हर चूत पर लिखा है किसी लंड का नाम- 2
(Muslim Wife Sexxx Kahani)
मुस्लिम वाइफ SeXxx कहानी में एक लड़का जो अपनी चचेरी बहन को पसंद करता था, उसकी शादी उस लड़की की छोटी बहन से हो गयी. दोनों की सुहागरात कैसी रही?
कहानी के पहले भाग
कुंवारी दुल्हन की सुहागरात
में आपने पढ़ा कि उल्फ़त अपने चचेरे भाई मोहसिन को पसंद करती थी पर मोहसिन की कोई जॉब ना लगने के कारण उसका निकाह उसके अब्बू ने अपने एक शागिर्द से करवा दिया जिसे सेक्स में कोई ख़ास रूचि नहीं थी. जबकि उल्फ़त को सेक्स बहुत पसंद था. उन दोनों की सुहागरात फीकी निकली.
अब आगे मुस्लिम वाइफ SeXxx कहानी:
अगली सुबह दोनों ने रात की बात भुलाकर अपना हनीमून आगे बढ़ाया.
इकबाल घुमाने फिराने या सामन दिलवाने में कोई कमी नहीं कर रहा था.
बिल्कुल नए आशिक की तरह उसने उल्फ़त का हर कदम पर ध्यान रखा, पर दूसरी रात भी पहली रात की कहानी ही दुहर गयी.
आज उल्फ़त ने बहुत कोशिश की कि इकबाल का लंड देर तक फोरप्ले में लगा रहे.
आज उसने बेशर्मी दिखाते हुए 69 करने का प्रयास किया तो इकबाल ने झिड़क दिया- ये सब फिल्मों में होता है. इतनी गन्दी जगह मैं अपना मुंह कैसे दे दूं.
खैर उल्फ़त ने उसे उकसाते हुए जैसे तैसे सेक्स मुकम्मिल किया.
पर उल्फ़त की आग ज्यों की त्यों बाकी थी.
उसने रात को सेक्स के बाद इकबाल से कहा- आइये साथ साथ नहाते हैं. फिर कॉफ़ी पियेंगे और इतनी देर में आपका मूड बन जाएगा तो एक बार और करेंगे.
पता नहीं इकबाल किस मिटटी का बना था या उसकी परवरिश ऐसी थी … इतनी बात सुनकर उसने मुस्कुराकर कहा- क्यों बहुत आग लगी है तुम्हें?
उल्फ़त सहम गयी.
इकबाल ने उसे चूमते हुए कहा- ये आग धीरे धीरे बुझेगी. अब सो जाओ, सुबह जल्दी निकलेंगे.
इस 4-5 दिन के हनीमून में उल्फ़त यह तो समझ गयी कि इकबाल का सेक्स में कोई रुझान नहीं है. पैसे खर्च करने में वो कंजूस नहीं था. पर लंड के मामले में पूरा कंजूस था. उसे शायद डर था कि ज्यादा सेक्स करने से उसका लंड घिस जाएगा.
इकबाल को सेक्स वेक्स में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं था, वो रात को टीवी पर न्यूज़ जरूर देखता और दो चार फोन अपने काम के जरूर करता.
वो तो उल्फ़त के पीछे पड़ रहा था कि बच्चे की तैयारी अभी हनीमून में ही कर लेते हैं.
उल्फ़त ने उसे बड़ी मुश्किल से राजी किया कि अभी 4-5 साल वो बच्चा नहीं चाहती और घर पहुँचते ही वो कॉपर टी लगवायेगी.
घर आकर इकबाल ने ड्यूटी ज्वाइन कर ली.
वो हफ्ते में दो बार घर आता.
वह तो चाहता था कि केवल हफ्ते में एक बार आये.
पर उल्फ़त की जिद के कारण उसको बीच में भी आना पड़ता.
उन रातों में उल्फ़त उसे सेक्स के लिए खूब उकसाती.
अपनी अदाएं और मादक जिस्म दिखा दिखा कर पर इकबाल तो बस एक रसम सी पूरी करके सो जाता.
अब कभी कभी उल्फ़त की जिद पर दोनों साथ नहा लेते.
उल्फ़त चाहती कि नहाते में वो दोनों सेक्स करें.
तो इकबाल को थकने का बहाना मिल जाता.
अब वो कभी कभार नहाते में उल्फ़त की चूत चूस लेता या उल्फ़त जिद करके उसका लंड चूसती तो वो बहुत नखरों के साथ चुसवा लेता.
यहाँ तक कि अगर कभी फायजा भी उससे लाड लड़ाती तो वह तो एक बड़े भाई की तरह हंस कर उसे भी टाल देता.
ऐसे ही उनकी शादी के दिन कटने लगे.
वक्त गुजरने के साथ उनके बीच सेक्स भी कम होता गया.
अब बमुश्किल शनिवार की रात को ही सेक्स हो पाता.
उसमें भी अगर उल्फ़त को बेड पर आने में देर हो जाए तो इकबाल उसे सोता ही मिलता.
उल्फ़त की चूत की आग बजाये बुझने के अब और भड़कने लगी.
वो अब पोर्न मूवीज भी देखने लगी और अपनी चूत में उंगली या खीरा या कुछ और जो मिल जाए वो घुसाती और उस दिन को याद करके रोती जिस दिन उसने मोहसिन की मुहब्बत की बलि दे दी थी.
ऐसे ही दो साल गुजर गए.
उल्फ़त तो अब बच्चे के नाम से भी चिढती थी, उसका मन नहीं था अभी बच्चा करने को.
इस बारे में अपनी सास से उसकी खुल कर बात भी हो गयी थी कि जब तक इकबाल अपना रवैय्या ठीक नहीं करता वो बच्चे पैदा नहीं करेगी.
मोहसिन अब भी उसे देख कर मुस्कुराता.
पर उल्फ़त अब मुरझा गयी थी.
घर में फायज़ा की शादी की बात चल रही थीं.
फायज़ा शादी के लिए तैयार नहीं थी.
उसका ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था, वो पी एच डी कर रही थी.
इसके बाद उसका मन किसी बड़ी यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने का था.
मोहसिन भी एमबीए करके एक एमएनसी में काम कर रहा था.
खासी तनख्वाह थी.
उसका टूरिंग का जॉब था या बाकी समय वर्क फ्रॉम होम.
उल्फ़त के दिल में आज भी मोहसिन के लिए एक ख़ास जगह थी.
उसने आयरा बेगम से कहा कि क्यों न फायज़ा का निकाह मोहसिन से कराया जाए. देखा भाला लड़का है. घर का ही है. अच्छा कमा भी रहा है.
आयरा बेगम ने हाजी मंजूर से बात करीं.
उन्हें भी कोई ऐतराज नहीं था अब.
पर फायज़ा ही शादी को टाल रही थी.
उसे उल्फ़त ने समझाया कि मोहसिन देखा भाला लड़का है. इसके साथ निकाह करके तुम्हें अपना करियर बनाने में दिक्कत कम आएगी. मेरी बात मानता है. अगर कोई दिक्कत आई तो मैं उसे समझा दूँगी.
बात फायज़ा की समझ में आई.
जो भी हुआ हो पर मोहसिन और फायज़ा का निकाह हो गया.
बहुत दिनों बाद सबने उल्फ़त को हँसते और सजे संवरे देखा.
निकाह के बाद मोहसिन और फायज़ा ने हनीमून के लिए गोवा को चुना.
फायज़ा ने मोहसिन को स्पष्ट कर दिया था कि उसे शादी में कोई इंटरेस्ट नहीं है. उसके लिए उसका करियर सबसे पहले है. एक बार वो सेट हो जाए तब मोहसिन को उससे कोई शिकायत नहीं होगी. और अगले 7-8 साल वो बच्चे की कोई उम्मीद न करे.
सब बातें मोहसिन ने मान लीं क्योंकि उसे तो फायज़ा में उल्फ़त ही दिख रही थी.
केवल यही एक रास्ता था जिससे वो उल्फ़त से रोज मिल सकता था.
मोहसिन ने एक वायदा ले लिया था फायज़ा से कि वो हनीमून में और फिर उसके बाद हर शनिवार की रात को उसकी प्रेयसी बन कर रहेगी.
बाकी हफ्ते के छह दिन मोहसिन फायज़ा को उसके काम में डिस्टर्ब नहीं करेगा.
निकाह के तीसरे दिन दोपहर की फ्लाइट से दोनों गोवा पहुँच गए.
जैसा फायज़ा ने वादा किया था, उसका सूटकेस फैंसी और शोर्ट ड्रेसेस से भरा था.
ये सभी मोहसिन ने उसे दिखा दिखा के ऑनलाइन मंगाए थे.
खुद मोहसिन भी गोवा के हिसाब से चुनिन्दा कपड़े ही लाया था.
मजे की बात ये कि निकाह के बाद अभी तक मोहसिन और फायज़ा में सिर्फ चूमाचाटी ही हुई थी, इससे ज्यादा कुछ नहीं.
तो रूम में पहुंचकर मोहसिन ने बाहें फैलायीं तो फायज़ा दौड़ कर उसके आगोश में समा गयी.
दोनों के होंठ मिल गये.
बाहर मौसम और माहौल बहुत खुशगवार था.
दोनों ने रेस्तराँ में लंच लिया फिर वापिस रूम में आ गए ये सोचकर कि एक दो घंटे आराम करने के बाद बाहर निकलेंगे.
दुनिया सुहागरात को तरसती है पर इनके नसीब में उससे भी एक कदम आगे सुहाग दिन था.
रूम में पहुंचते ही दोनों आपस में फिर लिपट गए.
मोहसिन के दिलोदिमाग पर उल्फ़त ही छाई थी.
वो फायज़ा से मोहब्बत उल्फ़त को दिमाग में रखकर ही कर रहा था.
दोनों बेड पर आ गए.
मोहसिन ने झटपट में अपने और फायज़ा के कपड़े उतार दिए.
अब तो दो जिस्म एक होने की हवस में गुत्थमगुत्था हो गये.
दोनों का ही जिस्मानी मिलन पहली पहली बार था.
किसी मर्द के जिस्म को इतने करीब से पहली बार ही महसूस किया था फायज़ा ने.
मोहसिन के कसरती जिस्म ने जकड़ रखा था नाजुक सी फायज़ा को.
अब मोहसिन उसके मम्मों को मसलते हुए मुंह में ले रहा था.
फायजा के हाथ उसकी पीठ पर पकड़ बनाए हुए थे.
दोनों की जीभें आपस में टकरा रही थीं.
मोहसिन ने शर्माती फायज़ा का हाथ नीचे करके अपनी लंड उसके हाथ में थमा दिया.
फायज़ा के मुंह से निकला- हायल्ला! ये क्या है मूसल जैसा?
मोहसिन मुस्कुराता हुआ बोला- जानेमन, अब यहीं मूसल तुम्हें जन्नत की सैर कराएगा. ज़रा चूमो तो इसे!
फायज़ा को सुन कर अजीब सा लगा कि पेशाब करने की जगह को चूमा कैसे जा सकता है.
वो हिचकी.
मोहसिन उसकी झिझक समझ गया.
वो नीचे हुआ और फायज़ा की टांगें चौड़ा कर उसकी टांगों के बीच में मुंह दे दिया.
उसके नथुने बदबू से भर गए.
फायज़ा को समझ नहीं थी.
उसकी झांटें भी बढ़ी हुई थीं.
मोहसिन ने फयाज़ा के ना नुकुर के बाद भी उसकी गुलाबी फांकों के बीच अपनी जीभ दे दी और लगा गहराई तक चाटने.
फायज़ा कसमसाने लगी और आवाजें निकालने लगीं.
अब मोहसिन फिर ऊपर हुआ और उसके ऊपर लेते हुए उसके मम्मे बारी बारी से चूमने लगा.
उसका लंड फायज़ा की चूत पर धक्के मार रहा था.
मोहसिन को मालूम था कि फायज़ा की चूत कुंवारी है और उसे तजुर्बा बिल्कुल भी नहीं है.
तो उसने बेड के पास वेसलीन रखी हुई थी.
अब मोहसिन ने ढेर सारी वेसलीन फायज़ा की चूत और अपने लंड पर लगाईं.
और फिर फायज़ा की टांगें चौड़ी करते हुए अपना लंड धीरे से दरका दिया फायज़ा की चूत में.
फायज़ा की चीख निकल गयी.
वो रोने लगी- हल्ला के वास्ते इसे निकालिए. हमें बहुत दर्द हो रहा है.
बस मोहसिन यहीं गलती कर गया और फायज़ा के दिमाग में अपनी जंगली छवि बना गया.
उसने रोती फयाज़ा की परवाह नहीं की और पूरा मूसल घुसेड़ दिया फायज़ा की चूत में और धक्के देने शुरू कर दिए.
फायज़ा बहुत बिलबिलाई पर धीरे धीरे उसे मजा आने लगा.
अब वो चुदाई में मोहसिन का साथ देने लगी.
मोहसिन ने उसे ऊपर किया और बिना लंड बाहर निकाले उसे ऊपर से चोदने को कहा.
अब फायज़ा ऊपर बैठी उछल रही थी.
पूरा कमरा फच फच की आवाजों और आहों से भरा था.
फायज़ा थक चुकी थी.
मोहसिन ने उसे ऐसे ही नीचे किया और पूरा दम लगाते हुए अपना लंड पूरी गहराई तक घुसा दिया.
फायज़ा की सीत्कारें अब चीखों में बदल गयीं.
पर जल्दी ही मोहसिन बगल में लुढ़क गया.
पूरी बेड शीट खू.न के कतरों से लाल हो गयी थी.
फायज़ा की तो मानो जान ही निकल गई थी.
बड़ी मश्किल से फायज़ा मोहसिन के सहारे से बाथरूम गयी और गर्म पानी से अपने को साफ़ किया.
इस बीचे मोहसिन ने वो बेड शीट बदल कर दूसरी बेड शीट लगा दी.
फायज़ा का मूड खराब हो गया था.
पर वो कुछ कह नहीं सकती थी.
मोहसिन ने तुरंत गर्म कॉफ़ी बनायी और एक पैन किलर फायज़ा को दी.
फायज़ा नंगी ही बेड शीट में दुबक कर सो गयी.
अगले दिन सुबह फायज़ा जब सोकर उठी तो उसका दर्द काफी कम था.
उसने आँख खोलीं तो मोहसिन बगल में नंगा पड़ा था.
उसका लंड पूरा तना हुआ था.
फायज़ा को उस पर प्यार आ गया.
उसने आगे बढ़कर लंड चूम लिया.
मोहसिन की आँख खुल गयीं. उसने फायज़ा को खींच लिया और अपने से लिपटा लिया.
दो मिनट बाद ही फायज़ा बोली- मुझे वाशरूम जाना है.
मोहसिन उसे छोड़ने को तैयार नहीं था तो फायज़ा बोली- मेरी निकल जायेगी.
कहकर वो हँसते हुए वाशरूम भागी.
नहाकर दोनों शॉर्ट्स और टी शर्ट्स में बाहर घूमने निकल गए.
वहां बीच पर दोनों ने खूब अठखेलियाँ कीं.
वहां का माहौल ही बेशर्मी का था.
तो फायज़ा को भी परवाह नहीं हुई, उसने अपनी टी शर्ट उतार दी.
अब वो केवल ब्रा और शॉर्ट्स में थी.
समुद्र में खेलते हुए एक बार तो मोहसिन ने उसके मम्मे भी बहर खींच दिए.
फायज़ा ने बजाये बुरा मानने के हँसते हुए उन्हें फिर से अंदर कर दिया.
पर हाँ, अब उसने टॉप डाल लिया.
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लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
मुस्लिम वाइफ SeXxx कहानी का अगला भाग:
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