बदलते रिश्ते -3

(Badalte Rishte -3)

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बहू के नितम्बों को सहलाने के बाद तो उसका भी तनकर खड़ा हो गया था, इधर अनीता के अन्दर का सैलाब भी उमड़ने लगा, उसके तन-बदन में वासना की हजारों चींटियाँ काटने लगी थीं।

रामलाल का तना हुआ लिंग अनीता की जाँघों से रगड़ खा रहा था जिससे अनीता को बड़ा सुखद अनुभव हो रहा था, किंतु कैसे कहती कि पिता जी, अपना पूरा लिंग खोल कर दिखा दो। वह चाह रही थी कि किसी प्रकार ससुर जी ही पहल करें।

वह अपना सारा दुःख-दर्द भूल कर ससुर की बातों और उसके हल्के स्पर्श का पूरा आनन्द ले रही थी।
रामलाल किसी न किसी बहाने बात करते-करते बहू की छातियों का भी स्पर्श कर लेता था।

अनीता को अब यह सब बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा था, जब रामलाल ने भांपा कि अब अनीता उसका बिल्कुल विरोध करने की स्थिति में नहीं है तो बोला- आ बहू, बैठ कर बात करते हैं। तुझे अभी बहुत कुछ समझाना बाकी है। अच्छा एक बात बता, मेरा प्यार से तेरे ऊपर हाथ फिराना कहीं तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है?
‘नहीं तो…’

रामलाल ने बहू के मुँह से ये शब्द सुने तो उसने उसे और भी कसकर अपनी बाँहों में भर कर बोला- देख, आज मैं तुझे एक ऐसी सीडी दूंगा, जिसे देख कर नामर्दों का भी खड़ा हो जायेगा। तू कभी वक्त निकाल कर पहले खुद देखना तभी तुझे मेरी बात का यकीन हो जायेगा।

‘ऐसा क्या है पिता जी उसमें?
‘उसमें ऐसी-ऐसी फ़िल्में हैं जिसे तू भी देखेगी तो पागल हो उठेगी। औरत-मर्द के बीच रात में जो कुछ भी होता है वो सब कुछ तुझे इसी सीडी में देखने को मिलेगा।’

इसी बीच रामलाल ने बहू के नितम्बों को जोरों से दबा दिया और फिर अपने हाथ फिसलाकर उसकी जाँघों पर ले आया।
अनीता ने एक हल्की सी सिसकारी भरी।
रामलाल आगे बोला- क्या तू विश्वास कर सकती है कि कोई औरत एक फ़ुट का झेल सकती है?
‘नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है, पिता जी? औरत मर नहीं जायेगी इतना लम्बा डलवाएगी अपने अन्दर तो?’

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‘अरे, तू मेरा यकीन तो कर। अच्छा, कल तुझे वह सीडी दूंगा तो खुद ही देख लेना !’
‘पिता जी, आज ही दिखाओ न, वह कैसी सीडी है। मुझे जरा भी यकीन नहीं आ रहा।” “ज़िद नहीं करते बेटा, कल रात को जब अनमोल एक विवाह में शामिल होने जायेगा तो तू रात में देख लेना। अभी अनमोल के आने का वक्त हो चला है।’

रामलाल ने बहू के गालों पर एक प्यार भरी थपकी दी और उसके नितम्बों की दोनों फांकों को कस इधर-उधर को फैलाया और फिर कमरे से बाहर निकल आया।

रामलाल के कमरे से बाहर निकलते ही अनमोल आ गया। अनीता ने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि अच्छा हुआ जो पिता जी वक्त रहते बाहर निकल गए, वरना अनमोल पर जरूर इसका गलत प्रभाव पड़ता।

रात हुई और पति-पत्नी फिर एक साथ लेटे। अनीता ने धीरे से अपना हाथ पति की जाँघों की ओर बढ़ाया और पतिदेव के मुख्य कारिंदे को मुट्ठी में पकड़ कर रगड़ना शुरू कर दिया पर लिंग में तनिक भी तनाव नहीं आया।
अनमोल कुछ देर तक चुपचाप लेटा रहा और अनीता उसके लिंग को बराबर सहलाती रही। अंत में कोई हरकत न देख वह उठी और उसने मुरझाये हुए लिंग को ही मुँह में लेकर खूब चूसा।

काफी देर के बाद लिंग में हरकत सी देख अनीता पति के लिंग पर सवार होने की चेष्टा में उसके ऊपर आ गई और उसने अपनी योनि को फैलाकर लिंग को अन्दर लेने की कोशिश की।
इस बार लिंग मुश्किल से अन्दर तो हो गया किन्तु जाते ही स्खलित हो गया और सिकुड़े हुए चूहे जैसा बाहर आ गया। अनीता का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा।

रात भर योनि में उंगली डाल कर बड़-बड़ करती अपनी काम-पिपासा को शांत करती रही।
अगले दिन अनमोल किसी विवाहोत्सव में सम्मिलित होने चला जायेगा, यह सोचकर अनीता बहुत खुश थी। वह शीघ्र ही रात होने का इन्तजार करने लगी। एक-एक पल उसे युगों सा कटता प्रतीत हो रहा था।

दिन भर वह रामलाल के ख्यालों में खोई रही। उसे ससुर द्वारा अपने सिर से लेकर कन्धों, पीठ और फिर अपने नितम्बों तक हाथ फिसलाते हुए ले जाना, अपनी चूचियों को किसी न किसी बहाने छू लेना, और उनका कड़े लिंग का अपनी जाँघों से स्पर्श होना रह-रह याद आ रहा था।
वह एक सुखद कल्पना में सारे दिन डूबी रही। शाम को अनमोल विवाह में शामिल होने चला गया तब उसे कहीं चैन आया। अब उसने पक्का निश्चय कर लिया था कि आज की रात वह अपने ससुर रामलाल के साथ ही बिताएगी और वह भी पूरी मस्ती के साथ।

इसी बीच उसने उपने कक्ष के दरवाजे पर हल्की सी थपथपाहट सुनी, वह दौड़ कर गई और दरवाजे की कुण्डी खोली तो देखा बाहर उसका ससुर रामलाल खड़ा था।
बिना कुछ बोले वह अन्दर आ गई और पीछे-पीछे ससुर जी भी आ खड़े हुए।

अनीता ने गदगद कंठ से पूछा- पिता जी, लाये वह सीडी, जो आप बता रहे थे?
‘हाँ बहू, ये ले और डाल कर देख इसे सीडी प्लेयर में।’ अनीता ने लपक कर सीडी रामलाल के हाथ से ले ली और उसे प्लेयर में डाल कर टी वी ओन कर दिया।

परदे पर स्त्री-पुरुष की यौन क्रीड़ायें चल रही थीं। रामलाल ने सीन को आगे बढ़ाया- एक मोटा गोरा एक कुंवारी लड़की की योनि में अपना मोटा लम्बा लिंग घुसाने की चेष्टा में था। लड़की बुरी तरह से दर्द से छटपटा रही थी। आखिरकार वह उसकी योनि फाड़ने में कामयाब हो ही गया।

इस सीन को देखकर अनीता ससुर के सीने से जा लिपटी। रामलाल ने उसे अपनी बांहों में भर कर तसल्ली दी- अरे, इतने से ही डर गई। अभी तो बहुत कुछ देखना बाकी है बहू।
रामलाल के हाथ अब खुलकर अनीता की छातियाँ सहला रहे थे। अनीता को एक विचित्र से आनन्द की अनुभूति हो रही थी। वह और भी रामलाल के सीने से चिपटी जा रही थी। रामलाल ने बहु का हाथ थामकर अपने लिंग का स्पर्श कराया।

अनीता अब कतई विरोध की स्थिति में नहीं थी। उसने धीरे से रामलाल के लिंग का स्पर्श किया और फिर हल्के-हल्के उसपर हाथ फेरने लगी।
वह रामलाल से बोली- पिता जी वह सीन कब आएगा?
‘कौन सा बहू?’ इस बीच रामलाल ने अनीता की जांघों को सहलाना शुरू कर दिया था।

जांघें सहलाते-सहलाते उसने अनीता की सुरंग में अपनी एक उंगली घुसेड दी। अनीता सिहर उठी और उसके मुँह से एक तेज सिसकारी फूट पड़ी- आह! उफ्फ… अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा…’
‘क्या बर्दास्त नहीं हो रहा बहू? ले तुझे अच्छा नहीं लगता तो मैं अपनी उंगली बाहर निकाल लेता हूँ।’ रामलाल ने बहू की सुरंग से अपनी उंगली बाहर निकाल ली और दूर जा बैठा। वह जानता था कि अनीता के रोम-रोम में मस्ती भर उठी है और वह अब समूचा लिंग अपनी दहकती भट्टी में डलवाए बिना नहीं रह सकती।

अनीता को लगा कि ससुर जी नाराज हो गए हैं, वह दूर जा बैठे रामलाल से जा लिपटी, बोली- पिता जी, आप तो बुरा मान गए।
‘…तो फिर तुमने यह क्यों कहा कि अब तो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा…?’
‘पिता जी, मेरा मतलब यह नहीं था जो आप समझ रहे हैं।’
‘फिर क्या था तुम्हारा मतलब?’
‘अब पिता जी, आप से क्या छिपा है… आप नहीं जानते, जब औरत की आग पूरी तरह से भड़क जाती है तो उसकी क्या इच्छा होती है?’
‘नहीं, मुझे क्या पता औरत की चाहत का कि वह क्या चाहती है।’

अनीता बोली- अब मैं आपको कैसे समझाऊँ कि मेरी क्या इच्छा हो रही है।
‘बहू, तू ही बता, मैं तेरी मर्ज़ी कैसे जान सकता हूँ। तू एक हल्का सा इशारा दे, मैं समझने की कोशिश करता हूँ।’
‘मैं कुछ नहीं बता सकती, आपको जो भी करना है करो… अब मैं आपको रोकूंगी नहीं।’
‘ठीक है…फिर मैं तो कहूँगा कि तू अपने सारे कपड़े उतार दे और बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने पसर जा ! आज मैं तेरी गदराई जवानी का खुलकर मज़ा लूँगा… बोल देगी?’

अनीता ने धीरे से सिर हिला कर स्वीकृति दे दी और बोली- नंगी मुझे आप खुद करोगे, हाँ, मैं पसर जाऊँगी आपके सामने।
रामलाल ने कहा- देख बहू, फिर तेरी फट-फटा जाये तो मुझे दोष न देना, पहले मेरे इसकी लम्बाई और मोटाई देख ले अच्छी तरह से।
रामलाल ने अपना कच्छा उतार फैंका और अपना फनफनाता लिंग उसके हाथो में थमा दिया।
‘कोई बात नहीं, मुझे सब मंजूर है।’
फिर रामलाल ने एक-एक करके अनीता के सारे कपड़े उतार फैंके और खुद भी नंगा हो गया।
अनीता ससुर से आ लिपटी और असका मोटा लिंग सहलाते हुए बोली- पिता जी, बुरा तो नहीं मानोगे?
‘नहीं मानूंगा, बोल…’
अनीता ने कहा- आपका यह किसी हब्शी के लण्ड से कम थोड़े ही है।’
अनीता के मुख से लण्ड शब्द सुन कर राम लाल की बांछें खिल गई।

इसी बीच दोनों की निगाहें एक साथ टीवी पर जा पहुंची। एक नंगी औरत अक काले निग्रो का एक फ़ुटा लिंग अन्दर ले जाने की कोशिश में थी। धीरे-धीरे उसने आधा लिंग अपनी योनि के अन्दर कर लिया।

अनीता सहमकर ससुर से बुरी तरह से चिपट गई। रामलाल ने बहू को नंगा करके अपने सामने लिटा रखा था और उसकी जांघें फैलाकर सुरंग की एक-एक परत हटाकर रसदार योनि को चूसे जा रहा था।
अनीता अपने नितम्बों को जोरों से हिला-हिला कर पूरा आनन्द ले रही थी।

अनीता ने एक बार फिर टीवी का नजारा देखा। लड़की की योनि में हब्शी का पूरा लिंग समा चुका था।
एकाएक रामलाल को जैसे कुछ याद आ गया हो वह उठा और टेबल पर रखा रेज़र उठा लाया। उसने अनीता के गुप्तांग पर उगे काले-घने बाल अपनी उँगलियों में उलझाते हुए कहा- यह घना जंगल और ये झाड़-झंकाड़ क्यों उगा रखा है अपनी इस खूबसूरत गुफा के चारों ओर?’
‘पिता जी, मुझे इन्हें साफ़ करना नहीं आता !’

‘ठीक है, मैं ही इस जंगल का कटान किये देता हूँ।’ ऐसा कहकर रामलाल ने उसकी योनि पर शेविंग-क्रीम लगाई और रेज़र से तनिक देर में सारा जंगल साफ़ कर दिया और बोला- जाओ, बाथरूम में जाकर इसे धोकर आओ। तब दिखाऊँगा तुम्हें तुम्हारी इस गुफा की खूबसूरती।
अनीता बाथरूम में जाकर अपनी योनि को धोकर आई और फिर रामलाल के आगे अपनी दोनों जांघें इधर-उधर फैलाकर चित्त लेट गई रामलाल ने एक शीशे के द्वारा उसे उसकी योनि की सुन्दरता दिखाई।

अनीता हैरत से बोली- अरे, मेरी यह तो बहुत ही प्यारी लग रही है।
वह आगे बोली- पिता जी, आपके इस मोटे मूसल पर भी तो बहुत सारे बाल हैं। आप इन्हें साफ़ क्यों नहीं करते?

रामलाल बोला- बहू, यही बाल तो हम मर्दों की शान हैं। जिसकी मूछें न हों और लिंग पर घने बाल न हों तो फिर वह मर्द ही क्या। हमेशा एक बात याद रखना, औरतों की योनि चिकनी और बाल-रहित सुन्दर लगती है मगर पुरुषों के लिंग पर जितने अधिक बाल होंगे वह मर्द उतना ही औरतों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।

अनीता बोली- पिता जी, मुझे तो आपका ये बिना बालों के देखना है। लाइए रेज़र मुझे दीजिये और बिना हिले-डुले चुपचाप लेटे रहिये, वर्ना कुछ कट-कटा गया तो मुझे दोष मत दीजियेगा।
अनीता ने ससुर के लिंग पर झट-पट शेविंग क्रीम लगाई और सारे के सारे बाल मूंड कर रख दिए।

रामलाल जब लिंग धोकर बाथरूम से लौटा तो उसके गोरे, मोटे और चिकने लिंग को देख कर अनीता की योनि लार चुआने लगी। योनि रामलाल के लिंग को गपकने के लिए बुरी तरह फड़फड़ाने लगी और अनिता ने लपक कर उसका मोटा तन-तनाया लिंग अपने मुँह में भर लिया और उतावली हो कर चूसने लगी।

कहानी जारी रहेगी।
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