पिंकी और सोनिया के बाद-1

(Pinki Aur Soniya Ke Baad- Part 1)

वरिंदर 2008-12-29 Comments

गुरुजी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने पहले पिंकी को चोदने की,

मेरी साली पिंकी

फिर उसकी बेटी सोनिया को चोदने की

पिंकी की बेटी सोनिया

मेरी सच्ची कहानी सब के सामने रखी।

मेरा साली-प्रेम कुछ ज्यादा है, तो मैं हाज़िर हूँ लगे हाथ छोटी साली की चुदाई की खानी लेकर !

जब वो भारत आई तो मैं उसे हवाई अड्डे लेने गया। काफी समय बाद मैं उसको देख रहा था, उसका भरा-भरा जिस्म, गोल-मोल गज़ब की गाण्ड, खुले हुए बाल ! ऐसी औरत को कौन मर्द इतने-इतने दिन ना चोदे? हाय मेरा तो लौड़ा जींस फाड़ने को उतारू हो रहा था। जब वो लहराती हुई, मटकती हुई आउटर से बाहर आ रही थी मेरी तरफ हाथ लहराती हुई- जीजू कह वो मेरे से लिपट गई।

मेरा गोपाल तो पहले से ही अकड़ा पड़ा था, ऊपर से उसने गले लगा लिया। उसने कसा हुआ टॉप पहना था, उसकी पहाड़ जैसी छाती जब मेरे चौड़े सीने से लगी तो मैंने भी उसको कस लिया। उसकी टॉप नाभि तक थी, मैंने उसकी पीठ को सहला दिया तो वो एकदम से कांप गई।

क्या हुआ साली साहिबा?

वो हड़बड़ाई, बोली- अकेले आये हैं क्या?

इतने सारे लोग लेकर दिल्ली आता क्या? वैसे क्या मस्त दिख रही हो?

सच में?

और क्या झूठ कह रहा हूँ?

मुझे मालूम था कि उसका मर्द उसको कम चोदता है। वैसे मुझे उम्मीद थी कि वो बाहर ज़रूर ठुकाई करवाती होगी। मैं भी कितना भाग्यशाली था, दोनों सालियाँ एक से बढ़कर एक ! दोनों के मर्द ना किसी काम के ! ऊपर से सोनिया डार्लिंग, जिसको उसकी माँ ने यहाँ सुधरने भेजा है, उसकी फुद्दी का इस जाट ने कबाड़ा बना दिया था, लगभग रोज़ मेरा मूसल अपनी फुद्दी में लेती थी। मेरी तो अब तक पांचों घी में और सर कढ़ाई में था।

बोली- जीजू रात कितनी है ! इस वक़्त कहाँ ड्राईव करोगे, किसी होटल में रुक लेते हैं, सुबह निकल लेंगे।

यहाँ होटल में रुकना भी आजकल कौन सा आसान है?

तो क्या हुआ? हम शादी शुदा हैं किसी को क्या मालूम?

मुझे लगता था वो मुझ पर पूरी लट्टू थी, मुझे भी उसकी और मोना की बात याद आ रही थी जो मैंने दूसरे फ़ोन से सुना था कि उसका खसम उसको मुश्किल से चोदता है।

हाँ हाँ ! क्यूँ नहीं? होटल वालों को क्या मालूम चलेगा? वैसे भी साली आधी घरवाली कहलाती है ! तुम तो हसीन हो, वैसे इस ड्रेस में पटाखा लग रही हो ! दिल तो रुकने का है !

अच्छा जीजा जी? उसने बड़ी अदा से देखा था।

मैंने एक बात सोच ली थी कि अगर मौका आज ही मिल गया तो मैं हाथ साफ़ कर लूँगा। वो सामान उठाने मेरे करीब आई तो मुझे दारू या बियर की गन्ध उससे आई क्यूंकि मैंने अभी पी नहीं थी।

मैं एक नंबर का दारूबाज़ था, हर शराब की महक मेरी नथुनों में रची है।

लगता है प्लेन में जाम से जाम टकराया है?

वो चुप रही।

मैंने ड्राईवर से कहा- बढिया से होटल चलो !

हम दोनों पीछे बराबर बैठे थे, उसने मेरा हाथ पकड़ा, बोली- और जीजू ! लाइफ कैसी है?

मस्त है ! तेरी कैसी है?

वो चुप रही।

क्या हुआ? कोई दर्द छुपा है दिल में? उसके हाथ को सहलाते हुए मरहम लगाने की कोशिश की।

छोड़ो जीजू ! पीकर इंसान झूठ नहीं बोलता और दर्द निकल आता है ! वो मुझसे प्यार नहीं करते ! पता नहीं क्यूँ? सिर्फ अपने बिज़नस में लगे रहते हैं !

वो रोने लगी।

मैंने अपनी बाजू उसकी कमर पर लपेटी मेरी उँगलियाँ उसकी नाभि के पास थी। मैंने उसको अपनी तरफ सरकाते हुए सीने से लगाया- चुप करो, अब तुम भारत में हो ! रोना छोड़ो और जिंदगी जियो।

उसने मुझे और जोर से कस लिया उसकी छाती का दबाव डालते मेरा भी आपा खोने लगा था, मैंने भी दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिए और प्यार से सहलाया।

दोस्तो, मैं बना ही सालियों के दुःख काटने के लिए हूँ।

होटल में गए, कमरा लेकर उसको कहा- आता हूँ अभी !

केमिस्ट की दुकान से मैंने वोमेन-पेनेगरा 100 की गोली खरीदी, एक बोतल सिग्नेचर की पेकेट लेकर ऊपर गया।

आ गए जीजू !

हाँ ! रूम पसंद है क्या?

हाँ जीजाजी !

मैंने वेटर को बुला कर डिनर का आर्डर दिया, साथ में बियर भी।

वो बोली- मैं फ्रेश होकर आती हूँ।

मैंने दो पैग बनाए, उसमें मैंने वो गोली मिला दी।

जब वो लौटी, मेरा गोपाल ठन-ठन करने लगा।

बेहद छोटा सा हल्का गुलाबी टॉप, केप्री टाइप छोटा सा लोअर वो भी बारीक सा। उसकी काली पैंटी साफ़ साफ़ दिख रही थी और ब्रा भी।

उसकी चूचियाँ किसी भी मर्द को दीवाना कर देती।

क्या हुआ जीजू? मुझमें खो गए क्या?

पकड़ो, पैग पियो ! थोड़ी देर में बात करेंगे !

उसने मेरे साथ चीयर्स किया और अपना पैग गटकने लगी।

मैंने भी उसके साथ बौटम-अप किया। मैं चाहता था कि उसके साथ मेरा काम आज ही फिट बैठ जाए ताकि जब तक रहे, मैं उसको मसलता रहूँ।

आगे क्या हुआ, अगले भाग में !

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