हर चूत पर लिखा है किसी लंड का नाम- 3
(Wife Ass Fingering Story)
वाइफ ऐस्स फिन्गेरिंग स्टोरी में हनीमून में बाद नवदम्पति घर आये तो रात को शौहर ने फिर सेक्स करना चाहा. बीवी ने उसकी इच्छा का मान रखते हुए उसे करने दिया. पर …
कहानी के दूसरे भाग
माशूका की बहन से शादी का हश्र
में आपने पढ़ा कि मोहसिन अपनी चचेरी बहन उल्फत को पसंद करता था, उसकी शादी उल्फ़त की छोटी बहन फायज़ा से हो गयी. दोनों हनीमून के लिए गोआ गए.
अब आगे वाइफ ऐस्स फिन्गेरिंग स्टोरी:
रात को बेड पर मोहसिन फायज़ा का इंतज़ार करते हुए अपना लंड मसल रहा था.
फायज़ा बाथरूम में थी.
वो एक बहुत छोटी सी फ्रॉक पहनकर आई.
आज उसने अपनी चूत चिकनी कर ली थी.
मोहसिन ने उसे बेड पर खींच लिया और चूमा चाटी करते हुए दोनों 69 हो गए.
आज फायज़ा भी लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी और मोहसिन ने तो जीभ थूक और उँगलियों की रगड़ से फायज़ा की चूत को चुदाई के लिए मना ही लिया था.
फायज़ा मिमियाती हुई बोली- चलो अंदर तो कर लो पर करना धीरे धीरे!
मोहसिन ने उसके गोरे गोरे मम्मे चूस चूसकर लाल कर दिए थे.
अबकी बार फायज़ा मोहसिन के ऊपर बैठी अपने हाथ से उसका लंड पकड़कर धीरे धीरे अपनी चूत में करने लगी.
उसे दर्द तो हो रहा था पर चुदास उसे चुदने को मजबूर कर रही थी.
अब मोहसिन ने नीचे से एक पेल मारी तो लंड पूरा अंदर घुस गया.
फायज़ा ने दर्द से आँखें बंद कर लीं और लगी उछलने.
उसके मुंह से बार बार हाय अम्मी, हायल्ला निकल रहा था.
पर चुदाई बदस्तूर जारी थी.
मोहसिन ने उसे झटके से नीचे पलटा और पूरी स्पीड से उसकी चुदाई को अंजाम देते हुए उसकी चूत अपने माल से भर दी.
दोनों दिन के थके हुए थे.
पास रखे टॉवेल से अपने जिस्म को साफ़ करके इसे ही एक दूसरे की बाहों में सो गये.
हनीमून के ये पांच दिन ऐसे ही निकल गए.
आज उनकी वापिसी थी.
दोनों बहुत खुश थे.
घर पहुँच कर उन्होंने अपना कमरा ठीक किया.
कल से अपने अपने काम पर जाना था.
फायज़ा ने मोहसिन को बता दिया कि जैसा उनके बीच तय हुआ था कि बच्चों की अभी कोई प्लानिंग नहीं तो उसने अभी तो गर्भ टालने के लिए पिल्स ली हैं, पर वो जल्दी ही कॉपर टी लगवायेगी.
मोहसिन को भी अगले दिन कंपनी के काम से दो दिन के लिए बाहर जाना था.
रात को बेड पर वो फायज़ा का इंतज़ार कर रहा था सेक्स के लिए.
फायज़ा अपना कुछ काम कर रही थी.
मोहसिन ने उसे लाड से गोदी में उठाने की कोशिश की तो फायज़ा बिगड़ गयी, बोली- हनीमून पर जो तुमने चाहा, मैंने किया. पर अब शर्त ध्यान करो. सिर्फ शनिवार को मुझसे उम्मीद करना.
मोहसिन ने बहुत कहा- मेरा मन है!
पर फायज़ा नहीं पिघली.
एक दिन में ही वो बिल्कुल बदल गयी.
सुबह मोहसिन जल्दी ही निकल गया.
फायज़ा भी तैयार होकर कॉलेज चली गयी.
शाम को उल्फ़त ने उसे नीचे ही खाने पर बुला लिया.
वो उसे हनीमून के किस्से सुनने लगी.
फायज़ा भी बड़े सहज स्वभाव से उससे कह बैठी- मोहसिन को सिवाय सेक्स के कुछ सूझता ही नहीं. और उसका लंड भी इतना मोटा है कि मेरी तो उसने चूत फाड़ दी. बस कमरे में आते ही कपड़े उतरवा देगा. उसने मेरे मम्मे इतने चूसे हैं कि दर्द करने लगे. अब मैंने तो साफ़ कह दिया कि हफ्ते में सिर्फ एक रात सेक्स.
इनकी चुदाई के किस्से सुन सुनकर उल्फ़त की चूत में चीटियाँ चलने लगीं.
उसे लगा कि उसकी पेंटी गीली हो गयी है.
फायज़ा ने उसे बताया कि अगले महीने वो एक हफ्ते के लिए बंगलौर जायेगी और फिर वहां बात बन गयी तो हो सकता है वो एक साल के लिए कहीं बाहर ही रहे.
उल्फ़त गर्म हो गयी थी तो मूड में थी रात को.
चूत उसने दिन में ही चिकनी कर ली थी.
वो अच्छे से तैयार हुई और बेड पर इकबाल को उकसाने लगी सेक्स के लिए.
आज उसके मम्मे उसकी फ्रॉक से बाहर निकले पड़ रहे थे.
उधर इकबाल फोन में लगा हुआ था.
जैसे ही उसने फोन काटा, उल्फ़त उसके ऊपर चढ़ गयी और लगी ताबड़तोड़ चूमने.
इकबाल ने झिड़क दिया- क्या हर समय तुम्हें आग लगी रहती है. चुपचाप सो जाओ. मुझे सुबह एक मीटिंग में दो दिन के लिए बाहर जाना है.
अब तो उल्फ़त बिफर गयी और बोली- सिर्फ मीटिंग ही करनी थीं तो शादी क्यों की? अब मेरे जिस्म में आग लगी है तो तुम से ही तो कहूँगी बुझाने को.
उसका गुस्सा देख कर इकबाल नर्म हुआ और उसे चूमते हुए अपने से लिपटा लिया.
पर उल्फ़त को तो सेक्स चाहिए था, उसने अपनी टांगें चौड़ा कर चूत इकबाल के मुंह के पास कर दी और बोली- चूसो इसे! तुम्हारे लिये देखो कैसी मखमली की है मैंने!
इकबाल को मन न करते हुए भी कपड़े उतार कर उसके साथ सेक्स करना पडा.
पर वही हुआ, इकबाल तो दो चार धक्कों के बाद क्लीन बोल्ड हो गया.
उसने सारा माल उल्फ़त की चूत में निकाल दिया और भाग कर वाशरूम जाकर अपने को साफ़ करके चुप मुंह घुमा कर सो गया.
उल्फ़त वाशरूम से आकर अपनी चूत में उंगली करने लगी.
उसका मूड बहुत खराब था.
उसे तो ख्यालों में मोहसिन का मोटा लंड और उसकी चुदाई आ रही थी.
अब ऐसे ही एक महीना निकल गया.
उल्फ़त और मोहसिन की जब भी निगाहें मिलतीं दोनों मुस्कुराते.
उल्फ़त जब तब मोहसिन को किसी न किसी बहाने जीने में मिलती या चाय के लिए बुला लेती.
फायज़ा को इस सबसे कोई मतलब नहीं था.
इकबाल तो उल्फ़त से दबता था तो हफ्ते में एक आध बार उल्फ़त उसका बल।त्कार-सा कर लेती.
कभी जानबूझकर या गलती से मोहसिन का हाथ उल्फ़त से टकरा जाता तो उल्फ़त को करेंट सा लग जाता.
उल्फ़त अब और बन संवर कर रहने लगी मोहसिन के सामने.
धीरे धीरे मोहसिन और उसकी व्हाटसप्प पर चैट भी शुरू हो गयी.
आयरा बेगम और हाफ़िज़ मंजूर दस दिन के लिए अजमेर शरीफ चले गए थे और उनके जाते ही फायज़ा ने भी अपना बंगलौर का प्रोग्राम बना लिया.
उसे अगले दिन यूनिवर्सिटी के ऑफिस जाना था कुछ कागजात लेने फिर बाहर का प्रोग्राम था.
रात को मोहसिन का मूड बहुत खराब था कि फायज़ा अब बाहर जायेगी.
उसने फायज़ा से कहा- आज रात को अच्छे से सेक्स करेंगे.
फायज़ा भी समझ रही थी.
पर उसके लिए करियर सबसे पहले था.
उसने मोहसिन से साफ़ कहा की सेक्स कर लेना पर जंगलीपने से नहीं. उसके जिस्म पर कोई निशान नहीं पड़ना चाहिए.
रात को मोहसिन ने फायज़ा से कहा- कोई शोर्ट ड्रेस पहन लो.
फायज़ा तुनक कर बोली- नहीं, मेरी तबियत खराब हो जायेगी.
मोहसिन ने बात संभालते हुए उसे चूमना शुरू किया.
फायज़ा तो उस पर अहसान-सा कर रही थी.
उसने झट से अपनी नाईटी उतार दी और मोहसिन से बोली- ऊपर आ जाओ.
मोहसिन को बहुत खराब लगा.
पर वो चुप रहा.
उसने अपने कपड़े उतारे और फायज़ा की टांगें खोल कर उसकी चूत में जीभ दे दी.
अब फायज़ा भी गर्म हो रही थी.
मोहसिन थोड़ा ऊपर हुआ और उसने फायज़ा को मम्मे मसलने शुरू किये और उन्हें बारी बारी से चूसने लगा.
शायद इस चूमाचाटी में उसका दांत निप्पल पर लग गया.
फायज़ा चीखी- मैंने कहा था न कि कोई निशान नहीं पड़ना चाहिए. ये क्या कर रहे हो?
मोहसिन भी गुस्सा हुआ- क्या तुम्हें बंगलौर जाकर अपने मम्मों की नुमाइश लगानी है जो इन पर निशान नहीं पड़ना चाहिए?
फायज़ा ने मौके की नजाकत को समझा.
वो जानती थी कि अगर इस समय उसकी मोहसिन से बिगड़ गयी तो मोहसिन उसके जाने में भी रुकावट बन सकता है.
उसने प्यार से मोहसिन को शांत किया और झुककर उसका लंड चूसने लगी.
अब क्या था, मोहसिन ने बिना देर किये उसकी टांगें चौड़ा कर अपनी उंगलियाँ घुसा दीं और पेल दिया अपना मूसल उसकी नाजुक चूत में.
अब तो धक्के पर धक्का.
फायज़ा की जान निकल रही थी.
पर वो चुप थी.
मोहसिन ने आज आगे तक की कसर निकाल लेनी थी.
मोहसिन ने थोड़ा सा थूक अपनी उंगली पर लपेटा और फायज़ा की गांड में लगा कर उंगली अंदर करनी चाही.
फायज़ा काँप गयी.
उसने मिमियाते हुए कहा- नहीं मोहसिन, पीछे नहीं. मेरे लग जाएगी और मुझे कल सुबह यूनिवर्सिटी भी जाना है.
पर मोहसिन ने उसकी एक न सुनी और अपनी मोटी गन्ने जैसी उंगली उसकी गांड के छेद में घुसा दी.
फायज़ा दर्द से तड़प उठी.
वो रोने लगी.
अब मोहसिन को वाइफ ऐस्स फिन्गेरिंग करके से रुकना ही था.
फायज़ा रोते रोते चादर लपेट कर दूसरी और मुंह करके लेट गयी.
मोहसिन भी बड़बड़ाते हुए सो गया.
अगली सुबह मोहसिन बिना फयाज़ा को कुछ बोले जल्दी तैयार हुआ कहीं चला गया.
वो जब जीने से नीचे उतर रहा था तो बीच की मंजिल के गेट पर उल्फ़त दिखी.
मोहसिन से उसने सलाम किया तो मोहसिन का मुंह फूला हुआ था.
वो नाराजगी से बोला- मेरी इससे निभेगी नहीं. हर समय हुक्म सा चलाती है!
कहकर वो धड़ाधड़ सीढ़ी उतरता चला गया.
उल्फ़त ने अपने कपड़े ठीक किये और ऊपर फायज़ा के पास आ गयी.
फायज़ा ने कपड़े पहन लिए थे और वो नहाने जा रही थी.
उल्फ़त को देखते ही वो उससे लिपट कर रोने लगी.
फायज़ा की गांड में दर्द हो रहा था.
उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था.
उल्फ़त ने उसे चुप करते हुए कुर्सी पर बिठाया और चाय बनाकर दी.
साथ में एक पैन किलर दी और हीटिंग पेड से सिकाई करने को कहा.
थोड़ी देर में ही फायज़ा को आराम आ गया.
उसने गुस्से में रात की पूरी कहानी सुना दी.
उल्फ़त मुस्कुराते हुए बोली- तभी मोहसिन गुस्से में गया है. अब है क्या कि मोहसिन का तो हर समय मूड रहता है सेक्स का … और तेरा मूड बन नहीं पाता. बस फिर वो जब.रदस्ती पर आ जाता है. पर हाँ, बीवी की मर्जी के बिना सेक्स करना है तो गलत!
फायज़ा गुस्से में बोली- सेक्स करो इंसानों की तरह, ये क्या कि जंगलीपन पर आ जाता है. क्या इकबाल भाई भी पीछे से करते हैं या तेरे मम्मे नोचते हैं?
उल्फ़त हंस दी.
उसकी चूत में सुरसुराहट हो रही थी कि काश रात को वो होती फायज़ा की जगह तो रात भर चुदाई होती.
उसने हँसते हुए कहा- हमारे शौहर बदल गए हैं. तेरे जीजू पीछे से क्या आगे से ही नहीं करते हैं. उन्हें लगता कि ज्यादा करने से उनका वो घिस जाएगा. और फिर सेक्स में कोई नियम कायदा नहीं होता.
फायज़ा भुनभुनाई- तेरा नहीं होता होगा, मैं तो पहले ही कह चुकी हूँ कि मुझसे ये रोज़ रोज़ चुदाई नहीं होगी.
फायज़ा फटाफट तैयार हुई उसे यूनिवर्सिटी जो जाना था.
फायज़ा ने एक सप्ताह के लिए बेंगलोर जाने की टिकट करा लीं.
उसके जाने के बाद उल्फ़त और मोहसिन घर में अकेले रह जाते.
इकबाल तो शनिवार को आता था और इतवार की रात या सोमवार की सुबह वापिस चला जाता था और इस बीच भी यदि कोई टूर बन गया तो वीकेंड पर आता भी नहीं था.
अब मोहसिन के खाने की जिम्मेदारी उल्फ़त पर थी.
फायज़ा के जाने से पहले उल्फ़त ने फायज़ा से कह दिया था कि मोहसिन ब्रेकफास्ट नीचे ही कर लिया करेगा और इसका लंच मैं पैक करके दे दिया दूँगी.रात को उसके आने पर डिनर वो नीचे ही कर लिया करेगा.
फायज़ा ने ये बात मोहसिन से कह दी तो वो टालमटोल करने लगा- मैं बाहर खा लिया करूंगा.
इस पर उल्फ़त ने फायज़ा से कह दिया- मैं खुद बात कर लूंगी.
सोमवार की तडके सुबह की फ्लाइट थी फायज़ा की.
इकबाल भी आया हुआ था तो चारों ने डिनर साथ किया.
रात को बेड पर उल्फ़त बिना कपड़ों के ही आ गयी.
इकबाल तो समझ गया की आज उसका बल।त्कार होगा.
उसने भी मूड अच्छा करने की कोशिश की क्योंकि उसे लग रहा था कि हो सकता है अगले वीकेंड पर वो न आ पाए.
उल्फ़त ने बेड पर आते ही इकबाल की लुंगी खींच ली और उससे लिपट गयी.
इकबाल ने उसके मम्मे चूसे.
इतनी देर में उल्फ़त ने इकबाल का लंड मसल मसल कर कुछ खड़ा कर दिया.
हर बार मेहनत उल्फ़त को ही करनी पड़ती थी.
अब भी उल्फ़त नीचे हुई और उसका लंड का टोपा हटाकर चूसने लगी.
खतना किया हुआ लंड बहुत मोटा तो नहीं था इकबाल का, पर उल्फ़त के लिए तो जो था यही था.
इकबाल मिमियाया- धीरे धीरे चूसो, वरना मैं तो यहीं खाली हो जाउंगा.
अब उल्फ़त चढ़ गयी उसके ऊपर और अपने हाथ से लंड अपनी चूत के मुंहाने पर सेट करके लगी उछलने.
पर उल्फ़त को मजा नहीं आ रहा था.
उसके दिमाग में तो मोहसिन का मोटा लंड घूम रहा था.
अगली सुबह इकबाल तो जल्दी ही चला गया.
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लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
वाइफ ऐस्स फिन्गेरिंग स्टोरी का अगला भाग:
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