनाते हुए प्रमोद ने शारदा के गाउन की डोरियों को उसके कन्धों से नीचे सरका दिया जिससे उसकी गाउन कन्धों से सीधे कमर तक आ गिरी.
शारदा ने भी गाने की मस्ती में अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए.
येऽऽऽऽऽ …
इससे मोहन का संतुलन थोड़ा बिगड़ गया क्योंकि वह आधा बैठा और आधा खड़ा था.
इसलिए संतुलन बनाते हुए वह थोड़ा पीछे होकर खड़ा हो गया.
शारदा- अरे कहां चल दिए मोहन प्यारेऽऽ?
उस पर स्कॉच का असर कुछ ज़्यादा ही हो गया था.
उसे लगा मोहन वापस जाने के लिए उठ खड़ा हुआ है तो उसके साथ शारदा भी खड़ी हुई लेकिन अचानक से नशे में संतुलन खोती हुई वह सीधे मोहन से जा लिपटी.
उसका गाउन जो बैठे होने के कारण अब तक कमर में अटका था, वह भी जमीन पर आ गिरा.
शारदा पूरी तरह से नग्न अवस्था में मोहन से लिपटी खड़ी थी- ऐसे नहीं जा सकते. वह तुम्हारा गिलास है … तुम … नहीं मैं ही तुमको पिलाऊंगी.
मोहन- ठीक है भाभी जी, पिला दो.
शारदा- शारदा कहो, शारदा. शारदा नाम है मेरा.
मोहन- ठीक है शारदा तुम ही पिला देना.
इतना कह कर मोहन ने शारदा को पलंग पर बिठा दिया और प्रमोद ने उसे पीछे से पकड़ कर सहारा दे दिया.
मोहन भी शारदा के पास ही पलंग पर बैठ गया.
शारदा ने मोहन का ग्लास उठाया और पीने के लिए मुँह के पास लाई लेकिन फिर मुँह बनाते हुए बोली- नहीं अभी इसको मुँह से नहीं पिलाऊंगी. मुझे पहले ही चढ़ी हुई है.
इतना कह कर उसने इधर उधर देखा जैसे कुछ सोच रही हो. फिर उसने वह ग्लास प्रमोद को दे दिया.
अब उसने अपने स्तनों की ओर इशारा करके कहा- ये क्या हैं? क्या हैं?
मोहन- बोबे हैं.
शारदा- अरे नहीं … दुद्दू हैं दुद्दू. क्या हैं?
मोहन- दुद्दू.
शारदा- हांऽऽ … लेकिन दूध तो इनसे बच्चों को पिलाते हैं. दोस्तों को … दोस्तों को शराब पिलाते हैं. प्रमोद! तुम इधर से डालो.
इतना कहकर शारदा ने अपना एक स्तन नीचे से सहारा देते हुए मोहन की तरफ बढ़ाया और प्रमोद से उस पर स्कॉच डालने को कहा.
मोहन ने शारदा के उस स्तन का चुचुक अपने मुँह में ले लिया और प्रमोद के स्कॉच डालने पर कुत्ते की तरह अपनी जीभ से लपालप उसे चाटने लगा.
इससे शारदा को भी मज़ा आ गया- अभी ये वाला.
उसने अपना दूसरा स्तन आगे कर दिया.
थोड़ी देर में ग्लास की पूरी स्कॉच खत्म हो गई.
शारदा- अभी खत्म. अब क्या करेंगे?
प्रमोद हॉट इंडियन वाइफ Xxx को बोला – तेरी पूजा करेंगे? अरे मस्ती करेंगे और क्या!
शारदा हंसते हुए लेट गई और प्रमोद ने फटाफट अपने कपड़े निकाले और अपना लंड शारदा के मुँह में दे दिया.
मोहन भी नंगा हो कर अपना लंड मुठियाने लगा.
शारदा ने प्रमोद का लंड चूसते हुए इशारे से मोहन को पास बुलाया और खुद उसका लंड मुठियाने लगी.
फिर थोड़ी देर बाद प्रमोद का लंड मुँह से निकाल कर उसने मोहन का ठूँस लिया और अब प्रमोद का मुठियाने लगी.
ऐसे थोड़ी देर अदला-बदली करती रही फिर बोली- मैं ही दोनों का चूसती रहूँगी या कोई मेरी भी चाटेगा?
मोहन- मैं चाट लूँ. मैंने सोचा पता नहीं आप बुरा न मान जाओ.
शारदा- जब तक मैं मना न करूँ, पूछने की कोई जरूरत नहीं है. जिसे जो करना है कर सकता है. अब से मैं जिंदगी के पूरे मजे लेने वाली हूँ दुनिया जाए मां चुदाने!
तीनों एक साथ- हां दुनिया जाए अपनी मां चुदाने!
उसके बाद तीनों ने खुल कर चुदाई की.
शारदा के मन में दबी हुई सारी तमन्नाएं बाहर आ गईं; उसने दो-दो लंडों का पूरा मज़ा लिया.
धीरे धीरे उसका नशा नींद में बदल गया और वह सो गई.
मोहन भी अपने कमरे में जा कर सो गया.
आगे का समय बहुत मस्त होने वाला था.
जिस तरह से फूल की कली की सुंदरता के प्रेमी सभी हो जाते हैं, उसी तरह से यह कायनात बनाने वाले ने कुछ ऐसी मानसिकता का निर्माण भी किया है, जो जीवों को संसर्ग के लिए प्रेरित करती है. तभी तो सृजन होता है.
बस इसमें इंसान ने अपनी सामाजिक स्थितियों से बंधन बना दिए हैं, जिस वजह से उनके टूटने का भय लगता है.
दोस्तो, इस सेक्स कहानी में आप देख रहे हैं कि रिश्तों में सेक्स का होना किस तरह से कामुकता को बिखेरता है.
आपको यह रचना इसके चरम बिन्दु तक ले जाने वाली है.
हॉट इंडियन वाइफ Xxx कहानी पर आप अपने विचार मुझे ईमेल से जरूर भेजें.
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