संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 1

(Sister Ass Xxx Kahani)

सिस्टर ऐस Xxx कहानी में दो परिवार में बड़े छोटे सब मिलकर एक दूसरे से सेक्स कर चुके थे. उन्हीं में एक लड़की ने अपनी ननद की शादी अपने भाई से करवा दी.

नमस्कार साथियो, बहुत पहले मैंने क्षत्रपति के नाम से कहानियों की दो सीरीज लिखी थीं.
कई लोगों ने आगे लिखने का अनुरोध किया था इसलिए अभी एक और कहानी लिखी है.

मेरी पिछली सेक्स कहानी
होली के बाद की रंगोली
आपने पढ़ी थी.
एक बार आप उस सेक्स कहानी को पढ़ लेंगे तो आपको कहानी की पहले वाले आनन्द से जुड़ कर और भी ज्यादा मजा आएगा.

मेरी पिछली सेक्स कहानी के अंत में कई लोगों ने मुझे मेल लिख कर कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अनुरोध किया था.

तब समय के अभाव में लिख नहीं पाया और बाद में कोविड के कारण जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था इसलिए अब जाकर उससे आगे लिखने का प्रयास कर रहा हूँ.
आशा है आपको सिस्टर ऐस Xxx कहानी पसंद आएगी.

पुनः पात्र परिचय:

पंकज उम्र 26 साल, कहानी का सूत्रधार और मुख्य पात्र, डॉक्टर
सोनाली उम्र 22 साल, पंकज की पत्नी, गृहणी
रूपा 18 साल, पंकज की बहन, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग छात्रा
सचिन 19 साल, सोनाली का भाई, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग छात्र
शारदा 42 साल, सोनाली और सचिन की मम्मी, गृहणी
प्रमोद 45 साल, सोनाली और सचिन के पापा, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के विक्रेता
मोहन 46 साल, पंकज और रूपा के पिता, किसान (ज़मींदार)
संध्या 46 साल, पंकज और रूपा की मम्मी, गृहणी (बहुत बड़े ज़मींदार की बेटी)
सुधीर 50 साल, संध्या का बड़ा भाई

होली के बाद की रंगोली-14
में आपने पढ़ा था कि पंकज का साला सचिन त्यौहार पर अपनी बहन के घर आया था.
पूरे परिवार में एक साथ चुदाई का मजा लेकर वह ट्रेन से वापिस अपने घर चला गया था.

सचिन के विदा होने के बाद जैसा कि तय हुआ था, कुछ दिन तक तो रोज वीडियो कॉल पर उसे भाई बहन वाली चुदाई दिखाई गई लेकिन फिर उसे वह मज़ा नहीं आया … जो असल चुदाई में आता है.
इसके उलट जब वह अपनी बहन और गर्लफ्रेंड दोनों को अपने जीजा से चुदते देखता तो उसे जलन भी होती क्योंकि वह खुद कुछ नहीं कर पाता था.

दूसरी तरफ आधा से ज़्यादा साल निकल गया था और ये फाइनल ईयर था तो उसे पढ़ाई में भी ध्यान देना था.

आखिर सब छोड़-छाड़ कर रूपा और सचिन (रूपा की भाभी का भाई) दोनों अपनी पढ़ाई में लग गए.
दोनों होनहार थे तो काफी अच्छे नम्बरों से पास भी हो गए.

दोनों को अच्छी कंपनियों में जॉब भी मिल गई लेकिन उनका एक अलग ही प्लान पहले से तैयार था.

दोनों साथ मिल कर बिजनेस करना चाहते थे.
लेकिन जब बिजनेस के लिए साथ रहना ही था तो क्यों न पहले शादी ही कर ली जाए ताकि फिर निश्चिन्त हो कर काम ध्यान लगा सकें.

ये सोच कर दोनों ने शादी का फैसला किया.

पंकज और सोनाली ने अपने अपने परिवार में माता-पिता को आसानी से मना लिया तो कोई अड़चन भी नहीं आई.

आखिर जल्दी ही शादी तय हो गई.

सचिन ने अपने माता-पिता और रूपा के माता-पिता से कहा कि वे शादी ज़्यादा धूम-धाम से नहीं करेंगे बल्कि जो भी पैसे शादी में खर्च होने वाले थे, उस पैसे से वे दोनों मिल कर एक ऑफिस खोलना चाहते हैं.

सबके लिए ये ख़ुशी की बात थी कि वे दोनों अपने भविष्य को लेकर इतने संजीदा थे.

प्रमोद और मोहन ने मिल कर प्रमोद की इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान के ऊपर ही एक सॉफ्टवेयर कंपनी का ऑफिस बनवा दिया.
शादी के तुरंत बाद ही इस ऑफिस का भी उद्घाटन होना था.

शादी का कार्यक्रम बहुत छोटे तौर पर होना तय हुआ क्योंकि रूपा और सचिन दोनों एक दूसरे के साथ ही अधिकतर समय बिताते थे इसलिए कॉलेज में उनके बहुत कम दोस्त थे.
रिश्तेदारों के नाम पर भी रूपा के मामा के अलावा कोई था नहीं.

वैसे तो पिछले काफी समय से रूपा अपने भाई से कभी कभार ही चुदवाती थी लेकिन पिछले 1 महीने से उसने अपने भाई से बिल्कुल भी नहीं चुदवाया था.

इस टाइम में उसने लेजर ट्रीटमेंट से अपनी चूत के सारे बाल साफ करवा लिए थे और अब उसकी चूत इतनी चिकनी हो गई थी, जितने कि उसके गाल.

उसे इस बात का मलाल जरूर था कि सचिन को उसकी चूत की सील तोड़ने का मौका नहीं मिल पाया था.
लेकिन शादी के बाद वह उसे एक ऐसी चिकनी चूत देने जा रही थी जो शायद किसी कुंवारी लड़की ने भी अपने पति को नहीं दी होगी.

बहरहाल मुहूर्त वाले दिन शादी संपन्न हुई.
रूपा के मामा और पिता यह कहकर वहां नहीं रुके कि शादी के तुरंत बाद बेटी के ससुराल में रुकना सही नहीं रहेगा.

मोहन अगले हफ़्ते ऑफिस के उद्घाटन में आने का वादा करके गांव वापस चला गया.
पंकज और सोनाली वहीं रुक गए क्योंकि वह तो इस घर के बेटी और दामाद थे.

सच तो यह है कि सोनाली अपने भाई की सुहागरात में खुद एक तोहफा बन कर पेश होने वाली थी.

सुहागरात के कमरे की सजावट खुद पंकज और सोनाली ने ही की थी.

ऐसे समय में मां-बाप अक्सर बीच में नहीं आते हैं इसलिए प्रमोद और शारदा जल्दी ही अपने कमरे में चले गए थे ताकि बेटा – बहू को इन्जॉय करने का पूरा मौका मिल सके.

इधर सजावट पूरी होने पर सोनाली ने रूपा को कमरे में ले जाकर सुहागरात की सेज पर बिठाया और खुद नंगी होकर पलंग के बाजू में बैठ गई.
आखिर वह रूपा की तरफ से सचिन को मिलने वाली गिफ्ट जो थी.

उसने पंकज को कहा कि वह सचिन को भेज दे.

पंकज- भेज दो, मतलब! मुझे नहीं आने दोगी क्या?
सोनाली- नहीं, आज रूपा की सुहागरात है और मैं तो बस अपनी गांड का गिफ्ट लेकर बैठी हूँ.

पंकज अपना सा मुँह लेकर सचिन को बुलाने चला गया.
वह जब वापस आया तो सचिन अपनी शेरवानी में उसके साथ था.

पंकज ने सचिन को अन्दर धकेला और देखा कि बिस्तर के बगल में जहां सोनाली बैठी थी, वहां रेशमी चादर से ढका हुआ कुछ रखा है.
उसे समझते देर नहीं लगी कि वह सोनाली ही थी, जिसने शायद घोड़ी बन कर वह चादर अपने ऊपर ओढ़ ली थी.

पंकज ने दरवाजा बंद करते हुए कहा ‘इन्जॉय योर फर्स्ट नाइट!’

इतना कहते कहते पंकज को हंसी आ गई और बाकी सब भी मुस्कुरा दिये क्योंकि सबको पता था कि वह उनकी पहली रात तो बिल्कुल भी नहीं थी.

बहरहाल, सचिन का ध्यान पूरी तरह रूपा पर ही था.
सचिन उसे निहारता हुआ बिस्तर पर बैठा और जैसे उस खूबसूरती को वह और भी नजदीक से देखना चाहता था इसलिए धीरे धीरे उसके और नजदीक होता गया … जब तक उसके अधर रूपा के अधरों से मिल नहीं गए.

कुछ देर होंठों से होंठों की कुश्ती चली फिर जिव्हा से जीभ गुत्थम गुत्था हो गई.

दोनों प्रेमी काफी देर तक ऐसे ही एक दूसरे के रस को चूसते रहे.
लेकिन जैसे ही सचिन ने रूपा के उरोजों को सहलाने का प्रयास किया, रूपा ने चुंबन तोड़ते हुए कहा- सुहागरात पर सबसे पहले कुंवारी दुल्हन की वर्जिनिटी ली जाती है. लेकिन वह तो है नहीं, इसलिए पहले अपने तोहफे का मज़ा ले लो … फिर मेरा कवर खोल लेना. दूसरा सप्राइज उसके बाद मिलेगा.

इतना कह कर रूपा मुस्कुराई और उसने बिस्तर के बगल में रखी गिफ्ट पर से चादर उठाई.
एक खूबसूरत चिकने बदन का आधा हिस्सा सामने आया.

सोनाली ने भी पूरे शरीर की वैक्सिंग करवा ली थी इसलिए उसके नितंब अलग ही चमक रहे थे.
वह घोड़ी बनी खड़ी थी लेकिन उसके कंधे और अगला हिस्सा अभी भी चादर के अन्दर ही था.

लेकिन जिस चीज ने सचिन का ध्यान अपनी ओर खींचा, वह थी इस घोड़ी बनी सोनाली की पूँछ.
ये पूँछ घोड़ी की तो नहीं बल्कि लोमड़ी की लग रही थी.

लेकिन जो बात सचिन समझ नहीं पाया वह ये कि वह किसी असली पूँछ की तरह सोनाली के नितंबों से निकली हुई लग रही थी.
न कोई बेल्ट था न ही कोई डोर जिससे उसे बांधा गया हो.

सचिन ने उत्सुक होकर उसे मरोड़ा कि शायद चिपकाया गया होगा तो निकल आएगी … लेकिन वह तो पूरी गोल घूम गई.
रूपा, सचिन के इस अचरज पर खिलखिला कर हंस पड़ी.

रूपा- तुम्हें याद है न तुमको गिफ्ट में क्या मिलने वाला था?
सचिन- हां! दीदी की गांड. लेकिन ये पूँछ का क्या चक्कर है?
रूपा- कुछ नहीं वह तुम्हारी गिफ्ट का फैन्सी ढक्कन है. जब उसके लिए तैयार हो जाओ … तब खोलना.

अब इंतज़ार करने की कोई वजह थी ही नहीं.
सचिन बिना कोई समय गंवाए कपड़े निकाल कर नंगा हो गया.

सुहागरात की तैयारी में उसने भी नीचे शेव की हुई थी और एक घंटे से गोली भी खाकर बैठा था ताकि उसका लंड रात भर न बैठे.

अब बस उसे अपने इस खड़े लंड को अपनी बहन की गांड में ठूंस देने की जल्दी थी.
उसने उस पूँछ को एक झटके में खींच कर निकाल दिया!
पुक्क … की आवाज के साथ पूँछ उसके हाथ में आ गई जिसके दूसरे छोर पर एक बट-प्लग था … जो अब तक सोनाली की गांड में घुसा हुआ था.
उस पर कोई लुब्रीकेंट भी जमकर लगाया गया था.

उसने इन सब बातों पर ध्यान न देते हुए छेद पर ध्यान दिया.

इससे पहले कि सोनाली की गांड वापस सिकुड़े, सचिन ने तुरंत ही अपना लंड अपनी बहन की गांड में डाल दिया.

उसके बाद उसने एक ज़ोर की चपत अपनी घोड़ी की पौंद (चूतड़) पर ऐसी जड़ी कि उसकी गांड के छेद ने अपने भाई के लंड कस कर जकड़ लिया.

सोनाली ने पहले ही कूल-मेंथोल लुब्रिकेंट डाला हुआ था तो सचिन को गांड मारने में कोई समस्या नहीं हुई.
वह अपनी घोड़ी की सवारी किसी काऊ बॉय की तरह करने लगा.

इस दृश्य से उत्तेजित होकर रूपा ने भी अपना लहंगा ऊपर किया और चूत का दाना सहलाने लगी.

रूपा को दुल्हन के लिबास में अपनी चिकनी चूत सहलाते देख सचिन अपनी घोड़ी की रफ़्तार और बढ़ा दी.
रूपा ने बताया कि ये चिकनी चूत उसके लिए दूसरा तोहफा है.

ऐसा कह कर वह बिस्तर से उतरी और धीरे धीरे मटकती हुई अपने कपड़े उतारने लगी.
हर बार उसका बदन थोड़ा और नंगा होता और सचिन की उत्तेजना और बढ़ जाती.

ऐसा नहीं था कि वह रूपा को पहली बार नंगी होते देख रहा था लेकिन जिस तरह लहराते हुए बल खाते हुए वह अपनी शर्म के गहने उतार रही थी, वह एक नया ही ‘बेशर्म रंग’ था जो सचिन ने पहली बार देखा था.

जब तक रूपा पूरी नंगी हुई, तब तक पहले ही सचिन अपने चरम पर था लेकिन जब रूपा ने पीछे से आकर सचिन को अपने आलिंगन में लिया … तो उसके नग्न स्तनों का सचिन की पीठ से स्पर्श हो गया.

फिर जिस तरह रूपा की जंघाओं ने सचिन के नितंबों को अपने आगोश में लिया था, उस टच ने सचिन को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था.

तभी रूपा ने उसकी दोनों जांघों के बीच से अपना हाथ डाल कर उसके अंडकोष को अपनी हथेली में भर लिया.
उसके बाद तो जैसे सचिन का लंड, होली की पिचकारी बन गया था.

इधर रूपा ने हलका सा दबाया और उधर सफ़ेद रंग की धार फूट पड़ी.
सचिन अपनी बहन की गांड में ढेर सारा प्यार उढ़ेल कर ढीला पड़ गया.

चूंकि पीछे से रूपा ने उसे कस कर पकड़ा हुआ था तो वह अपनी बीवी के आगोश में ही ढह गया.

आगे से उतने ही कस कर सोनाली की गांड ने भी उसके लंड को जकड़ा हुआ था जो झड़ने के बाद भी खड़ा ही था.
गोली अपना काम कर रही थी.

इस बार सोनाली ने आगे हो कर ‘पुक्क’ की आवाज के साथ सचिन के लंड को अपनी गांड की जकड़ से मुक्त कर दिया और खड़ी होकर सामने से उसे गले लगा लिया.

सोनाली- शादी मुबारक हो भाई! अब तुम रूपा को खुश करो, मैं चलती हूँ.

रूपा- अरे नहीं आप यहीं रहो. बस एक बार की गिफ्ट थोड़े ही है. आखिर आपने ही तो उसकी पत्नी की सील तुड़वाई थी. तो अब मेरा पति जितनी बार चाहेगा आपकी गांड मारेगा.
सोनाली- ओके बाबा. आज रात मेरा जिस्म तुम दोनों का खिलौना है. जैसे मर्जी खेल सकते हो.

इतना कह कर सोनाली बिस्तर के एक कोने पर बैठ गई और सचिन पलट कर रूपा के नंगे बदन को अपने नंगे शरीर से महसूस करने में व्यस्त हो गया.
दोनों की ऊंचाई लगभग बराबर थी तो सचिन का लंड पहले ही रूपा की चूत के भगनासा पर घर्षण कर रहा था.

फिर रूपा ने उसे थोड़ा नीचे झुका कर अपनी चूत का रास्ता दिखा ही दिया.
दोनों खड़े खड़े ही मैथुन में व्यस्त हो गए और सोनाली उन दोनों के इस प्रेमालाप को मंत्रमुग्ध देख रही थी.

उधर कमरे से बाहर पंकज तो अपने कमरे में गया था लेकिन प्रमोद जी (सोनाली और सचिन के पापा) देर रात पानी पीने के लिए किचन में गए हुए थे.

लौटते समय उनके नटखट मन में सम्भोग के स्वर सुनने का लोभ जागृत हो गया.

उन्होंने अपने मोबाइल का साउंड रिकॉर्डर भी चालू कर लिया ताकि बाद में आवाज बढ़ा कर और बेहतर मज़ा लिया जा सके. जो उन्होंने सुना … और जो रिकॉर्ड हुआ वह कुछ ऐसा था:

… जितनी बार चाहेगा आपकी गांड मारेगा!
ओके बाबा … आज रात मेरा जिस्म तुम दोनों का खिलौना है … जैसे मर्जी खेल सकते हो.
हम्म … उम्म … पुच … च … उम्म्ह … yes … आं … आं … हं … हं … हं … हूँ … ऊंमम् अँह … आंह …

थोड़ी देर तक सुनने से बाद प्रमोद से रहा नहीं गया और वे अपने कमरे में जाकर शारदा (सोनाली और सचिन की मम्मी) को चोदने की कोशिश में जुट गए.
उधर प्रमोद व शारदा तो चुदाई का एक राउंड लगा कर सो गए लेकिन उस घर के दूसरे कमरे में सारी रात चुदाई का कार्यक्रम चला.

रूपा की खड़े खड़े चुदाई के बाद एक बार फिर सोनाली की लेटा कर गांड मारी गई.

फिर रूपा की अलग अलग पोजीशन बदल बदल कर चुदाई हुई और तब तक सोनाली की चूत ने भी विद्रोह कर दिया था तो सचिन ने एक बार अपनी बहन की चूत भी चोद ली.

तब तक सुबह होने आ गई थी.
तो सोनाली अपने कमरे में चली गई लेकिन वहां भी उसे सोना नसीब नहीं हुआ.

क्योंकि पंकज की नींद खुल गई थी और अपनी चुदी चुदाई नंगी पत्नी को देखते ही उसका लंड भी खड़ा हो गया.
उसने सोनाली को जमकर चोदा.

उधर सचिन भी रूपा को तीन बार चोद चुका था.
आखिर में जब सुबह मुर्गे ने बांग दी तो सचिन का मुर्गा रूपा की गांड में घुसा हुआ था और रूपा उसके ऊपर उछल उछल कर मानो उसकी पिटाई कर रही थी ताकि वह बैठ जाए.

आखिर रूपा की गुदा भी सचिन के वीर्य से सिंचित हुई और सचिन नींद के आगोश में समा गया.

लेकिन दवा के असर से उसके लिंग ने बैठने से मना कर दिया था तो रूपा उसे अपनी गांड में लेकर ही सो गई.

अगले दिन दोपहर तक दोनों बाहर नहीं आए.

पंकज तो सुबह देर से उठ गया था लेकिन सोनाली दोपहर बारह बजे के बाद तक सोती रही.

आखिर जब वह कपड़े पहन कर आंखें मलती बाहर आई, तो शारदा ने उससे कहा कि सचिन को जगा दे.

लेकिन सोनाली को पता था सुबह तक तो वह सोये भी नहीं थे इसलिए उसने कह दिया कि रहने दो, वे लोग खुद ही उठ जाएंगे.

फिर आखिर खाना तैयार होने के बाद शारदा ने ही सचिन का दरवाज़ा खटखटाया- बदन की भूख मिट गई हो तो थोड़ा पेट की भूख का भी ख्याल कर लो!

उनकी इस बात पर सभी हंस दिए लेकिन जब सचिन और रूपा की नींद खुली तो किस्मत से सचिन का लंड सिकुड़ कर रूपा की गुदा से बाहर आ चुका था.
उसके वीर्य की सरिता, जो वहां से निकली थी … वह भी सूख चुकी थी.

आखिर दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आए.

रूपा सीधे गुसलखाने चली गई क्योंकि उसे खुद नहीं पता था कि उसके शरीर का किस किस हिस्से पर सूखे हुए वीर्य के निशान थे.

अगले कुछ दिन सामान्य बीते.
दिन में दोनों ऑफिस की व्यवस्था में व्यस्त रहते और रात थक हार कर सो जाते.

कुछ ही दिनों में नए ऑफिस का उद्घाटन होना था इसलिए वह अधिक जरूरी था. सोनाली और पंकज भी इसीलिए रुके हुए थे.

दोस्तो, यह सेक्स कहानी आपको अभी इसके पारवारिक सामूहिक सेक्स के चरम बिन्दु तक ले जाने वाली है.

सिस्टर ऐस Xxx कहानी पर आप अपने विचार मुझे ईमेल से जरूर भेजें.
कहानी के अंत में कमेंट्स भी कर सकते हैं.
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सिस्टर ऐस Xxx कहानी का अगला भाग: संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 2

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