हर चूत पर लिखा है किसी लंड का नाम- 4
(Bada Lund Mila Aashiq Ka)
बड़ा लंड मिला पुराने आशिक का तो चूत को तसल्ली हुई, संतुष्टि हुई. शौहर को तो चुदाई में रूचि ही नहीं थी तो बीवी ने अपनी बहन के शौहर के लंड का मजा लिया.
कहानी के तीसरे भाग
दुल्हन की गांड में उंगली
में आपने पढ़ा कि गोवा में हनीमून मनाने के बाद घर आये तो रात को शौहर ने फिर सेक्स करना चाहा. बीवी ने उसकी इच्छा का मान रखते हुए उसे चुदाई करने दी पर शौहर ने बीवी की गांड में उंगली घुसा दी.
अब आगे बड़ा लंड मिला पुराने आशिक का:
उल्फ़त ने नाईटी पहनी और ऊपर फायज़ा के फ्लैट की घंटी बजाई.
मोहसिन ने आँख मलते हुए दरवाजा खोला और उल्फ़त को देख कर सलाम किया.
उल्फ़त बोली- चाय पीनी हो तो नीचे आ जाइये.
मोहसिन बोला- मुझे निकलना है तो बस थोड़ी देर में तैयार होकर आता हूँ.
बरमुडा से उसका लंड की मोटाई झलक रही थी.
नीचे आकर उल्फ़त ने नाश्ता बनाया.
मोहसिन आ गया था.
दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए.
उल्फ़त ने ज्यादा ढील नहीं दी; उसने अपने जज्बातों पर काबू रखा.
उसके दिमाग में प्लानिंग चल रही थी.
नाश्ता कराकर उसने मोहसिन को मुस्कुराते हुए विदा किया और ये कह दिया- रात को जल्दी आ जाना, डिनर साथ करेंगे.
दिन में उल्फ़त ब्यूटी पार्लर गयी.
आज उसने अपने जिस्म के साथ मेहनत की; चूत भी चिकनी कर ली.
उसे मालूम था कि आज आग और फूस साथ साथ रहेंगे. आग कब भड़क जाए पता नहीं.
हालाँकि उल्फ़त ऐसी लड़की नहीं थी.
शादी से पहले मोहसिन ने बार बार कोशिश की थी उसके नजदीक आने की, पर उल्फ़त ने हमेशा अपनी आबरू को महफूज़ रखा.
पर इकबाल से शादी के बाद और उसके सेक्स को लेकर ढीले रवैय्ये से उल्फ़त के अरमान बिखर गए और अब वो इकबाल का हक़ दूसरे को देने के लिए भी तैयार थी.
रात को मोहसिन 7 बजे करीब आ गया.
उल्फ़त ने डिनर बना लिया था.
उल्फ़त ने उससे कहा कि फ्रेश होकर वो आ जाए.
मोहसिन ने कहा- अगर उल्फ़त चाहे तो वो अपनी प्लेट ऊपर ले जाए ताकि उल्फ़त आराम से अपना काम निबटा सके.
उल्फ़त ने भी कातिल मुस्कुराहट से कहा- अगर नीचे आने से इतना ही डर है तो फिर तो जोमाटो से ही मंगा लेते. और हाँ, ज़रा ढंग से नहाकर आना. ये शेव भी बढ़ रही है, शेव करके आना.
कहकर वो मुस्कुरा दी और दरवाजा बंद कर दिया.
उसे मालूम था कि मोहसिन का तना हुआ लंड उसे नीचे लाकर रहेगा.
मोहसिन कुछ कंफ्यूज था.
एक तो उसका मूड उखड़ा हुआ था कि अब रात को हाथ से काम चलाना पड़ेगा और दूसरे आज उसे उल्फ़त फायज़ा से हजार गुनी खूबसूरत नजर आ रही थी.
आखिर उसका पुरानी मोहब्बत जो थी.
मोहसिन ने ऊपर नीचे पूरी शेव की और नहाकर लुंगी और कुर्ता पहन कर नीचे आ गया.
वो उल्फ़त के लिए एक महंगा परफ्यूम खरीद कर लाया था.
नीचे उल्फ़त भी नहा ली थी और उसने नाईट सूट डाल लिया था.
हल्का सा मेक अप भी किया था.
मोहसिन ने उसे परफ्यूम गिफ्ट किया.
उल्फ़त ने मुस्कुराते हुए उससे कहा- इसकी क्या जरूरत थी.
मोहसिन ने परफ्यूम की शीशी से उसकी गर्दन के पीछे हल्का सा स्प्रे किया.
उल्फ़त महक गयी.
उसने मोहसिन से पूछा की डिनर लोगे या पहले कुछ और. मैंने तुम्हारी पसंद की बियर मंगा रखी है.
मोहसिन की बांछें खिल गयीं. जब से उसका निकाह हुआ है, उसने बियर पी नहीं थी क्योंकि फायज़ा को ये सब पसंद नहीं था.
उल्फ़त ने केन निकाल ली फ्रिज से.
मोहसिन बोला- तुम नहीं लोगी?
उल्फ़त बोली- मैं सॉफ्ट ड्रिंक लूंगी.
दोनों अपनी अपनी केन लेकर सोफे पर बैठ गए.
मोहसिन सामने अलग सोफे पर बैठा.
बातचीत का दौर शुरू हुआ.
मोहसिन ने अपनी और फायज़ा की परेशानियों का जिक्र शुरू कर दिया और यहाँ तक कह दिया कि वो घुट घुटकर जी रहा है. ऐसा कब तक चलेगा.
उल्फ़त उठी और मोहसिन के बगल में बैठ गयी और बोली- यही हाल मेरा भी है. इकबाल को तो बस अपने काम के अलावा कुछ सूझता ही नहीं. उसे मेरी भावनाओं की कोई कदर नहीं. इसीलिए मैं बच्चे नहीं कर रही. अब औरत हूँ तो इससे ज्यादा कुछ और कर भी तो नहीं सकती. एक बार ज्यादा कहासुनी हो गयी तो इकबाल बोले कि तुम चाहो तो मैं तुम्हें तलाक दे दूं. ताकि तुम अपनी मर्जी के इंसान से निकाह कर सको.
कहते कहते उल्फ़त मोहसिन के कंधे पर सर रखकर रोने लगी.
मोहसिन ने उसे अपनी बाहों के घेरे में लिया और ढाढस बंधाने लगा.
उल्फ़त को बहुत अरसे बाद इतनी बलिष्ठ बाहों का सहारा मिला था.
वो और नजदीक हो गयी.
उसने सर ऊपर किया तो अचानक मोहसिन ने उसे होंठों पर चूम लिया.
अब क्या था, सैलाब फूट गया.
दोनों आपस में ताबड़ तोड़ चूमने लगे.
थोड़ी देर में उल्फ़त को होश आया तो उसने अपने को अलग किया और उठते हुए बोली- खाना लगाती हूँ.
डिनर लेते वक्त दोनों खामोश थे.
डिनर के बाद मोहसिन बोला- चलता हूँ.
उल्फ़त बोली- अभी से नींद तो आएगी नहीं. थोड़ी देर रुक जाओ. फिर चले जाना.
दोनों बेड पर आकर बैठ गए. दोनों चुप थे.
बाहर मौसम खराब था; बादल जोर से गरज रहे थे.
अचानक तेज बारिश होनी शुरू हो गयी.
जैसा की अक्सर होता है कि बारिश आंधी आते ही लाइट चली जाती है.
लाइट चली गयी.
बाहर बरामदे में इनवेटर के लाइट की रोशनी आ रही थी.
कमरे में इन्वेर्टर से दूसरी लाइट थी.
उल्फ़त उसे जलाने को उठी तो मोहसिन ने हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी ओर खींचा.
उल्फ़त सीधे मोहसिन की बाहों में आ गिरी.
दोनों के होंठ फिर मिल गए.
अब दोनों के जिस्म मचल उठे.
उनके पुराने अरमान जग गए.
मोहसिन फुसफुसाया- उल्फ़त, मेरी हो जाओ. मैं बहुत तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए.
उल्फ़त की आवाज नहीं निकल रही थी.
उसने भी सुबकते हुए कहा- मेरा मन तो तुम्हारा ही है. पर इस जिस्म का क्या करूं जिस पर कुदरत ने इकबाल का नाम लिख दिया.
मोहसिन बोला- इस नाम को आज रात के लिये अपने जहाँ से हटा दो. आओ आज हम एक हो जाएँ. जो काम पहले अधूरा रह गया था उसे आज अंजाम दे दें.
उल्फ़त सहमी- नहीं मोहसिन, ये बेवफाई होगी.
मोहसिन बोला- मानता हूँ. पर जो हमारे पार्टनर्स हमारे साथ कर रहे हैं, क्या वो ठीक है? हम कब तक इस रिश्ते को ढो पायेंगे. कब तक हम अपने अरमानों को कुचलेंगे.
अब उल्फ़त कस के लिपट गयी मोहसिन से!
मोहसिन ने उसके नाईट शर्ट के बटन खोलने शुरू किये.
उल्फ़त ने उसका हाथ रोक लिया और बोली- नहीं मोहसिन, ये सब नहीं.
मोहसिन बोला- रोक सको अपने को तो रोक लो. एक बार इससे पूछो और कहकर उसने उल्फ़त का हाथ अपने लंड पर रख दिया.
उल्फ़त के हाथ में मूसल जैसा मोटा तना हुआ लंड था.
उल्फ़त ने पहले तो कस के उसे पकड़ा, फिर झटक दिया अपना हाथ.
इतनी देर में मोहसिन ने उसके लोअर के अंदर हाथ डाल कर उसकी फांकों के अंदर उंगली कर दी, जहां पानी बह रहा था.
उल्फ़त कसमसा गई.
अब तूफ़ान रुकना मुश्कित था.
दोनों के कपड़े प्याज के छिलके की तरह उतर गए.
दो जिस्म एक होने के लिए लिपट गए.
दोनों एक दूसरे को कस के भींच रहे थे की कहीं कोई अलग न कर दे.
मोहसिन को कब से दीवाना था उल्फ़त के मांसल मम्मों का.
वो उन्हें दबाने और चूसने लगा.
उसके दांत भी उसकी निप्पल से टकरा रहे थे.
मोहसिन तो बच्चों की तरह मचल रहा था और मसल रहा था मम्मों को बारी बारी से.
उल्फ़त ने गहरी सांस लेते हुए कहा- आराम से करो. कहीं भागी नहीं जा रही.
कहना तो वो ये चाह रही थी कि और जोर से मसलो और खा जाओ इन्हें.
मोहसिन नहीं रुका तो उल्फ़त ने भी उसका लंड कस के मसल दिया.
अब मोहसिन की बात समझ में आ गयी.
उसने एक हाथ नीचे किया और उल्फ़त की गुलाबी चूत की फांकों के बीच उंगली घुसा दी.
उल्फ़त कसमसाई और मछली की तरह मचलने लगी, बोली- मुझे चूसना है तुम्हारा.
मोहसिन के तो कान तरस गए थे ये सुनने को.
दोनों 69 हो गये.
मोहसिन ने अपनी उँगलियों से उल्फ़त की चूत की फांकों को चौड़ाया और जीभ पूरी घुसा दी अंदर.
वो पूरी गहराई तक घुसा रहा था जीभ को.
पर उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. कारण उल्फ़त ने उसका लंड अपने होंठों के बीच दबाकर जीभ से ऐसा लपेटा हुआ हुआ था और लोपिपोप की तरह चूस रही थी.
मोहसिन का लंड बहुत मोटा था, उल्फ़त के मुंह में मुश्किल से ही जा रहा था.
आज उल्फ़त का एक संजोया हुआ सुहागरात का सपना पूरा होने जा रहा था.
जिस चुदाई का इंतज़ार वो जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही कर रही थी आज इतने सालों बाद मुकम्मिल होने जा रही थी.
अब दोनों एक दूसरे के अंदर आने को बेचैन थे.
उल्फ़त ने अपने को छुड़ाया और टांगें चौड़ा कर लेट गयी और मोहसिन से मादक आवाज में बोली- आओ और इस मिलन को पूरा कर दो.
मोहसिन ऊपर हुआ और अपना बड़ा लंड सहलाते हुए उल्फ़त की चूत के मुहाने पर रख दिया.
उल्फ़त घबराई हुई थी उसके लंड की मोटाई से.
वह बोली- पहले थोड़ी क्रीम या वेसलीन लगा लो, उधर ड्रेसिंग टेबल पर रखी है और धीरे धीरे घुसाना.
मोहसिन ने वेसलीन उठा कर अपने लंड और उल्फ़त की फांकों पर लगा दी और फिर धीरे से उल्फ़त के ऊपर ऐसे लेट गया कि उसका वजन नाजुक सी उल्फ़त पर न पड़े.
और उसके होंठों से होंठ मिला दिए.
अब होंठों से होंठों का मिलन हुआ तो जीभ आपस में टकराने लगीं.
उल्फ़त के मम्मे मोहसिन की छाती में दबे हुए थे और उसका लंड बार बार उल्फ़त की चूत में दरकने की नाकाम कोशिश कर रहा था.
उल्फ़त ने टांगें सिकोड़ ली थीं जिससे चूत ने भी अपने दरवाजे भिड़ा लिए थे.
आने वाली मस्ती के खुमार में डूबी उल्फ़त ने आँखें बंद कर रखी थीं.
मोहसिन ने उल्फ़त से फुसफुसाकर प्लीज़ कहा.
तो उल्फ़त ने टांगें खोल दीं और अपने हाथ से मोहसिन के लंड को चूत का रास्ता दिखा दिया.
रास्ता साफ़ देख कर बड़ा लंड तेजी से अंदर दरक गया.
उल्फ़त के लिए उसका लंड इकबाल के लंड से ड्योढ़ी मोटाई का था और पूरा मूसल सा तना था.
उल्फ़त की चीख निकल गयी.
पर मोहसिन ने बिना रुके लंड को अँधेरी मखमली गुफा में पूरा उतार दिया और रुक गया.
उल्फ़त तड़प उठी.
उसने कसमसा कर कहा- अब तड़पाओ मत, शुरू करो.
मोहसिन ने ये सुन कर आहिस्ता आहिस्ता लंड को अंदर बाहर करते हुए धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी.
अब उल्फ़त भी नीचे से ऊपर उठने की कोशिश करने लगी.
मोहसिन के धक्के उसकी आग को और भड़का रहे थे.
पता नहीं ऐसी मदमस्त चुदाई का ख्वाब उसके जहन में कब से पल रहा था.
मोहसिन उसके मम्मे मसलता हुआ जोरदार चुदाई कर रहा था.
उल्फ़त ने उससे कहा कि वो ऊपर आना चाहती है.
मोहसिन ने बिना लंड बाहर निकाले पलटी ली और उल्फ़त को ऊपर कर लिया.
अब उल्फ़त ने अपने बालों को लहराते हुए मोहसिन की चौड़ी छाती पर अपने हाथ टिकाये और लगी घुड़सवारी करने.
उसके मुंह से झाग सा निकल रहा था.
वो चुदाई के सांतवें आसमान पर थी.
वह बार बार याल्ला … याल्ला… करती और कहती- आज तो मजा आ गया. मोहसिन तुमने मेरे चुदाई के अरमान पूरे कर दिए. अब एक हफ्ते हम दिन रात चुदाई करेंगे. मुझे और मजा दो.
अब मोहसिन के अरमानों को और पंख मिल गए.
उल्फ़त उसका हसीन ख्वाब थी.
पता नहीं उल्फ़त को ख्यालों में रखकर उसने कितनी बार मुठ मारी थी.
अब उसने उल्फ़त को वापिस नीचे पलटा और फाइनल राउंड लगाते हुए पूरी स्पीड से उसे चोदने लगा.
अब दोनों हांफ रहे थे.
मोहसिन ने एक झटका लगाते हुए सारा माल उल्फ़त की चूत में निकाल दिया और वहीं बगल में लुढ़क गया.
थोड़ा साँस आने पर मोहसिन ने उल्फ़त से पूछा- मैंने अंदर निकाल दिया बिना कंडोम के.
उसे अपनी गलती महसूस हो रही थी.
उल्फ़त ने मुस्कुराते हुए उसे चूम लिया- कोई बात नहीं, मैं तेरे बच्चे की मां बन जाऊंगी.
मोहसिन कंफ्यूज था.
अब उल्फ़त ने उसे कॉपर टी के बारे में बताया.
दोनों उठकर वाश रूम गए और फ्रेश होकर वापिस आये.
मोहसिन कपड़े पहनकर ऊपर जाना चाहता था.
उल्फ़त ने कहा- पूरी बिल्डिंग में मैं और तुम हैं. यहाँ कौन आयेगा. सुबह चले जाना. एक ख्वाब और पूरा कर लूं.
मोहसिन ने आँखों ही आँखों में पूछा- कौन सा?
उल्फ़त बेशर्मी से हंसी- नंगे सोने का.
अब दोनों एक दूसरे के आगोश में चिपट कर सोने की कोशिश करने लगे.
बड़ा लंड कहानी आपको कैसी लगी?
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लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
आशिक का बड़ा लंड कहानी का अगला भाग:
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