मुझे चुत के लिए पत्नी की गुलामी करनी पड़ी- 1
(No Sex With Wife)
नो सेक्स विद वाइफ कहानी में शादी से पहले मैंने अपनी पत्नी को नहीं देखा था. मुझे अपनी दुल्हन अछ्छी नहीं लगी तो बिना सुहागरात मनाये मैंने उसे उसके मायके भेज दिया.
साथियो,
मेरी पिछली कहानी थी: हमने लाइव सेक्स शो देखा
अब हमेशा की तरह बिना किसी भूमिका के मैं अपनी सेक्स कहानी पेश कर रहा हूँ.
पंकज की शादी 21 की उम्र उसके माँ पिताजी ने तय की.
शादी से पहले पंकज ने अपनी पत्नी को नहीं देखा था.
शादी के बाद पंकज को उसकी पत्नी पसन्द नहीं आयी.
पंकज नौकरी में तबादला करवा कर अकेले ही दूसरी जगह चला गया.
उसके बाद क्या हुआ, वह सब इस नो सेक्स विद वाइफ कहानी में पढ़ें.
पंकज की कहानी मेरे एक पाठक ने भेजी है.
इस कहानी में पात्रों के नाम बदल दिए है.
मैं इस घटना क्रम को थोड़ा सेक्सी बनाकर आपके पेश कर रहा हूँ.
पंकज की नो सेक्स विद वाइफ कहानी उसकी जुबानी:
मैं व्यापारी समाज से हूँ, पिताजी का व्यापार है.
मैं उस समय 21 की उम्र का था.
मैं गोरा लम्बा दुबला था.
कॉलेज पास कर सरकारी नौकरी की परीक्षा देकर रिजल्ट का इंतजार कर रहा था.
मुझसे दो साल छोटा भाई पिताजी के बिज़नेस में उनके साथ काम करता था.
मेरे दो ही शौक थे. एक पढ़ाई और दूसरा सिनेमा.
मेरा सपना था कि मेरी पत्नी फ़िल्मी कलाकारों की तरह गोरी और सुंदर होगी.
हमारे समाज में कम उम्र में शादी हो जाती है, शादी से पहले लड़का लड़की एक दूसरे को नहीं मिलते थे.
माता पिता ने मेरी शादी तय की.
मेरे ससुर बड़े व्यापारी थे.
शादी में बहुत से रिश्तेदार आए, शादी के समय मैंने देखा कि मेरी पत्नी मालती सांवली है.
मुझे पत्नी पसन्द नहीं आयी, पर मैं समाज के डर से कुछ नहीं बोल सका, बस शादी हो गयी.
हमारे यहां रिवाज है कि शादी के बाद दूल्हा दुल्हन परिवार के साथ कुलदेवी के दर्शन करने जाते हैं. उसके बाद ही सुहागरात होती है.
शादी के बाद हम कुलदेवी मंदिर के गए. मेरी दादी को मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने में मुश्किल हो रही थी.
तो मेरी पत्नी मालती बोली- दादी. आपको गोद में उठाकर ले जाती हूँ!
दादी- बहू, तू थक जाएगी!
मालती- दादी मैं कराटे सीख रही हूँ, अगले 6 महीने बाद मेरी ब्लैक बेल्ट की फाइनल परीक्षा है, मैं मजबूत लड़की हूँ.
यह कह कर मालती ने दादी को बड़े आराम से गोद में उठा लिया और बाकी की सीढ़ियां फ़र फ़र करके चढ़ गयी.
मैं कसरत से दूर रहता था, इसलिए मैं सीढ़ियां चढ़ने से थोड़ा थक गया था.
मैं सोचने लगा कि मुझे यह कैसी पत्नी मिली, एक तो सांवली … ऊपर से इतनी ताकतवर!
उस रात मैंने सपना देखा कि मालती मुझे उठा उठा कर पटक रही है.
मैंने तय किया कि मैं मालती के साथ नहीं रहूँगा.
घर आकर मैंने माँ से कहा- मुझे मालती पसन्द नहीं है, वह सांवली है, मैं उसके साथ नहीं रह सकता!
माँ- पंकज, मालती अच्छे घर से है. घर के काम-काज जानती है, अच्छे स्वभाव की है, उसे सिनेमा में थोड़े ही काम करना है. सिनेमा देख देख कर तुम्हारा दिमाग बिगड़ गया है.
यह कहकर मुझे सुहागरात के कमरे में भेज दिया गया.
मैंने कमरे में जाकर मालती को कहा- मुझे नींद आ रही है, तुम भी सो जाओ.
मैंने उसका घूँघट भी नहीं उठाया.
मैं उसकी तरफ पीठ करके सो गया.
सुबह उठा तो मालती जा चुकी थी.
दूसरी रात मैं बेडरूम में देर से गया.
मालती मेरा इन्तजार कर रही थी.
मैं सीधा बिस्तर पर लेटा और सो गया.
तीसरे दिन मेरी परीक्षा का रिजल्ट आ गया, मुझे नौकरी मिल गयी थी.
पोस्टिंग दूसरे शहर में सरकारी कारखाने में मिली थी. मेरे घर वाले खुश थे.
मेरी माँ ने कहा- बहु लक्ष्मी है, उसके आते ही पंकज तुझे नौकरी मिल गयी.
मैं खुश था कि नौकरी दूसरे शहर में मिली.
मैंने तय कर लिया कि अकेला ही वहां जाऊंगा तो मालती के साथ एक कमरे में रहना नहीं पड़ेगा.
मैंने माँ को बता दिया कि मैं अकेल ही जाऊंगा.
घर में खूब हंगामा हुआ.
मेरे दोस्त और उसकी पत्नी ने भी मुझे समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि ज्यादा सुन्दर पत्नी हुई, तो सब उसे देखते रहते हैं. वह पति की टेंशन का कारण होती है.
उन्होंने एक दोस्त का उदहारण भी दिया, जिसे मैं जानता था.
उसकी बहुत सुंदर पत्नी है, पर वह घर का कुछ काम नहीं करती.
दोस्त ने अकेले में बताया कि वह सुंदर पत्नी अपने पति को चूचे दबाने नहीं देती, कहती है कि ढीले हो जाएंगे.
मालती के माता पिता और समाज के कुछ बुजुर्ग आए, उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की,
पर मैं नहीं माना.
उन्होंने मेरे पिताजी को खरी-खोटी सुनाई, उनकी बहुत बेइज्जती हुई.
वे लोग मालती को अपने साथ ले जाते समय बोले कि हम तुम्हारे छोटे लड़के की शादी नहीं होने देंगे.
पिताजी ने भी मुझसे कह दिया कि पंकज तेरा इस परिवार से रिश्ता खत्म.
मुझ पर किसी की किसी भी बात का कोई असर नहीं हुआ.
मैं अपनी नौकरी ज्वाइन करने चला गया.
मुझे कारखाने की कॉलोनी में सरकारी मकान मिल गया.
मेरे पड़ोसी मुझसे मिलने आए, उन्होंने मेरे घर माता पिता के बारे में पूछा.
कुछ पड़ोसी हमारे समाज के थे, एक महिला ने पूछा- क्या आपकी शादी हो गयी है?
शायद उनके परिवार में शादी लायक लड़की रही होगी.
मैंने जवाब नहीं दिया.
उस महिला के पति ने ऑफिस से मेरा घर का पता, पिताजी का नाम मालूम किया.
मेरे शहर में उनके पहचान के लोगों से मेरे बारे में सब पता कर लिया.
उस सब से यह बात कॉलोनी में फ़ैल गयी कि मैंने शादी के तुरंत बाद अपनी पत्नी को छोड़ दिया है. उसे यह कह कर छोड़ दिया क्योंकि मुझे वह लड़की पसन्द नहीं है.
अब पड़ोसी मुझसे कतराने लगे.
वे मुझसे बात नहीं करते.
मैं अकेला हो गया.
माता पिता परिवार से भी संबंध नहीं रहा.
मैं कॉलोनी के एक होटल में डिनर करता, शाम को किताबें पढ़ कर टाइम पास करता.
पड़ोस में एक बुजुर्ग दम्पति थे, सिर्फ वे ही मुझे मेरी नमस्ते का जवाब देते.
मुझे अपने दोस्त से घर वालों की खबर मिलती रहती थी.
मैं पत्रिकाओं में छपी सुन्दर लड़कियों की तस्वीर देखकर मुठ मारकर सो जाता.
यहां आने के 6 महीने बाद मुझे एक दफा बुखार चढ़ गया.
मैंने केमिस्ट से दवा ली, पर बुखार कम नहीं हुआ.
मैं कारखाने के अस्पताल गया, डॉक्टर ने मुझे भर्ती कर लिया, जांच से पता लगा मुझे टाईफॉइड हुआ है.
डॉक्टर ने बताया कि दवा से 7 दिन में बुखार कम हो जाएगा.
अस्पताल से छूटने के बाद मुझे घर में बना बिना तेल मसाले का खाना एक महीने खाना होगा, परहेज नहीं किया तो जान का खतरा है.
मेरे पड़ोसी बुजुर्ग दंपति ने सलाह दी कि घर से किसी को बुला लो.
मैंने उन्हें बताया कि मेरे घर वालों ने मुझसे संबंध तोड़ लिया है.
पड़ोसी बोले- तो पत्नी को बुला लो!
मैं बहुत कमजोर हो गया था, तो मुझे पुनः हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा.
अब मेरे पास मालती को बुलाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.
पर समस्या यह थी कि मेरे पास उसका नंबर नहीं था, मैंने अपने दोस्त का नंबर पड़ोसी को दिया.
उन्होंने मेरे दोस्त को मेरी बीमारी के बारे में बताकर कहा कि पंकज की पत्नी यहां लाना होगा.
दोस्त और उसकी पत्नी मेरी पत्नी मालती से मिले.
मालती ने कहा- पंकज यदि मुझसे माफ़ी मांगे, मेरी हर बात मानने का वादा करे तो मैं जा सकती हूँ!
मैंने फ़ोन पर कहा कि मालती मेरी जान बचा लो, मुझे माफ़ कर दो. मैं तुम्हारी हर बात मानूँगा.
दूसरे दिन मेरा दोस्त उसकी पत्नी और मालती आ गए.
तीनों मुझसे अस्पताल में मिलने आए.
मैं- मालती तुम आ गयी?
मालती- तुम नहीं … मुझे आप कहो!
बुजुर्ग पड़ोसी ने मालती को दूसरे पड़ोसियों से मिलाया.
एक दिन बाद दोस्त अपनी पत्नी के साथ वापस चला गया.
मालती घर में खाना बनाती, मेरा स्कूटर चलाकर अस्पताल आती, खाना खिलाती, पर ज्यादा बात नहीं करती.
मेरा बुखार उतर गया, कमजोरी कम हो गयी.
मैं मालती के साथ घर आ गया.
मैंने देखा कि मालती पड़ोस की ज्यादातर महिलाओं से ज्यादा सुन्दर है.
मालती ने पड़ोसियों से अच्छे संबंध बना लिए थे, कई लोग मुझे देखने आए.
डॉक्टर की सलाह अनुसार मालती बिना तेल मसाले का खाना फल देती; जो मुझे अच्छा नहीं लगता तो मैं कम खाना खाता.
मालती मुझे हल्की हल्की कसरत करने को कहती, पर मैं नहीं करता.
दो दिन बाद बाद मालती नारियल काटने का बड़ा चाकू लेकर मुझे कॉलोनी में लगे बांस के पेड़ के पास ले गयी.
उसने बांस की पतली टहनी दिखाकर कहा- इसे काटो!
मैंने एक टहनी काटी.
वह बेंत जैसी लग रही थी. मैंने बेंत की टहनी उसे पकड़ा दी.
मैं- आप इसका क्या करोगी?
मालती- अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, तो इससे पीटूँगी!
घर आकर मालती बेंत हाथ में लेकर बोली- अब कसरत करो!
मैं नहीं माना, तो वह बेंत मेरे कूल्हों पर मारने लगी.
मैं- करता हूँ … मारिये मत.
मैं कसरत करने लगा.
कसरत से मेरी भूख बढ़ गयी.
अब जो भी खाना मिलता मैं उसे बड़े चाव से खाने लगा.
मालती रोज कसरत करती, दौड़ने जाती.
मुझे भी साथ दौड़ाती, मगर मैं जल्द थक जाता … मालती आगे निकल जाती.
एक हफ्ते बाद मैं काफी स्वस्थ हो गया था.
मालती- अब तुम काफी स्वस्थ हो गए हो, घर का काम बांट लेते हैं. तुम झाड़ू पौंछा करोगे, बर्तन धोओगे … मैं खाना बनाऊंगी, बाजार से सामान लाऊंगी.
मालती ने झाड़ू पौंछा करके मुझे दिखाया कि ऐसे करना है.
जब मैं ठीक से नहीं करता, तो वह मेरी पिटाई करती.
उसने मुझे ताकीद कर दी थी कि होटल में खाया तो पिटाई होगी.
जब कॉलोनी की महिलाओं को पता चला कि मालती कराटे की ब्लैक बेल्ट होल्डर है, तो वे लोग फीस देकर मालती से कराटे सीखने लगीं.
मैं ऑफिस जाने लगा.
सुबह जल्दी उठकर चाय बनाकर मालती को जगाता, घर की सफाई करता, कसरत करता.
मालती का बनाया नाश्ता खाकर, लंच का डब्बा लेकर ऑफिस जाता.
शाम को मालती के साथ दौड़ने जाता.
मालती को आए चार महीने हो गए, कसरत से मेरे शरीर में इतनी ताकत और फुर्ती पहली बार आयी थी.
जब शार्ट पैंट और स्पोर्ट्स ब्रा पहनकर मालती कसरत करती, उसके तने चूचे मांसल जांघें सपाट पेट मुझे बहुत सेक्सी लगते.
एक दिन मैंने सोचा कि आज मालती को पकड़ कर चूम ही लूँगा, उसके चूचे दबा दूंगा और उसे गर्म करकर सम्भोग करूँगा.
मैंने सोचा कि मालती की भी इच्छा होती होगी यह सब करने की.
मालती दूसरे बेडरूम में सोती थी.
कसरत के बाद मैं मालती के पास आया
मालती- पंकज तुम्हें मेरे साथ कराटे क्लास चलना है, जल्दी तैयार हो जाओ.
हम दोनों कराटे क्लास गए, वहां महिलाएं और लड़कियां थीं.
मालती- मैंने आप लोगों को सिखाया है कि यदि कोई आप पर हमला करे, पकड़ने की कोशिश करे, तो कैसे बचना है! आज मैं आपको मेरे पति के साथ उस कला का प्रदर्शन करके दिखाती हूँ.
मालती- पंकज तुम मुझे पकड़ने की कोशिश करो!
मैंने पूरी ताकत से मालती को कई बार पकड़ने की कोशिश की, मालती ने मुझे हर बार पटक दिया.
मैंने मालती को जबरदस्ती चूमने का प्लान कैंसल कर दिया.
मैंने जो सपना देखा था कि मालती मुझे पटक रही है, वह सच्चा हो गया.
उस दिन छुट्टी थी तो मालती शार्ट पैंट पहनी हुई थी.
मालती- मुझे लगा पंकज तुम मुझे छूने की कोशिश करते हो!
मैं- आप मुझे छूने दो, मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा!
वह हंसने लगी.
फिर मालती ने पूछा- क्या कहना चाहते हो पूरी बात कहो!
पंकज ने साहस जुटाते हुए कहा- आप मुझे छूने दो, तो मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा.
मालती ने हामी भर दी और इस तरह से पंकज के गुलाम जीवन की शुरुआत हुई
अब आगे की कहानी पुनः पंकज की जुबानी सुनें.
मालती ने शार्ट पैंट पहनी हुई थी.
उसने सोफे पर बैठकर मुझसे कहा- गुलाम तुम अपनी मालकिन का पैर घुटनों तक छू सकते हो, चूम चाट सकते हो.
यदि उससे आगे बढ़े तो सजा मिलेगी और सजा के लिए पहले तुम मुझे अपनी पैंट का बेल्ट मुझे लाकर दो.
मैंने बेल्ट मालती को दे दिया.
फिर उसके पैरों के पास बैठकर मैं पैर पर हाथ फेरने लगा, पंजे और पैर चूमने लगा.
मालकिन ने अपने पैर का अंगूठा मेरे मुँह के पास को कर दिया.
मैं अपनी मालकिन के अंगूठे को चूसने लगा.
मालकिन मुस्कुरा रही थी तो मुझे लगा उसे मजा आ रहा है.
मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा.
यह उसकी आज्ञा के अनुरूप नहीं था.
उसी वक्त मालकिन ने मेरी ही बेल्ट मेरी पीठ पर दे मारी.
सटाक की आवाज़ हुई और मैं दर्द से बिलबिला उठा.
मालकिन ने गुर्रा कर कहा- मैंने जितना छूने की अनुमति दी, उससे आगे बढ़ने की सजा है यह … मर्द वह होता है जो स्त्री का सम्मान करे, उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे ना छुए.
अब मैं समझ गया था कि यह मेरी मालकिन है और मुझे इसकी बात माननी ही होगी.
मैं घर में मालती को मालकिन कहने लगा था.
रोजाना मैं उसके घुटनों तक पैर की मालिश करता, उसके पैर के पंजों को चूमता चाटता.
कुछ दिनों बाद मैं जानबूझ कर मालकिन की जांघ छूने लगा, मालकिन मुझे बेल्ट से मारती … पर अब वह धीरे से मारती थी.
शायद उसे मेरा छूना अच्छा लगने लगा था.
मुझे भी हल्की पिटाई से मजा आने लगा था.
मैं मालकिन की सेवा के बाद अपने बेडरूम में जाकर कंप्यूटर पर गुलाम और मालकिन का सेक्स वीडियो देखता और कल्पना करता कि मालकिन मेरे साथ वैसा कर रही है.
अब मैं मालती की चुदाई के सपने देखता और मुठ मारकर सो जाता.
मैं मन से मालती का गुलाम हो गया था.
मालकिन दूसरे बेडरूम में सोती थी.
एक दिन मेरे दोस्त ने खबर भेजी कि मेरे माता पिता शनिवार शाम मेरे पास आने वाले हैं.
मैं अकेले में मालती को मालकिन कहता, बाहर के लोगों के सामने मालती कहता था.
वह भी आम पत्नी के समान आचरण करती.
बाहर के लोगों के सामने हम दोनों एक दूसरे को तुम कहते थे.
शनिवार शाम मालती ने साड़ी पहनी, मेरे माँ पिताजी को प्रणाम किया.
माँ पिताजी हमारा सजा हुआ घर और हमें खुश देखकर संतुष्ट हो गए.
मालती ने स्वादिष्ट खाना बनाया.
उस रात मालती मेरे बेडरूम में सोई, वह हम दोनों के बीच गोल तकिया रखकर सोई थी.
पिताजी को काम था, इसलिए वे दोनों रविवार दोपहर को वापस चले गए.
जाते समय माँ ने मालती से कहा- बहू, अब मुझे जल्दी ही पोता या पोती का मुँह देखना है.
उनके जाने के 3 दिन बाद मेरा जन्म दिन था.
मालकिन केक लेकर आयी, उसने सुंदर साड़ी पहनी.
मैंने केक काटा.
मालकिन ने कहा- आज मैं तुम्हें तुम्हारे जन्म दिन का उपहार दूंगी.
यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा कि आज तो इसकी चुत चोदने को मिलने वाली है.
पर ये मेरी बीवी थी, साली कब पलट जाए और पीटने लगे, कुछ कह नहीं सकता था.
इसलिए मैंने ओके कहा और चुप हो गया.
दोस्तो, इस मजेदार नो सेक्स विद वाइफ कहानी में आदमी किस तरह से अपनी पत्नी का गुलाम बनकर उसके साथ सेक्स करता है, वह सब आपको अगले भाग में विस्तार से पढ़ने मिलेगा.
कृपया मेरे साथ बने रहें और मुझे अपने विचार जरूर भेजें.
मुझे मेल करते समय कहानी का शीर्षक अवश्य लिखें. चूंकि मेरी अनेक कहानियां प्रकाशित हुई हैं तो कहानी का संदर्भ जबाव देने में सुविधाजनक होगा.
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नो सेक्स विद वाइफ कहानी का अगला भाग:
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