सगे चाचा की हवस का शिकार बनी- 2

(Xxx Chacha Sex Kahani)

Xxx चाचा सेक्स कहानी में पिछली रात मेरे चाचा ने मुझे लंड चुसवाया. अगले दिन फिर वे मुझे कार में बिठाकर चल पड़े. मुझे पता था कि चाचा आज मेरी चूत में लंड पेलेंगे.

नमस्ते दोस्तो! मैं संजय, अपनी कहानी को आगे बढ़ा रहा हूं।

पिछले भाग
मेरे चाचा की वासना भरी नजर मेरी जवानी पर
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी भतीजी श्रेया को सुनसान रास्ते पर गाड़ी में अपने हवस का शिकार बनाया।
उस रात का नशा अभी तक मेरे दिमाग में बरकरार था।

अब आगे की Xxx चाचा सेक्स कहानी सुनिए।

गाड़ी में वह सब होने के बाद श्रेया चुपचाप बैठी थी।
उसका चेहरा लाल था, आंखें नीचे झुकी थीं।

शायद उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे या करे।

मैंने गाड़ी स्टार्ट की और आइसक्रीम लेने की दुकान की ओर बढ़ा।

रास्ते में मैंने उससे बात करने की कोशिश की।

“श्रेया, बेटा, तुम ठीक तो हो ना?” मैंने नर्म स्वर में पूछा, जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

वह बस हल्के से सिर हिलाकर बोली, “हां, चाचा जी!”
उसकी आवाज में कम्पन साफ झलक रही थी।

मैंने सोचा, अभी उसे और गर्म करने की जरूरत है।
वह पूरी तरह मेरे काबू में नहीं आई थी।
लेकिन उसकी चूत का गीलापन और सिसकारियां बता रही थीं कि कहीं ना कहीं वह भी इस आग में जल रही थी।

आइसक्रीम लेकर हम घर वापस लौटे।

घर में सब हंसी-मजाक में व्यस्त थे।
श्रेया ने जल्दी से आइसक्रीम बांटी और अपने कमरे की ओर चली गई।

मैं उसे जाते हुए देख रहा था।
उसकी चाल, उसकी कमर का लचकना, और टाइट शॉर्ट्स में उसकी गोरी जांघें मुझे फिर से बेकरार कर रही थीं।

रात को सोने से पहले मैंने फिर से उसके नाम की मूठ मारी।
मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था कि श्रेया को पूरी तरह अपने नीचे लाना है।

लेकिन ये इतना आसान नहीं था।
वह मेरी भतीजी थी, और घर में इतने लोग थे।
मेरा एक गलत कदम मेरी इज्जत को मिट्टी में मिला सकता था।

फिर भी उसका गदराया बदन मेरी हवस को और भड़का रहा था।

अगले दिन सुबह शादी की तैयारियों में सब व्यस्त थे।

मैंने देखा कि श्रेया अपनी मां और मेरी पत्नी के साथ रसोई में कुछ काम कर रही थी।
उसने आज हल्के गुलाबी रंग का सूट पहना था जो उसके गोरे बदन पर और भी चमक रहा था।

उसका दुपट्टा बार-बार खिसक रहा था, और जब वह झुकती, तो उसके भरे हुए बुब्स की हल्की झलक मिल रही थी।

मैंने मौका देखकर उसे बुलाया, “श्रेया, जरा इधर आना!”

वह थोड़ा हिचकिचाते हुए मेरे पास आई, “जी चाचा जी?”

“बेटा, मेरे साथ बाजार चलना … कुछ सामान लाना है शादी के लिए,” मैंने कहा, ताकि उसे फिर से अकेले में पकड़ सकूं।

वह थोड़ा असहज लगी लेकिन बोली, “ठीक है, चाचा जी, मैं मम्मी को बता देती हूं।”

मैंने उसे रोका, “अरे, कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी मम्मी को बता दूंगा। तू बस तैयार हो जा!”

वह चुपचाप कमरे में चली गई।
मैंने अपनी पत्नी को बता दिया कि श्रेया को साथ ले जा रहा हूं।
मेरी पत्नी को कोई शक नहीं हुआ क्योंकि मैं घर का सबसे बड़ा और सम्मानित व्यक्ति था।

थोड़ी देर बाद श्रेया तैयार होकर आई।
उसने अब एक टाइट जींस और टॉप पहना था, जो उसके फिगर को और उभार रहा था।

मैं उसे देखकर फिर से पागल होने लगा।

हम गाड़ी में बैठे और बाजार की ओर निकल पड़े।

रास्ते में मैंने फिर से बात शुरू की, “श्रेया, कल रात की बात का बुरा मत मानना। तुम इतनी खूबसूरत हो कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।”

वह मेरी बात सुनकर सिर झुकाए चुप रही।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और हल्के से दबाया।

“चाचा जी, प्लीज … ऐसा मत करो। कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा?” उसने धीमी आवाज में कहा।
“अरे, कौन देखेगा? हम तो बस चाचा-भतीजी हैं। इसमें क्या गलत है?” मैंने हंसते हुए कहा.

लेकिन मेरा इरादा कुछ और था।
मैंने गाड़ी को फिर से एक सुनसान रास्ते पर मोड़ लिया।

श्रेया ने घबराते हुए पूछा, “चाचा जी, ये रास्ता तो बाजार का नहीं है। हम कहां जा रहे हैं?”
“बस थोड़ा घूमते हैं, बेटा। इतनी जल्दी क्या है?” मैंने कहा और गाड़ी एक जंगल की ओर ले गया, जहां कोई नहीं आता था।

गाड़ी रोकते ही मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया। वह कहने लगी, “चाचा जी, अब फिर आप … !”

लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था। मैंने उसकी एक ना सुनी।
मैंने उसकी जींस का बटन खोल दिया और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा।
मैंने उसका टॉप ऊपर किया और उसके गोरे, मुलायम बुब्स को बाहर निकालकर चूसने लगा।

“आह … चाचा जी … प्लीज…” वह सिसक रही थी.
लेकिन उसकी सिसकारियों में अब वह तड़प भी थी जो मैंने कल रात सुनी थी।

मैंने उसकी जींस नीचे सरकाई और उसकी गीली चूत को उंगलियों से रगड़ने लगा।

वह अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।
उसकी सांसें तेज थीं, और वह मेरे कंधों को पकड़कर सिसकारियां ले रही थी।

“श्रेया, तू कितनी मस्त है … बस, मजे ले!” मैंने कहा और उसकी चूत में उंगली डाल दी।
“आआह … उममम … चाचा जी … आह…” वह अब पूरी तरह मेरे काबू में थी।

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे नीचे झुकाकर फिर से उसके मुंह में डाल दिया।
वह अब बिना विरोध के मेरे लंड को चूस रही थी।

मैंने उसके बाल पकड़े और तेजी से उसका मुंह चोदने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसे गाड़ी की सीट पर लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा।

वह पागलों की तरह सिसकार रही थी, “आह … चाचा जी … आआह … बस!”

मैंने अब अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा।
वह चीख पड़ी, “आ आआह … नहीं … दर्द हो रहा है!”

लेकिन मैं रुका नहीं … मैंने तेजी से धक्के मारने शुरू किए।
उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे जन्नत का मजा आ रहा था।
वह अब दर्द और मजे के बीच सिसक रही थी।

“आह … श्रेया … तू एकदम माल है!” मैंने कहा और तेजी से उसे चोदता रहा।

कुछ देर बाद वह फिर से झड़ गई।
उसकी चूत से पानी निकल रहा था।

मैं भी अब झड़ने वाला था।
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके गोरे पेट पर सारा माल गिरा दिया।

Xxx चाचा सेक्स के बाद वह हांफते हुए लेटी रही।
मैंने उसे अपने पास खींचा और उसके होंठ चूमने लगा।
वह अब कुछ नहीं बोल रही थी।

शायद उसे भी अब इस मजे की आदत पड़ रही थी।

हमने कपड़े ठीक किए और बाजार जाकर सामान लिया।
घर वापस लौटे तो कोई शक नहीं हुआ।

श्रेया चुप थी, लेकिन उसकी आंखों में अब वह डर नहीं था।

इसके बाद क्या हुआ, ये बाद में बताऊंगा।
आशा है, आपको मेरी कहानी ने मजा दिया होगा।
Xxx चाचा सेक्स कहानी पर अपनी राय और सुझाव जरूर बताएं।

धन्यवाद दोस्तो!
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