चार दोस्त, उनकी चार बीवियाँ और मौज मस्ती-3

(Char Dost, Unki Char Biviyan Aur Mauj Masti- Part 3)

This story is part of a series:

नीलिमा- तुम दोनों क्या बातें कर रही हो?
दीपा- कुछ ख़ास नहीं… मैं कह रही थी कि आज स्विमिंग पुल में कौन किस पे लाइन मार रहा था.
नीलिमा- हाँ यार, आज बड़ा मजा आया तीन मर्दों के साथ नहाने में!
रेशमा- अरे तीन कहाँ, चार जन थे ना!
नीलिमा- चार कहाँ… तीन ही थे… वासु तो तुझ से लगा हुआ था न, उसे कहाँ तुझसे हमारे लिए फुर्सत मिलेगी!
रेशमा- कुछ भी मत बोल, वो मुझे तैरना सिखा रहा था और कुछ नहीं!
नीलिमा- वाह वाह, अब तूने मौके का फायदा नहीं लिया तो हम क्या करें!

रेशमा- तो तू कल ले ले फायदा!
नीलिमा- हाँ अगर दीपा को बुरा न लगे तो जरुर लूंगी.
दीपा- मुझे क्यों बुरा लगेगा अगर मेरे पति की तेरे जैसे मस्त माल मिलेगी तो?
नीलिमा- ठीक है, मेरा भी मन है किसी और से चुदवाने का… और तू भी राजी है तो मैं वासु से चुदवा लूँगी पर उसे पटाना पड़ेगा पहले!

रेशमा- उसकी जरूरत नहीं, वो तुझसे पहले से पटा हुआ है. पता है जब मैं उसके साथ थी तो वो बार बार तेरी तरफ ही देख रहा था और उसका लौडा भी तुझे देख तना हुआ था.
नीलिमा- वाह री रेशमा, तू तो बड़ी बेशर्म है लौडा कहा… कैसा है उसका लौडा?
दीपा- अरे सिर्फ कहा नहीं… वासु का लौडा सहला भी चुकी है.
रेशमा- देखो नीलिमा, मैं वासु से चुदना चाहती हो तुम भी… और दीपा को भी कोई ऐतराज नहीं है पर दीपा को रजत का लौडा चाहिए!
नीलिमा- मैं तैयार हूँ और तुम्हारी मदद करूंगी. तो चलो तय रहा कल रेशमा और मैं वासु का लौडा लेंगी और दीपा रजत से चुदेगी.

इन सब से अंजान हम शाम को सब पीने बैठ गए और सभी औरतें खाने की तैयारी में जुट गई. पीते पीते हम बातें करने लगे कि कैसे हम बचपन में नीलिमा और रीता पे लाइन मारा करते थे. उनकी याद में मुठ मारा करते थे.

तब कृष्णा और रजत ने कहा- अब तो हमें मुठ मारने की जरूरत नहीं है पर तुम्हें आज भी वही करना पड़ता होगा उनकी याद करके…
इस बात पर मैं और साहिल हंस पड़े.
साहिल- अब मुझे समझ आया कि तेरा लंड तना क्यों था पानी में… नीलिमा और रीता को स्विम सूट में देखकर तेरी नियत डोल गई.

हमारी बातें ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी. खाना तैयार हो गया और हम सब खाने के टेबल पर आ गए.
खाना खाते खाते साहिल ने कहा- जैसा कि तय हुआ है, मैं तो बेसब्र हो रहा हूँ तुम सबके होते हुआ हॉल में रेशमा को चोदने को!
सब हंस पड़े.

मैंने देखा कि रेशमा के साथ नीलिमा भी मेरी तरफ देख मुस्कुरा रही थी.
और रीता और नीलिमा ने सबकी नज़रें बचा कर कुछ खुसुर फुसुर की. उनके चहेरे देख लग रहा था कुछ बड़ा प्लान किया है उन दोनों ने!

तभी दीपा ने शरारत में कहा- सब औरतें तो दिन में भी सब सबके साथ चुदाने को तैयार हैं.
उसके ऐसा कहती ही रेशमा, नीलिमा, रीता शर्म से लाल लाल हो गई.
तभी दीपा ने कहा- अरे, मैं तो मजाक कर रही हूँ.

तो सबके गद्दे दूर दूर लगा दिए गए और लाईट बंद कर मैं और साहिल अपनी बीवियों के साथ बिस्तर पे गए पर कृष्णा और रजत फिर से दारू पीने में लग गए.
उन्होंने कहा- नीलिमा और रीता कुछ देर बाद चुदेंगी.

गद्दे लगाते वक़्त मैंने मेरा गद्दा साहिल के थोड़ा करीब लगाया था क्योंकि मुझे रेशमा को देखने की चाहत थी और मेरी चालाकी को रेशमा ने शायद भांप लिया था.
अब मैंने अपनी बीवी के ओंठ चूमने शुरू किये और उसकी एक चूची दबाने लगा, उसकी चूचियाँ काफी कड़क हुई थी… शायद उसको दोपहर से ही चुदास लगी थी. मैंने उसके ओंठों को चूमते चूमते उसकी गर्दन पर हाथ फेरने लगा.
उसको जब उसकी गर्दन पे रगड़ पड़ती है तब बड़ा मजा आता है और उसकी चुदास और बढ़ती है.

दीपा अब मेरे कपड़े उतारने में लग गई साथ ही साथ वो मेरे बदन पे हाथ भी फेर रही थी. अब मैं नंगा था और अब मेरी बारी थी और मैं भी उसके कपड़े कम करने में जुट गया.
पहले तो मैंने उसकी साड़ी निकाली, ब्लाऊज उतारा, अब मैं उसकी चूची को ब्रा के ऊपर से चूस रहा था और उसके कूल्हों पर हाथ फेर रहा था.
उसके दोनों संतरे आजाद होने को तड़प रहे थे तो मैंने बिना देर किये उसकी ब्रा के हुक खोले और दोनों कबूतर आजाद किये.

उसके कबूतर काफी चुस्त थे, उसकी गोलाइयों को देख मन नहीं भरता… मैं उसके निप्पल चूसने लगा और अपने एक हाथ से उसकी जाँघों को सहलाने लगा.
वो बहुत तप गई थी तो उसने मेरे कान में कहा- अब नीचे कुछ करो!
वो कभी भी अपनी चड्डी खुद नहीं निकालती थी, हमेशा मैं उसकी मैना को आजाद करता था.

उसकी चड्डी जब मैं अपने दांतों से खींच कर निकालता था तब वो हमेशा कहती- मुझे इस तरह से नंगी होना अच्छा लगता है.
अब मैं 69 में आकर उसकी गुलाबी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा.

तभी मेरी नजर साहिल की तरफ गई, साहिल रेशमा की चूत चाट रहा था और रेशमा हमारी तरफ देख रही थी. जैसी ही उसे लगा कि मैं उसकी तरफ देख रहा हूँ, उसने शरमा कर आँखें नीचे कर ली तो मैं भी अपने काम में लग गया.

दीपा मेरे लंड के टोप को अपनी जीभ से गीला कर रही थी. दीपा दुनिया की सबसे अच्छी लंड की चुसाई करती है. मैं भी अपनी कमर हिला कर दीपा के मुख में मेरे लंड को अंदर बाहर कर रहा था और उसकी चूत की फाँकों को चाट रहा था. उसकी चूत से अब रस टपकाना शुरू हुआ तो मैंने मेरे जीभ उसकी चूत में अंदर सरका दी और उसके दाने को जीभ से रगड़ने लगा.
मेरे ऐसा करने पर वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- वासु, मेरी चूत में आग लगी है… और चूस… क्या मस्त चाटता है! मेरा ठोकू.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह ह्ह… बड़ा मजा आता है.. ऐसे ही चाट!

मुझे लगा कि सब मेरी तरफ ही देख रहे हैं पर मैंने ध्यान न देते हुए अपनी बीवी की चूत का रसपान जारी रखा.

थोड़ी देर बाद रेशमा की तरफ देखा तो वो घूर घूर कर हमारी तरफ ही देख रही थी.
पर इस बार उसने अपनी आंखें सीधी रखी और मेरी आँखों में देखती रह गई.

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तब मैंने भी दीपा की चूत पे जीभ फेरनी शुरू की और रेशमा की आँखों में देखता रहा जैसे मैं उसकी ही चूत को जीभ से चाट रहा हूँ.

साहिल भी उसकी चूत चुसाई कर उसका लंड रेशमा की चूत में पेलने के लिए तैयार था. उसने उसके दोनों पैर फैला कर लौडे को चूत पर सेट किया और चूत के मुख पर लौडा रगड़ने लगा और हाथ से लंड को जोर जोर से उसकी चूत पर थपकियाँ देने लगा.
उस दौरान भी रेशमा मेरी तरफ देख रही थी और मुझे लगा आँखों ही आँखों में कह रही हो ‘मैं तुझसे ऐसे चुत चुदाई चाहती हूँ.’

यह सोच कर मेरा लौडा और कड़क हुआ. अब मैंने दीपा को घोड़ी बनाया और उसका चेहरा उनकी तरफ कर लंड को उसकी चूत में पेल दिया और रेशमा की तरफ देखने लगा, जैसे मैं दीपा को नहीं उसको चोद रहा हूँ. दीपा के बाल एक हाथ में लिए उसे इस तरह चोद रहा था कि वो एक घोड़ागाड़ी है और उसकी डोर मेरे हाथ में है.

तभी साहिल ने अपना लंड रेशमा की चूत में पेल दिया रेशमा दर्द से हल्के से चीखी, वो उसकी चूत की दीवारों पर साहिल के लंड की रगड़ महसूस कर रही थी.
साहिल ने अब उसको चोदते चोदते उसके संतरे चूसना शुरू किया और रेशमा भी अब कमर उचका कर उसके लंड को अपनी चूत में और गहरा ले रही थी.

यह देख मुझे जोश आया और दीपा को और जोर से ठोकना शुरू किया. दीपा के चूत रस से उसकी चूत बड़ी चिपचिपी हो गई थी और मेरा लंड जोर जोर से अंदर बाहर हो रहा था तो पच पच की आवाज गूंजने लगी और दीपा का पहला पानी छूट गया और उसकी रफ़्तार थोड़ी धीमी हो गई.
यह देख मैंने अपनी रफ़्तार कम कर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.

दीपा- वासु, अह्ह्ह मस्त अब हम पोजीशन बदलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है!
और मैं नीचे लेट गया और वो मेरे लौडे पर अपने चूतड़ सेट कर लौडा धीरे धीरे अंदर लेने लगी.

मैं मन ही मन सोचने लगा कि रेशमा मेरे लौडे पे बैठी है और कह रही है चोद मुझे… फाड़ मेरी चूत को!
दीपा- अह्ह्ह ह्ह्ह्ह वासु, क्या हुआ, आज तेरा लंड काफी कड़क है? बड़ा मजा आ रहा है अह्ह्ह्ह!
और वो कमर ऊपर नीचे करने लगी.

तभी उसने मुझे रेशमा को देखते हुआ पकड़ लिया- वासु, अब पता चला कि तेरा लंड इतना कड़क कैसे है… तू रेशमा को देख रहा है न?
मैंने कहा- अरे नहीं मैं कहाँ…
दीपा- वासु अगर उसको चोदना है तो कोई दिक्कत नहीं, मैं कुछ नहीं कहूँगी.
मैंने कहा- अरे नहीं रे, बस ऐसे ही देख रहा था, उसके बूब्स बड़े मस्त हैं!

दीपा- ठीक है, मैं उसे पटाने में तुम्हारी मदद करंगी.
और ऐसा कह कर वो उछल उछल कर लौडे पे बैठने लगी.
ऐसा करने से मेरा लंड उसके और अंदर तक घुसने लगा और मुझे बड़ा मजा आया. मैंने कहा- जान, तुम किसके बारे में सोच रही हो जो आज इतना उछल उछल कर चुद रही हो?
दीपा- मैं न… रजत को याद कर चुद रही हूँ.
उसने चुदाई के सरुर में कहा.

मुझे मेरे कानो पे यकीन नहीं हो रहा था… उसके रजत से चुदने की कल्पना से ही मुझे बड़ा जोश आया.
दीपा- क्या सोच रहे हो? मुझे भी रजत से चुदाने देना होगा.
मैंने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं… पर मैं सिर्फ रेशमा को नहीं, नीलिमा को भी चोदना चाहता हूँ.
दीपा- ठीक है, मैं तुम्हें मदद करूंगी! वैसे आज जब हम बात कर रहे थे तब नीलिमा ने कहा था अगर उसे उसके पति के अलावा किसी और से चुदाने का मौका मिला तो वो तुम्हें चुनेगी.
मैंने कहा- सच… तो मुझे दो दो नई चूत का मजा मिलेगा!
दीपा- हां… और मुझे रजत के लौडे का… मैं तो उसके लौडे को कच्चा खा जाऊँगी.

मैंने कहा- क्यों न कल हम एक गेम खेलें और उसकी मदद से सबको मिल कर चुदाई के प्लान में शामिल करें?
दीपा- कैसा खेल?
मैंने कहा- तुम बस रेशमा और नीलिमा को मेरे हाँ में हाँ मिलाने को कहो कल सुबह खाना खाते वक़्त!
दीपा- ठीक है मेरे चोदू राजा, तेरा तो सभी औरतों को चोदने का इरादा दिख रहा है.
मैंने कहा- और तुम्हारा भी सभी मर्दों से चुदवाने का इरादा है.
दीपा- मेरा छुटने वाला है जोर जोर से चोद मेरे राजा!

यह कह उसने और जोर से हिलना शुरू किया और पच पच की आवाजें उसके काम रस के कारण उसकी गीली चूत से आने लगी.
मैं भी जोर जोर से धक्के देना लगा, अब मेरा भी छुटने को आया और मैंने उसकी चूत की अंदर ही मेरा फव्वारा छोड़ दिया.
अब उसकी चूत उसके कामरस से और मेरे वीर्य से भरकर दोनों का माल मिलकर मेरी जांघो पर बहने लगा.

उधर कृष्णा और रजत ने दारू के नशे में अलग ही कांड किया. नशे में रजत कृष्णा के बिस्तर में और कृष्णा रजत के बिस्तर में गया था और यह बात सुबह सबको पता चली जब नीलिमा और रीता ने सुबह एक दूसरे के पतियों को बिस्तर में देखा.

और इस कांड के कारण हम आठ जनों की एक साथ चुदाई का खेल जल्द ही शुरू हुआ.

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