छोटे भाई की कामुक पत्नी की प्यास
(Xxx FamilySex Ki Kahani)
Xxx फैमिलीसेक्स की कहानी में मेरा छोटा भाई बाहर जॉब करता है, उसकी बीवी हमारे साथ रहती है. एक रात मैंने उसे उसके कमरे अपनी चूत में उंगली करती देखा. उसने भी मुझे देख लिया.
नमस्कार दोस्तो!
मेरा नाम अजय है। मेरी उम्र 38 साल है।
मैं ग्रेटर नोएडा का रहने वाला हूँ।
मेरे परिवार में मेरी पत्नी, दो बच्चे, मेरी माँ, मेरा छोटा भाई और उसकी पत्नी रहते हैं।
मेरी माँ की उम्र थोड़ी ज़्यादा है इसलिए वो अक्सर बीमार रहती हैं।
मेरे छोटे भाई की शादी को दो साल हो गए हैं लेकिन वो मुंबई में एक कंपनी में काम करता है इसलिए अकेला वहीं रहता है।
उसकी पत्नी यहाँ हमारे साथ ही रहती है।
मैं अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ।
मेरा अपना जिम है और इसके अलावा प्रॉपर्टी का काम भी है।
मेरी बॉडी बहुत अच्छी है जिसे देखकर लड़कियाँ तो क्या, औरतें भी इम्प्रेस हो जाती हैं।
मैं दिन में दो बार जिम करता हूँ और ऊपर से देसी खान-पान है तो आप समझ सकते हैं कि मैं एकदम हट्टा-कट्टा हूँ।
मेरी पत्नी से मेरे रिलेशन भी अच्छे हैं।
अब मैं अपने छोटे भाई की पत्नी अंशिका के बारे में बताता हूँ, जिसकी यह Xxx फैमिलीसेक्स की कहानी है।
अंशिका बहुत ही सुंदर है।
भरा हुआ बदन, मोटी और बड़ी गांड, चूचों का साइज़ शायद 36 होगा।
कुल मिलाकर ऐसी औरत है कि उसे देखकर हर कोई चुदाई के सपने देखने लगे।
लेकिन क्योंकि वो मेरे छोटे भाई की पत्नी है, मेरे मन में उसके लिए वो ख्याल कभी नहीं आया।
लेकिन एक दिन ऐसा आया कि वो खयाल भी आया और उसकी चूत भी मारी मैंने!
एक समय की बात है, मेरी पत्नी के ताऊ की लंबी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई, तो हम पूरा परिवार वहाँ चले गए।
घर पर बस मेरी मम्मी और अंशिका रुके।
क्योंकि मम्मी जा नहीं सकती थीं, अंशिका वहीं रुक गई।
मैं अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर ससुराल चला गया।
अगले दिन क्रियाकर्म कर मैंने घर वापस आने का फैसला लिया क्योंकि जिम को बंद नहीं रख सकता था और घर पर भी बहुत काम थे।
मैंने अपनी पत्नी से पूछा तो उसने कहा, “मैं यहीं रुकूँगी और तेरहवीं के बाद ही वापस आऊँगी!”
उस दिन शाम तक मैं घर वापस आ गया।
वापस आने पर सब नॉर्मल ही था।
अंशिका ने खाना बनाया, मैंने नहाकर खाना खाया और फिर सोने चला गया।
अगला दिन भी नॉर्मल ही निकला।
लेकिन रात को कुछ ऐसा हुआ कि मेरी लाइफ ही बदल गई!
अंशिका ने रोज़ की तरह मेरी मम्मी को आठ बजे खाना दिया और नौ बजे तक सुला दिया।
उसके बाद मैंने भी खाना खाया और सोने चला गया।
लेकिन मुझे रात को नींद नहीं आ रही थी, तो मैं मोबाइल चलाने लगा।
रात के करीब दस बजे मैं टॉयलेट के लिए उठा, तो देखा कि गेस्ट रूम में लैंप जल रहा है।
मुझे लगा कोई जला कर भूल गया।
मैं टॉयलेट के बाद रूम में लाइट बंद करने गया।
जैसे ही रूम के पास पहुँचा, मुझे किसी की सिसकारियों की आवाज़ आई।
एक बार तो मैं सोच में पड़ गया कि इस रूम में कौन है क्योंकि अंशिका तो अपने रूम में सो रही है और मम्मी अपने रूम में।
मुझे लगा कहीं चोर तो नहीं घुस गया।
मैं धीरे से कमरे के गेट पर गया, जो बंद नहीं था।
मैंने हल्के से खोलकर अंदर झाँका, तो मेरे होश उड़ गए, क्योंकि अंदर कोई और नहीं, अंशिका थी!
वो जो कर रही थी, वो मैंने शायद कभी सोचा नहीं था।
अंशिका अपनी चूत में उंगली डाल रही थी।
उसने अपना ब्लाउज़ खोला हुआ था और ब्रा से एक चूचा बाहर निकला हुआ था।
उसने अपनी साड़ी उतार रखी थी और पेटीकोट को ऊपर करके कच्छी भी पूरी उतार रखी थी।
अपनी टाँगें चौड़ी करके वो चूत में उंगली अंदर-बाहर कर रही थी।
यह देखकर मेरे अंदर एक अजीब सा करंट दौड़ गया।
अंशिका की चूची एकदम बड़ी और मोटी थी और उस पर निप्पल अलग से नज़र आ रहा था।
मेरे छोटे भाई की पत्नी का पूरा बदन भरा हुआ था।
उसकी जाँघें भी बहुत मोटी थीं और उन मोटी जाँघों के बीच छिपी हुई चूत लैंप की रोशनी में साफ नहीं दिख रही थी।
लेकिन अंशिका की सिसकारियों और उंगली करने के तरीके से साफ पता चल रहा था कि वो बहुत प्यासी है।
दृश्य ऐसा था कि मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया।
ना जाने कब मेरे हाथ से दरवाज़ा छू गया और वो पूरा खुल गया।
दरवाज़े के खुलने की वजह से अंशिका ने मुझे देख लिया और एकदम से पास पड़ी साड़ी से खुद को ढक लिया।
मैं शर्मसार हो गया और अपने कमरे में वापस आ गया।
उस रात मुझे ठीक से नींद नहीं आई।
मन में खयाल चल रहे थे कि शायद मैंने गलत कर दिया।
दूसरा ख्याल था कि छोटे भाई के न होने की वजह से उसकी प्यास नहीं बुझ पा रही है।
और एक खयाल ये कि काश मैं उस चूत को सही से शांत कर पाऊँ!
ना जाने ऐसा सोचते हुए कब मुझे नींद आ गई और मैं सो गया।
सुबह जब आँख खुली तो पाँच बज गए थे।
मैं उठा, फ्रेश हुआ और जिम चला गया।
मैं जिम में 3 घण्टे रहा।
फिर जब नाश्ता करने घर आया तो देखा कि अंशिका सूट में रसोई में काम कर रही है। उसकी उभरी हुई गांड और मोटे चूचे अलग नज़र आ रहे थे।
कल रात से पहले मैंने कभी उसे ऐसी नज़र से नहीं देखा था।
लेकिन कल रात के बाद सब बदल गया था।
हम दोनों एक-दूसरे से नज़र नहीं मिला पा रहे थे।
उसने मुझे नाश्ता दिया और मैं उसे करके वापस काम पर चला गया।
पूरा दिन ऐसे ही निकल गया।
रात को खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में था और हमेशा की तरह अंशिका ने मम्मी को सुला दिया था।
रात के करीब दस बजे मेरे रूम के दरवाज़े पर दस्तक हुई।
मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, तो सामने अंशिका खड़ी थी।
उसे देखकर मैं हैरान रह गया।
मैंने एक तरफ मुँह करके कहा, “क्या, कुछ काम था तुम्हें?”
अंशिका ने कहा, “जेठ जी, आपसे कुछ बात करनी थी, अगर आपके पास टाइम हो तो!”
मैंने कहा, “हाँ! अंदर आ जाओ, बैठकर बात करते हैं!”
मैंने दरवाज़े को हल्का सा बंद कर दिया।
अंशिका मेरे रूम में पड़े सोफे पर बैठ गई और मैं उसके सामने वाले सोफे पर बैठ गया।
मैंने कहा, “बोलो, क्या बात करनी है!”
अंशिका ने नज़र नीचे करते हुए कहा, “कल रात जो हुआ, उसके बारे में!”
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये क्या हो रहा है और इसका क्या जवाब दूँ।
लेकिन जवाब तो देना ही था।
मैंने कहा, “कहो, क्या बात करनी है!”
अंशिका बोली, “जो भी कल रात आपने देखा, मैं बताना चाहती हूँ कि मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ! वो बस कल रात मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ, तो मुझे ऐसा करना पड़ा। मेरी गलती ये है कि मुझे अपने रूम में ये सब करना चाहिए था, पर मुझे लगा कि सब सो रहे हैं, तो मैं गेस्ट रूम में चली गई!”
मैंने कहा, “नहीं, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है! अभी तुम्हारी शादी को कुछ ही साल हुए हैं और तुम छोटे के साथ सही से टाइम नहीं बिता पाई। मैं तुम्हारी हालत समझ सकता हूँ। ये कोई गलती नहीं, ये तो सबकी ज़रूरत है। और पूरा घर तुम्हारा भी है, तो तुम कोई भी कमरा इस्तेमाल कर सकती हो!”
अंशिका ने कहा, “पर मैं कल से अपने आप से नज़र नहीं मिला पा रही हूँ! ऐसा लग रहा है कि गलत हो गया!”
मैंने कहा, “कुछ गलत नहीं है! शरीर की प्यास मिटाने के लिए कुछ भी गलत नहीं है। जो तुम कर रही थी, उसे मैं गलत नहीं मानता। हाँ, मुझे दुख हुआ कि तुम्हें अपनी ज़रूरत ऐसे पूरी करनी पड़ रही है!”
अंशिका बोली, “आप सही बोल रहे हैं! मैं सही से अपनी शादीशुदा ज़िंदगी का मज़ा नहीं ले पा रही हूँ। मैं अक्सर रोज़ ऐसा करती हूँ, पर उस दिन माँ को सुलाने के बाद मेरा मन बहुत हो रहा था, तो गेस्ट रूम में ही करने लगी। पर आपको कैसे पता चला कि मैं वहाँ थी?”
मैंने कहा, “वो मुझे रूम की लाइट जली दिखी, तो मैं वहाँ आ गया। वैसे, क्या मैं एक बात पूछ सकता हूँ?”
अंशिका बोली, “जी, जेठ जी, बोलिए!”
मैंने कहा, “तुमने कभी छोटे से इस बारे में बात क्यों नहीं की कि तुम्हें उसकी ज़रूरत है?”
अंशिका ने कहा, “जी, वो बहुत बार बोला है, पर वो काम में इतना व्यस्त है कि टाइम नहीं मिलता। हाँ, कभी-कभी वो रात में वीडियो कॉल कर मेरी मदद कर देता है!”
मैंने पूछा, “कैसे मदद?”
मेरे इस सवाल से अंशिका शरमा गई।
हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई।
मुझे लग रहा था कि शायद उसे अब ये सब बात करने में मज़ा आ रहा है।
वो शर्माते हुए बोली, “जी, वो उंगली करने में!”
हम दोनों हल्की आवाज़ में हँस पड़े।
मैंने कहा, “पर यार, ऐसे वीडियो कॉल पर उंगली से करने में क्या मज़ा आएगा! जो मज़ा असली में करने में है, वो इन सब चीज़ों में कहाँ!”
अंशिका बोली, “जी, बिल्कुल सही कहा आपने! वो मज़ा उंगली से करने में बिल्कुल नहीं है। पर हाँ, हर औरत हमारी जेठानी की तरह खुशकिस्मत भी नहीं होती कि उन्हें आप जैसा सुलझा हुआ पति मिले!”
मैंने कहा, “सच बताऊँ, तो मैं भी उतना खुशकिस्मत नहीं हूँ!”
अंशिका ने पूछा, “ऐसा क्यों?”
मैंने कहा, “वो अब सेक्स में ज़्यादा मज़ा नहीं लेती। जब से बच्चे हुए हैं, उसकी सेक्स की इच्छा खत्म हो गई है। मेरा बहुत मन करता है कि मैं रोज़ सेक्स करूँ, पर क्या बताऊँ, मन मारकर रहना पड़ता है!”
अंशिका बोली, “लगता है हम दोनों एक नाव में सवार हैं, जेठ जी!”
अंशिका ने ये बहुत बड़ी बात कह दी थी।
शायद मुझे सिग्नल दे दिया कि हमारे बीच कुछ हो सकता है।
मैंने भी खुलकर बोल दिया, “हाँ, सही कहा! तुम्हारी चूत शांत नहीं होती और मेरा लंड!”
मेरे ये बोलने पर अंशिका ने ऊपर देखा और हमारी नज़रें पहली बार उस वक्त मिलीं।
शायद उसकी नज़रें कुछ कहना चाहती थीं।
मैंने कहा, “अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारी चूत शांत कर सकता हूँ! इससे हम दोनों खुश रहेंगे और बात घर में भी रहेगी!”
अंशिका ने कुछ नहीं बोला, पर उसके चेहरे की चमक साफ बता रही थी कि वो राज़ी है।
मैं उठा और उसके पास गया, उसे सोफे से उठाया और अपनी बाहों में भर लिया।
उसने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मेरे हट्टे-कट्टे शरीर को जकड़ना उसके लिए मुश्किल हो रहा था, तो मैंने उसे पास पड़े बेड पर धक्का दे दिया और दरवाज़ा पूरी तरह बंद करके उसके होंठों को चूसने लगा।
वो भी लगातार मेरे होंठों को चूस रही थी।
हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में मुँह डालकर चूसने लगे।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर में मैंने उसके चूचों पर हाथ रखकर दबाना शुरू कर दिया और फिर उसकी साड़ी निकालकर फेंक दी।
अब वो पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी।
मैंने देर न करते हुए उसके ब्लाउज़ के हुक खोलकर उसे उतार फेंका।
उसने पिंक रंग की ब्रा पहनी थी, जिसमें से उसके बड़े-बड़े चूचे बाहर आने को बेताब थे।
उसके चूचों को देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाया और उनके बीच अपना मुँह दे दिया।
अंशिका की सिसकारियाँ निकल गईं।
मैंने अपना एक हाथ उसके पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पर रख दिया।
मेरे ऐसा करने से वो पागल हो गई और मुझे अपनी तरफ खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगी।
करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसने के बाद, मैंने उसका पेटीकोट उतारकर फेंक दिया।
मैंने देखा कि उसकी कच्छी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
मैंने पहले उसकी ब्रा खोलकर फेंक दी और बेतहाशा उसके चूचों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।
वो एकदम पागल हो गई और बोली, “जेठ जी, मुझे चोद दो! अब रहा नहीं जाता मुझसे!”
मैं उठा और अपना टी-शर्ट और लोअर उतारकर फेंक दिया।
अब मैं सिर्फ अंडरवियर में खड़ा था।
मेरा हट्टा-कट्टा बदन देखकर उसकी सिसकारियाँ निकल गईं और वो झट से घुटनों के बल बैठ गई।
उसने मेरा अंडरवियर नीचे किया और मेरे आठ इंच मोटे लंड को आज़ाद कर दिया।
मेरा मोटा लंड देखकर उसकी आँखों में चमक आ गई और वो दोनों हाथों से उसे आगे-पीछे करने लगी।
मैंने अपने लंड को उसके होंठों के पास किया और वो अपनी जीभ निकालकर उसका सुपाड़ा चाटने लगी।
बहुत मज़ा आ रहा था, दोस्तों, कसम से! फिर धीरे-धीरे उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया।
साली ने पूरा अंदर तक ले लिया, पता नहीं चला।
बहुत आनंद महसूस हो रहा था।
मैं 6 फुट लंबा, हट्टा-कट्टा मर्द, पूरी तरह नंगा खड़ा था अपने आठ इंच के लंड के साथ, और नीचे घुटनों के बल बैठी थी मेरे छोटे भाई की पत्नी, जिसने सिर्फ कच्छी पहनी थी, वो भी चूत के पानी से गीली।
वो नीचे बैठकर मेरा लंड मुँह में लेकर चूस रही थी।
मैंने भी अपने लंड को उसके मुँह में देकर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।
मेरे लंड पर उसका थूक लग चुका था और वो मज़े से लंड चूस रही थी।
ऐसा कम से कम दस-पंद्रह मिनट तक चला।
फिर मैंने उसे नीचे से उठाया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
मैं दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
इसके बाद मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी कच्छी उतार दी।
वाह! क्या चूत थी साली की, एकदम फूली हुई और बिना बालों वाली!
लग रहा था जैसे चुदने का प्लान करके आई हो।
मैंने उसकी कच्छी को सूँघा।
वाह! वो गंध मुझे किसी इत्र से कम नहीं लग रही थी।
मैंने कच्छी सूँघने के बाद एक तरफ फेंक दी = और अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा।
ऐसी चूत कि देखते ही मुँह में पानी आ जाए।
मैंने उसकी चूत को हाथ से सहलाया और अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया।
जैसे ही मेरा मुँह उसकी चूत से मिला, उसकी सिसकारी निकल गई और उसने मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत में घुसा दिया।
मैं भी मस्ती से उसकी चूत को चाटने लगा।
कभी मैं उसकी चूत में पूरा मुँह डाल देता, तो कभी जीभ से उसे सहलाता।
अंशिका मेरे चूत चाटने के स्टाइल से पागल हो रही थी और जोर-जोर से सिसकारियाँ भर रही थी।
मैं उठा और बिस्तर पर लेट गया।
मैंने उसे अपने मुँह पर बैठा लिया।
पहले वो मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी, फिर मेरे मुँह पर बैठकर चूत चटवाने लगी।
चूत चाटते-चाटते मैंने उसकी गांड के छेद को सहलाया और धीरे से एक उंगली उसकी गांड में डाल दी, जिससे उसके मुँह से दर्द भरी आवाज़ निकली।
करीब दस मिनट तक उसे अपने मुँह पर बैठाने के बाद हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आ गए।
वो मस्त तरीके से मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था।
मैंने धीरे-धीरे अपनी जीभ उसकी चूत से हटाकर उसकी गांड के छेद पर रख दी और चाटने लगा।
ऐसा करीब दस मिनट और चला।
फिर मैं उठा और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और पेल दिया लंड उसकी चूत में।
जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत में आधा गया, वो चिल्ला पड़ी, “आह! मर गई! बहुत दर्द हो रहा है! निकाल लो इसे! मैं मर जाऊँगी! बर्दाश्त नहीं हो रहा! प्लीज़ जेठ जी, निकाल लो!”
उसके दर्द से मुझे आनंद आ रहा था।
मैं दो मिनट रुका और फिर अपने पूरे लंड को एक झटके में उसकी चूत में उतार दिया।
वो बेहोश सी हो गई।
उसकी आँखें हल्की बंद होने लगीं और आँखों से आँसू निकल आए।
मैं लंड अंदर डाले ही पड़ा रहा।
कसम से, चूत में लंड बिल्कुल फँस गया था।
हम करीब दो-तीन मिनट तक ऐसे ही रहे।
इसके बाद मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को हल्का सा बाहर किया और फिर अंदर। मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर कर रहा था और अंशिका दर्द से छटपटा रही थी।
लेकिन धीरे-धीरे जैसे दर्द कम हुआ, वो मज़े में सिसकारियाँ लेने लगी।
मैं भी धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा रहा था।
करीब पाँच मिनट बाद मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से अंदर डाला, तो अंशिका ने दर्द नहीं, आनंद महसूस किया।
मैं समझ चुका था कि अब समय है असली चुदाई का।
मैंने उसी पोज़ीशन में तेज़-तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए।
अंशिका बोली, “आह! चोदो और चोदो! फाड़ दो मेरी चूत को, जेठ जी! आह! चूत का भोसड़ा बना दो मेरी! बहुत प्यासी है मेरी चूत! मेरे राजा, और तेज़!”
मैंने कहा, “हाँ, रानी! आज तुझे ऐसा मज़ा दूँगा कि तू कभी भूल नहीं पाएगी! भर दूँगा तेरी चूत को अपने लंड के पानी से! चोद-चोदकर तेरा बुरा हाल कर दूँगा!”
मैं अपनी मोटी गांड को तेज़-तेज़ हिलाकर उसकी चूत को चोदने लगा।
इसके बाद मैंने लंड बाहर निकाला और नीचे बैठकर उसकी चूत को चाटने लगा।
उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और मज़ा भी बहुत आ रहा था।
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और लंड उसकी चूत में पेल दिया।
मैं तेज़-तेज़ धक्कों से उसे चोदने लगा।
उसकी मोटी गांड आगे-पीछे होने लगी।
करीब दस मिनट ऐसे चोदने के बाद मैंने लंड निकाला, कपड़े से साफ किया और उसके मुँह में पेल दिया।
करीब पाँच मिनट तक मुँह चोदने के बाद मैं नीचे लेट गया और वो मेरे लंड पर बैठ गई।
वो ज़ोर-ज़ोर से उछलकर चुदने लगी।
मैं उसके चूचे दबाने लगा।
कसम से, ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया!
अब झड़ने का टाइम था।
मुझे लगा कि पहले मैं झड़ जाऊँ क्योंकि अगर वो झड़ जाती, तो मेरा साथ नहीं देती।
मैंने उसे नीचे बैठाया और अपना लंड चुसाने लगा।
करीब पाँच मिनट बाद मेरे लंड से पिचकारी छूटी और मैंने अपना सारा माल उसके मुँह और चूचों पर झाड़ दिया।
इसके बाद मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत में जीभ डाल दी।
एक उंगली से उसकी चूत को मसल रहा था, तभी अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मेरे मुँह में झड़ गई।
मैंने उसका सारा माल पी लिया।
फिर हम एक-दूसरे को गले लगाकर सो गए।
उस रात हमने दो बार और चुदाई की।
सुबह साढ़े चार बजे मैंने कहा, “अब तुम जाओ, क्योंकि माँ के उठने का टाइम हो गया है!”
उसके चेहरे पर बहुत ख़ुशी थी।
चूत चुदाई की खुशी से वो सचमुच आज अपनी ज़िंदगी जीकर जा रही थी।
प्रिय पाठको, कैसी लगी मेरी Xxx फैमिलीसेक्स की कहानी?
मुझे मेल में बताएं और कमेंट्स में भी अपनी राय लिखें.
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