मुझे चुत के लिए पत्नी की गुलामी करनी पड़ी- 2
(Xxx Bondage Sex Kahani)
Xxx बाँडेज सेक्स कहानी में मेरी पत्नी कराते चैम्पियन थी. मैंने उसका अपमान किया तो उसने मुझे अपना जिस्म छूने भी नहीं दिया. सुहागरात मनाने के लिए मैं उसका पालतू कुत्ता बन गया.
दोस्तो, मैं आपका साथ रतन आपको पंकज की सेक्स कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
मैंने अपनी दुल्हन का अपमान किया तो
में अब तक आपने पढ़ा था कि पंकज की बीवी मालती से उससे कहा कि आज वह उसे जन्मदिन के अवसर पर उपहार देगी.
यह सुनकर पंकज मन ही मन बहुत खुश हुआ कि आज इसकी चुदाई की इच्छा है.
फिर भी वह चुप रहा क्योंकि इतने दिनों में वह अपनी बीवी के स्वभाव से परिचित हो गया था और उसकी पिटाई से डरता भी था.
अब आगे Xxx बाँडेज सेक्स कहानी:
मालती ने पंकज से कहा- आज तुम मेरे पूरे शरीर की मालिश करो.
यह कहकर मालकिन सिर्फ ब्रा पैंटी में पलंग पर पेट के बल लेट गयी.
मैं तेल से मालकिन की पीठ, जांघ, कूल्हों की मालिश करने लगा.
तभी मैं बोला- मालकिन तेल से आपकी ब्रा पैंटी ख़राब हो जाएगी … उतार दूँ?
मालकिन ने ब्रा का हुक खोल दिया और कमर उठाकर मुझे पैंटी उतारने की अनुमति दे दी.
मैं उसकी पैंटी उतार कर उसके गोल और कसे हुए कूल्हों को मालिश कर रहा था.
मालकिन- तुम्हारे कपड़े तेल से ख़राब नहीं होंगे क्या?
मैं समझ गया कि आज उपहार में मालकिन की चूत मिल सकती है.
मैं तुरंत नंगा हो गया.
मालकिन करवट लेकर पीठ के बल लेट गयी.
उसके सुडौल चूचे, उन पर किशमिश जैसे कड़क निप्पल देखकर मेरा लंड खड़ा होकर झटके लेने लगा.
मैं मालकिन के चूचों की मालिश कर रहा था.
मालकिन वासना से भरने लगी और हल्की हल्की कामुक सिसकारियां लेने लगी.
मैं उसकी जांघों की मालिश कर रहा था.
तो मालकिन ने अपने पैर फैला लिए.
उसकी चूत पर बाल नहीं थे.
शायद आज ही साफ़ किए लग रहे थे.
मालकिन ने कनखियों से मेरा खड़ा लंड देखा.
तो उसने मेरे लंड की तरफ इशारा करके कहा- उस पर भी तेल लगाओ और अपनी कुंवारी मालकिन के ऊपर आ जाओ. आज तुम्हारे जन्म दिन का उपहार लेने!
यह कह कर मालकिन ने अपनी चूत खोल दी.
आज से मैंने पहले कभी चुदाई नहीं की थी.
मैं मालकिन के पैरों के बीच आया और चूत में लंड डालने लगा.
मुझे चूत का छेद नहीं मिल रहा था तो मालकिन ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और ‘हुं’ कह कर पेलने का इशारा कर दिया.
मैं चूत में लंड डालने लगा.
मालकिन के चेहरे पर दर्द झलक रहा था.
मैं बहुत जोश में, तो उसके दर्द को भूल कर चूत को जोर जोर से चोदने लगा.
वह दर्द से आह आह कर रही थी.
मैं लगा रहा.
हालांकि उसकी चूत से खू/न नहीं निकला क्योंकि उसकी चूत की झिल्ली कराटे खेलने की वजह से टूट चुकी थी.
मेरी जल्दबाजी का नतीजा यह निकला कि मैं कुछ ही झटकों बाद झड़ गया और शर्मिंदा होकर अपनी मालकिन के ऊपर से उतर गया.
मेरे दोस्त की पत्नी सोनम, जो अब मालती की सहेली बन गयी थी.
उसका नाम लेते हुए मालकिन ने कहा- सोनम ने बताया था कि पहली बार ऐसा हो जाता है. मैं तुम्हारे शरीर की मालिश कर देती हूँ.
उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जाकर लंड चूत धोये.
मैं वापस बिस्तर पर चित लेट गया.
मालकिन मेरे शरीर की मालिश करने लगी.
मालकिन का नंगा बदन देखकर और उसके मस्त रसीले आम हिलते देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मालकिन ने लंड कड़क देखा तो वह मुस्कुरा दी और मेरे बाजू में अपने पांव फैलाकर लेट गयी.
उसने कहा- फिर से कोशिश करो, इस बार धीरे धीरे से करना.
मैं अपनी मालकिन की चूत में लंड पेल कर उसे धीरे धीरे चोदने लगा.
मालकिन को मजा आने लगा तो उसने अपने दोनों पैर आसमान की तरफ उठा दिए और अपनी आधी आंख खोल कर चुदाई का मजा लेने लगी.
मुझे भी उसे चोदने में बेहद मजा आ रहा था.
अचानक मालकिन ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर लिटा लिया और लुढ़क कर मुझे चित लिटा दिया.
इस क्रिया को करते समय मेरा लंड चूत में ही था.
वह अब उछल उछल कर मेरे लंड की सवारी करने लगी और अपने कंठ से ‘आह आह सीई सी.’ करने लगी थी.
मालकिन बहुत जोश में थी; उसके झटके करारे थे.
फिर उसने मेरे दोनों हाथ अपने चूचों पर रखवा कर कहा- दबाओ!
मैं उसके दूध दबाने लगा.
काफी देर बाद उसकी चूत से कामरस निकला, उससे मेरा लंड भीग गया.
मैं भी तेज गति से अपनी गांड उठाते हुए उसे चोदने लगा.
मालकिन मेरे झड़ने तक लंड पर उछलती रही.
उस दिन से मालकिन मेरे बेडरूम में सोने लगी.
अगली शाम मालकिन जब खाना बना रही थी, तो मैं बेडरूम में गुलाम का मूत पीने का वीडियो देखने लगा.
अचानक मालकिन कमरे में आ गई और बोली- हम्म … तो तुम्हें यह अच्छा लगता है क्या? तुम ऐसा करना चाहते हो?
मुझे पता नहीं था कि मालकिन मेरे पीछे खड़ी थी.
मैंने हां में सर हिला दिया.
मालकिन- और क्या अच्छा लगता है?
मैंने गुलाम के कई वीडियो डाउनलोड कर रखे थे, तो एक और वीडियो उसको दिखाया.
उसमें मालकिन गुलाम की सवारी कर रही थी.
मालकिन- बाकी कल से देखेंगे, अभी मैं बाथरूम में जा रही थी, आओ तुम्हें मूत पिलाती हूँ.
तब मालकिन बाथरूम में मुझे ले गई और अपनी मैक्सी कमर तक उठाकर दीवार से पीठ टिकाकर पैर फैलाकर खड़ी हो गयी.
मैं अपने कपड़े उतार कर नीचे स्टूल पर मुँह खोलकर बैठ गया.
मालकिन ने मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह चूत में मूतने वाली जगह लगा दिया.
वह मूतने लगी, मैं पीने लगा.
मूतते समय चूत से सीटी जैसी आवाज़ आ रही थी, मुझे बहुत मजा आया.
मालकिन- अब तुम नहा लो. जब तक मैं बाजार जा रही हूँ.
मैंने ओके कह दिया और नहाने लगा.
थोड़ी देर बाद वह वापस आयी, उसके थैले में कुछ सामान था.
हम दोनों ने खाना खाया, मैंने बर्तन धोए.
एक घंटे बाद:
मालकिन- तुम घोड़े बनकर पलंग पर खड़े हो जाओ. सवारी करने से पहले मैं घोड़े को ट्रेंड करूंगी.
मालकिन ब्रा पैंटी पहनी थी.
उसने थैले से कुत्ते का गले का पट्टा निकाल कर मुझे पहना दिया, पट्टे में रस्सी बांध दी.
अब मालकिन छड़ी हाथ में लेकर बोली- जब मैं मारूँ, तब चलना. जब फिर से मारूँ तो रुक जाना.
मालकिन ने छड़ी मेरे कूल्हे पर मारी.
मैं चलने लगा, उसने फिर से मारी तो मैं रुक गया.
उसने चार बार मुझे चलाया और रुकाया.
‘अब मैं तुम्हारी सवारी करूंगी!’
मालकिन ने चुन्नी मेरे कंधे पर बांधी, उसे लगाम के समान पकड़कर मेरी पीठ पर बैठ गई.
उसके एक हाथ में बेंत था दूसरे हाथ से उसने लगाम पकड़ी थी.
वह मुझे बेंत मारती, मैं चलता … फिर मारने से रुक जाता.
कमरे में लगे बड़े आईने में मैंने देखा मालकिन तन कर बैठकर सवारी कर रही थी.
मुझे मस्ती सूझी, चलते चलते मैं बैठ गया. मालकिन पलंग पर गिर पड़ी
मालकिन- ऐसा क्यों किया … मैं घोड़े को सजा दूंगी.
उसने मेरे गले की रस्सी पलंग पर बांध दी. मैं घोड़े की तरह खड़ा था.
मालकिन छड़ी से मेरे कूल्हों, पीठ पर मारती हुई मुझे पीटने लगी.
मुझे पिटने में मजा आ रहा था.
मालकिन समझ गयी.
उसने मेरी एक गोटी सहलाई और एक चांटा मेरी गोटी पर मारा. मैं तीव्र दर्द से उछल उठा.
इस तरह गोटी पर तीन चांटे के बाद मैं माफ़ी मांगने लगा कि अब नहीं गिराऊंगा.
उसने फिर से मेरी सवारी की.
कुछ देर बाद मालकिन घोड़े से उतर कर नंगी हो गई और घोड़ी के समान खड़ी होकर बोली.
‘मेरे घोड़े, अब घोड़ी को चोदो!’
मैं फर्श पर खड़े होकर मालकिन की कमर पकड़ कर उसकी चूत चोदने लगा.
मालकिन- मुझे रफ़ सेक्स पसन्द है, मेरे बाल लगाम की तरह पकड़ो और मेरे कूल्हों पर चांटे मारते हुए चोदो!
मैंने मालकिन के लम्बे बाल पकड़े, कूल्हों पर चांटे मारकर चोदने लगा.
मालकिन जोश में कमर हिलाकर लंड और अन्दर लेने लगी.
मुझे बहुत मजा आया.
मालकिन बोली- तुमने मुझे खुश कर दिया. चलो तुम्हें मूत पिलाती हूँ.
जब मैंने उसका मूत पिया तो मूत के साथ मालकिन का कामरस और मेरा वीर्य भी मिला हुआ था.
यह बढ़िया कॉकटेल था.
मुझे पीने में स्वादिष्ट लगा.
अगली रात हमने एक और गुलाम वीडियो देखा.
मालकिन ने मुझे नंगा करके नी-पैड पहनाया जो मोटरसाइकिल चलाते समय पहनते हैं.
मेरे गले में पट्टा रस्सी बांधकर पूरे घर में मुझे छड़ी मारते हुए चलाया, कुछ देर मेरे पीठ की सवारी की.
फिर मुझे चित लिटाकर मेरे हाथ फैला कर पलंग पर बांध दिए.
हल्का म्यूजिक लगाकर धीरे धीरे अपने कपड़े उतारे.
वह सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मालकिन ने पंख लगे झाड़न से मेरे बदन को और लंड को सहलाया.
मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपनी चूत में डाला और उछल कर लंड की सवारी करने लगी.
मुझे उसके चूचे दबाने की बहुत इच्छा हो रही थी, पर मेरे हाथ बंधे थे.
मालकिन चूचे मेरे मुँह के पास ले गयी.
मैंने चूचे चूसने की कोशिश की पर चूचे थोड़ी दूर थे.
मालकिन ने मेरे गाल पर थप्पड़ मार कर कहा- मुँह खोलो!
उसने मेरे मुँह के अन्दर थूक दिया.
मैंने थूक पी लिया.
मालकिन ने रुक रुक कर मुझे बहुत देर चोदा.
अगली रात मालकिन ने कहा- मुझे नहलाओ!
मैंने उसके नंगे बदन पर अच्छे से साबुन लगाकर उसे नहलाया, उसका बदन पौंछा.
मालकिन ने मैक्सी पहनी और बाथरूम से बाहर चली गयी.
उसके जाने के बाद मैं नहाकर बड़ी आशा से बाहर आया कि अब चूत मिलेगी.
मालकिन- आज रात मुझे आराम करना है, मुझे छूना मत … नहीं तो सजा मिलेगी.
मालकिन सो गयी, मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं मालकिन के चूचों को सहलाने लगा. मालकिन जाग गयी.
उसने कहा- मैंने मना किया था, तुम माने नहीं अब तुम्हें सजा मिलेगी.
उसने मेरे हाथ पांव फैलाकर पलंग से बांध दिए और सो गयी.
मैं हिल नहीं पा रहा था, किसी तरह थोड़ा सोया.
सुबह जब उसने मुझे खोला तो मेरा बदन अकड़ गया था.
गनीमत थी कि उस दिन छुट्टी थी.
जिस रात मालकिन की इच्छा होती, वह मेरे साथ नया गुलाम वीडियो देखती.
वीडियो देख कर और कुछ अपनी कल्पना करके मालकिन मेरे साथ गुलाम का खेल खेलती.
जिस दिन मालकिन का मूड नहीं होता, मुझे बिना कुछ किए सोना पड़ता.
कुछ खेल जो मालकिन को पसंद आते, उन्हें वह दोहराती.
कभी कभी वह मुझसे भी पूछ लेती कि आज क्या खेलना है.
उसमें से कुछ लिख रहा हूँ.
मालकिन मुझे नंगा कर चित लिटाकर मेरे हाथ पांव पलंग से बांध देती; मेरी आंखों पर काली पट्टी बांध देती और वहां से चली जाती.
मैं इन्तजार करता रहता. मुझे लगता कई घंटे बीत गए.
मालकिन आती तो वह मेरे बदन और लंड गोटी को सहलाती.
मुझे महसूस होता कि वह मेरा लंड चूस रही है.
मैं देखने को बेकरार था, पर आंख बंधी रहती.
एक दिन उसने ऐसा ही किया और उसके कुछ देर बाद वह मेरे लंड की सवारी करने लगी.
मुझसे जितना हो सक रहा था, मैं कमर उछाल रहा था.
मालकिन ने मेरे गाल पर थप्पड़ मारा, तो मैंने मुँह खोल दिया.
उसने थूका तो मैंने थूक पी लिया.
कुछ देर बाद मालकिन झड़ गयी.
कामरस लंड से होते हुए गोटी पर बहने लगा, मैं भी कमर उछालते उछालते झड़ गया.
मैंने देखा था कि मालकिन गर्भ निरोधक पिल्स लेती है.
एक रात मालकिन कमर से नीचे नंगी होकर सोफे के किनारे बैठी.
उसने मुझे कुत्ते की तरह चलकर उसके पास आने को कहा.
मैं गया.
उसने अपने पैर फैला दिए और चूत की तरफ इशारा करके बोली- इसे सूँघो, चाटो चूसो.
मैंने कुत्ते की तरह मालकिन की चूत सूंघी, चाटी.
मालकिन मेरे बाल खींचकर बोली- अब चूसो.
मैं चूत चूसने लगा, वह झड़ गई तो मैंने चूत से निकलता कामरस चाट कर साफ कर दिया.
एक रात मैं बोला- मालकिन कुछ ज्यादा दर्द देने वाला कीजिए!
मालकिन- ओके, नंगे होकर नी-पैड पहनो.
उसने पतली लम्बी रस्सी ले कर मेरी गोटी और लंड के जड़ पर बांध दी.
फिर वह नंगी होकर मेरी पीठ पर रस्सी पकड़ कर बैठ गई.
अब वह बोली- जब मैं रस्सी खींचू, तो चलना … जब फिर से खींचू तो रुक जाना.
जब उसने रस्सी खींची तो मुझे जोर का दर्द हुआ.
मैं चलने लगा.
उसने फिर से रस्सी खींची, तो मैं रुक गया.
पूरे घर में घुमाने के बाद मुझे बेडरूम चलने कहा.
मालकिन ने पीठ से उतर कर मेरी रस्सी खोलकर पूछा- कैसा लगा?
मैं- दर्द बहुत हुआ, पर मजा भी बहुत आया!
मालकिन ने चित लेट कर पैर फैलाए और मुझे उंगली के इशारे से बुलाया- मेरे ऊपर चढ़ जाओ और शुरू हो जाओ.
मैं मिसनरी आसन में मालकिन को चोदने लगा.
उसके चूचे मस्त हिल रहे थे.
मालकिन- मेरे चूचे दबाओ, निप्पल मरोड़ो!
मैं थोड़ी देर चोदता, रूककर चूचे दबाता निप्पल मरोड़ता और वापस चोदने लगता.
कुछ देर बाद मालकिन मेरे कूल्हे पर चांटा मारकर कहने लगी- और जोर से.
उसके हर चांटे के साथ मुझे और जोश आता और मेरी गति बढ़ जाती.
मालकिन कमर उछाल रही थी.
हम दोनों करीब साथ साथ झड़े.
मालकिन कभी कभी मुझे उनकी कराटे क्लास ले जाती.
उधर वह मुझसे कहती कि महिला छात्रा को पकड़ कर काबू में करो … और छात्रा से बचने को कहती.
अक्सर छात्राएं दांव लगाकर मुझसे छूट जातीं.
मैंने उन्हें पकड़ने के समय कभी गलत जगह जैसे चूचे चूत पर हाथ नहीं डाला, मालकिन ने यह देखा.
मैं हर महिला से इज्जत से पेश आता.
मेरी पहले वाली अकड़ कि पुरुष जो मर्जी हो, कर सकता … निकल गयी थी.
मुझे मालकिन की गुलामी करते 5 महीने हो गए थे.
मालकिन के माता-पिता हमारे घर आने वाले थे.
हमने घर को और साफ सुथरा किया, सजाया.
मालकिन ने मुझे चेताया- माँ पिताजी के सामने मुझे तुम कहना, मेरे नाम मालती से बुलाना, भूलकर भी मालकिन नहीं कहना!
मालती के माता पिता हमारा घर और हमें खुश देखकर खुश हो गए.
उन्होंने मुझे माफ़ कर दिया.
उनके जाने के बाद.
उस दिन इतवार था.
मालकिन सुबह किचन में नाश्ता बना रही थी, वह खुश थी.
मैं किचन में गया.
मालकिन मेरे होंठ बेतहाशा चूमने लगी.
यह हमारी पहली चुम्मी थी.
मुझे बहुत अच्छा लगा.
मालकिन ने मुझे कसकर आलिंगन में ले लिया, मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखा.
यह हमारा पहला आलिंगन था, मुझे बड़ा सकून मिल रहा था.
मालकिन- आज से तुम मेरे गुलाम नहीं हो, मुझे नाम से पुकारो. मुझे आप नहीं तुम कहो!
मैं- मालती तुम कितनी अच्छी हो, मेरी गलती माफ़ कर दी. पर सेक्स के समय मुझे पीटना और दर्द देना बंद मत करना! मुझे गुलाम के खेल में मजा आता है.
वह हंस दी.
फिर नाश्ते के समय.
मालती- पंकज तुम्हारी कोई फतांसी हो तो मुझे बाताओ, उसे पूरा करने की कोशिश करूंगी. तुम्हें तो पता है मुझे रफ़ सेक्स अच्छा लगता है.
मैंने अपनी फंतासी बतायी.
मेरी फतांसी मालती ने पूरी की. उसमें से कुछ लिख रहा हूँ.
हमने यह सब बहुत बार किया.
पहली फंतासी- मालती बकरी बनकर पलंग पर खड़ी होती, मैं उसके गले में पट्टा बांधता, पट्टे में लगी रस्सी पलंग पर बांध देता.
फिर मैं धोती बनियान सर पर गमछे की पगड़ी पहनकर ग्वाला बनता और कटोरी मालती के स्तनों के नीचे रखकर मालती के सुडौल कूल्हों पर हाथ फिराकर बोलता.
‘बकरी दूध देने को तैयार हो?’
मालती सर हिलाकर हां कहती.
कभी कभी मालती बकरी दूध देने से सर हिलाकर मना करने का नाटक करती.
उस वक्त मैं बकरी के कूल्हों पर चांटे मारकर उससे हां कहलवाता.
मैं मालती के स्तन सहलाता, फिर निप्पल खींचकर दूध निकालता.
मालती सिसकारी लेने लगती.
उसकी चूत से रस निकलने लगता.
कुछ देर बाद मालती बोलती- मेरे बकरे मेरे ऊपर चढ़ जाओ, अब रहा नहीं जा रहा!
मैं बकरे जैसी आवाज़ निकालता, मालती के बाल पकड़ कर पीछे से चूत चोदता, उसके कूल्हों पर चांटे मारता.
मालती बकरी बनी हुई अपनी कमर हिलाकर लंड और अन्दर ले लेती.
दूसरी फंतासी- मालती मेरा लंड चूसती, मैं उसका सर पकड़कर लंड गले तक डाल कर मुँह चोदता. जब वह साँस लेने को छटपटाती, तब लंड थोड़ा बाहर निकलता, फिर मुँह चोदने लगता. मेरे झड़ने पर वह मेरे वीर्य को पी जाती.
कभी हम दोनों 69 पोजीशन में एक दूसरे के लंड चूत चूसते और एक दूसरे का कामरस पी जाते.
तीसरी फंतासी- हम साथ नहाने के पहले एक दूसरे को मूत्र स्नान कराते, मूत्र पीते
जब हमारी इच्छा होती, मैं मालती का गुलाम होने का खेल खेलता.
मालती मेरी लंड गोटी की जड़ पर रस्सी बांधकर मेरी पीठ की सवारी करती, रस्सी खींचने पर पीड़ा का मजा लेता.
मैं मालती के पांव चाटता.
जब मैं मालती को मिसनरी आसन में चोदता, वह कमर उछालती.
मालती के सुझाव पर मैं उसके गालों पर हल्के चांटे मारता, उसके चूचे निर्ममता से दबाता, निप्पल मरोड़ता.
इससे मालती को और जोश आता.
हम दोनों सम्भोग के समय काफी चीखते.
जब मालती लंड की सवारी करती, वह मेरे पुरुष निप्पल मरोड़ती, गाल पर थप्पड़ मारती.
मैं मुँह खोलता तो वह मेरे मुँह में थूक देती और मैं उसका थूक पी जाता.
फिर इतनी तीव्रता से सम्भोग होता कि उस समय पलंग हिलने लगता.
हमने दोनों ने बेडरूम के अलावा किचन, ड्राइंग रूम में भी सम्भोग किया.
वीडियो और कामसूत्र किताब देखकर नए नए आसन आजमाए.
मालती को आए एक साल हो गया था.
उस वक्त मेरे छोटे भाई की शादी तय हुई.
मैंने दस दिन की छुट्टी ली.
हम दोनों भाई की शादी में घर आ गए.
मालती ने माँ के साथ शॉपिंग की, शादी में आए रिश्तेदारों की मैंने और मालती ने देखभाल की.
सभी रिश्तेदार मालती से बहुत खुश थे.
शादी के माहौल में मैं मालती से अकेले मिल नहीं पाता, वह रात को अन्य महिलाओं के साथ सोती.
मौका मिलने पर मैं मालती के कूल्हों पर हल्की चपत मारता.
भाई की शादी के बाद हम अपने सरकारी मकान वापस गए, तब शाम हो रही थी.
मालती खाना साथ लायी थी.
हमने दस दिन से सेक्स नहीं किया था.
फ्रेश होने के बाद हम बेडरूम में एक दूसरे को चूमने लगे, होंठ चूसने लगे.
एक दूसरे के कपड़े उतार दिए, मैं मालती के ऊपर चढ़कर उसे चोदने लगा.
कुछ देर बाद मालती मेरे लंड की सवारी करने लगी.
हम बहुत जोश में थे, घमासान सम्भोग कर रहे थे.
उस दिन पलंग हिलते हिलते टूट गया. तो धड़ाम की आवाज़ हुई. हम दोनों ने टूटे पलंग से उतर कर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नंगे ही भागकर दूसरे बेडरूम के पलंग पर सम्भोग पूरा किया.
उस रात हमने 3 बार सम्भोग किया और नंगे ही सो गए.
दूसरे दिन सुबह मालती ने पड़ोसी भाभी को फ़ोन किया कि भाभी हम आ गए.
भाभी बोली- हां काफी रात तक तुम्हारे घर से आवाज़ आ रही थी, धड़ाम की आवाज़ भी सुनी.
मालती जोश में बोल गयी कि अरे वह रात में पलंग टूट गया.
फिर वह यह बोलकर शर्माने लगी.
हमने पहले से बड़ा और मजबूत पलंग खरीदा.
हम तीन साल से यौन क्रीड़ा का मजा ले रहे हैं. अब बच्चे के बारे में सोच रहे हैं.
आपको यह Xxx बाँडेज सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर लिखें.
मुझे मेल भेजते समय कहानी का नाम अवश्य लिखें.
मैंने अनेक कहानियां लिखी हैं, तो संदर्भ देने से जबाव लिखने में आसानी होगी.
आपका रतन दत्त
[email protected]
What did you think of this story
Comments