संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 2
(Non Stop Sex In Family)
नॉन स्टॉप सेक्स इन फॅमिली का मजा लेंगे आप इस कहानी को पढ़ कर. एक भाई बहन की शादी दूसरे भाई बहन से अदल कर हुई. एक रात वे चारों एक ही बेडरूम में सेक्स का मजा ले रहे हैं.
दोस्तो, इस सेक्स कहानी के पिछले भाग
भाई की सुहागरात में बहन ने गांड मरवाई
में अभी तक आप पढ़ चुके थे कि सचिन और रूपा की सुहागरात के बाद दूसरे दिन उनके नए ऑफिस का उद्घाटन होना था.
अब आगे नॉन स्टॉप सेक्स इन फॅमिली:
ऑफिस के उद्घाटन के बाद पार्टी में शैम्पेन की बोतल खोली गई और सबने पी.
प्रमोद और शारदा ने बहुत लम्बे समय के बाद शराब पी थी इसलिए उन्हें थोड़ी सी चढ़ भी गई थी.
इसलिए जब थोड़ी देर बाद सब कपल डांस कर रहे थे तो ये दोनों इस डर से कुर्सी पर ही बैठे थे कि कहीं लड़खड़ा न जाएं.
सचिन- पापा! आओ न आप भी डांस करो मम्मी के साथ!
प्रमोद- अरे नहीं … तुम जवान लोग करो ये सब … हमें नहीं आता.
रूपा- अरे ऐसे कैसे … चलो हम सिखाते हैं. सचिन, तुम मम्मीजी को लेकर आओ.
ऐसा कह कर रूपा अपने ससुर का हाथ पकड़ कर ले आई और उनको डांस सिखाने लगी.
उधर सचिन भी अपनी मां के साथ डांस करने लगा.
रूपा की पार्टी ड्रेस का गला सामान्य से थोड़ा अधिक गहरा था.
प्रमोद का मन शाम से ही अपनी बहू के स्तनों की उन थोड़ी सी झलकियों से आनंदित हो रहा था लेकिन यहां तो वह उनसे चिपक कर खड़ी थी, तो इस जगह से उनकी नजरें स्तनों को ठीक ऊपर से देख पा रही थीं.
रूपा के लगभग आधे स्तन प्रमोद की आंखों के सामने थे.
ऊपर से जब शराब सर चढ़ी हो तो इंसान को दुनिया कुछ ज़्यादा ही रंगीन दिखाई देती है.
उधर शारदा भी पूरी तरह होश में नहीं थी इसलिए अपने पैरों पर कम और बेटे की छाती से अधिक लदी हुई थी.
लेकिन सचिन भी इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी मां के स्तनों को अपनी छाती पर दबाए हुए नाच रहा था.
एक दो बार उसका हाथ फिसल कर मां के नितम्बों पर चला भी गया तो मां कुछ समझ नहीं पाई … इसका भी सचिन ने भरपूर फायदा उठाया और उन्हें भी एक दो बार मसल दिया.
पार्टी के बाद प्रमोद और शारदा, पंकज और सोनाली के साथ घर चले गए और सचिन-रूपा ऑफिस की बत्तियां आदि बंद करके ताला आदि लगाने में व्यस्त हो गए.
रूपा- पापा, इस उम्र में भी जवान हैं.
सचिन- क्यों क्या हुआ?
रूपा- डांस करते समय पूरा टाइम उनकी नजरें मेरे खरबूजों के बीच में ही थीं.
सचिन- काफी दिन बाद ड्रिंक किया था न तो थोड़े टाइट थे शायद!
रूपा- ऊपर से ही नहीं नीचे से भी काफी टाइट थे.
सचिन- क्या बात कर रही हो! तुमको फ़ील हुआ क्या?
रूपा- फील! अरे, मैं तो तुमको उनका साइज तक बता सकती हूँ. तुमसे थोड़ा ही छोटा है.
सचिन- ओह्ह … देखो, अगर तुमको बुरा लगा हो तो मैं उनसे बात करूँगा … ताकि आगे से ऐसा न हो.
रूपा- मुझे क्यों बुरा लगेगा. तुम्हारे सामने कितनी बार मैंने अपने भाई से चुदवाया है.
सचिन- फिर ठीक है. मेरी तरफ से बेफिक्र रहो. जैसा तुमको सही लगे तुमको छूट है करने की.
ये सब बातें करते करते दोनों घर आ चुके थे.
सयाने लोग तो सोने जा चुके थे लेकिन चारों भाई बहन का एक शैम्पेन से कुछ नहीं हुआ था इसलिए उन्होंने और ड्रिंक करने का प्लान बनाया.
चारों डाइनिंग टेबल पर बैठ कर व्हिस्की पीते हुए बात करने लगे.
सोनाली- कितने दिनों के बाद हम ऐसे साथ पार्टी कर पा रहे हैं न!
रूपा- हां, एक जमाना था जब रोज ही ऐसे पार्टी करते थे.
पंकज- बस पार्टी करते थे?
सचिन- अरे बाबा, हां … याद है कि चुदाई भी करते थे. अब मौका ही कहां मिलता है.
रूपा- वैसे अभी मौका है. कल तो ये लोग चले जाएंगे … और ऑफिस में जो हुआ उसके बाद मैं पहले ही गीली हो चुकी हूँ.
सोनाली- क्या हुआ ऑफिस में?
सचिन- अरे वह सब छोड़ो, अभी समय कम है चलो बेडरूम में चल कर फिर से पुरानी यादें ताज़ा करते हैं.
रूपा- हां, चलो चुदाई चौकड़ी जमाएंगे और अब तो हम भैया को भी गांड मारना सिखा सकते हैं.
सबने अपने अपने ग्लास फुल किये और उनके साथ बेडरूम की ओर चल दिए.
बेडरूम में पहुंचते ही बिना कोई समय गंवाए कुछ ही क्षणों में सब नंगे थे.
पंकज- क्या बात है, मेरी बहन की चूत तो बिल्कुल चिकनी हो गई!
रूपा- हां, सुहागरात के लिए सोचा कुछ तो स्पेशल किया जाए इसलिए काफी समय से लेजर ट्रीटमेंट ले रही थी.
पंकज ने रूपा को गले लगा लिया और सोनाली ने सचिन के लंड को कुल्फी की तरह चूसना चाटना शुरू कर दिया.
कुछ देर चूत-लंड चटाई-चुसाई के बाद अपनी अपनी बहनों की चुदाई शुरू हुई.
थोड़ी देर तक घोड़ी बनाकर चोदने के बाद सचिन ने सोनाली की गांड में लंड डाल दिया.
पंकज- अरे, ऐसे मत करो. गांड मारनी है तो कॉन्डोम लगा कर ही मारो और वह कॉन्डोम फिर चुदाई से पहले बदलो, नहीं तो बीमारियों की कमी नहीं है दुनिया में!
सचिन- हमने तो सुहागरात वाले दिन भकाभक सब काम किये … वह भी दोनों के साथ … कुछ नहीं हुआ.
पंकज- शुक्र मनाओ कि कुछ नहीं हुआ लेकिन एक बार गिरने से हड्डी नहीं टूटी इसका मतलब ये तो नहीं कि गिरते-पड़ते ही रहो. एक की गांड से दूसरी की गांड में भी अलग कॉन्डोम इस्तेमाल करना जरूरी है … और गांड से चूत में तो कभी भी सीधे मत जाओ. पोर्न स्टार्स तो बहुत हाई डोज लेते हैं एंटी-बायोटिक का … तब करते हैं ये सब गांड से चूत वाली मस्ती!
रूपा- ठीक है ठीक है. अभी तो ज्ञान का डोज ज़्यादा हो गया है. मान ली आपकी बात … अब अपनी बहन को चोदो ठीक से!
फिर सब चुदाई में मशगूल हो गए.
एक राउंड के बाद पहली बार पंकज ने सोनाली की गांड मारी.
पंकज- ये मैंने पहले ट्राय क्यों नहीं किया. गांड मारने का तो मज़ा ही अलग है.
रूपा- अपनी बहन की गांड मार के देखो … और ज़्यादा मज़ा आएगा!
इस बात पर सब हंस पड़े लेकिन पंकज ने देखा तो नॉन स्टॉप सेक्स के कारण कॉन्डोम खत्म हो गए थे क्योंकि पंकज की सलाह पर हर बार बदल बदल कर इस्तेमाल किये जा रहे थे.
सोनाली- चिंता न करो, हमारे सामान में दो बड़े वाले फुल पैकेट पड़े हैं. रूपा, तू इन दोनों का लंड चूसती रह … मैं लेकर आती हूँ.
उधर कुछ ही देर पहले अपनी आदत से मजबूर प्रमोद पानी पीने के लिए किचन की ओर जा रहा था कि उसने सचिन के कमरे की लाइट को जली हुई देखी तो अपनी प्यास को कुछ देर के लिए भूल ही गया.
उसकी आंखों के सामने अपनी बहू के स्तनों की वह झलक आ गई, जो उसे पार्टी में मिली थी.
लेकिन जैसे ही खिड़की पर कान लगा कर सुनने की कोशिश की कि अचानक कमरे का दरवाज़ा खुला और वहां से एक नग्न स्त्री बाहर निकल कर तेज़ी से मेहमानों वाले उस कमरे की ओर चली गई … जहां पंकज और सोनाली ठहरे हुए थे.
दो-तीन क्षणों के लिए तो प्रमोद वहीं स्तब्ध खड़ा रह गया … क्योंकि एक बहुत लम्बे अरसे के बाद उसने किसी जवान कसे हुए बदन की महिला का बेदाग नंगा जिस्म इतनी करीब से देखा था.
उस लड़की के नंगे नितम्ब प्रमोद के मन में एक बार फिर मटकते हुए दिखाई दे रहे थे, लेकिन जैसे ही उसे होश आया वह समझ गया कि जिसे उसने अभी देखा, वह उसकी ही बेटी सोनाली थी.
वह दरवाज़ा खुला ही छोड़ गई थी मतलब शायद जल्दी ही वापस आने वाली थी.
जाते समय तो उसने प्रमोद को नहीं देखा क्योंकि वह उसकी पीठ की ओर खड़ा था लेकिन वापस आते समय वह उसकी आंखों के सामने होगी.
ये सोच कर प्रमोद जल्दी से किचन में जाकर छिप गया.
उसका दिमाग तो कह रहा था कि वह सोनाली ही थी लेकिन दिल ये मानने को तैयार नहीं था.
वह इस समय अपने भाई के कमरे से क्यों निकली होगी … वह भी नंगी?
प्रमोद को सोचने का अधिक समय नहीं मिल पाया क्योंकि तभी सोनाली अपने कमरे से उसी नग्न हालत में बाहर आई.
इस बार प्रमोद की नजरों को उसके कूल्हे नहीं बल्कि पूरे नंगे सुडौल उरोज दिखाई दिए थे.
एक बार फिर से उसने ऐसे युवा स्तन युगल कई वर्षों के बाद देखे थे.
उसका लंड तुरंत उस सौंदर्य को सलामी देने लगा.
तब जाकर उसका ध्यान अपनी बेटी की जांघों के बीच गया, जहां नग्न से अभी अधिक बिना बालों के नग्न अपने ही रस में डूबी हुई उसकी चूत चमक रही थी.
एक क्षण तो वह उसे ऐसे ही अपनी ओर आते देखता रहा लेकिन तभी उसे ध्यान आया कि उसकी बेटी तो किचन की तरफ ही आ रही है.
यह देख कर प्रमोद तुरंत किचन के एक अँधेरे कोने में जाकर किसी मूर्ती की तरह खड़ा हो गया.
सोनाली के हाथ में कॉन्डोम के दो बड़े पैकेट थे लेकिन उसने सोचा कि इतनी भी क्या जल्दी है, बाहर आई ही हूँ तो थोड़ा आराम से पानी पीकर फिर वापस जा सकती हूँ.
इसी लिए वह किचन में गई, एक ग्लास में पानी लिया और पलट कर अपने कूल्हे वहीं किचन के प्लेटफॉर्म पर टिका कर पानी पीने लगी.
तभी उसकी नजर कोने में खड़े अपने पिता पर पड़ी.
कुछ सेकंड के लिए वह जड़ हो गई, पानी मुँह में ही रह गया और उसे समझ नहीं आया कि वह क्या प्रतिक्रिया दे.
उधर प्रमोद का भी यही हाल था लेकिन वह इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहा था.
आज पहली बार उसे अपनी जवान बेटी नंगी देखने को मिल रही थी, वह भी इतने नजदीक से.
सोनाली ने जब अपने मुँह से सटे गिलास की ओट से देखा तो उसे दो ख़ास बातें समझ आईं, जिससे उसका सारा डर रफूचक्कर हो गया.
एक तो ये कि पापा की नजरें उसकी नजरों से मिलने के बजाए उसके जिस्म की लहरों पर ही तैर रही थीं.
दूसरा पापा का कड़क सिपाही उसके नंगे जिस्म की खूबसूरती को सलाम ठोक रहा था.
सोनाली ने आराम से अपने मुँह का पानी गटका, ग्लास को अपने मुँह से अलग किया और कहा.
सोनाली- प्यास लगी है?
प्रमोद- हम्म.
पानी का ग्लास जो अब तक सोनाली के ठुड्डी के पास था, वह नीचे को जाने लगा था.
सोनाली की निगाहें अपने पापा की नजरों पर टिकी थीं और उसका हाथ उस ग्लास को गले से छुआता हुआ अपने मम्मों की घाटी के बीच से ले जाकर नाभि से होता हुआ भग तक ले गया.
इस बीच उसका साहस और बढ़ गया, जब उसने देखा कि पापा पूरी तरह उसके सम्मोहन में हैं.
सोनाली लगभग नृत्य की सी भंगिमा बनाते हुए वह पानी का ग्लास अपने पापा के हाथों में थमा कर वहां से छू-मंतर हो गई.
लगभग खिलखिलाती हुई सोनाली सचिन के कमरे में दाखिल हुई.
लेकिन उधर किसी के मन में ये प्रश्न उठा ही नहीं कि वह किस बात पर इतनी नटखट हो रही है.
आखिर वहां एक लड़की अपने पति और भाई का लंड एक साथ चूस रही थी. ऐसे में कौन नटखट महसूस नहीं करेगा.
उधर प्रमोद सोच में पड़ गया था कि सोनाली अपने भाई-भाभी के साथ नंगी क्या कर रही है और पंकज इस वक्त कहां है?
प्रमोद ने सोनाली के कमरे में जाकर देखा तो पंकज वहां नहीं था.
इसका मतलब ये चारों सचिन के ही कमरे में थे.
ये चारों उधर क्या कर रहे थे?
फिर रूपा भी तो पंकज की बहन है.
तभी उसे याद आया कि बेटी के नंगे जिस्म के दीदार में वे इतने व्यस्त हो गए थे कि उसने ध्यान ही नहीं दिया कि सोनाली के हाथ में कॉन्डोम के दो बड़े पैकेट थे.
तो क्या सोनाली और रूपा अपने अपने भाइयों के सामने अपने अपने पतियों से चुदवा रही थीं या फिर भाई बहन की चुदाई भी चल रही थी?
प्रमोद के मन में कई सवाल थे, जिनके जवाब जो भी हों लेकिन इतना पक्का था कि ये बहनें अपने भाइयों के साथ सामूहिक सम्भोग करने से भी नहीं शर्मा रही थीं.
प्रमोद ने अपने मन में सोचा कि हमारे समय में दोस्तों के साथ सामूहिक सम्भोग के लिए पत्नियां मना कर देती थीं और आज की पीढ़ी रिश्तों का ख्याल किये बिना जिंदगी के मजे ले रही है.
क्या जमाना आ गया है!
प्रमोद इतना उत्तेजित हो गया था कि उसने वापस जाकर शारदा को खूब चोदा लेकिन अपनी कल्पना में तो उसके सामने उसकी नग्न बेटी ही घूम रही थी.
दोस्तो, इस सेक्स कहानी में आपको उस वक्त एक ऐसा अनुभव होना शुरू हो जाएगा, जब एक बाप अपनी बेटी के साथ संभोग करेगा और वह भी खुद बेटी की कामना से.
नॉन स्टॉप सेक्स इन फॅमिली कहानी पर आप अपने विचार मुझे ईमेल से जरूर भेजें. कहानी के अंत में कमेंट्स भी कर सकते हैं.
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