बिन्दास उन्मुक्त जीवन की चाहत- 2

(First Fuck With Husband)

सनी वर्मा 2025-06-23 Comments

फर्स्ट फक विद हसबैंड का अनुभव लिया एक दुल्हन ने अपनी पहली रात को होटल के कमरे में. पति पत्नी दोनों पहले से दोनों खुले हुए थे तो आपस में शर्म नाम की कोई चीज बची नहीं थी.

कहानी के पहले भाग
पति के साथ सुहागरात
में अपने पढ़ा कि दुल्हन अपने पति के साथ होटल के कमरे में सुहागरात मना रही है.

अब आगे फर्स्ट फक विद हसबैंड:

अब सीमा मछली की तरह तड़पने लगी।
उसने समीर से कह दिया, “अब मेरे अंदर आ जाओ!”

समीर ने नीचे खिसकते हुए उसके मम्मे मुंह में ले लिए।
उंगलियां अभी भी चूत के अंदर धमाल कर रही थीं।
समीर ने हल्के-हल्के निप्पल्स को दांतों से दबाया।

अब तो सीमा तड़पती हुई समीर की गिरफ्त से बाहर आने को मचलने लगी।

समीर ने जैसे ही थोड़ी पकड़ ढीली की, सीमा बिफरती हुई नीचे से निकली और टांगें पूरी फैलाकर समीर को खींच लिया अपनी ओर!

समीर ने उसकी टांगों को ऊपर करके उन्हें चौड़ा किया और फिर अपना लंड सीमा की चूत के मुहाने पर रख दिया।

सीमा उससे गिड़गिड़ाई, “धीरे-धीरे करना! सुना है बहुत दर्द होता है! और जब मैं रुकने को कहूं, तो प्लीज रुक जाना!”
समीर ने मुस्कुराते हुए अपने लंड को थोड़ा-सा अंदर धकेला।
लंड भी चिकना हो रहा था और सीमा की चूत तो पूरी पानी-पानी हो रही थी।

सीमा उह-आह करने लगी.

पर समीर ने थोड़ा और धक्का दिया तो लंड फिसलते हुए पूरा घुस गया सीमा की चूत की गहराई में।
सीमा की चीख निकल गई।
वो चीखी, “बाहर निकालो! बाहर निकालो! बहुत दर्द हो रहा है!”

समीर ने बिना हिले-डुले उसके होंठों से होंठ जड़ दिए।
सीमा ने अपने नाखून समीर की पीठ पर गाड़ दिए थे।

कुछ पल बाद समीर ने आराम से हिलते हुए अपने लंड को बाहर निकालने के लिए सीमा की आंखों में आंखें डालकर पूछा, “क्या बाहर निकालूं?”
सीमा उचककर समीर के होंठों से अपने होंठ मिलाते हुए बोली, “बाहर मत निकालना! पर धीरे-धीरे करो!”

अब सीमा की ‘धीरे-धीरे’ जल्दी ही ‘और जोर से’ में बदल गई और दोनों एक-दूसरे में गुत्थम-गुत्था हो गए।

सीमा भी मजबूत काठी की जाट थी और समीर भी पक्का हरियाणवी जाट!
पूरा बेड हिलाकर रख दिया दोनों ने चुदाई में।

फर्स्ट फक विद हसबैंड में कोई हार मानने को तैयार नहीं।
एक बार तो सीमा भी ऊपर चढ़कर घुड़सवारी कर आई।

पर मजा तो उसे समीर के ऊपर से चुदाई करने में आ रहा था, तो वो नीचे आ जाती और नीचे से ही उछल-उछलकर समीर का साथ देती।
अब समीर का होने को था।

उसने सीमा से कहा, “मेरा होने वाला है! कहां निकालूं?”

सीमा ने उसे कसके जकड़ लिया।
वो तारीख के हिसाब से सेफ थी।

समीर ने एक झटके में सारा माल सीमा की चूत में खाली कर दिया।
सीमा ने झट से पास रखा हैंड टॉवेल अपने नीचे कर लिया।

उसकी चूत से खून से सना वीर्य बाहर आ रहा था।

अब सीमा को दर्द का भी अहसास हुआ।
उसने समीर से अपना बैग मांगकर एक पेनकिलर ली और फिर वॉशरूम जाकर फ्रेश होकर आई।

समीर भी फ्रेश होकर आ गया। अब दोनों एक-दूसरे के आगोश में समा गए और ख्वाबों की दुनिया में खो गए।

अगले दिन सुबह 10 बजे दोनों की आंख खुली।

समीर तो एक राउंड सेक्स के मूड में था क्योंकि वो उठा भी सीमा के लंड रगड़ने से था।
सीमा भी मुस्कुरा रही थी।

पर दोनों को ध्यान आया कि नाश्ता केवल 10:30 तक ही मिलेगा।

दोनों फटाफट फ्रेश होकर कपड़े पहनकर नाश्ता करने के लिए नीचे रेस्तरां में आ गए।

नाश्ता करके चलते-चलते सीमा ने दो चॉकलेट पेस्ट्री उठाकर नैपकिन में रख लीं।
समीर ने आश्चर्य से पूछा, “क्यों?”
सीमा बोली, “मुझे अच्छी लगती हैं!”

नाश्ता करके दोनों होटल में घूमते-घामते अपने रूम में आए।
सीमा ने शरारत से उसकी आंखों में आंखें डालकर पूछा, “अब क्या करना है?”
समीर ने एक ही झटके में उसका नाइट सूट उतार फेंका और उसके मम्मों पर पिल पड़ा।

सीमा तो इंतजार कर रही थी … उसने भी समीर का लंड मसलना शुरू कर दिया।
सीमा ने पास रखी पेस्ट्री उठाईं और अपने मम्मों, चूत और समीर के लंड पर मल दीं और फिर मुस्कुराते हुए टांगें खोलकर लेट गई।

समीर भी मुस्कुराते हुए पहले तो उसके निप्पल्स को चाट-चाटकर साफ किया, फिर दोनों 69 हुए और एक-दूसरे की पेस्ट्री को चाट-चाटकर साफ किया।

पेस्ट्री दोनों के बदन से चिपक रही थीं, तो सीमा बोली, “चलो नहाते हैं!”

समीर ने बाथटब भरने को पानी चालू कर दिया।
दोनों शावर खोलकर उसके नीचे खड़े हो गए ताकि पेस्ट्री साफ हो जाए।
सीमा को तो हैंड शावर से अपनी चूत को साफ करना पड़ा।
अंदर तक क्रीम भरी हुई थी।

अब बाथटब भी तैयार था।
पहले समीर उतरा।
उसने अपनी दोनों टांगें फैला लीं।
फिर सीमा उतरी।

वो सीधे समीर के लंड पर ही बैठी, तो समीर ने अपना लंड उसकी चूत में घुसेड़ना चाहा।
सीमा बोली, “अभी रुको! थोड़ी देर मेरी चूत को सेक मिलने दो गर्म पानी की!”

कहकर वो समीर की छाती की टेक लगाकर लेट गई।
समीर उसके मम्मे गोल-गोल मसलने लगा।

सीमा की आह निकलने लगीं।
वो पलट गई और समीर से होंठों से होंठ मिलाकर उसके ऊपर बैठी और समीर का लंड अपनी चूत में कर लिया।

उसे थोड़ा-सा दर्द तो हुआ, पर वो धीरे-धीरे उछलने लगी।
थोड़ी देर बाद समीर ने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड घुसेड़कर उसके मम्मे मसलने लगा।
इस पोज में सीमा को मजा आ रहा था।

समीर थोड़ा रफ हो रहा था।
उसने सीमा के बाल भी खींचकर उसे अपनी ओर खींचा।

इन सबमें सीमा को मजा आ रहा था।
चूंकि बाथटब में जगह ज्यादा नहीं थी, तो चुदाई स्पीड नहीं पकड़ पा रही थी।
समीर सीमा से बेड पर चलने को कहने लगा।

सीमा को अपनी चूत की सिकाई करनी थी, तो उसने समीर से कहा, “वो हैंड शावर की पतली धार से मेरी चूत पर पानी डालो!”
कहकर सीमा दोनों टांगें फैलाकर कमर उचकाकर लेट गई।
अब शावर की मोटी धार सीधी उसकी फांकों के बीच पड़ रही थी।

जल्दी ही उसकी आहें निकलनी शुरू हो गईं।
ऐसा लग रहा था मानो उसे यह अहसास हो रहा हो कि कोई उसकी चुदाई कर रहा है।
उसकी आंखें फैल रही थीं और मुंह खुला हुआ था।

समीर को पेशाब जाना था, उसने सीमा से कहा, “मैं जरा पेशाब कर लूं!”

समीर चौंक गया सीमा का जवाब सुनकर… वो बोली, “कहीं मत जाओ! मेरे मुंह और मम्मों पर करो!”
समीर हिचकिचाया।
सीमा बोली, “इसे पेशाब नहीं, गोल्डन शावर कहते हैं!

आज से जब भी हम साथ-साथ नहाएं और किसी को गोल्डन शावर देना हो, तो वो अपने पार्टनर के ऊपर ही करेगा!”

समीर अभी भी हिचकिचाया, तो सीमा ने मुस्कुराते हुए उसका लंड पकड़ लिया और अपने मुंह की ओर कर लिया।
समीर की धार निकल गई।
सीमा ने अपने चेहरे और मम्मों पर कर लिया।

समीर के लिए ये पहला अनुभव था।

नहाकर अब दोनों चुदासे हो रहे थे।
अब दोनों टॉवेल लपेटकर बेड पर आ गए।

बाथरूम में मजा तो बहुत आया, पर काम पूरा नहीं हो पाया था।
न तो चूत की खुजली मिटी थी, न लंड की गर्मी निकल पाई थी।

लंड भी तना हुआ था और चूत भी प्यासी थी।
सीमा अपने अंदाज में टांगें चौड़ा कर लेट गई और मुस्कुराने लगी।

समीर का लंड भी खड़ा हुआ सलामी दे रहा था।
वो आगे आया, तो सीमा बोली, “थोड़ी क्रीम लगा लो और मुझे भी दे दो, मैं भी लगाऊंगी!”

समीर ने कहा, “आज तो बिना लगाए ही पेलूंगा!”
सीमा बोली, “मुझे फर्क पड़े न पड़े, तुम्हारा छिल जाएगा!”

कहकर वो हंस पड़ी और उठकर मेज पर से क्रीम उठाकर अपनी फांकों में लगा ली और ढेर सारी क्रीम अपने हाथ में लेकर समीर के पास नीचे घुटनों पर बैठ गई और उसका लंड मुंह में ले लिया और लगी चूसने।

उसने अपनी जीभ और होंठों से दबाव बना लिया था।

समीर जल्दी ही बेचैन हो उठा।
उसने सीमा के हाथ की ओर इशारा करके कहा, “क्रीम मेरे लगा दो!”
सीमा हंसी, “कहां लगाऊं? तुम्हारे पिछवाड़े में लगा देती हूँ!”

समीर भी हंसा, “पिछवाड़े में घुसाने को तुम पर कुछ हो, तो पिछवाड़े लगा दो!”
सीमा उसके लंड पर क्रीम लगाते हुए बोली, “एक दिन पूरा हाथ अंदर करूंगी तुम्हारे पिछवाड़े में! तब मालूम पड़ेगा कि अंदर घुसता है, तो कैसा लगता है!”

दोनों हंसते हुए बेड पर आए।
सीमा लेट गई, समीर नीचे खड़ा था।

समीर ने उसकी टांगें पकड़कर आगे खींचा और टांगें चौड़ा कर पेल दिया अपना लंड उसकी चूत में और धक्के लगाने शुरू कर दिए।

चूंकि वो नीचे खड़ा था, तो उसके घुटनों को बेड का सपोर्ट मिल रहा था, तो उसके धक्के दमदार लग रहे थे।

सीमा कसमसाते हुए बोली, “कहां से ट्रेनिंग लेकर नए-नए पोज सीखकर आते हो? कुछ भी हो, मजा बहुत आ रहा है!”

फिर उसे उकसाते हुए बोली, “क्या बात है? दम निकल गया रात को, जो तुमसे धक्के नहीं लग रहे!”
समीर को जोश आ गया।
उसने जोर-जोर से पेलना शुरू किया।

पता नहीं उसे क्या सूझी, उसने सीमा से पलटने को कहा, “तेरी गांड मारूंगा!”
सीमा ने जीभ निकाल दी और बोली, “चूत मारी नहीं जा रही, बड़े आए गांड मारने वाले! गांड तो किसी अंग्रेज से मरवाऊंगी!”

दोनों हंस पड़े।
सीमा ने ऐसे ही मजाक में कह दिया था।

समीर पीछे पड़ गया, “अंग्रेज से क्यों?”
तो सीमा तो मुंहफट थी। बोली, “तुम लोगों का काला होता है! मेरी गांड गुलाबी है! कॉम्बिनेशन नहीं जचेगा! अंग्रेज का गोरा होगा, तो उससे कॉम्बिनेशन सही जचेगा!”

समीर बोला, “ये तो सबका काला ही होता है!”
सीमा भी बोली, “नहीं! अंग्रेज का तुमसे तो गोरा होता ही होगा! जब मिलेगा, तब बताऊंगी!”
हंसते हुए दोनों ने चुदाई को अंजाम दिया।

कुछ करने को था नहीं, तो ऐसे ही बिना कपड़ों के लिपटकर सो गए।

अब अगली दोपहर तक उन्होंने लगातार चुदाई और सिर्फ चुदाई की।

अगले दिन ब्रेकफास्ट से आकर जब समीर ने फिर चुदाई की बात की तो सीमा बोली, “यार, अब थक गई चुदते-चुदते! अब रात को घर पर चोदना!”

समीर बोला, “घर पर चुदते समय ध्यान रखना कि वो घर है! वहां इसे मत चीखना जैसे यहां चीख रही हो!”
सीमा हंस पड़ी, “फिर दो दिन मत चोदना! फिर तो हम बैंगलोर चले जाएंगे! वहां खूब जोर-जोर से चीखा करूंगी!”

सीमा और समीर घर आ गए।

मां-बाउजी ने उनका पलकें बिछाकर स्वागत किया।
दो-तीन दिन ऐसे ही निकल गए।

फिर सीमा और समीर बंगलोर पहुंच गए।
वहां तो उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था।

सीमा ने अपना ट्रांसफर यहीं करवा लिया था।
तो अब तो दोनों को एक ही काम था … आठ घंटे काम और आठ घंटे चुदाई।
जो थोड़ा-बहुत सो लिए, तो ठीक, वरना कैब में नींद पूरी करते।

साथ के दोस्त भी मजाक बनाते।
पर सब जानते थे, आखिर नई-नई शादी हुई है।

समीर ने पहले वीकेंड पर सबसे पहला काम जो किया, वो था सीमा का कॉपर टी लगवाना।
ताकि सेक्स के समय लंड को कोई टेंशन न हो।

कब छह महीने ऐसे ही निकल गए, पता ही नहीं चला।

इनकी चुदाई एक्सप्रेस तो दिन-पर-दिन स्पीड पकड़ती जा रही थी।
एक बार को समीर थकान की बात कहकर मान भी जाता।
सीमा तो बिना चुदे सोना ही नहीं चाहती थी।

उसकी सहेलियां भी परेशान थीं कि खाली वक्त में या व्हाट्सएप चैट में सिवाय सेक्स के कोई और टॉपिक सीमा के पास ही नहीं था।
वो तो थी ही मुंहफट, तो किसी भी टॉपिक पर बेबाकी से बकवास कर लेती।

समीर से भी कह देती, “अगर तुम थककर घर आओ, तो किसी और को लेते आया करो, जो मुझे चोदकर फ्रेश कर दे!”
ये सब बातें मजाक में थीं।

काम में उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी, तो कंपनी उसे हर सुविधा देती थी।

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फर्स्ट फक विद हसबैंड कहानी का अगला भाग:

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