दूसरी शादी की पहली रंगीन सुहागरात
(Hindi Sex DesiKahani)
हिंदी सेक्स देसीकहानी में मैं एक चालू लड़की हूँ. पति ने मुझे छोड़ दिया मेरी हरकतों के कारण. मेरा दूसरा ब्याह हुआ एक बड़ी उम्र के हट्टे कट्टे आदमी से. उसने मेरे साथ सुहागरात कैसे मनाई?
यह कहानी सुनें.
दोस्तो, मैं अंजलि शर्मा यानी अंजलि रण्डी। जामनगर, गुजरात से!
आज बहुत दिन बाद आपके सामने हाजिर हुई हूं।
मेरी पिछली कहानियों से आप सब मुझे जानते हो ही।
मैं अनगिनत लौड़े ले चुकी हूं और आगे भी लेने वाली हूं।
आप सबके प्यार के लिए धन्यवाद।
आशा करती हूं आप खुशी से और मेरी चूत लौड़ों से हमेशा भरी रहे।
मेरी आखिरी स्टोरी
पति के दोस्तों ने टॉयलेट में चोदा
में मैंने आपको बताया कि कैसे मैंने मेरे पति के दोस्तों के साथ अपना रंडीपना खुल्लम खुल्ला किया और उन सालों ने मेरा वीडियो बनाया और वो वीडियो मेरे पति को दिखा दिया।
और साथ ही साथ मेरे बाकी कुछ गुण भी मेरे पति के सामने खोल दिए और हमारी घर गृहस्थी में आग लगा दी।
हमारा झगड़ा हुआ और हमने तलाक ले लिया।
इसके बाद हिंदी सेक्स देसीकहानी बनी.
मैंने भी संजय से आधी प्रॉपर्टी हड़प ली और मायके जाकर मॉम के साथ रहने लगी।
मैं मॉम के साथ बुटीक चलाने लगी और इसी बीच और कुछ लौड़े अपनी चूत, गांड और मुंह में लेती रही।
मेरी दूसरी शादी की बात मेरे मॉम-पापा करने लगे।
इसी दौरान हमारे ही नजदीक से एक रिश्ता मुझे आया।
आदमी एक रिटायर्ड आर्मी था, उसकी पत्नी गुजर चुकी थीं।
उसका एक बेटा भी था जो 11वीं में पढ़ता था।
साथ ही उनका एक रिजॉर्ट भी था लोनावला में।
मॉम-पापा को रिश्ता अच्छा लगा मगर बात ये थी कि वो लोनावला में सेटल था।
बहुत सारी प्रॉपर्टी भी थी उसकी।
मैंने तो हां कर दी।
प्रह्लाद नाम था उनका।
अधेड़ उम्र का आदमी था वो! लेकिन हट्टा-कट्टा था।
मेरी मॉम ने पहले ही सारी बातें क्लियर कर दी थीं।
उससे प्रह्लाद जी को हम मां-बेटी का छीनराई समझ में आ चुकी थी मगर उसे भी केवल घर और उसका एक बेटा संभालने वाली चाहिए थीं।
तो उसने हां कर दी।
कुछ हफ्ते बाद हमारी शादी हो गई और मैं लोनावला में शिफ्ट हो गई।
शादी के बाद मेरी पहली रात थी।
दर्जनों लौड़े खाने से मेरी चूत का भोसड़ा और गांड का गुड़गांव बन चुका था।
मैं लहंगा और चोली पहन कर मेरे रूम में आ गई।
तो मेरा पति दारू की बोतल खोल के बैठा था।
मैं कितनी छीनाल थी उसको मालूम था।
उसने मुझे भी साथ बैठ कर पीने को बोला तो मैं भी बैठ गई।
दो-दो पेग लगाकर मैं उसके ओर बढ़ी और उसके मुंह में मुंह डाल दी।
सफेद दाढ़ी और मूंछ में से होते हुए मैं अपनी जीभ से उनकी जीभ चाटने लगी।
हम दोनों नशे में थे।
उन्होंने मेरी चोली खोल कर मेरे मम्मे आज़ाद किए और उसे दबाने लगे।
जल्द ही हम दोनों ने एक दूसरे को नंगा कर दिया।
उनके छाती पर सफेद बाल थे तो मैंने सीधा अपनी जीभ लगाकर चाटने लगी।
साथ ही उनकी बगलों में हाथ घुमाकर उन्हें और उत्तेजित करने लगी।
वो मेरी गांड पर तबला बजाने में लगे।
अब मैं नीचे झुक कर उनके खड़े लौड़े पर हाथ घुमाते हुए उनके घनी जांघों के बालों की खुशबू सूंघने लगी।
शायद कितने सालों से उन्होंने अपनी झांटें साफ नहीं की थीं।
जो मुझे बहुत पसंद आई।
अब मैंने सीधा उनका घोड़े जैसा तगड़ा लौड़ा अपने हाथ में लिया और उसकी चमड़ी पीछे करके उनके सुपाड़े को पहले सूंघा और मुंह में भर लिया।
क्या सुगंध थी!
क्या टेस्ट था!
आय हाय!
आपको तो मालूम है आपकी अंजू रण्डी इस खेल में कितनी माहिर है।
अगर आप पोर्न देखते हैं तो जूलिया एन का सेंशुअल ब्लोजॉब देखिए।
आपकी चड्डी गीली ना हुई तो बता देना।
बिल्कुल जूलिया एन की तरह मैं उनके लौड़े को चूस-चाट और हिला रही थी।
साथ ही उनके झांट के बालों को खींच कर उन्हें और अधिक उत्तेजित करने लगी।
सोफे पर हमारी कामक्रीड़ा जारी थी।
एक झटके से उन्होंने मुझे लिटाया और एकाएक उनका तगड़ा लौड़ा मेरी पनियाती चूत में ठोक दिया।
उन्होंने पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया।
मैंने भी पूरी ताकत से उनके कमर पर अपने पैरों से जकड़ लिया।
पूरे दमखम से चोदते हुए लगभग पांच-छह मिनट में वो मेरी सौ लौड़े खाई चूत में झड़ गए।
इतनी उम्र के बावजूद वो एक कड़क मर्द थे।
मेरी चूत उनके और मेरे पानी से लबालब भर गई।
मेरे ऊपर ढेर होकर वो मुझे चूमने लगे।
मैं भी उनका साथ देती रही।
“अंजू, मुझे मालूम है, तू और तेरी मां किस लेवल की रंडियां हैं। मगर मैं तुम्हें पूरी आजादी दूंगा। तुझे जो करना है कर, जिससे चुदवाना है चुदवा! बस मेरा घर संभाल!”
मैंने जवाब दिया, “मुझे समझने के लिए थैंक यू। आप घर की फिक्र मत करो, मैं हूं ना।”
हम फिर से एक दूसरे के होठों और जुबान में घुस गए।
थोड़ी देर आराम करके हमने फिर से शराब की बोतल खोली।
एक-एक पेग पीने के बाद उन्होंने कहा, “आज हमारी पहली रात कुछ मजेदार करें? तुझे और एकाध लौड़ा लेना चाहिए?
“आप कहते तो पूरी बारात से मरवा लेती!”
हंसते हुए वो बोले, “मेरा एक फौजी दोस्त सईद आया है, यहीं हमारे घर ठहरा है। वो भी बड़ा चोदू है, उसे भी ज्वाइन कराते हैं। तुझे और एक लौड़ा मिलेगा और मजा भी!”
“मेरी तो सुहागरात बड़ी मस्त होगी। बुला लीजिए उन्हें!”
“मुझे मालूम था, तुझसे ना होगा ही नहीं। इसी लिए मैंने उसे तैयार ही रखा है!”
उन्होंने कॉल करके उसे बुलाया।
इनकी ही उम्र का एक हट्टा-कट्टा मर्द अंदर आया।
सईद की भी लंबी दाढ़ी थी, मगर मूछें बिल्कुल नहीं थीं।
वो एक पठानी सलवार कुर्ता पहने हुए था।
अंदर आते ही उन दोनों में खुसुर-फुसुर बातें की और वो दोनों मेरी ओर आ गए।
मैं सिर्फ एक शॉल ओढ़ के सोफे पर बैठी थी।
मैं शराब पीने में मशगूल थी।
मेरे पति ने मेरी उनसे पहचान कराई।
सईद मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया।
फिर मैंने हम सब के लिए शराब के पेग बनाए और चीयर्स करके हम साथ-साथ पीने लगे।
सईद साहब ने मस्ती करते हुए मेरा पेग छीन लिया और खुद पीने लगे और मुझे अपना आधा गिलास पिलाया।
मैं भी छंटी हुई राण्ड उसे पी गई।
सईद साहब हंस कर बोले, “प्रह्लाद भाई, बड़ी ही छीनाल चीज उठाए हो। आपका घर क्या पूरा गांव संभालने वाली है ये औरत!”
“अरे हमने क्या कम मजे किए हैं, और आज तक भी कर ही रहे हैं। तो इसे भी करने दो। तुम जब चाहे इसकी ले सकते हो। तुम मजे करो न सईद भाई!”
कहते ही सईद साहब ने मेरी शॉल खींच ली और मुझे निर्वस्त्र कर दिया।
मैं नंगी ही उठी और सईद साहब को कपड़े निकलने में मदद की।
सईद साहब को ऊपर से नंगा करते ही मैं उन पर टूट पड़ी।
उनकी बॉडी ही कुछ ऐसी थी। एकदम गठीला, सुडौल शरीर और पूरे बदन पर घने बाल।
और तो और वो जो इत्र की महक थी ना, उसे सूंघते ही मैं उनसे लिपट गई और उनके सीने पर और बगल में अपनी नाक घुसा कर उस खुशबू से रुबरु हुई।
पहले तो शराब और फिर ये सईद साहब के पसीने में घुली हुई इत्र की खुशबू से मेरा नशा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
बेतहाशा स्मूच करने के बाद अब मैं नीचे आ गई और घुटनों पर बैठ कर उनकी सलवार खोल दी।
उनकी चड्डी में से भी एक अलग ही किस्म की महक आ रही थी।
मैंने उनकी चड्डी नीचे खींच ली तो एक काला तगड़ा पठानी लौड़ा मेरे मुंह से टकराया।
ज्यादा देर ना करते हुए मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया।
मैंने उनके लौड़े को चाट कर गीला किया और वही सोफे के किनारे पर झुक कर उनके सामने घोड़ी बन गई।
सईद साहब ने मेरी चूतड़ पर चांटे लगाकर मेरी चूत पर थपथपाया और ढेर सारा थूक मेरी गांड के छेद पर डाल दिया।
मैं कुछ बोल पाती इससे पहले ही उन्होंने अपना लौड़ा मेरी गांड में उतार दिया।
पठान साहब का झटका इतना जोरदार था कि मैं तो सीधे मुंह पर गिर गई।
फिर भी उन्होंने मुझे संभलने का मौका नहीं दिया और वैसे ही गिरे हुए मेरे बाल पकड़ कर मेरी गांड की कुटाई जारी रखी।
“आह… सईद साहब, आप तो बिल्कुल राक्षस हो! बिना बताए ही मेरी गांड में झंडा गाड़ दिया!”
“अरे तेरी सब करतूतें हमें पता हैं। कितनी बड़ी रण्डी है तू। तुझे तो ऐसे ही चोदना चाहिए। तभी तेरी गर्मी निकलेगी छीनाल!”
“हां मैं तो अच्छे घर की सस्ती राण्ड हूं। मुझे तो बस लौड़े चाहिए!”
बातें करते हुए सईद साहब ने मेरी गांड की धज्जियां उड़ा दीं।
अब उन्होंने मुझे सीधा लिटाया और मेरी चूत पर लौड़ा को रगड़ने लगे।
मैं सोच रही थी कि अब तो सईद साहब मेरी चूत में पेल देंगे।
मगर फिर एक बार सईद साहब ने उल्टा दांव खेला और फिर एक बार मेरी गांड़ में अपना मूसल एक ही धक्के से पेल दिया।
मेरा तो नशा ही उतर गया।
मेरी गांड फट गई। आंख से आंसू और मुंह से चीख निकल गई मेरी तो! मेरा पति मुझ पर हंसने लगा।
और मेरे करीब आकर अब उन्होंने मेरे मुंह में अपना लौड़ा ठूँस दिया।
अब दोनों तरफ से मेरी धमाकेदार चुदाई चल रही थी।
मैं मेरी चूत को रगड़ करती हुई, बार-बार पानी छोड़ने लगी।
इधर मेरे पति हांफते हुए मेरे मुंह में झड़ गए।
मैं सारा वीर्य निगल कर अपनी गांड पर पड़ रही ठोकरों का सामना कर रही थी।
अब पठान साहब मेरे ऊपर लेट गए और मेरे होठों को चूसने लगे और मेरे मुंह पर थूकने लगे।
मैं उनका थूक चाट गई।
पठान साहब खुश हुए।
अब वो भी बदन अकड़े हुए मेरी गांड में झड़ गए और मेरे ऊपर ही ढेर हो गए।
हम दोनों इसके बाद भी बड़ी देर तक एक दूसरे के होठों से लिपटे रहे।
बाद में हम तीनों नंगे ही फिर एक बार दारू पीने बैठ गए।
नशे में धुत्त होकर हम तीनों नंगे ही सो गए।
सुबह मेरे बदन पर बोझ महसूस हुआ तो मैं होश में आ गई।
आंखें खोली तो मैंने देखा कि सईद साहब मेरे ऊपर थे और बोबे मसल रहे थे।
मैंने भी पूरा सहयोग देते हुए उनको कस कर पकड़ा और उनके होठों में अपने होंठ सेट किए।
मैं लार लगाकर सईद को स्मूच करने लगी।
साथ ही मैंने नीचे हाथ से उसका लौड़ा लेके अपनी चूत में पेल लिया।
रात से मेरी इच्छा थी पठान साहब का लौड़ा और उसका रस मैं अपनी चूत में ले लूं।
हालांकि क्या बताऊं कि मुझे इतनी जोरदार सुसु आई थी, मगर मैं अपनी वासना पर कंट्रोल नहीं कर पाई।
एक ही झटके में सईद साहब ने अपना पूरा लौड़ा पेल दिया।
मैं मस्ती के सागर में गोते खाने लगी।
सईद साहब मेरे मुंह में थूक तो रहे थे और साथ ही मेरे गले को पकड़ कर मुझे प्यार भरे चांटे लगाने लगे।
आपकी अंजू रण्डी को तो ऐसा ही सेक्स पसंद है।
वासना इतनी मुझपे चढ़ चुकी थी कि मैं चुदवाते हुए ही मूतने लगी।
सईद साहब इस बात पर हंसने लगे और मुझे और रगड़ने लगे।
जल्द ही वो फारिग हो गए।
मैं तो इसी दौरान 2 बार झड़ चुकी थी और एक बार मूत चुकी थी।
सईद साहब ने लौड़ा बाहर निकाल कर मेरे मुंह के पास लाया।
मेरा पानी, मेरा मूत और सईद साहब का वीर्य इन तीनों का कॉकटेल हुआ लौड़ा मैंने मुंह में भरकर चूस-चाट कर साफ कर दिया।
मेरे पति बाहर से आए तो हमें इस हालत में देख कर हंसने लगे।
इस तरह मेरी दूसरी शादी की पहली रात रंगीन हुई।
और मैं अनगिनत लौड़े लेने को आजाद हुई।
तो दोस्तो बहुत दिनों बाद ये स्टोरी मैंने आपके सामने पेश की, कैसी लगी ये हिंदी सेक्स देसीकहानी?
जरूर बताएं।
और मुझे ऐसे ही प्यार करते रहिए।
आपके लौड़े और चूत रसभरे रहे इसका ख्याल मैं रखूंगी, अपनी नई-नई मरवाने के कहानियों के साथ।
तब तक विदा।
जल्द ही मिलते हैं।
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