चुदाई एक्सप्रेस- 3
(Kashmir Honeymoon Sex Kahani)
कश्मीर हनीमून सेक्स कहानी में जवान लड़के ने अपनी मकानमालकिन की जवान बेटी को चोद कर उससे शादी कर ली. फिर वे दोनों हनीमून के लिए कश्मीर गए.
कहानी के दूसरे भाग
विधवा मकान मालकिन की चुदाई
में आपने पढ़ा कि एक अमीर लड़के को उसकी विधवा मकान मालकिन ने पटा कर चुदाई का मजा लिया.
पर जवान लड़के को तो जवान लड़की की चूत में ज्यादा मजा मिलना था तो उसने मकान मालकिन की बेटी को पटाकर चोद दिया.
अब आगे कश्मीर हनीमून सेक्स कहानी:
धीरज सरिता से दूरी बनाना चाह रहा था पर सरिता सेक्स की भूखी रहती तो वो जबरदस्ती उसे घसीट लेती बेड पर.
ऐसे ही महीने दर महीने निकल गए.
धीरज को अब सरिता के साथ सेक्स अच्छा नहीं लग रहा था.
आखिर अब सरिता उसकी सास होने जा रही थी.
उसकी पढ़ाई भी पूरी होने को थी.
उसे अब वापिस जाना था.
एक दिन उसने हिम्मत करके सरिता को सारी बात बता ही दी.
सरिता को तो मानो जैसे सांप सूंघ गया.
वो चुप हो गयी.
धीरज चुपचाप अपने रूम में चला गया.
रात को खाना किसी ने नहीं खाया.
अगली सुबह सरिता ने हॉस्पिटल से छुट्टी ले ली.
रात भर न सोने से उसको बुखार सा था.
धीरज भी उस दिन कॉलेज नहीं गया, कनिका के जाने के बाद सरिता रोने लगी.
धीरज ने उससे कहा कि जैसा वो कहेगी, वो वैसा ही करेगा.
सरिता उससे लिपट कर फूट फूट कर रोने लगी.
वो बोली- मैंने रात को बहुत सोचा. तुम्हारा और मेरा साथ हमेशा तो हो भी नहीं सकता था. तुम्हारी शादी कभी न कभी होती और तुम चले जाते. अब अगर तुम और कनिका शादी कर लेते हो तो कम से कम मेरे सामने तो रहोगे. आज से हमारा जिस्मानी रिश्ता ख़त्म. तुम अपनी मां से बात कर लो कनिका के बारे में.
वक्त की बात … ओमी का फोन आ गया.
सावित्री अस्पताल में भर्ती थी.
उसका आखिरी वक़्त था.
धीरज सरिता और कनिका को लेकर घर पहुंचा.
उसने सावित्री से लिपटकर उसे कनिका से मिलवाया.
सावित्री के पास वक़्त नहीं था.
उसने कनिका को बहू के रूप में स्वीकार किया और धीरज के हाथ में कनिका का हाथ देकर आशीर्वाद दिया.
सावित्री ने सबकी मौजीदगी में उखड़ी सांस से कह दिया कि अगर मेरी मौत हो जाती है तो एक महीने बाद धीरज और कनिका की शादी कर दी जाए.
फिर सबको कमरे से बाहर भेज दिया.
अब कमरे में केवल धीरज और सावित्री थे.
सावित्री ने उखड़ी साँसों से धीरज को बताया कि ओमी ही उसके पिता का कातिल है और ओमी ने उसका शारीरिक शोषण किया है.
सुनकर धीरज की आँख लाल हो गयीं.
पर सावित्री ने कहा- तुम ध्यान से मेरी बात सुनो. मेरे जाने के बाद तुम्हें ओमी से बदला लेना है. मैं उसे हर रात धीमा जहर दे रही हूँ. उसके पास तुम्हारे पिता का लिखा कोई कागज़ हैं. वो उससे लेना है और फिर किसी बहाने से उसे घर से निकाल देना है, ताकि तू आराम से हवेली में रह सके. इसलिए अभी धीरज ओमी से बिगाड़े नहीं.
सावित्री ने शरीर छोड़ दिया.
सरिता और कनिका वापिस शहर आ गयीं.
ओमी की हरकतें अब भी वही थीं.
धीरज ने सारा काम अपने हाथ में ले लिया. अब केवल समस्या रही की कैसे ओमी से कागजात और दस्तखत लिए जाए.
धीरज के आने से ओमी बहुत बेचैन था. उसे तो हर दूसरी रात औरत चाहिए थी.
अब वो धीरज के रहते हो नहीं सकता था.
दूसरी तरफ जो अफीम सावित्री उसे देती थी, वो न मिलने से ओमी पगला सा गया.
धीरज ने उसे अफीम तो देनी शुरू की ताकि वो ज़िंदा तो रहे.
ऐसे ही एक महीना निकल गया.
धीरज ने सावित्री का मासिक पूजा अच्छे स्तर पर करी.
सभी ब्राह्मणों और परिचितों को भोजन करवाया और अगले दिन कोर्ट में जाकर कनिका से शादी कर ली.
सेक्स तो उनके और कनिका के बीच कई बार हो चुका था पर सुहागरात का इंतज़ार हर एक को होता है.
पर उससे पहले धीरज को अपनी प्लानिंग में एक काम जरूरी करना था.
उसने एकांत में सरिता से अपनी प्लानिंग शेयर की.
उसने सरिता से कहा कि अब वो उसकी सास है और कल तक उसकी प्रेमिका थी.
इन सबके अलावा एक रिश्ता और भी था जो धीरज ने जानते हुए भी कभी सरिता से नहीं पूछा.
वो था सरिता और डॉक्टर गुप्ता के बीच नाजायज संबंधों का रिश्ता.
सरिता का हल्क सूख गया.
उसने उस रिश्ते को स्वीकारा और अपनी मजबूरी बतायी कि कनिका के पिता के अचानक स्वर्गवासी होने पर उसके सामने पेट पालने की दिक्कत आ गयी. इधर उधर जो पैसा कनिका के पिता ने लगा रखा था, उसे कौन निकलवाये. बैंक में भी कागजात कौन पूरे करे. बस उसी सब में डॉक्टर साहब ने बहुत मदद की और पता नहीं कब कैसे वो बहक गयी और डॉक्टर साहब की रखैल बन गयी. पर जब से धीरज उनके साथ रहने लगा, उसने नौकरी बदल ली और जब से धीरज से उनके सम्बन्ध हुए तब से सिर्फ वही उनकी जिन्दगी में है.
अब धीरज बोला- आपको एक काम करना होगा. आपको ओमी को फंसाना होगा और उससे कागजात निकलने होंगे. इन सबके एवज में धीरज उन्हें पांच लाख रूपये देगा.
सरिता ने रूपये लेने से तो मना कर दिया पर बेटी और धीरज की खातिर वो ओमी से कागजात निकलवाने को तैयार हो गयी.
पर ये बात उसकी धीरज से तय हुई कि ये सब कनिका को नहीं मालूम पड़ना चाहिए.
चूँकि घर पर अभी सावित्री देवी के जाने के बाद माहौल नहीं था तो धीरज और कनिका की सुहागरात अभी बाक़ी थी.
सरिता ने जबरदस्ती धीरज और कनिका को एक हफ्ते के लिए काश्मीर भेज दिया.
धीरज और कनिका सीधे फ्लाइट से शाम तक श्रीनगर पहुंचे.
अब दोनों को यह अहसास हो रहा था कि उनकी शादी हुई है.
दोनों आपस में लिपटे चिपटे होटल पहुंचे.
आज उन्होंने होटल में रुकने का ही मन बनाया.
फाइव स्टार होटल था और काश्मीर की हसीं वादियाँ.
कमरे में पहुँचते ही कनिका धीरज से लिपट गयी और होंठों से होंठ जड़ दिए.
शादी के बाद उनका पहला मिलन था.
कनिका धीरज से ऐसे चिपटी मानो बरसों की बिछड़ी हो.
नवब्याहता के हाथों से मेहंदी की सौंधी सौंधी खुशबू कमरे को महका रही थी.
धीरज ने कनिका को अलग करते हुए स्नैक और कॉफ़ी का ऑर्डर किया.
तब तक कनिका ने अपने कपड़े हल्के कर लिए और एक फ्रॉक पहन ली.
फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं था.
उसके तने हुए निप्पल धीरज को ललचा रहे थे.
कनिका धप्प से धीरज की गोदी में जा बैठी और उसके बाल पकड़कर फिर उसके होंठों से चिपक गयी.
धीरज ने उसकी फ्रॉक के ऊपर से ही निप्पल चूसने शुरू किये.
कनिका बेताब हो रही थी मिलन की रात के लिए.
तभी वेटर सामान लेकर आ गया.
पेट भर कर दोनों वाशरूम में घुस गए और शावर के नीचे खड़े हो गये.
धीरज और कनिका का पहला मिलन भी हालांकि शावर के नीचे हुआ था, पर आज और उस दिन के मिलन में फर्क था.
कनिका नंगी धीरज के गले में बाहें डाल कर झूल रही थी शावर के नीचे.
शावर की बूँदें उनकी कामवासना को और भड़का रही थीं.
दोनों के जिस्म एक होने को बेताब थे.
धीरज बार बार कनिका के मम्मे चूस रहा था.
कनिका नीचे बैठ गयी और धीरज का लंड चूसने लगी.
उसके मेहंदी लगे हाथ पैर धीरज की उत्तेजना को और बढ़ा रहे थे.
धीरज ने उसे खड़ी किया और घोड़ी बनाकर पीछे से लंड चूत में घुसेड़ दिया.
पर पता नहीं कनिका को क्या हुआ … वो खड़ी हो गयी और धीरज का हाथ पकड़कर बोली- चलो, बेड पर चलो.
फटाफट टॉवेल से बदन पौंछ दोनों बेड पर आ गए.
धीरज ने कनिका को बेड पर लिटाया और उसके तलुओं से चूमना शुरू कर उसकी चूत, मम्मों से होता हुआ उसके होंठों से होंठ जोड़ दिए.
दोनों की जुबानें आपस में भिड़ गयीं.
दोनों मतवाले गुत्थम गुत्था वाले मोड में आ गये.
कनिका उठ बैठी और झुककर धीरज का लंड चूसने लगी.
उसने जीभ और होंठ से ऐसा दबाब बनाया कि धीरज को लगने लगा कि वो उसके मुंह में ही स्खलित हो जाएगा.
उसने कनिका से कहा- मुझे भी तुम्हारी चूसनी है.
दोनों 69 हो गये.
अब धीरज कनिका की फांकों को चौड़ाकर उसमें अपनी जीभ घुसाए थी और कनिका अपने दोनों हाथों से उसका लंड मसलती हुई चूस रही थी.
अब कनिका की चूत में भी चीटिंयां रेंग रही थी.
दोनों चुदाई तो कितनी ही बार कर चुके थे. तो चूत को लंड की तलब उठ रही थी.
कनिका अपनी टांगें फैलाकर लेट गई और धीर उसके ऊपर आया और अपना लंड चूत के मुहाने पर सेट करके मम्मे चूमने के लिए झुका.
इतनी देर में तो लंड सीधे दरक गया चूत के अंदर.
ऊपर से धीरज ने भी पूरी पेल लगा दी.
कनिका चीख उठी, बोली- क्या आज ही फाड़ दोगे इसे? फिर कैसे मनाओगे हनीमून?
धीरज रुका तो कनिका फिर कसमसाई- अब चोदो न … रुक क्यों गए?
बस फिर क्या था, धीरज के धक्के शुरू हो गये.
कश्मीर हनीमून सेक्स में कनिका भी उछल उछल कर पूरा साथ दे रही थी.
आज दोनों का तूफ़ान पूरे उफान पर था.
सेक्स तो वे कई बार कर चुके थे.
पर पति पत्नी आज पहली बार सेक्स कर रहे थे.
दोनों ने यह तय कर लिया था कि पहले बच्चे के लिए कोई देर नहीं करेंगे तो आज सेक्स इस इच्छा से हो रहा था कि भगवान् कृपा करें.
कनिका ने धीरज को दम लगाकर नीचे किया और ऊपर चढ़ कर उछलने लगी.
उससे ज्यादा उसके मम्मे उछल रहे थे.
तो कनिका ने अपने मेहंदी लगे हाथों से अपने मम्मों को थामा.
और इधर धीरज ने उसकी पतली कमर को पकड़ कर उछलने में मदद की.
अब कनिका थक चुकी थी.
उसके मुंह से थूक निकल रहा था.
दोनों ही हार माने को तैयार नहीं थे.
अब धीरज ने फुर्ती से कनिका को नीचे किया और फाइनल राउंड लगाते हुए उसकी चूत पर धावा बोल दिया.
कनिका थक चुकी थी.
उसकी चूत पानी बहा रही थी.
कनिका ने अपनी गोरी गोरी बाहें धीरज के गले में डाल दीं और उसे अपनी ओर खींच लिया.
धीरज का भी होने को था.
उसने अपने इष्ट देवता को याद करते हुए सारा माल अपनी पत्नी की चूत में डाल दिया और उससे चिपट कर लेट गया.
कनिका ने उसे ऐसे भींच लिया कि जैसे वो प्रयास कर रही हो कि वीर्य का एक भी कतरा बाहर न चला जाए.
दोनों काफी देर ऐसे ही अगल बगल लिपटे हुए पड़े रहे.
तो प्यारे पाठको, कैसी लगी अब तक की कश्मीर हनीमून सेक्स कहानी?
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कश्मीर हनीमून सेक्स कहानी का अगला भाग:
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