मेरी बीवी की दीदी

सभी पाठक और पाठिकाओ को मेरा प्यार। मेरा नाम जे.बी. शर्मा है, मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ। मैं आज आपके लिए मेरे जीवन की एक सेक्सी कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ,
यह मेरे जीवन की सच्ची कहानी है।

मेरी एक साली है सीमा (नाम बदला हुआ है), जो मुझसे उम्र में कुछ महीने बड़ी है। जब मेरी शादी हुई थी, तब मैं उसे दीदी कहता था क्योंकि मेरी बीवी भी उसको दीदी कहती है।

लेकिन वह एक गजब का माल है, उसका फिगर बहुत अच्छा तो नहीं है लेकिन उसकी सूरत बहुत सेक्सी है और उसी से मेरे दिल में उसको चोदने का ख्याल आ गया। तब से मैंने उसको दीदी बोलना छोड़ दिया और उसको नाम से बुलाने लगा।

उसके शरीर का वर्णन तो करना ही पड़ेगा, वह थोड़ी मोटी है, उसके चूतड़ भी थोड़े ज्यादा बड़े हैं लेकिन उसके बूब्स छोटे हैं पर मस्त साइज़ के हैं।

यह किस्सा तब हुआ जब मैं उनके घर अकेले गया हुआ था एक ही दिन के लिए। दिन में उसका पति ऑफिस में और बेटी स्कूल गए तो मैंने एक योजना बनाई।

वैसे मैं आपको बता दूँ कि मैं एक आम इंसान हूँ और मेरा लंड भी 6″ है कोई 8-10″ का चूत फाड़ू लण्ड नहीं है,
लेकिन मैं इसका इस्तेमाल करना बहुत खूब जानता हूँ।

तो जैसे ही उसका पति ऑफिस गया, मैं नहाने चला गया और अपने कपड़े बाहर ही छोड़ दिए, सिर्फ तौलिया लेकर चला गया जिससे कोई शक न हो। उनके घर में दो बाथरूम हैं, एक बेडरूम में और एक बाहर ! बाहर वाला पैसेज में है लेकिन मैं अन्दर वाले में गया।

मैं जब नहा कर निकला तो थोड़ी देर बेडरूम में ही रुका रहा और सीमा के आने का इंतज़ार करने लगा।

मुझे ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और वो कुछ सामान लेने बेडरूम की तरफ आई। उसकी आहट से अंदाजा लगा कर मैं जल्दी में बेडरूम से निकला। मैंने तौलिया लपेटा था और अन्दर कुछ नहीं पहना था। जैसे ही वो मेरे सामने आई, मैं उससे टकरा गया और एक हाथ से तौलिया नीचे गिरा दिया।

यह देख कर उसकी चीख निकल गई, लेकिन मैंने तुरंत उसको बाहों में ले लिया और बोला कि मैं जब तक तौलिया नहीं उठाता, वो मुझ से चिपकी रहे जिससे उसे कुछ न दिखे।लेकिन साँसें तो उसकी भी फूल गई थी, वो कुछ नहीं बोली। मैं धीरे धीरे नीचे बैठने लगा और ऐसा कर समय मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पर सरक रहे थे। मैं नीचे जाते हुए उसकी गर्दन के पास रुका और अपनी गरम साँसें छोड़ी, वो थोड़े सिहर गई, उसके रोंगटे मैं साफ़ देख पा रहा था।

फिर मैंने अपने होंठ उसके कानों के पास लगाये और वो थोड़ा हिल गई लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं उसका चेहरा तो नहीं देख पा रहा था लेकिन मुझे पूरा एहसास था कि वो आँखें बंद करके खड़ी है। फिर मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और उसके एक मम्मे के पास से धीरे धीरे सरक रहा था। उसकी अब साँसें तेज हो रही थी और मेरा निशाना ठीक लग रहा था।

जैसे ही मैं उसके मम्मे के सामने आया तो मैंने देखा कि उसकी चूची खड़ी है, तो मैं समझ गया कि काम हो रहा है। उसने सलवार कमीज पहन रखी थी और उसका कपड़ा भी पतला था। मैंने उसकी चूची पर से जाते हुए उसे धीरे से छू लिया, उसके बदन में एक लहर दौड़ गई जो मैंने अपने हाथों में महसूस की। फ़िर मैं और आगे बढ़ा और उसके पेट को अपने होंठ और नाक से गुदगुदाते हुए नीचे जा रहा था और साथ ही साथ मैंने उसकी पीठ पर अब धीरे से दबाव बढ़ा दिया था। फिर मैंने हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और धीरे से दबा दिया। मैं उसकी गांड में हलचल महसूस कर रहा था। फिर मैं धीरे धीरे हाथ उसकी जांघों के पीछे वाले भाग तो सहलाते हुए नीचे ले गया। और तभी मैंने ऊपर देखा तो वो मुझे ही देख रही थी और उसके चेहरे पर वासना झलकने लगी थी।

मैंने तौलिया उठाया और फिर धीरे धीरे ऊपर उठा, लेकिन इस बार उसकी आँखों से आँखें मिलाते हुए !

ऊपर जाते समय भी मैंने उसके निप्प्ल पर होंठ रगड़ दिए। इधर मेरा शैतान पूरा खड़ा हो चुका था और उठते वक़्त उसकी कमीज ऊपर उठाता चला गया और उसकी टांगों के बीच में फंस गया। मैं ऐसे ही एक मिनट खड़ा रहा, फिर उसके होठों पे होंठ रख दिए। वो पहले तो कुछ नहीं बोली फिर एकदम से दूर होकर बोली- यह ठीक नहीं है, हमें यह सब नहीं करना चाहिए..

ऐसे तो हर लड़की बोलती है, मैं कहाँ रुकने वाला था,
मैंने आगे बढ़ कर उसको कमर से पकड़ लिया और कहा- तुम मेरी आधी घरवाली तो हो ही, अब क्या शरमाना !

और फिर से उसके होंठ चूसने लगा।

इस बार वो ज्यादा विरोध नहीं कर पाई और फिर उसने भी साथ देना शुरू कर दिया। फिर क्या था, मैंने उसको पकड़ कर बेड पर बैठा दिया और उसके होंठ गर्दन और चेहरे पर चूमना चालू कर दिया।

फिर मैंने उसके कपरे उतार कर उसको ब्रा और पैंटी में कर दिया। मैं तो पूरा नंगा था ही। फिर धीरे धीरे उसके पीठ पर सहला कर उसके शरीर में लहरें पैदा करने लगा, उसकी पीठ पर बीच में चूम लेता तो उसको कर्रेंट जैसा लगता और वो मचल जाती।

फिर मैंने उसको उल्टा लेटा कर उसकी ब्रा खोल दी और पूरी पीठ पर चूमना और चाटना चालू कर दिया जिससे वह मचल रही थी। बीच में से मैं एक हाथ उसकी जांघों पर भी घुमा देता और अपने नाखूनों से खरोंचता, जिससे उसके शरीर में सिहरने बंद ही न हो रही थी।
फिर अचानक मैंने एक हाथ से उसका एक मम्मा पकड़ लिया, इस अचानक हमले से वो पागल हो उठी और बोली- अब और कितना तरसाओगे?

मैंने कहा- जान, बस तुम मजा लो, मैं तुम्हें जन्नत की सैर करवा दूँगा।

फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी गांड सहलाने और नोचने लगा। थोड़ी देर यह सब करने के बाद मैंने उसको सीधा किया और उसके सारे कपड़े उतार दिए।
फिर उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने लण्ड पर रख दिया, तो वो भी उसको धीरे धीरे सहलाने लगी। मैं अब उसके पैरों के तरफ से उसके ऊपर हाथ फिराने लगा लेकिन इस बात का ध्यान रख कर कि चूत को हाथ न लगे। फिर धीरे से मैंने अपना मुँह उसके एक निप्पल पर रख दिया। उसकी सांस तो जैसे अटक ही गई और मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।

फिर धीरे से मैंने अपनी जीभ उसके निप्पल पर लगाई और चाटने-चूसने लगा। थोड़ी देर दोनों मम्मों को चाटता चूसता रहा। बीच में उसकी पेट को भी चाट लेता। इस समय मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूत पर घूमना चालू किया, एकदम चिकनी चूत थी, एक भी बाल नहीं, मुझे ऐसी ही चूत पसंद है।

फिर मैंने उसकी टाँगें खोली और हाथ से उसकी चूत को दबा दिया, उसकी तो हालत ख़राब हो रही थी, जैसे ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, मुझे उसकी चूत का रस हाथ में लगा, उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। फिर मैंने ज्यादा वक़्त न बर्बाद करते हुए उसके पेट पर जीभ से गुदगुदी करना चालू कर दिया और अचानक जीभ उसकी चूत पर लगा दी।उसको तो जैसे कर्रेंट ही लग गया, वह एकदम उछल पड़ी। मैंने उसकी चूत ऊपर से थोड़ी देर चूसी.. दोनों पंखुड़ियाँ चूस चूस कर चूत फुला दी, फिर अपनी जीभ उसकी चूत में प्रवेश करवा दी। यह तो उसके लिए जन्नत की सैर थी, वह मुँह से सिसकारियाँ लेने लगी और गांड उठा उठा कर चटवाने लगी। उसकी चूत का स्वाद तो गजब था, और वो लगातार पानी छोड़ रही थी। मुझे चूत रस पीना बहुत अच्छा लगता है।

फिर मैंने उसके दाने पर जीभ लगाई तो वो एक मिनट में झड़ गई और मैं सारा पानी चाट गया। उसकी चूत इतनी संवेदनशील हो गई थी कि वो मुझे हाथ भी नहीं लगाने दे रही थी।
फिर उसने मेरा लण्ड चूसना चालू कर दिया, वो तो ऐसे टूट पड़ी कि कई दिनों से भूखी हो।

थोड़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और उसको फिर से तैयार करने लगा। थोड़ी देर में वो फिर से तैयार थी। इस बार मैंने फिर से थोड़ी देर उसकी चूत चाटी और अपना लण्ड उसकी बुर पर रगड़ने लगा। वो बोली- अब और न तरसाओ, जल्दी से डाल दो।

मैंने कहा- जल्दी क्या है रानी, पूरा मजा लेंगे ! फिर कब मौका लगे पता नहीं !

फिर थोड़ी देर में मैंने उसके छेद पर लण्ड रख कर थोड़ा से अन्दर डाला जिससे उसकी चीख निकल गई, दर्द से नहीं मजे से ! और फिर मैंने आधा लण्ड अन्दर डाल दिया और वहीं रुक गया। फिर उसको मैंने बाहर खीचा और एक ही झटके में पूरा अन्दर डाल दिया।
उसकी फिर से चीख निकल गई क्योंकि अब लण्ड पूरा अन्दर तक उसको मज़ा दे रहा था, उसकी प्यास बुझा रहा था।

फिर मैंने झुक कर उसके होंठ चूसना चालू किया और धीर धीरे लंड को हरकत दी। उसकी तो फिर से हालत ख़राब हो गई। मैंने उसको बहुत मजे दे और लेकर चोदा। उसकी चूत तो नहर बन गई थी और पानी पे पानी छोड़ रही थी। मेरा पूरा लंड भीग गया था और झांटें भी गीली हो गई थी। इसका वैसे मज़ा ही कुछ और है।

मैंने उसको करीब 15 मिनट चोदा, इस दौरान वो फिर से झड़ गई थी और अब मेरी बारी थी। मेरा लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और वीर्य उफान पर था, फिर मैंने उसको जोर से धक्के लगाना चालू किया और पूछा- कहाँ निकालूँ?

तो वो बोली- पीना है, मुँह में निकालो।

तो मैंने कहा- तैयार रहो !

और फिर कुछ तेज झटके मार के लंड उसके मुँह में दे दिया। जैसे ही उसने चूसा मेरा सार माल निकल गया, मैंने 4-5 पिचकारियाँ मारी और वह सारा पी गई, ऐसा लगा कि कुछ निकला ही नहीं, उसका मुख एकदम साफ़ था और मेरा लौड़ा भी।

फिर हम एक दूसरे से चिपक कर पड़े रहे और मैं उसके बदन से खेलता रहा।

तो दोस्तो, कैसे लगी मेरी कहानी? मैं अपनी कहानी पहली बार लिख रहा हूँ, कृपया अपने सुझाव दें, मुझे ईमेल जरूर करें।

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