मौसी की जेठानी की प्यास बुझाई- 2

(Mausi Ki Jethani Ki Xxx Sexy Kahani)

Xxx सेक्सी कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी सगी मौसी के घर में उसकी जेठानी को नंगी करके चोदा. उसकी चूत में मैंने जब लंड डाला तो अंदर गया ही नहीं.

Xxx सेक्सी कहानी के पिछले भाग
मौसी की जेठानी की दबी वासना जगाई
में आपने पढ़ा कि मैं मौसी की जेठानी को चोदना चाहता था. वो भी चुदाई के लिए तरस रही थी तो मेरे थोड़े प्रयत्न के बाद वो सेक्स के लिए तैयार हो गई. मैं उसी पूरी नंगी कर चुका था.

अब मेरे सामने मेरी मेहनत का फल था नीतू की चूत!
लेकिन नीतू की चूत इस समय बालों के गुच्छे से ढकी हुई थी।

अब आगे Xxx सेक्सी कहानी:

मैंने नीतू से पूछा- तुम अपनी चूत की सफाई नहीं करती क्या?
इस पर नीतू ने कहा- करूं तो किस के लिए करूं? उस आदमी के लिए जो रोज़ रात को शराब पीकर आता है और किसी मुर्दे की बेड पर गिरते ही सो जाता है.
इतना कहते ही नीतू की आँख से एक आंसू छलक गया।

मैंने आगे झुक कर उसके आंसू को जीभ से चाट लिया।
इससे पहले नीतू कुछ और कहती मैंने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे चुप करा दिया।

मैंने नीतू को दिखाने के लिए उसकी पैंटी को उठाया और उसकी चूत वाले हिस्से को जीभ निकाल कर चाट लिया।

यह देख कर नीतू शर्म से अपनी गर्दन घुमा लीं और कहा- तुम सच में बहुत बेशर्म हो।
नीतू से मैंने कहा- चुदाई करते वक्त जितना बेशर्म बन सकते हो उतना बेशर्म बन जाना चाहिए क्योंकि चूत चोदने का असली मजा उसी में आता है।

आगे बढ़ कर मैंने नीतू की दोनों टांगों को अलग किया और उसकी चूत को ध्यान से देखने लगा।
उसकी झांटें मेरी उँगलियों की आधी लम्बाई के बराबर थी और बालों की मोटाई देख कर लगा रहा था कि जैसे वो पहले उन बालों को काटा करती थी।

मैंने अपनी एक उंगली चूत के ऊपर फिराई।
मेरी पूरी उंगली उसके रस से भीग गई।

मैंने उंगली को सूंघकर देखा. कसम से ऐसी खुशबू थी जैसे बरसों पुरानी शराब जो बोतल में पड़े पड़े और भी नशीली हो जाती है ठीक उसी तरह नीतू की जवानी का सारा रस उसकी चूत में जमा हो कर और भी नशीला हो गया था।

मैं खुद को उसके नशीले रस से चाटने से रोक नहीं पाया और अपनी लपलपाती जीभ की ले कर उसके स्रोत की ओर निकल पड़ा।

तभी नीतू ने मुझे अपनी शर्त वाली बात याद दिलवाई.
तो मैंने भी अपनी जीभ उसकी बायीं जांघ पर रख दी और उसे चूमने लगा।

शुरू में तो मैं उसकी जांघ को ऊपर से चाट रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जांघों को थोड़ा और खोला और उसकी दोनो जाँघों को बारी-बारी से अंदर तरफ से चूमने लगा।
मैंने देखा कि नीतू का बदन वासना से हल्का सा कांप रहा था और उसकी चूत से चूतरस टपकते हुए चादर पर गिर रहा था।

मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और उसकी चूत के पास वाले हिस्से को चाटने लगा.
कभी चाटते हुए उसकी चूत की पुत्तियों के बगल से मेरी जीभ गुजरती तो नीतू कसमसा जाती।

उसकी चूत के दाने के आस पास काफी देर से चाटने से नीतू के मुंह से आह … हहह … उफ्फ … सीईई … जैसे कामुक आहें निकलने लगी थी।
कभी उसकी चूतरस से भीगी हुई झांटों को मुंह में भर के खींच लेता तो नीतू वासना से दोहरी हो जाती.

उसकी चूत से आती काम रस की भीनी खुशबू को सूंघ कर मेरे लिए खुद को चूत चाटने से रोक पाना मुश्किल हो रहा था.
लेकिन मैं चाह रहा की नीतू खुद मुझसे चूत चाटने को कहे.

थोड़ी देर बाद मैं फिर से उसकी जाँघों को चाटने लगा।
जिसका मुझे अंदाजा था … नीतू ने वही किया.

उसने मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुसाई और मेरे बालों को जोर से अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया मेरे मुंह को खींचते हुए अपनी चूत के ऊपर रख दिया।
फिर नीतू ने मुझसे वासना से लबरेज शब्दों में कहा- राहुल प्लीज़ एक बार चाटो न मेरी चूत!

जैसे ही मैंने चूत को एक बार चाटा वैसे ही मेरे मुंह से उम्म्म्म और नीतू के मुंह अह्ह्ह निकल गया।
मैं जितना हो सकता था उसकी चूत के अंदर जीभ डाल कर रस को पीने की कोशिश कर रहा था।
मैं चूत के दोनों पंखुड़ियों को बारी-बारी से होंठों में दबा कर खींचने लगा।

कुछ देर बाद मैं अपनी बड़ी वाली उंगली को उसकी चूत के डाल कर उसके क्लिट के साथ जीभ से खेलने लगा।

अब नीतू भी खुद के काबू से बाहर होने लगी थी इसलिये उसने अपने हाथों से मेरे बालों को पकड़ लिया और अपनी कमर को उचकाते हुए मेरे सिर को अपनी चूत के ऊपर धकेलने लगी।

कुछ और देर तक उसकी चूत चाटने के बाद उसकी सिसकारियाँ अब तेज़ होने लगी थी।
वो बोल रही थी- आह्ह … श्ह्ह्ह … स्श्ह्ह्ह … उम्म्म … राहुल अब रुकना नहीं … ऐसे ही मेरी चूत को चाटते रहो … बस मेरा होने वाला है … बहुत दिनों बाद आज फिर से यह दिन आया है वापस मेरी जिंदगी में … आअह्ह … मम्मीईई!

अब नीतू ने मेरी गर्दन को अपनी दोनों जाँघों के बीच में पूरी ताकत से दबा लिया।
मैं भी उसकी चूत के ऊपर मुंह रख के चाटने में लगा हुआ था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि इस अमृत का एक भी कतरा बर्बाद हो।

कुछ देर बाद नीतू के बदन में कम्पन होने लगा.
मुझे लगा कि अब नीतू कभी भी झड़ने वाली है इसलिये मैंने उसकी कमर को दोनों हाथों से अच्छे से थाम लिया।

नीतू के शरीर ने पहला झटका खाया और मेरे मुंह में सफ़ेद और पतला तरल पंहुचा दिया जो देखने में कुछ हद तक नारियल पानी की तरह था लेकिन स्वाद में कुछ कसैला और खट्टा था.
और खुशबू तो ऐसी कि क्या बताऊं!

नीतू की आँखें बंद थी और शरीर झटके खा रहा था।
कुछ देर तक उसका शरीर झटके खाता रहा और मैं उसी तरह उसके अमृत को पीता रहा।

थोड़ी देर में नीतू शांत हो गई और उसके रस को पीकर मेरी प्यास भी शांत हो गई थी।
कुछ शांत नहीं हुआ था तो वो थी मेरी वासना … इसलिये मैं उसी तरह उसकी चूत चाटता रहा।

थोड़ी देर बाद नीतू फिर से गर्म होने लगी थी। उसने अपने सिर को बेड पर यहाँ वहां पटकना शुरू कर दिया था। उसके हाथ फिर से मेरी पीठ पर घूमने लगे थे।

मैं उठकर खड़ा हुआ और नीतू के हाथ में अपना लंड पकड़ाना चाहा. लेकिन नीतू ने शरमाकर अपना हाथ पीछे खींच लिया।
मुझे लगा कि नीतू लंड को पकड़ेगी नहीं तो चूसेगी कैसे? क्योंकि मैं उसे ज्यादा से ज्यादा सेक्स के लिए सहज बनाना चाहता था।

इसलिये मैंने उसकी चूचियों को फिर से पीना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद मैंने उससे फिर से लंड चूसने को कहा तो उसने फिर से मना कर दिया।
अंत में नीतू केवल लंड पर किस करने को राज़ी हुई।

मैंने लंड की खाल को पीछे कर के सुपारे को उसके मुंह की ओर आगे कर दिया।
नीतू ने भी बेमन से सुपारे पर जल्दी से चुम्मा लिया।

अब मैं अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर फिराने लगा।
उसकी चूत से लगातार निकलते रस से मेरा लंड चिकना हो गया था।

मैंने उसकी जाँघों को पूरा खोल के लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रखा।
नीतू ने बस इतना कहा- आराम से डालना, बहुत दिन बाद लंड लेने वाली हूँ।

जैसे ही मैंने सुपारे को उसकी चूत से सटाया, वैसे ही नीतू ने अपनी साँसें रोक ली और अपने मुंह को पूरी ताकत से बंद कर लिया।
मैंने अपना लंड धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया।

लंड का सुपारा थोड़े से अवरोध के बाद अंदर गया.

अभी लंड मुश्किल से 3 इंच ही अंदर गया था कि आगे का रास्ता किसी चीज़ ने रोक लिया था।
शायद इतने इस दिन से चुदाई न होने से चूत की माँसपेशियाँ से जुड़ गई थी।

मैंने लंड बाहर निकाला और हल्के धक्के के साथ अंदर करने की कोशिश की लेकिन इस बार भी लंड अंदर नहीं गया।
दो-चार बार लंड अंदर करने की कोशिश की मैंने … लेकिन सफलता नहीं मिली बल्कि हर धक्के पर नीतू के चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आती।

नीतू ने चुदास से तड़पते हुए कहा- तुम एक बार में ही पूरा घुसा दो।
मैंने नीतू को समझाया- इससे तुमको बहुत तकलीफ होगी।
नीतू ने कहा- मैं सह लूंगी।
मैंने भी लंड बाहर निकाला लेकिन उतना की सुपारा अभी भी अंदर था और पूरी ताकत से धक्का लगा दिया।

पचक की आवाज के साथ इस बार लंड करीब पांच इंच अंदर था.
नीतू अपने मुंह को जोर से दाबे हुए मेरे लन्ड के वार को झेल गई लेकिन दर्द और चूत पर पड़े तनाव की वजह से उसका चेहरा लाल पड़ गया था।

अंदर मेरे लंड का चूत की तपिश से बुरा हाल हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि लंड किसी भट्टी में डाल दिया हो।

मैंने लंड को बाहर निकाला लंड पर खून की कुछ बूँदें लगी थी और कुछ खून उसकी चूत से बाहर भी टपक गया था।
नीतू की आँखों से आंसू छलक गये थे।

उसका चेहरे पर दर्द के भाव देख मन किया कि रुक जाऊं … लेकिन जितना मैं देरी करता, उतना ही उसे उतना ही दर्द होता.
इसलिये मैंने इस बार पूरा लंड डालने का निश्चय किया।
मैंने लंड बाहर निकाला और पूरी ताकत से लंड उसकी चूत में पेवस्त कर दिया।

मेरे धक्के से नीतू के मुंह एक तेज़ आह्ह की निकल गई जिसे उसने अपने मुंह दाब कर रोकने की पूर्ण कोशिश की थी।
मेरा सात इंची लंड पूरा उसकी चूत में फिट हो चुका था।

कुछ देर मैं बिना किसी प्रतिक्रिया के वैसे ही रुक रहा।
फिर कुछ समय बाद मैं अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करते हुए प्यार भरे धक्के लगाने लगा।

नीतू की चूत अभी भी किसी कुंवारी चूत की तरह ही थी। मेरा लंड उसकी चूत में फंस-फंस कर जा रहा था जैसी उसकी चुदाई शायद ही कभी ठीक तरह से हुई हो!
ऐसी जवान और कसी हुई औरत की चूत मार के मैं खुद बहुत ही भाग्यशाली मान रहा था।

थोड़ी देर बाद नीतू के मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी- आह्ह … हह … उफ्फ्फ … राहुल, बहुत दिनों बाद तुमने मुझे फिर से औरत होने का अहसास कराया. मैं तो तुमसे मिलन करके धन्य हो गई। तुमने मेरे अंदर की मर चुकी औरत को फिर से जिंदा कर दिया। राहुल, ऐसे ही चोदो … कितना मज़ा आ रहा है।

शायद अब नीतू फिर से गर्म हो गई थी इसलिये वो भी अब नीचे से अपनी कमर उचका कर चुदाई का आनंद लेने लगी थी।

उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी और मेरी गर्दन को झुका कर मेरे चेहरे को देखने लगी।
फिर अचानक से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
हम एक दूसरे से कभी न खत्म होने वाले चुम्बन से जुड़ गये थे।

अब नीतू ने अपने हाथों को मेरी पीठ पर प्यार से सहलाने लगी थी और अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर कस दिया था।
मैं भी नीचे से ताबड़तोड़ धक्के लगाने में व्यस्त था।

अचानक से नीतू के मुंह तेज सिसकारियां निकलने लगी- आईई … म्म्म्मीई … अह्ह्ह … यस … और तेज चोदो अम्म्मा … श्ह्ह्ह!
फिर नीतू का बदन काम्पने लगा जिसका मतलब था कि नीतू अब झड़ने वाली थी.

इसलिये मैंने भी अपने चोदने की स्पीड और बढ़ा दी।
नीतू मुझे कस कर पकड़ लिया और उसकी चूत ने लावा उगलना शुरू कर दिया।
मैंने भी जल्दी से लंड को बाहर निकाला और उसे अच्छे से झड़ने दिया।

जब तक वो झड़ती रही, तब मैं वैसे ही रुका रहा. लेकिन नीतू ने मुझे इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि उसके नाखून अब मेरी पीठ में कुछ अंदर तक गड़ गये थे।

नीतू की चूत से इतना ज्यादा रस निकला था कि उसने बेड की चादर के एक बड़े हिस्से को गीला कर दिया था।

कुछ देर बाद जब वो पूर्णरूप से झड़ कर शांत हुई तो वैसे ही आँख बंद करके पड़ी रही।
इधर मेरा लंड भी फूल कर बड़ा हो गया था.

सामने चूत पड़ी थी और मुठ मार कर लंड को शांत नहीं करना चाहता था इसलिये मैंने अपना गीला लंड उसकी चूत में उतार दिया और फिर से नीतू को चोदने लगा।
मेरा लंड उसकी रस से लबरेज़ चूत अंदर बाहर होते समय फच्च-फच्च और मेरे आंड उसकी चूत के नीचे टकराने से ठप्प-ठप्प कर रहा था।

अब मेरा लंड भी जवाब देने लगा था इसलिये मैंने नीतू को कुतिया बनने को बोला.
वो भी बिना कोई सवाल किये तुरंत कुतिया बन गई।

मैंने पीछे से उसकी कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और उसकी चूत में लंड डालकर सटासट चोदने लगा।
कुछ देर बाद नीतू के मुंह से फिर से सीत्कार निकलने लगी- आह्ह्ह … राजा … क्या मस्त चोदते हो. मजा आ गया … उम्म्म … तुमने तो मुझे अपना बना लिया है. ऐसे ही दम लगा के चोदो … श्ह्ह्ह।

मैं नीतू की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा था मुझे तो बस जल्दी से अपना लंड खाली करना था।

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे लंड से अब रस निकलने वाला है तो मैं और जोर से उसे चोदने लगा।
तभी नीतू ने कहा- और जोर से मेरी चूत मारो राहुल … मैं झड़ने वाली हूँ।

इस वक्त कमरे में कामवासना की सीत्कार पूरे जोर पर थी और हमारा बेड भी चर्र-चर्र का मधुर संगीत कर रहा था।

अचानक से मेरे लंड ने नीतू की चूत में लावा उगलना शुरू कर दिया।
मेरे वीर्य की गर्म फुहार अपने चूत में महसूश करते ही नीतू की चूत से भी रस की नदी बह चली।

इधर मैं उसकी चूत को अपने रस से भर रहा था, उधर चूत से रस निकल कर उसकी जाँघों से लिपटते हुए बेड पर गिर रहा था।
कुछ देर तक तो नीतू अपने शरीर को साधे कुतिया की तरह झुकी रही लेकिन मैं बहुत थक गया था इसलिये उसकी पीठ पर अपना भार डाल दिया।

नीतू मेरा भार न सम्भाल सकी और बेड पर पेट के बल गिर गयी।
मैं उसके ऊपर से उतर कर बगल में लेट गया और उसके चेहरे को देखने लगा।
उसके चेहरे पर पूर्ण शांति के भाव थे।

उसने एक नजर मेरी तरफ देखा, फिर आँखें बंद कर ली।

कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी. शायद उसे ऐसी नींद बहुत समय बाद आई थी।
इसलिये मैंने उसे जगाना ठीक नहीं समझा और उसके नंगे बदन पर चादर डाल दी।

कुछ देर तक मैं उसके बदन से सट कर लेटा रहा और उसकी गर्मी को महसूस करता रहा।
फिर मैं उठा अपने कपड़े पहने और कमरे की लाइट बंद की और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया।

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Xxx सेक्सी कहानी का अगला भाग: मौसी की जेठानी की प्यास बुझाई- 3

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