मेरी बेकाबू बीवी-1

(Meri Bekabu Bivi-1)

अरुण 2009-11-20 Comments

This story is part of a series:

मेरी बेबाक बीवी की मेरे डॉक्टर दोस्त द्वारा मेडिकल चेकअप और फिर झांटों की सफाई, चुदाई की उत्तेजक और रोमान्चक कहानी सभी पाठकों को बेहद पसंद आई और इस सन्दर्भ में मुझे ढेर सारे इमेल भी मिले। उनमें से बहुत से पाठकों ने कहानी के प्रारंभ में मैंने जिस होली की घटना का जिक्र किया है, उसके बारे में पूछा है।

दरअसल होली की यह घटना अभी जो होली गई उसी पर घटित हुई थी जिसका जिक्र मैंने अन्तर्वासना मंच के एक सूत्र में किया था। तब भी बहुत से पाठकों ने आश्चर्य किया था और सवाल किया था कि आपकी बीवी इतनी बिंदास और बेबाक कैसे है।

उन्हें यही बताने के लिए मैंने वो मेडिकल चेकअप की घटना अन्तर्वासना पर कहानी के रूप में चार भागों में प्रस्तुत की जिसे सबने पसंद भी किया और मेरे पास फोन भी आये। दिल्ली की एक लड़की सलोनी तो मुझसे अपनी बीवी के किस्से फोन पर ही सुनाने का अनुरोध करने लगी, कहने लगी कि मेरी कहानी से उसकी चूत गीली हो गई।

और अब सभी ने, मैंने जिस होली की घटना का जिक्र किया है, उसके बारे में पूछा है।

लेकिन होली गए हुए एक अरसा हो गया, अब हो सकता है कुछ लोगो को यह प्रसंग सही नहीं लगे पर इसे एक उत्तेज्जक घटना के रूप में ही पढ़ सकते हैं और वैसे भी होली रंगीन त्यौहार है, बहुत से घरों में इस दिन देवर-भाभी, जीजा-साली आदि के बीच में इस तरह की होली होती है। इस दिन छेड़छाड़, गालियाँ बकना, भांग, शराब का सेवन अश्लील चुटकुले सुनाना आदि का रिवाज़ है और कुछ जगह कपड़े फाड़ होली भी होती है।

तो दोस्तो, हमारी कोलोनी में दो मकान छोड़ कर एक परिवार रहता है, उनसे हमारा बहुत ज्यादा दोस्ताना, मेलजोल है और जैसा कि मैंने बताया है कि मेरी बीवी गैर मर्दों से फ्लर्ट करने में भी बहुत मज़ा आता है, मेरे दोस्तों, पड़ोसियों से खूब हंसी-मजाक करना, उन्हें परेशान करना उसकी आदत है। वो सबकी चहेती भाभी है, उसकी इस आदत से मुझे उससे न कोई शिकायत है, न उस पर कोई शक है।

और यह दोस्त तो हमसे कुछ ज्यादा ही खुला हुआ है। हर साल ही वो और उसकी बीवी हमारे घर आकर खूब जोरदार होली खेलते हैं पर इस बार होली वाले दिन वो अपनी बीवी को छोड़ने उसके मायके गया हुआ था। दोपहर हो गई थी, हम पड़ोसियों से होली खेल कर घर आ चुके थे और हम दोनों ने ही कुछ ज्यादा ही पी भी ली थी क्योंकि ना तो अब हमें कही जाना था और ना ही अब किसी के आने की उम्मीद थी।

घर में वो मेरी गोद में लेटी हुई थी और हम दोनों ही इकट्ठे स्नान करने की तैयारी में थे कि तभी मुख्य दरवाजे पर घण्टी बजी।

मेरी पत्नी चिढ़ते हुए बोली- ओफ्फोह ! इस समय कौन आ गया?

मैंने कहा- सफ़ाई वाले की बीवी होगी, होली की मिठाई लेने आई होगी, जाओ देखो !

वो बेमन से उठी उसने कुर्ता और सलवार पहन रखी थी, बिना चुन्नी लिए ही वो गेट खोलने चली गई।

और दरवाजे पर वो दोस्त महाशय हाथों में रंग लिए खड़े थे।

पत्नी उसे देखते ही चकरा गई और इससे पहले कि वो मेरी बीवी को रंग लगाता, उससे पहले ही मेरी बीवी अन्दर भागी, मेरे पीछे छुप गई और चिल्लाने लगी- खबरदार जो रंग लगाया तो ! यह कोई वक्त है होली खेलने का? इतनी दोपहर चढ़ गई, सुबह से कहाँ थे जनाब?

वो बोला- भाभी, सिर्फ तुमसे होली खेलने के लिए ससुराल की होली छोड़ कर अस्सी मील का सफ़र करके आ रहा हूँ। अब चुपचाप सामने आ जाओ वरना मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी।

और इतना कह कर वो उसके पीछे लपका।

वो पीछे आँगन की तरफ भागी, मुझे लगा वो बचने के लिए भाग रही है पर वहाँ जाकर उसने तो खुद भी रंग हाथों में ले लिया।

पर तब तक दोस्त उसे पीछे से पकड़ चुका था और उसका पहले से रंगे हुए चेहरे पर अपने हाथों का रंग पोत दिया।

वो तड़प कर उसकी बाहों से फिसली और बोली- अब मैं रंग लगाऊँगी।

और दोस्त के सामने हो गई लेकिन दोस्त का चेहरा भी बुरी तरह से रंगा हुआ था तो मेरी पत्नी ने उसकी शर्ट निकाल कर उसके सीने, पीठ पर रंग लगाया।

जवाब में मेरे दोस्त ने भी मेरी पत्नी को पकड़ कर उसके कपड़ों के अन्दर रंग लगाना चाहा पर सफल नहीं हो पाया तो उसने मुझे अपनी बीवी को पकड़ने को कहा।

और उस दिन जाने मुझे क्या हुआ, शायद शराब का नशा था या होली की खुमारी, मैंने वास्तव में न सिर्फ बीवी को पकड़ा बल्कि दोस्त ने जब मेरी बीवी का कुरता उतार दिया तो मेरी उत्तेजना बढ़ गई।

अब वो उसके अनावृत हो चुके कंधे, बाजू, कमर और पीठ पर रंग मले जा रहा था।

फिर उसने वो हरकत की कि मैं सन्न रह गया और बेहद उत्तेजित भी हो गया क्योंकि उसने अचानक ही मेरी बीवी की ब्रा भी उसके कंधे से सरकाते हुई उतार डाली और वो शायद ढीली होने की वजह से खुल कर निचे गिर पड़ी। और अब उसका ऊपर का पूरा बदन नंगा हो चुका था और रंगा हुआ था। सिर्फ दूधिया और उन्नत वक्ष ही थे जो एकदम उजले व रंगरहित थे।

वो उन्हें देख बेकाबू होता हुआ बोला- यह है एकदम साफ़ सुथरी जगह ! यहाँ रंग लगाने में मज़ा आएगा !

फिर मेरे दोस्त ने जम कर उसके नंगी छातियों को रंग से मसल कर लाल कर दिया। फिर वो यही तक नहीं रुका, उसके पेट-पीठ को रंगते हुए मुझसे और रंग माँगा।

न जाने क्यों उसकी हरकतों से नाराज होने के बजाए मुझे उत्तेजना हो रही थी, मैंने उसे रंग दे दिया और वह मेरी बीवी की सलवार में आगे से हाथ डाल कर उसकी चूत तक ले गया।

मेरी बीवी भी शराब के नशे में चूर लगातार चिल्ला रही थी और मेरे दोस्त को घूंसे मारे जा रही थी और हाथ बाहर खींचने की कोशिश कर रही थी। मैं चाहता तो उसका हाथ बाहर निकाल सकता था लेकिन उस दिन मुझे जाने क्या हुआ कि मैं इस अश्लील छीना-झपटी का मज़ा ले रहा था और बीवी की बजाए दोस्त की मदद कर रहा था क्योंकि उसका हाथ अभी तक अन्दर ही था और वो आगे से उसकी चूत से होता हुआ उसके कूल्हों तक आ रहा था।

वो तड़प रही थी और चिल्ला रही थी- सलवार फट जायेगी ! प्लीज छोड़ो !

अब मुझे अपनी बीवी पर तरस आ गया और मैं दोस्त का हाथ बाहर निकालने की कोशिश करने लगा। लेकिन ना जाने कैसे संतुलन बिगड़ने से मेरी बीवी फिसल गई और उसकी सलवार दोस्त के हाथ में रह गई और पैंटी आधी से ज्यादा फट कर उसकी एक जांघ में अटक गई और उसकी गुच्छेदार झांटें बाहर झाँकने लगी।

दोस्त बोला- तो लो ठीक है !

यह कहते हुए उसकी सलवार पूरी नीचे खिसका दी।

मेरी बीवी चिल्ला कर पैर पटकने लगी पर दोस्त ने कस कर उसकी नंगी चूत को ना सिर्फ मसला बल्कि उंगलियाँ चूत में डाल कर हिलाने लगा।

अब वो गुस्से और उत्तेजना से बिफर गई, बोली- अभी मज़ा चखाती हूँ ! मुझे नंगी करके तुम बच नहीं सकते !

कुछ देर बाद मेरी बीवी ने भी उसकी पैंट खोल कर उसका कड़क हो चुका लण्ड निकाल कर उसे रंग डाला।

मेरी नादान बीवी यह नहीं समझ पाई कि मर्द को तो हर हाल में मज़ा ही आता है।

उस समय जो होली चल रही थी वो रंग लगाने से ज्यादा एक दूसरे को नंगा करने की होड़ थी।

होली के दौरान हमेशा ही वो मेरी पत्नी के और मैं उसकी पत्नी के वक्ष पर तो रंग अवश्य ही लगाते हैं और वो दोनों भी हमारी शर्ट, बनियान या तो उतार देती थी या फाड़ देती थी। और दोस्तो, यह प्रकृति का नियम है कि जब आप अश्लीलता की एक हद पार करते हो, जैसे हम होली में अक्सर अर्धनग्न हो जाया करते थे, पर आज की होली पूर्ण नग्नता की और बढ़ चुकी थी, यानि समूची हदें पार कर रही थी क्योंकि दोस्त की बीवी मौजूद थी ही नहीं और मैं और मेरी बीवी वैसे ही बहुत ही ज्यादा खुले विचारों के हैं।

और कुछ ही देर में वो दोनों पूर्णतया नग्न हो चुके थे, दोस्त ने बची खुची चड्डी भी खींच कर निकाल फेंकी, अब उन दोनों के बीच वस्त्रों का कोई व्यवधान नहीं था।

इसके आगे की घटना अगले भाग में जरूर पढ़ना।

आप मुझे मेल भी कर सकते हैं।

[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top