ममता की धुंआधार चुदाई

(Mamta Ki Dhuandhar Choot Chudai)

अमित दुबे 2015-02-23 Comments

मैं अमित दूबे, मेरी आयु 25 साल है पिछली कहानी के प्रकाशन के लिए अन्तर्वासना का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।

टीवी देखते देखते चूत में उंगली की यह कहानी लिखने के बाद, मुझे टाइम नहीं मिल पाया इसलिए मैं इसके आगे की कहानी नहीं लिख पाया।
अब आगे की कहानी सुनाता हूँ।

रात में ममता की चूत में उंगली करने के बाद उसे बाथरूम में अपने लण्ड का रस पिलाया और बोला- कल चुदने के लिए तैयार रहना…
उसने बोला- काम कर अपना… जो हो गया काफी है, मुझे नहीं चुदना!

उसके बाद वो भाभी जी के पास जाकर सो गई और मैं टीवी वाले कमरे में सो गया।

सुबह उठ कर मैं अपनी आदत अनुसार छत पर टहलने चला गया।
हमारी छत बहुत बड़ी है।

अब मैं घूमते घूमते योजना बना रहा था कि इस ममता को कैसे निपटाऊँ क्योंकि वो शादीशुदा है तो उसे तो रोज लण्ड मिलता होगा तो ऐसा ना हो वो कोई गड़बड़ कर दे क्योंकि मामला रिश्तेदारी का है।

पर बोलते हैं ना कि ‘डर के आगे जीत है…’
मुझे पूरा विश्वास था कि वो थोड़ी देर में बेचैन होकर छत पर जरूर आएगी क्योंकि कहीं ना कहीं वो भी लण्ड लेना चाहती होगी्।
सुबह करीब 9 बजे वो स्नान करके कपड़े सुखाने के लिए छत पर आ।
उसके बाल खुले थे।
वो कपड़े फ़ैलाने लगी और मैं उसकी चूत फाड़ने का प्लान बनाने लगा।

सीढ़ियों के ठीक बाद एक छोटा सा कमरे टाईप का केबिन बना है, वहाँ मैंने उसे पकड लिया।

उसने सलवार-सूट पहन रखा था और सीढ़ियों का दरवाजा अटका हुआ था तो कोई डर भी नहीं था।

मौका अच्छा देख कर उसकी चूचियाँ जो चीकू के आकार के थे, उन्हें मसल दिया।

उसकी ‘आह ऊह…’ सब निकलने लगी।

मैंने उसे कहा- मुझे चुम्मा दे…

और अपने लिप उसकी ओर किये।

उसने मना किया- नहीं दूंगी, मुझे छोड़ दे!

पर मैंने उसकी एक ना सुनी और उसके बूब्स मसलता रहा।

उससे कंट्रोल नहीं हुआ और वो मेरे लबों को चूमने लगी।

करीब दस मिनट में मैंने उसकी कुर्ती के और ब्रा के अंदर हाथ डाल के उसके बूब्स मसल मसल कर लाल कर दिये।

वो बोली- अब नीचे जाने दे, कोई आ जायेगा।

मैंने बोला- एक शर्त पर… शाम को मम्मी भाभी सब्जी लेने हाट में जाएँगे तो तू घर पर ही रुकना और अपनी चड्डी और ब्रा कपड़ों के अंदर से निकाल कर रखना।

उसने बोला- हाँ मेरे बाप… नेहा ने जैसा बताया था तुम वैसे ही हो। एक बार मैं तुम्हारे चक्कर में आ गई तो अब तो मुझे चुदना ही होगा।

अब आप सोच रहे होंगे कि यह नेहा कौन है?
दोस्तो, यह वही लड़की है जिसकी वजह से मैं इतना बड़ा चोदू बना…
नेहा से दोस्ती और उसके ठुकराने के बाद चोदू बनने और नेहा को निपटाने की स्टोरी भी आपको जरूर बताऊँगा लेकिन फिर कभी!

मम्मी, भाभी करीब 4 बजे सब्जी लेने हाट में जाने वाले थे, मैं 3 बजे ही घर से बाहर अपने दोस्त के यहाँ चला गया।

करीब 4.15 पर मैं घर पहुँचा, मुझे पता था कि मेरे पास सिर्फ एक घंटा है इसकी चूत ठोकने के लिए क्योंकि मम्मी भाभी 5.30 तक वापस आ सकते हैं।
अन्दर जाते ही मेन-डोर बंद किया तो वो बोली- यह क्या कर रहा है?

मैंने उसकी एक ना सुनी और उसे पकड़ के आनन फानन में उसका ब्लाउज उतार दिया और आजाद कबूतरों को जम के मसला तो पता चला कि उसने सही में अंदर ब्रा नहीं पहनी है।

वो चिल्लाई- उई माँ… मार डाला!  धीरे धीरे मसल हरामजादे… फ्री का माल हूँ तो क्या जान लेगा?

मैं उसे पकड़ कर भाभी वाले रूम में ले गया।

‘हरामजादे’ सुन कर मुझे जोश आ गया और मैं बोला- मादरचोद चुप हो जा, भोसड़ा फाड़ दूँगा तेरा !

और उसके होंठ छूसते हुए उसे पलंग पर लेटा लिया, उसकी साड़ी खोल दी खींच खींच कर, फिर उसके लब, गर्दन, कान के पास और बूब्स को चूसा और काटा।

एक बार तो उसके बूब्स इतनी जोर से चूसे कि वो बोली- ओ माँ माम्म… म्म्म्मम्मा… उईईई… ईईईई… मर जाऊँगी रे…

फिर मैंने उसका घाघरा ऊपर किया उसकी चूत भी नंगी और साफ़ बाल रहित थी।

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए, बस चड्डी पहने रहा।

वो बोली- प्लीज़ अमित, जल्दी से चोद दे… कोई आ ना जाए!

मैंने एक कपड़े से उसकी गीली चूत साफ़ की और उसकी चूत को चूसने लगा।

वो मस्त होकर हाथ पैर पटकने लगी, बोली- मेरे पति ने भी आज तक मेरी फ़ुद्दी नहीं चाटी…

‘सूपड़ सूपड़’ कर उसकी चूत चाटता रहा मैं और उसके दाने को अपनी जुबान से छेड़ता रहा।

वो बोली- अब नहीं रहा जाता… प्लीज़ अन्दर घुसा कर चोद दे…

मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाली और अंदर-बाहर की और जो रस उंगली पे लगा, वो उसे चटवाया।
दो तीन बार ऐसे ही किया, फिर उसको बोला- चल टांगें चौड़ी कर के लेट जा…

अपनी चड्डी उतार कर अपना सात इंच का औजार उसकी चूत पर लगाया और उसके निप्पल चूसने लगा।

वो खुद चूतड़ उठा कर लण्ड अंदर लेने की नाकाम कोशिश करने लगी।

जब वो पूरी तरह से बेचैन हो गई तो एक ही झटके में मैंने अपना पूरा लण्ड अंदर कर दिया।

वो जोर से चिल्लाई- ऊऊऊ…ऊह… ऊई… उम्म… म्म्म धीरे जालिम…

मैंने बिना रुके धड़ाधड़ लण्ड अंदर-बाहर किया, बोला- हरामजादी शादीशुदा है तू तो, तुझे तो आदत होगी लण्ड एकदम अंदर लेने की, चुप हो जा साली कुतिया चुदाई के मजे ले, ले लण्ड भोसड़ी की, ले तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल देता हूँ।
वो भी मस्त होकर गांड उठा उठा कर ठुकवाने लगी।

मैंने बोला- मेरी जान, लण्ड का रस तेरी चूत में डालूँ या तेरे मुँह में?

वो बोली- मेरी चूत में ही भर दे हरामी…

15-20 जोरदार झटके देने के बाद उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गाड़ दिए और अपना लावा छोड़ा उसकी गर्मी और चूत के संकुचन के कारण मेरा भी सारा माल उसकी चूत में चला गया।

फिर जो तूफान आया था, वो शांत हो गया।

दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे।
मैंने टाइम देखा तो 5.15 हो गए थे, मैंने उसे बोला- अपनी साड़ी पहन ले, मम्मी भाभी आने में ही होंगे।

मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए और पैंट के अन्दर से सुस्त लण्ड बाहर निकाला और बोला- चूस इसे…

वो बोली- बाद में चूस दूँगी, वो आ जाएँगे…

मैंने बोला- नहीं, अभी चूस…

और वो सुपुड़ सुपुड़ करके चूसने लगी।

वो लण्ड का सुपारा मस्त होकर चाट और चूस रही थी, बहुत मजा आ रहा था।

अभी दस मिनट हुए होंगे, इतने में दरवाजे की घण्टी की आवाज आई और मेरी गांड फटी कि अब क्या होगा, घर का दरवाजा बंद और हम दोनों अंदर और गेट पर पता नहीं कौन है?

आगे क्या हुआ, मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा।

आप मुझे ईमेल करके बताएँ कि आपको कहानी कैसी लग रही है?
धन्यवाद।

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