संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल-5

(Shameless Family Xxx Drama)

शेमलेस फैमिली Xxx ड्रामा स्टोरी में बहू के घर उसके पापा आये तो उसकी सास ने अपने समधी को चुदाई का मजा दिया. फिर बहू को अपने ससुर से चुदाई के लिये पूछा तो वह तैयार हो गयी.

दोस्तो, मैं क्षत्रपति आपको पारवारिक संभोग की कहानी सुना रहा था.
कहानी के चौथे भाग
समधी समधन की चुदाई हो गयी
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि प्रमोद की पत्नी शारदा भी अब अपने समधी के साथ सेक्स करने के बाद शराब के न/शे में खुल कर मस्ती का मूड बना चुकी थी.

अब आगे शेमलेस फैमिली Xxx ड्रामा:

अगले दिन प्रमोद ने सचिन-रूपा को कह दिया कि वह शाम को एक या दो घंटे के लिए दुकान पर आ जाएगा लेकिन अभी वह दिन में मोहन के साथ समय बिताना चाहता है.

शारदा भी देर तक सोती रही.
फिर जब उठी तो कुछ काम करने का मन नहीं हुआ.

प्रमोद ने खाना बाहर से मँगा लिया और तीनों ने साथ मिल कर खाया.

शारदा- भाई साब, माफ़ करना अभी बिल्कुल नींद में थी इस लिए आपको बाहर का खाना खाना पड़ रहा है. शाम को पक्का घर का खाना ही खिलाऊंगी.

मोहन- रात को तो मोहन कह रही थीं आप. अब क्या हो गया!
शारदा- तब तो चढ़ गई थी मुझे इसलिए. वैसे आप मुझे शारदा कह सकते हैं अब मैं बुरा नहीं मानूँगी.

आंखें तिरछी करके शारदा ने कुछ ऐसे अंदाज में कहा, जैसे सच में तो यही कह रही हो कि रात जो सम्बन्ध बने हैं वह न/शा उतरने पर भी बदलेंगे नहीं.

प्रमोद- बुरा तो नहीं मानोगी लेकिन सच्ची सच्ची बताओ रात को मज़ा आया कि नहीं?
शारदा- आया न … बहुत मजा आया!

प्रमोद- वैसे घर पर अभी कोई नहीं है तो बेडरूम की जगह आज ड्राइंग रूम में कार्यक्रम कर लें?

शारदा कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराती हुई अपने खाने की थाली पर व्यस्त हो गई.
मतलब साफ़ था कि अब उसे भी चुदाई का चस्का लग चुका था.

खाने के बाद तीनों ड्राइंग रूम में जाकर बैठ गए.
प्रमोद ने टीवी पर अपनी एडल्ट वीडियो के कलेक्शन वाली पेन ड्राइव लगा दी.

फिर मोहन के साथ विचार-विमर्श करके एक फिल्म चला दी, जो उन दोनों को उस समय देखने का मन किया था.

कुछ ही देर में टीवी के परदे से लेकर सोफे तक उस कमरे में जो भी था, वे सभी नंगे थे.

जब तक फिल्म चलती रही, तब तक तीनों के नंगे बदन एक दूसरे मजे देते रहे.
फिर आखिर तीनों झड़ कर निढाल पड़ गए.

फिल्म में दो जोड़े अपनी चुदाई के अंतिम चरण पर थे.
वे दोनों एक दूसरे की बीवियों की चुदाई एक ही बिस्तर पर साथ साथ कर रहे थे.

आखिर उनका वीर्य भी अपनी अपनी प्रेमिकाओं के चेहरे और मुँह में जा गिरा और फिल्म खत्म हुई.

प्रमोद- यार, यही काम संध्या भाभी के रहते हो जाता तो समां ही कुछ और होता.
मोहन- वह तो है. मेरी कोई सैटिंग भी तो नहीं है वरना उसे ही बुला लेता. समझ सकता हूँ कि तुमको भी तो कोई नई चूत चाहिए.

शारदा इन बातों से थोड़ा असहज हो रही थी या फिर शायद उसके पास कहने के लिए कुछ था नहीं … तो वह ‘चाय बना कर लाती हूँ …’ कह कर किचन की तरफ चली गई.

प्रमोद- तू गुस्सा न हो तो एक कबूल करनी थी.
मोहन- मैं कभी तुझसे कभी गुस्सा हुआ हूँ क्या जिंदगी में? अरे एक दूसरे की बीवी चोदी हैं हमने.
प्रमोद- अब यार संध्या भाभी का ख्याल कभी मन से गया नहीं मेरे … और फिर जब रूपा ब्याह के यहां आई तो उसे देख कर और भी याद आने लगती थी.

मोहन- समझ सकता हूँ. रूपा पूरी की पूरी संध्या पर ही गई है.
प्रमोद- उसी वजह से कई बार मैं रूपा को उस नजर से भी देख लेता था. उसको शायद मेरी नजर के जज़्बात समझ आ गए और वह खुद आगे होकर मेरे पास आ गई. तो यार तुझे बुरा लगा हो तो माफ़ कर देना.

मोहन- अरे नहीं यार! मैं समझ सकता हूँ. बल्कि अच्छा हुआ तूने बता दिया क्योंकि मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि तुझे कैसे बताऊं. अब मेरे मन का बोझ भी हल्का हो जाएगा क्योंकि ठीक यही किस्सा मेरे साथ भी हुआ है. अभी कुछ ही समय पहले सोनाली ने भी मुझसे चुदवा लिया है.

प्रमोद- चलो फिर तो कोई बात ही नहीं है. दोनों भाई बराबर हो गए. वैसे भी आजकल के जमाने के बच्चे हम लोगों से कहीं ज़्यादा आगे निकल गए हैं. तुझे पता है रूपा और सचिन ने तो अपनी सुहागरात पर भी किसी और को शामिल किया हुआ था. मैंने खुद सुना था.

फिर प्रमोद ने वह कहानी विस्तार से बता दी और ये भी बताया कि इसी सब के बाद शारदा हमारे साथ ये सब करने को राज़ी हुई है.

प्रमोद- तुझे ऐतराज न हो तो एक बात कहूँ?
मोहन- फिर वही बात!

प्रमोद- अपनी चौकड़ी बनाने के लिए रूपा को बुला सकते हैं क्या?

तभी शारदा चाय लेकर वहां आ पहुंची.
उसने ये आखिरी वाली बात सुन ली थी.

मोहन तो अभी सोच में ही पड़ा था लेकिन शारदा से रहा नहीं गया.

शारदा- आपको जरा भी शर्म नहीं है. बाप के सामने बेटी चोदने के सपने देख रहे हो. भाई साब, आप तो इनके दोस्त हैं. दो जूते मार कर अकल ठिकाने लाइए इनकी.

मोहन- शारदा! जमाना बहुत बदल गया है. मुझे पूछने से पहले एक बार रूपा से तो पूछ लो?
शारदा- मतलब ये आपके सामने आपकी बेटी को चोदें, इस बात से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता … हद्द है.

प्रमोद- शारदा! यही सब तुमने तब नहीं किया होता तो शायद तभी हम सबने मन भर के मजे कर लिए होते और ये सब बातें करने की आज जरूरत ही नहीं होती.

मोहन- और फिर रूपा दिखती भी संध्या जैसी ही है, तो एक बार उसे पूछ कर देख लो. उसे ऐतराज न हो तो मुझे भी कोई समस्या नहीं है. वैसे भी मेरी जोड़ी तो आपके साथ ही रहेगी.

शारदा- फिर भी आपको शर्म नहीं आएगी, आपकी बेटी आपके सामने नंगी होकर चुदवाएगी तो?
मोहन- नंगी तो मैंने उसे बचपन से देखा है. बड़ी हुई तब भी कई बार देखने में आ जाती थी. फिर मुझे उसमें संध्या दिखती थी इसीलिए उसको उसके भाई के पास पढ़ने भेजा था. रही बात चुदाई की तो इसीलिए तो कह रहा हूँ कि उसी से पूछ लो. मैं तो कहता हूँ आप ही पूछ लो. आपको भी तसल्ली हो जाएगी कि हमने उसे मजबूर नहीं किया है.

शारदा- ये बात मैं उससे कैसे कर सकती हूँ. वह क्या सोचेगी मेरे बारे में?
मोहन- प्रमोद ने मुझे बताया ये लोग क्या कर रहे थे सुहागरात पर. इससे साफ़ है कि उनके लिए ये कोई बड़ी बात नहीं होगी. बता देना हम लोग क्या क्या कर रहे हैं आजकल … और फिर प्रमोद के नाम से ही पूछ लेना. बहुत से बहुत मना ही करेगी न!

शारदा को मन में लगा कि जाहिर है मना ही करेगी, इसलिए उसने बात करने के लिए हां कर दिया.

शाम तक सबने थोड़ा आराम कर लिया और फिर शारदा शाम के खाने की तैयारी में लग गई.
प्रमोद दुकान चला गया.

मौका देख कर उसने रूपा को सारी बातें समझा दीं ताकि आगे वह सम्हाल ले.

शाम को सब जल्दी घर वापस आ गए.
रूपा फ्रेश होकर किचन में शारदा की मदद के लिए पहुंच गई.

उसके पापा आए हुए थे तो उसे भी अपनी थोड़ी जिम्मेदारी लग रही थी.
काम तो लगभग हो ही चुका था तो रूपा सलाद काटने में मदद करने लगी.

शारदा- बेटा, तुम बुरा न मानो तो थोड़ी पर्सनल बात पूछूँ?
रूपा- जी मम्मीजी, पूछिए.

शारदा- आजकल न लोग पति-पत्नी के साथ किसी और को भी शामिल करने लगे हैं मजे करने के लिए!
रूपा- हांऽऽ … तो?

शारदा- गलत मत सोचना लेकिन तुमने ऐसा कुछ किया है क्या?

रूपा ने थोड़ा शर्माने का नाटक किया और फिर बड़ी शराफत से ऐसे बताया कि जैसे ये सब तो आजकल नॉर्मल हो गया है.
ये सब पहले से की गई तैयारी का नतीजा था कि रूपा इतने अच्छे से जवाब दे पाई थी.

रूपा- दरअसल सचिन की बड़ी तमन्ना था कि वह एक साथ दो दो लड़कियों के साथ करे. तो मैंने सुहागरात पर ही उसको ये तोहफा दे दिया था. वैसे आजकल तो ये सब नार्मल हो गया है कई लोग करते हैं. कोई बड़ी बात नहीं है.
शारदा- ओह्ह अब समझी. मेरा मतलब वह तो सचिन ने किया न. तुमने तो नहीं किया?
रूपा- सचिन ने छूट दे रखी है वैसे. बल्कि वह तो कह रहा था कि मुझे भी हिसाब बराबर कर लेना चाहिए लेकिन आजकल ऑफिस से ही टाइम नहीं मिलता!

रूपा ने जिस तरह इन बातों को साधारण बना दिया था कि शारदा को अपने सारे कारनामे बताने में उतनी झिझक नहीं हुई.

सारा बैकग्राउंड समझाने के बाद उसने कहा- तुम्हारे ससुर अपनी समधन पर फ़िदा थे … और तुम उन्हीं के जैसी दिखती हो, तो …
रूपा- समझ गई मम्मीजी! आप बस ये बताइये कि आपको तो कोई दिक्कत नहीं है? क्योंकि आपने पूरा घर सम्हाला हुआ है. मुझे खाना तक हाथ पर रख देते हो. इतने अच्छे सास-ससुर के लिए मैं कुछ भी कर सकूँ तो मुझे ख़ुशी ही होगी.

शारदा- लेकिन तुम्हारे पापा?
रूपा- वे राज़ी हैं तो मैं भी राज़ी हूँ.

तय हुआ कि सचिन को समझा कर सुला कर रूपा अपने सास-ससुर के कमरे में आ जाएगी और आज रात आगे का कार्यक्रम वहीं होगा.
सबने मिल कर डिनर किया और फिर सब अपने अपने कमरे में चले गए.

मोहन तो कुछ ही देर में प्रमोद के कमरे में पहुंच गया.
लेकिन रूपा ने पहले सचिन को पूरा किस्सा सुनाया, फिर उससे पूछा कि उसे कोई ऐतराज तो नहीं है?

सचिन को आधी बात तो पहले से ही पता थी तो उसने रूपा को जाने के लिए प्रोत्साहित ही किया.
रूपा झट से नंगी होकर अपना वही झीना गाउन पहन कर कमरे से बाहर चली गई.

सास-ससुर के कमरे में पहुंची तो देखा उसके पापा बिस्तर पर लेटे हुए थे और सासुजी उनके लंड पर सवार होकर उछल रही थीं.
साथ ही साथ ससुर जी का लंड भी चूस रही थीं.

रूपा ने ये देखा तो झट से अपना गाउन उतार फेंका और जाकर ससुरजी का लंड चूसने में सासू मां की मदद करने लगी.

ससुरजी का लंड तो पहले ही कड़क हो चुका था इसलिए वह चुसाई छोड़कर अपनी बहू की चुदाई पर आ गए.

बाप-बेटी एक ही कमरे में चुदाई कर रहे थे तो माहौल थोड़ा गंभीर हो चला था.
कोई कुछ बोल ही नहीं रहा था तो रूपा ने ही माहौल को हल्का करने के लिए ससुरजी से चुदवाने के साथ साथ सासूजी के स्तनों को चूसना भी शुरू कर दिया.

रूपा- मम्मीजी! सास तो अब अब बनी हो लेकिन उससे पहले तो आप मेरी मां हो. बचपन में आपका ही दूध पी कर पली हूँ.

शारदा ये सुनकर भावुक हो गई और उसने अपनी बहू के सर को अपनी छाती से लगा लिया.

लेकिन रूपा नंबर एक की शैतान थी.
वह कनखियों से अपनी सास की चूत में आता-जाता अपने बाप का लंड देख रही थी … और एक हाथ जो उसने सहारे के लिए अपने पापा की छाती पर रखा था उसकी उंगली उनके चूचुक सहला रही थी.
उधर मोहन भी नजरें बचा कर अपनी आंखों से बेटी की नंगी जवानी को पी रहा था.

शेमलेस फैमिली Xxx ड्रामा चुदाई का एक राउंड खत्म हुआ तो शारदा ने कहा कि वह बहुत थक गई है तो अभी के लिए इतना ही काफी है.
ये सुन कर प्रमोद और मोहन हवा खाने छत पर चले गए.

सास-बहू बिस्तर पर नंगी ही पड़ी रहीं.

रूपा- सचिन को भी बुला लेना था.
शारदा- नहीं, नहीं! उसे मत बुलाना. मेरे रहते तो बिल्कुल नहीं.
रूपा- क्यों?
शारदा- मुझे नहीं पसंद.

रूपा- आपको बुरा तो नहीं लगा मैंने आपके सामने अपने ससुर मतलब आपके पति से चुदवाया.
शारदा- ना ना!

रूपा- ओह्ह समझी (गाते हुए) ‘क्योंकि सास भी कभी बहु थीऽऽ’

शारदा- अरे नहीं यार, मैंने कभी अपने ससुर से नहीं चुदवाया … लेकिन तेरे ससुर जी तेरी मां चोद चुके हैं तो अभी भी तुझे अपनी समधन के रूपा में ही चोद रहे थे. इसलिए मुझे बुरा नहीं लगा.
रूपा (मन में)- क्या सासू मां … आप भी कितनी भोली हो.

शारदा- तुझे तो बुरा नहीं लगा न?
रूपा- अरे नहीं! मुझे क्यों बुरा लगेगा? लेकिन जो मज़ा सचिन के साथ आता है उसकी बात ही अलग है.

शारदा- अब इनकी इतनी उम्र हो गई है. सचिन के तो ये सब करने के दिन अभी शुरू ही हुए हैं.
रूपा- हांऽऽ … और फिर सचिन का थोड़ा बड़ा भी है.

इतना कह कर रूपा ने करवट ले ली और शारदा की चूत पर अपनी उंगलियां फिराने लगी.

रूपा- और फिर सचिन का कड़क भी कहीं ज्यादा होता है.
शारदा- ये तो सब उम्र का खेल है, पहले इनका भी बिल्कुल लोहे जैसा कठोर रहता था.
रूपा- वैसे सच कहूँ तो मुझे ससुर जी का भी अच्छा लगा क्योंकि चूत में फिट अच्छे से हो गया था, ज़्यादा टाइट नहीं लगा.

इतना कहकर रूपा ने अपनी दो उंगलियां शारदा की चूत में डाल दीं.

शारदा- सचिन का तुझे दर्द देता है क्या चूत में?
रूपा- नहीं दर्द तो नहीं देता लेकिन कुछ ज़्यादा ही टाइट फिट रहता है. झड़ते समय वैसा अच्छा लगता है लेकिन शुरू शुरू में ससुर जी का थोड़ा मुलायम लंड मस्त लगा था.

शारदा- अब चुदाते-चुदवाते लंड तो नहीं बदल सकते न!
रूपा- ससुरजी से चुदवाने के बाद मैं सचिन से चुदवा सकती हूँ. अगर आप उसे यहां आने दें तो हम दोनों चुदाती-चुदवाती लंड बदल भी सकती हैं.

अब रूपा अपनी सास को अपनी उंगलियों से चोद रही थी और बीच बीच में अपनी जीभ से उनके चूचुक भी चाट लेती थी.

शारदा- नहीं, मैं अपने बेटे के सामने नंगी नहीं हो सकती.
रूपा- मैं भी तो अपने पापा के सामने नंगी हुई न. वैसे एक बात कहूँ? आपकी चूत में उंगली करते करते समझ आया कि सचिन का लंड इसमें बिल्कुल सही फिट होगा.

शारदा- गन्दी बात मत कर.
रूपा- इसमें क्या गन्दी बात है? आपका मतलब मां की चूत में बेटे का लंड?
शारदा- हम्म …

रूपा- अरे लेकिन सचिन जब इसी चूत से बाहर आया था तो उसका लंड भी तो इसी चूत से गुजरा था न. इस हिसाब से देखें तो हर मां जीवन में कम से कम एक बार तो अपने बेटे का लंड अपनी चूत में लेती ही है.
शारदा- बस कर पगली.

इतना कह कर शारदा जोर जोर से हांफने लगी.
रूपा समझ गई कि वह झड़ने वाली है इसलिए उसने भी बातें छोड़कर अपनी सास की चूत का दाना चूसना शुरू कर दिया.
साथ साथ एक हाथ से चूत में उंगली करना भी जारी रखा और दूसरे से निप्पल मसलना.

शारदा इतनी जोर से झड़ी, जितनी तो वह सामूहिक चुदाई के समय भी नहीं झड़ी थी.
थोड़ी देर में जब सब शान्त हुआ तो रूपा ने फिर से अपनी बात रखी.

रूपा- आपको पता नहीं होगा लेकिन सचिन बचपन में आपको नहाते समय देखता था. उसने आपको नंगी देखा है तो अगर फिर से देख लेगा तो उसके लिए कोई नई बात नहीं होगी. इसलिए इसमें शर्माने की बात भी नहीं है, तो उसको भी आने दो न मां प्लीऽऽऽज!
शारदा- नहीं! क्योंकि मैंने तो अपने जवान बेटे को नंगा नहीं देखा है ना और देखना चाहती भी नहीं हूँ.

दोस्तो, एक मां जब अपने बेटे के साथ सेक्स करने को मचलेगी, तब आपको यह सेक्स कहानी इसके चरम बिन्दु का रसास्वादन करवाने वाली महसूस होगी.

आप अपने विचार मुझे ईमेल से जरूर भेजें.
शेमलेस फैमिली Xxx ड्रामा स्टोरी के अंत में कमेंट्स भी कर सकते हैं.
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शेमलेस फैमिली Xxx ड्रामा स्टोरी का अगला भाग:

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