पारिवारिक चोदन काव्य

(Adult Poetry)

दोहे
● सकल कुटुंब सम्भोगरत, लज्जा कोई न आय।
बेटी चोदे बाप को, बेटा चोदे माय॥

● ऐसी होली खेलियो, श्वेत रंग की पूत।
लंड की पिचकारी से, रंग बहन की चूत॥

● सैंया चोदन लाग्यो, ननदी मोरी यहीं।
मैं भी चोदूँ भाई जो, कौन कहेगा नहीं॥

● संग चुदाई दोनों से, इक ऊपर इक निच्चे।
बेटा/भैया चूत आगे से, सैंया गाँडू पिच्छे॥

● अदलीं-बदलीं बीवियाँ, हाय बाप के संग।
ससुरे का चूसे बहू, माय पूत का लंड॥

● भाभी जी की भोसड़ी, मारी सारी रात।
भैया को बस फोन पर, मिली प्यार की बात॥

शायरी
● लौड़े में ही अमृत है, मैया चूस के देख
योनी में ही स्वर्ग मिलै, बेटा चोद के देख

● ननदी चोदे मोरा ससुरा, चूत चोदे देवर मोरी
बिन साजन के सावन में, ऐसी मनी मोरी होरी

● बचपन में भोगो बहन, जवानी में माँ
बुढ़ापे में बेटी-बहू, झिंगा लाला ला

● चूसत चूसत मैं थकी, लंड झड्यो नहीं माई
पापा चूत में डाल दे, मैं तो चूस चूस अघाई

कविताएँ
पारिवारिक संभोग की प्रेरणा (मुक्तक)

जब पत्नी से मन भर जाए।
जब सखियों से मन भर जाए।
जब पराई नारियों से भी मन भर जाए।

और

जब पति से मन भर चुका हो।
जब सखाओं से मन भर चुका हो।
जब पराए मर्दों से भी मन भर चुका हो।

तब

दिल चाहे कोई अपना
दिल चाहे कोई सगा
कोई ऐसा जिसे बचपन से चाहा हो।

तो ऐसे अनुभवी कामोनमत्त युगल
सगे भाई-बहन ही हो सकते हैं।
और कोई नहीं।

तनया (बेटी)

तनया ने जब लिंग तनाया,
चोदू माँ को भी ये भाया।
पुत्री से पति का लिंग चुसाया,
उसने भी फिर खूब चुदाया।
कभी नहीं मुरझाएगा वो,
तनया ने जो लिंग तनाया।

[तनया=पुत्री=बेटी, तनाया=खड़ा किया हुआ]

कुल मैथुन

भगिनी की भग, लिंग भ्रात का, अंत प्रहर पूनम की रात का।
कभी नहीं विस्मृत होगा वो, मिलन हुआ जो भगिनी-भ्रात का।

[ भगिनी=बहन, भ्रात=भाई, विस्मृत=भूलना ]

नग्न देह आलिंगन में थी, आगमन हुआ जब पिता-मात का।
मादकता थी सुरापान की, उद्यम भी न किया दृष्टिपात का।

[ नग्न=नंगी, मादकता=नशा, सुरापान=शराब पीना, उद्यम=कोशिश, दृष्टिपात=नजर डालना ]

मात-पिता चुंबन में लय थे, चाल-चलन कामुकतामय थे।
माता नग्न हुई शैया पर, संतानों के मन विस्मय थे।

[ लय=लगे हुए, कमुक्तमय=सेक्सी, शैया=बिस्तर, संतान=बेटा-बेटी, विस्मय=अचंभा ]

भगिनी ने ओढ़ ली राजाई, मात-पिता की हुई चुदाई।
नग्न पिता को देख भ्रात से, भगिनी ने भी योनि घिसाई।

[ योनि=चूत ]

भार्या की योनि सिंचित कर, पिता ने जब यूँ दृष्टि घुमाई।
देख अचंभित आँखें मल कर, जाने क्यों हिल रही राजाई।

[ भार्या=पत्नी, सिंचित=पानी-छोड़ना]

भार्या को यह दृश्य दिखाकर, द्रुत गति से खींच ली राजाई।
दोनों ने हर्षित हो देखी, संतानों की नग्न चुदाई।

[ दृश्य=सीन, द्रुत-गति=तेजी से, हर्षित=खुशी-खुशी ]

पत्नी ने पति का लिंग टटोला,
दृढ़ पा कर उसने फिर बोला।
खुलकर जीवन जी लो सैंया,
जब तक है यौवन की छैंया।

[ लिङ्ग=लण्ड, दृढ़=कड़क, यौवन=जवानी ]

तनया ने जो लिंग तनाया, उन्मादी माँ को वो भाया।
पुत्री से ही उसे चुसाया, स्वयं ने चूसा अपना जाया।

[ तनया=पुत्री=बेटी, उन्मादी=उत्तेजित, जाया=पैदा किया हुआ ]

स्वामि लिंग दृढ़ उसको भाया, सोचा मन में देख के “माया”
कभी नहीं मुरझाएगा वो, तनया ने जो लिंग तनाया।

[स्वामि लिंग दृढ़=पति का कड़क लण्ड, तनया=बेटी, तनाया=खड़ा किया हुआ ]

अगले ही पल गुत्थम गुत्था, नग्न सेज पर सारे परिजन।
पुत्री खेले लिंग पिता का, पुत्र करे माता कुच मर्दन।

[नग्न=नंगे, सेज=बिस्तर, परिजन=परिवार के सदस्य, कुच=स्तन, मर्दन=मसलना ]

मात-पिता दोनों ने भोगा, यौवन निज संतान का।
जाने कैसे हुआ किसे सुध, कुल मैथुन रतिवान का।

[ मैथुन=चुदाई, कुल=परिवार, रतिवान=प्रेमी ]
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