दूसरी शादी की सुहागरात का मजा
(Happy Ending Sex Kahani)
हैपी एंडिंग सेक्स कहानी मेरी दूसरी शादी के बाद पहली रात की चुदाई की है. मेरा बिलकुल मन नहीं था सेक्स करने का … पर अपने नए पति का विशाल लन देख कर मेरी चूत पानी पानी हो गई.
यह कहानी सुनें.
मेरा नाम रेनू है और मैं जयपुर में रहती हूँ. मेरी उम्र 37 वर्ष की है.
मेरे पति और मैं दोनों सरकारी नौकरी करते थे.
हम दोनों का एक ब/च्चा है.
हमारी लाइफ ठीक चल रही थी.
मेरे पति सुनील मुझे बहुत प्यार करते थे.
हम दोनों भगवान की नेमत से बहुत खुश थे लेकिन एक दिन सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई.
ये खबर सुन कर मुझ पर दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा.
मैं अपने पति के बिना जीना नहीं चाहती थी और मर जाना चाहती थी … लेकिन अपने ब/च्चे को देखकर अपने आप को संभाला.
पीहर और ससुराल वाले ढांढस बँधाते और हिम्मत से काम लेने को बोलते.
मैं किसी के ऊपर बोझ बनना नहीं चाहती थी.
मैं रोज़ अपने पति को याद करती और अकेले में बैठकर रोती रहती.
धीरे-धीरे ये मुश्किल वक्त निकल गया और मैं अकेली ही अपने ब/च्चे के साथ रहने लगी.
अब मैंने उनकी यादों के सहारे अकेले जीना सीख लिया था.
मुझे उनके इंश्योरेंस और फंड्स से बहुत पैसे मिले थे, पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन पति की कमी कोई भी चीज़ पूरी नहीं कर सकती थी.
जैसे-जैसे समय निकला, मैं अपनी नौकरी करके ब/च्चे को पालने लगी. मेरा पूरा समय ब/च्चे को खुश रखने और उसे खिलाने में निकल जाता था.
बस इसी तरह से समय निकल रहा था.
लेकिन एक औरत के लिए ये सब आसान नहीं होता.
लोग मुझ पर गंदी निगाहें डालते; हर कोई हमदर्द बनना चाहता था.
मैं किसी से बात नहीं करती थी; मुझे ऐसे लोगों से नफ़रत होती थी.
मुझे अब पति की यादों के सहारे ही जीना था.
मैं बिल्कुल साधारण तरीके से रहने लगी.
मुझे अपनी चूत के बाल भी साफ़ करने का मन नहीं करता था.
मेरी झांटें बहुत बड़ी हो गई थीं.
जैसे ही एक बरसी पूरी हुई, घरवा ले बोलने लगे- बेटी अभी तेरी पूरी उम्र पड़ी है. ब/च्चे के भविष्य का सोच … दूसरी शादी कर ले!
मुझे ये सब सुन कर गुस्सा आता था.
अब तो मेरी सहेलियां भी शादी करने की बोलने लगी थीं.
मेरी एक खास सहेली मुझसे बोली- देख यार, ऐसे जीवन नहीं चलता!
लेकिन मैं किसी से शादी करना नहीं चाहती थी.
मैं अपने पति को बहुत प्यार करती थी; उनकी यादों को मैं किसी के साथ बांटना नहीं चाहती थी.
मेरे घर वालों ने पीछा नहीं छोड़ा.
वे बोलते रहे कि बेटी समाज में विधवा का जीवन नरक से भी बदतर होता है. ब/च्चे के बारे में सोच … इसको भी तो बाप का प्यार चाहिए.
ब/च्चे के बारे में सोचकर एक दिन मैंने हां कर दी.
घर वाले बहुत खुश हुए.
वैसे मैं जवान-सुंदर थी, नौकरी थी और अब पैसा भी बहुत था तो रिश्तों की कोई कमी नहीं थी.
रोज़-रोज़ रिश्ते आ रहे थे.
अनमैरिड और मैरिड सब तरह के रिश्ते आ रहे थे.
घर वालों ने बहुत से लड़कों के फ़ोटो भेजे पसंद करने के लिए … लेकिन मैंने सब उन्हीं पर छोड़ दिया कि जो आपको ठीक लगे, वह करो.
फिर उन्होंने एक लड़का फ़ाइनल कर दिया.
वह भी शादीशुदा था.
उसकी शादी दो साल पहले हुई थी लेकिन शादी के 3 दिन बाद ही उसकी बीवी पीहर में करंट लगने की वजह से चल बसी थी.
उन्होंने फ़ाइनल किए लड़के की डिटेल और उसकी फ़ोटो मुझे भेज दी.
उस लड़के का नाम रवि था.
मुझे एक प्रतिशत भी इंट्रेस्ट नहीं था पर ब/च्चे की खातिर मैंने एक बार फ़ोटो देख लिया.
वह लड़का बहुत स्मार्ट था अभी केवल 32 साल का था.
उसकी सरकारी नौकरी थी और वह इंजीनियर था.
मैं तो सोच भी नहीं सकती थी कि किसी विधवा को ऐसा हैंडसम जवान पति मिल सकता है.
यहीं से इस हैपी एंडिंग सेक्स कहानी की शुरुआत हुई.
घर वाले और सहेलियां मुझे पार्लर जाने और हुलिया सुधारने को बोलती थीं.
लेकिन मैं तो शादी भी सिर्फ घर वालों और ब/च्चे की खुशी के लिए ही कर रही थी … अपने लिए नहीं.
फिर भी रोज़-रोज़ उनकी ज़िद की वजह से मैं पार्लर जाने लगी.
मेरी उसी पक्की सहेली ने कसम दी कि एक दुल्हन की तरह तैयार होना वर्ना कभी बात नहीं करूँगी.
इस वजह से मैं फुल बॉडी वैक्सिंग और मेकअप करवाने लगी.
फिर मैंने चूत को भी बिल्कुल साफ़ कर लिया.
अब मैं भी किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही थी.
सब कुछ तय होने के एक महीने बाद ही हमारी शादी कर दी गई और मैं अब ससुराल आ गई.
मेरे लिए सब नए थे.
सभी लोग बहुत अच्छे थे.
मेरी खूबसूरती की सबने तारीफ़ की … मुझे ऐसा नहीं लगा कि अनजान हैं.
सबने मेरा खूब ध्यान रखा.
मेरा ब/च्चा भी उनमें घुल-मिल गया.
ये देख कर मेरा दुख कम हुआ लेकिन मैं तो बस मेरे पहले पति को ही याद कर रही थी.
ये शादी मैंने खुद के लिए नहीं … ब/च्चे की खातिर की थी.
जैसे-जैसे सुहागरात नज़दीक आ रही थी, मैं घबरा रही थी.
मैं किसी और मर्द को खुद को छूने देना नहीं चाहती थी.
सुहागरात को मैं कमरे में बेड पर घूँघट करके बैठी थी कि तभी दरवाज़ा खुला और रवि अन्दर आ गए.
मैं चुपचाप घूँघट में से उनको देख रही थी.
उनकी हाइट छह फीट, रंग गोरा था.
तभी उन्होंने अपनी टाइट शर्ट-पैंट उतार दिए.
उनकी पर्सनैलिटी किसी फौजी जैसी थी.
वे बाथरूम में गए और हाथ-मुँह धोकर सिर्फ़ तौलिया लपेट कर बाहर निकल आए.
फिर ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर नीचे से कंघा उठाने जैसे ही झुके, उनका तौलिया खुल कर गिर गया.
तभी मेरी नज़र ड्रेसिंग टेबल के ग्लास पर जा पड़ी.
उन्होंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी.
मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
ये आदमी का लंड था या घोड़े का …
मैंने ऐसा लंड कभी सोचा भी नहीं था.
उन्होंने तुरंत तौलिया पहन ली लेकिन मेरी आंखों के सामने तो उनके लंड की फ़ोटो बन गई.
इतने समय बाद आंखों के सामने लंड देखकर मेरी चूत भारी-भारी सी होने लगी.
जैसे-तैसे करके मैंने खुद को संभाला.
उन्होंने कमरे की लाइट बंद करके नाइट बल्ब जला दिया.
वे बेड पर बैठे और मेरा घूँघट उठा कर बोले- यार कितनी खूबसूरत हो तुम … मेरा तो नसीब ही खुल गया!
ये बोलकर उन्होंने मेरे हाथों में गिफ़्ट का डिब्बा पकड़ा दिया और खोलने को बोले.
मैंने डिब्बा खोला तो उसमें एप्पल आईफ़ोन था.
वाह … आई फोन!
मैं बहुत खुश हुई.
मैंने पहली बार एप्पल आईफ़ोन हाथ में लिया था.
उन्होंने पूछा- कैसा लगा गिफ़्ट?
तो मैंने सिर्फ़ गर्दन हिला कर हामी भर दी.
तभी रवि ने मेरे हाथ को छुआ तो मैं बेड से नीचे उतर गई और बोली- सॉरी … ये सब हमारे बीच कभी नहीं होगा … आप मुझे कभी छूना मत!
ये सुनकर वे मेरे पास आए और मेरे सामने खड़े होकर मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर बोले- जान. ये मेरी पहली सुहागरात है. पहली बीवी सुहागरात के समय पीरियड्स में थी!
ये ‘जान’ शब्द सुने डेढ़ साल हो गया था.
उनकी पहली सुहागरात वाली बात सुनकर मैं मन ही मन खुश होने लगी लेकिन फिर भी मुँह बनाकर हाथ छुड़ाकर दूर हट गई और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो गई.
तभी रवि मेरे पीछे आए और उन्होंने पीछे से अपने हाथ आगे करके मेरे दोनों बूब्स को पकड़ लिया.
साथ ही अपना मूसल जैसा हथियार मेरी गांड पर टिका दिया.
वे मेरे बूब्स को हल्के हाथों से सहलाने लगे.
मेरे पूरे शरीर में करंट सा रेंगने लगा, चूत का भारीपन मैं संभाल नहीं पा रही थी कि अब पैर भी भारी लगने लगे और एक एक कदम उठाना भी भारी पड़ रहा था.
मैं खुद को हटा नहीं पाई कि तभी रवि अपने एक हाथ से मेरे पेट पर सहलाते हुए उंगलियों को मेरी नाभि के चारों तरफ़ घुमाने लगे.
फिर नाभि से नीचे मेरे पेड़ू पर रख लिया.
दोस्तो, डेढ़ साल बाद अगर कोई हट्टा-कट्टा मर्द नाइट बल्ब के उजाले में पीछे से पकड़ ले और उसका लंड मूसल जैसा हथियार लड़की देख चुकी हो … तो खुद ही सोचो कि उस वक्त मेरी क्या हालत हुई होगी.
मैं निढाल होकर पीछे की तरफ़ रवि के ऊपर गिरने लगी और मन ही मन खुश होने लगी कि इतने दिन की प्यास आज मिटेगी.
तभी रवि ने पकड़ कर मुझे अपनी तरफ़ मोड़ कर सीधा कर लिया.
वे अपनी गर्म सांसें मेरे मुँह पर छोड़ने लगे.
मेरे हाथ खुद ही उनके कंधों पर पहुंच गए और मेरे बूब्स तन कर रवि की छाती को छूने लगे थे.
रवि ने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया.
मुझ पर उनके लौड़े का नशा चढ़ गया था इसलिए मैं चुपचाप उनका साथ देती रही.
थोड़ी देर अपने होंठों को चुसवाने के बाद मैंने मुँह खींच लिया.
मेरी चूत रिसने लगी थी, पूरी पैंटी गीली हो गई थी.
मेरा मन अब चुदाने को हां करने के बहाने ढूँढने लगा.
मैं सोचने लगी कि अब कभी ना कभी तो नए जीवन की शुरुआत करनी पड़ेगी … मैं इनका जीवन क्यों खराब करूँ? इनका भी तो हक़ है मुझ पर!
मैंने अपनी चूत की हालत देखकर सुनील को मन ही मन बोला- सॉरी, अब मैं नहीं रुक पाऊंगी.
बस मैंने रवि के लौड़े पर हाथ रख दिया.
ये देख रवि बहुत खुश हुए और मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर लौड़े को कस लिया.
उनका आधा लौड़ा भी मेरी मुट्ठी में नहीं आ पा रहा था और यह एक बिलांड जितना लंबा था.
कमाल की बात यह थी कि रवि का लंड गोरा था उसका टोपा बहुत मोटा था, झांटें बिल्कुल साफ़ थीं.
सुनील का लंड तो इसके आगे आधा भी नहीं था.
यह देखकर मैं बहुत खुश हुई कि अब से इस पर मेरा हक़ है और कभी भी चुदवा सकती हूँ.
मैं ऊपर से लंड को सहला रही थी और रवि काम भरी सिसकारियां लेने लगे थे.
तभी रवि ने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया.
उसके बाद रवि ने मेरे गहने एक-एक करके उतारना शुरू कर दिए.
मैंने आंखें बंद कर लीं और बस चुपचाप लेटी हुई रवि के हाथों से खुद को नंगी करवा रही थी.
गहनों के बाद वे साड़ी की पिन खोलने लगे.
ये देखकर तो मेरी चूत में आग सी लग गई क्योंकि अब ज़्यादा देर नहीं थी हमबिस्तर होने में.
जल्द ही मैं सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी.
रवि मेरे दोनों पैरों के बीच आए और पेटीकोट को उठा कर अपने फौलादी हाथों को जांघों पर फिराने लगे.
मैंने अंगड़ाई लेकर दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ ली.
तभी रवि ने अपना हाथ चूत के ऊपर रख दिया.
उन्होंने मेरी तरफ़ देख कर नॉटी सी स्माइल दी तो मैं समझ गई कि रवि को मेरी चूत गीली होने का पता लग गया है.
मैंने भी शर्मा कर स्माइल करके खुद को रवि को समर्पित करने का इशारा कर दिया.
अब रवि ने पैंटी को नीचे खींच कर निकाल दिया.
मेरी चिकनी साफ़ चूत देखकर वे बोले- वाह, कितनी सुंदर हो तुम … और तुम्हारा जिस्म!
मैं मन ही मन बहुत खुश हुई.
तभी रवि ने मुझे पकड़ कर उल्टा लिटा दिया और वे मेरे पैरों को चूमते हुए ऊपर आने लगे.
उन्होंने फिर से मेरी जांघों को चूमा और मेरे एक कूल्हे को अपने मुँह में भर कर दांतों से काट लिया.
‘आआआह’ करके मैंने उस लव बाइट का मज़ा लिया.
फिर मेरी कमर को चूमते हुए मेरी पीठ पर चिपक गए.
उनका लंड मेरी गांड पर दब रहा था.
उस Xxx लंड की लंबाई और मोटाई मैं अपने मन में नापने लगी.
इससे मेरी चूत गर्म हो कर फड़कने लगी.
फिर रवि ने मेरे बालों को एक तरफ़ कर के मेरी गर्दन पर गर्म सांसें छोड़ते हुए मुझे चूमने लगे तो मैं कामुक सिसकारियां लेती हुई उनका साथ देने लगी.
मुझे इस तरह पोजीशन में बहुत अच्छा लग रहा था.
फिर रवि ने अपने दोनों हाथों से बोबे पकड़ लिए और दबाने लगे.
मैं अपने पैरों को रवि के पैरों में कसने लगी.
फिर उन्होंने अपने हाथ नीचे ले जाते हुए मेरी कमर के नीचे घुसा दिए.
हाय … मैं तो मज़े में पागल सी होने लगी और अपनी कमर उठा कर ऊपर-नीचे करने लगी.
तभी मेरी कामुक अदाओं को देखकर रवि पूरे जोश में आ गए और मुझे सीधा करके खुद बेड से उतर गए.
मैं समझ नहीं पाई कि वे क्या करना चाह रहे हैं.
तभी वे मेरे दोनों पैर खींचकर बेड के एक कोने में ले गए तो मैं एकदम से सन्न ही रह गई.
रवि ने मेरे पैर फैलाए और मेरी चूत की पंखुड़ियों को अपने मुँह में भर लिया.
‘आआ आह रवि बहुत मज़ा आ रहा है … चूसो मुझे … आआहा उफ़्फ़ आआह्ह्ह!’
मैं मदमस्त होकर के बुदबुदाने लगी.
मेरी कामुक सिसकारियां सुन कर रवि ने अपनी पूरी जीभ मेरी तड़फती चूत में घुसेड़ दी.
मैंने भी अपने दोनों हाथों से रवि का सिर पकड़ लिया और चूत पर दबाती हुई अपने कूल्हे उठा-उठा कर उनकी जीभ को अन्दर तक घुसवाने लगी.
मुझे लग रहा था कि अगर एक-दो बार और कूल्हे उठा दिए तो मैं अभी झड़ जाऊंगी.
मुझसे अब और रुका ही नहीं जा रहा था.
मैंने जल्दी से रवि को अपने ऊपर खींच लिया- प्लीज डाल दो रवि जी … अब रुका नहीं जा रहा … अपनी बीवी बना लो मुझे … मैं बहुत समय से प्यासी हूँ. मेरी प्यास बुझा दो!
तभी रवि ने लंड को चूत पर रगड़ कर टोपे को मेरी चूत के ही पानी से गीला किया और मुझसे चिपक कर चूत के ऊपर लंड को रगड़ कर मुझे तड़पाने लगे.
मैं उनके लंड की प्यासी हो गई और कराहती हुई बोली- आह डालो ना रवि जी … आह!
लेकिन शायद उन्हें मेरी तड़प भरी सिसकारियों को सुनने में बहुत मज़ा आ रहा था.
अब इंतज़ार की हद हो गई थी और मेरे लिए और रुक पाना संभव नहीं हो पा रहा था.
मैंने पूरी शर्म छोड़ कर उनका घोड़े जैसा लंड … जिसमें बहुत वज़न लग रहा था, उसे अपने हाथों में पकड़ा और चूत के छेद पर रख कर रवि की कमर को पकड़ लिया.
उसी पल मैंने अपने कूल्हे एक ज़ोरदार झटके से ऊपर उठाए तो उनका लंड का सुपार अन्दर घुस तो गया, लेकिन मेरी जान ही निकल गई.
इतनी गीली चूत होने के बाद भी लंड का सुपारा मेरी चुत में फंस गया था.
लंड अब ना अन्दर घुस पा रहा था और ना बाहर निकल पा रहा था.
‘प्लीज़ रवि जी … इसे बाहर निकालो मैं मर जाऊंगी!’
मैं उनकी कमर को दूर धकेलने लगी.
तभी रवि ने धीरे-धीरे से अपने लंड के सुपारे को मेरी चुत से बाहर निकाला.
अब जाकर मुझे सांस आई.
रवि समझ चुके थे कि चाहे मैं कितनी भी चुद गई हूँ लेकिन चूत एकदम कुंवारी जैसी ही है.
अब उनके घोड़े जैसे बिग लंड के आगे तो मैं कुंवारी जैसी ही थी.
तभी रवि ने आलमारी से एक जैल निकाला और अपने लंड पर मल लिया.
उन्होंने कुछ जैल उंगलियों में लेकर मेरी चूत में भी लगा दिया.
अब उन्होंने वापिस अपने लंड को मेरी चुत के छेद पर लगा कर एक झटका मारा.
‘आ आआह मर गई आआ हाह छोड़ो प्लीज़ …’
लेकिन इस बार उन्होंने मेरी एक ना सुनी और लंड को चुत की गहराई में दबाते ही चले गए.
जैल की वजह से लंड फंसता-रगड़ता हुआ घुसता जा रहा था और मैं तड़पड़ाती रही थी.
एक बार तो मेरे आंसू निकल गए.
वे एक पल को रुके और बस चुपचाप मुझसे चिपक कर मेरे एक बोबे को चूसने लगे.
जब चूत पानी छोड़ने लगी, तब जाकर दर्द कम होने लगा और मज़ा आने लगा.
तभी उन्होंने फिर से एक झटका मारा तो Xxx लंड ब/च्चेदानी से अटक गया.
अब मैं समझ चुकी थी कि यह इससे ज़्यादा नहीं घुस पाएगा.
उनके बिग लंड की लंबाई मेरी चूत की गहराई से भी ज़्यादा थी.
वे रुके और मेरे आंसू पौंछ कर मेरे माथे को चूमा.
फिर होंठों को अपने होंठों में भरकर मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
मैं उनकी जीभ चूसने लगी.
रवि एक सॉलिड मर्द हैं … ये मैं जान गई थी.
अब मेरे जिस्म में सिर्फ़ हवस ही हवस भर गई थी … और क्यों ना भरे, ऐसा लंड पाकर तो बुढ़िया भी जवान हो जाए.
अब रवि ने अपने दोनों हाथ पीठ के नीचे लगाए और धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगे.
मैंने अपने पैर अपने पेट पर मोड़ लिए, जिससे लंड अन्दर-बाहर करने में थोड़ी आसानी हो.
मेरी चूत का सफ़ेद-सफ़ेद सा गाढ़ा चिकना तरल रवि जी के लंड से चिपक कर बाहर आ रहा था
आज मुझे पता चला कि असली संभोग क्या होता है.
इतने सालों से मेरे पति सुनील के साथ कभी इतना मज़ा नहीं आया था.
मैं मन ही मन अपनी उस सहेली को थैंक्स बोलने लगी, जिसने मुझ पर शादी के लिए दबाव बनाया था.
अब तक मेरा पूरा दर्द ख़त्म हो गया था और मज़ा आने लगा था.
उन्होंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
मैं भी उनकी पीठ को सहलाने लगी.
वे ज़ोर-ज़ोर से लंड पेलने लगे.
जोश में मेरे नाखून उनकी पीठ पर गड़ने लगे.
‘आह चोदो रवि जी … आह मेरे राजा चोदो मुझे … इस चूत में जो आग लगी है आह उसे आज बुझा दो … अब से मुझे रोज़ ऐसे ही चोदना … ऐसी तो मैं कभी नहीं चुदी … आ आआह फ़ाड़ डालो रवि जी प्लीज़ … आआह उफ़्फ़ फ़क्क्क …’
मेरा पानी झड़ने वाला था तो मैंने ज़ोर से रवि जी को कस लिया और अपने पैरों से उनकी जांघों को लपेट लिया.
मैं खुद अपनी गांड उठा कर नीचे से झटका मारने लगी.
ऊपर से रवि जी के झटके मेरी चुत को भोसड़ा बनाने पर तुले हुए थे.
‘आआह उऊऊई चोदोओओ …’
हम दोनों के बदन की थरथराहट के बीच मेरी नाज़ुक चूत पिस कर झड़ गई थी.
मैं चिपकी रह गई थी.
ये देख वे भी रुक गए और बस हम दोनों कुछ मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे.
फिर रवि जी ने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने देखा कि वह एकदम लाल हो चुका था.
मेरी चूत भी लाल हो गई थी.
लेकिन रवि जी अभी भी भूखे थे.
उन्होंने मुझे उल्टा पटक कर कुतिया बनाया और पीछे से चुत में वापस लंड डाल दिया.
उन्होंने पलक झपकते ही मेरी कमर पर अपने दोनों हाथ जमाए और झटके मारने लगे.
उनके लंड के आगे मेरी चूत छोटी पड़ रही थी.
इसलिए हर झटका मेरी ब/च्चेदानी को छू रहा था.
इससे मैं फिर से तैयार होने लगी.
मैंने मुँह बेड पर टिका लिया और झटकों का मज़ा लेने लगी.
हर ज़ोरदार प्रहार के साथ मैं आगे को होती जा रही थी, इसलिए रवि जी ने मेरे हाथ पकड़े और पीछे की तरफ़ खींचने लगे.
तभी अचानक से करंट बढ़ा और मैं फिर से झड़ने वाली हो गई थी.
रवि जी के लंड के प्रहारों के सामने मेरी चूत टिक नहीं पाई और एक बार फिर झड़ गई.
फिर वापिस उन्होंने मेरे मना करने के बावजूद मुझे सीधा लिटाकर पेलना शुरू कर दिया.
जैसे ही वे झड़ने वाले थे, उनकी स्पीड बढ़ गई.
हैपी एंडिंग सेक्स करती हुई मेरी ब/च्चेदानी से लंड टकराने से मैं तीसरी बार खाली हो गई.
इस बार वे भी मुझे मेरे होंठों को चूसते हुए खाली हो गए.
उस दिन मैं सुनील को भूल गई थी.
रवि ही मुझे सुनील लगने लगे थे.
उनका प्यार पाकर मैं निहाल हो गई थी.
अब मैं रवि जी से रोज़ खुल कर चुदवाने लगी थी.
यह मेरे जीवन की सेक्स कहानी उन जवान विधवाओं को समर्पित है जो अपनी शर्म को छोड़ कर जीवन का आनन्द लेने के लिए आगे बढ़ने में संकोच करती हैं.
मैं उन्हें कहना चाहती हूँ कि जीवन में सेक्स करना एक प्राकृर्तिक क्रिया है और यह हरेक के जीवन में कुछ ही समय के लिए कारगर होटी है.
इससे कोई समस्या नहीं है, प्लीज जीवन का आनन्द जरूर लें.
आप मुझे मेरी हैपी एंडिंग सेक्स कहानी के लिए अपने विचार जरूर पोस्ट करें.
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लेखिका की पिछली कहानी थी: कॉलेज के पुराने सहपाठी संग संभोग
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