मौसम की करवट-4

विकास जैन 2014-06-23 Comments

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विकास जैन
सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार, मैं विकास, आज फिर आप सभी के सामने अपनी अधूरी कहानी पूरी करने आया हूँ।
क्षमा चाहता हूँ आप सभी को इतना इन्तजार करवाने के लिए। आज से दो साल पहले मैंने अपनी कहानी की शुरआत की थी। पाठकों के लिए कहानी के पिछले अंश के लिंक भी इस अंश के साथ संलग्न हैं।
रिया मेरे साथ संभोग के कारण बहुत थकी हुई थी। कुछ समय बाद वो मेरे साथ मेरी बाइक पर जा रही थी। रिया पीछे बैठी थी, बड़े प्यार से मेरी कमर मे हाथ डाल कर, अपना सर मेरी पीठ पर रखे हुए थी।
कुछ दूर जाकर वो बोली- विकास, मुझसे खाना नहीं बनेगा आज.. प्लीज़ कुछ खाने को ले चलते हैं।
मैंने भी ‘हाँ’ में सर हिलाया और पास वाले होटल से खाना ले लिया। अब हम घर आ चुके थे। घर पर प्रिया मुझे और रिया को साथ देख कर थोड़ा चौंक गई, लेकिन रिया ने उससे माफी मांगी और मुझे घर के अन्दर ले आई।
मैंने खाने का समान प्रिया के हाथ में दे दिया और उसके सर पर एक प्यारी सी चुम्मी दे दी।
वो थोड़ी हैरान थी कि मैं रिया के सामने कैसे उसे चूम रहा हूँ?
वो वैसे ही रसोई घर की ओर बढ़ गई, मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया।
अन्दर आकर मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और अपने आलिंगन को कसता ही चला गया।
प्रिया भी मेरा साथ दे रही थी, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ दिख रहे थे।
तभी पीछे से रिया भी अन्दर आ गई और हमको छेड़ते हुए बोली- बस बहना, रात तक का तो इंतजार कर लो। अब मैं किसी भी चीज के लिये विकास और तुमको नहीं मना करूँगी, सुबह के लिए माफ कर दे प्लीज़..!
इतना बोल कर उसने हम दोनों को गले लगा लिया।
अब प्रिया और मेरे पास तीन दिन थे। हमने पूरे मजे किए, कई बार तो रिया ने हमे खुद प्यार करने के लिए कमरे के अन्दर बंद कर दिया था। प्रिया बहुत खुश थी और उसे खुश देख मैं और ज्यादा खुश था।
दो दिन बहुत मजे से कटे, दूसरे दिन शाम को मैं प्रिया औए रिया तीनों ‘ट्विलाईट’ मूवी देखने के लिए गए। मूवी में कुछ उत्तेजक सीन थे।
प्रिया ने मेरा हाथ थाम रखा था, मेरी दूसरी ओर रिया थी जिसने मेरी जांघों पर अपना हाथ रखा हुआ था।
मेरी हालत खराब थी.
प्रिया मेरे गाल पर चूमने लगी, उसकी आँखें बंद हो गईं।
रिया ने भी मेरे लिंग को टाईट करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी, अगर उस वक्त वहाँ लोग नहीं होते तो सच में रिया मेरी पैन्ट में हाथ डाल देती।
खैर वो दोनों इससे आगे नहीं बढ़ पाईं।
हम मूवी के बाद सीधे घर की ओर चल दिए। प्रिया मेरे साथ मेरी बाईक पर बैठी थी और रिया अलग से स्कूटी पर थी। अब आप सबको तो पता है जब दो प्यार करने वाले एक बाईक पर बैठते हैं, तब क्या-क्या हरकतें करते हैं, ऊपर से रास्ता सुनसान था।
रात के 11 बजे (यहाँ मार्केट 10 बजे तक बंद हो जाता है) प्रिया ने अपना हाथ मेरे पैन्ट के जिप पर रख दिया और मेरे उत्तेजित लिंग को सहलाने लगी और मेरे कान मे बोली- बेबी, आज रात तुमको बहुत मेहनत करनी है..!
और उसने अपने दांत मेरे कन्धे पर गड़ा दिए।
रिया भी ये सब देख रही थी और उसको भी अंदाजा हो गया था कि आज कुछ तूफानी होने वाला है।
कुछ ही देर में हम लोग घर पहुँच गए, सारे काम खत्म कर लिए और खाना गर्म करके खाने बैठ गए।
प्रिया और मैं साथ में खाना खा रहे थे, रिया के लिये उसकी सहेली का फोन आया तो रिया बाहर चली गई।
प्रिया ने मौके का फायदा उठाया और मेरी गोद में आ बैठी, फिर अपने हाथों से मुझे खाना खिलाने लगी, कभी मेरे माथे पर चूम देती, कभी मेरे बालों को सहलाती।
मैं भी उसको अपने हाथों से खाना खिलाने लगा।
तभी रिया कमरे में आई, उसकी आँखों में जलन साफ दिख रही थी जैसे प्रिया को अहसास हुआ कि रिया आ गई है, वो मेरी गोद से उठने लगी।
तब रिया उसको आँख मारते हुए बोली- बैठ जा प्रिया, बेचारे को बहुत भूख लगी है..! खाने के बाद थोड़ा दूध भी पिला देना, विकास जीजू को।
और हँसने लगी।
यहाँ प्रिया शरमा गई और अपने चेहरे को मेरे सीने में छुपाने लगी।
फिर रिया के सामने ही हमने हमारा खाना खत्म किया। रिया सारे बर्तन लेकर रसोई में चली गई।
मुझे थोड़ा मजाक सूझा, तब भी प्रिया मेरी गोद में ही बैठी थी।
मैंने प्रिया के कान में कहा- शोना, मुझे दूद्दू तो पिला दो..!
प्रिया- मैं तो नहीं पिलातीउउउउ..!
मैं- ओके, मैं रिया से बोल देता हूँ कि तुम दूद्दू नहीं पीने दे रही हो।
तभी रिया आई तो मैं बोला- रिया, देखो ना ये मुझे दूद्दू नहीं पिला रही है।
रिया- ओए, मेरे जीजू को दूध क्यों नहीं दे रही? कोई बात नहीं विकास मैं देती हूँ रुको..!
प्रिया (नकली गुस्सा दिखाते हुए)- कोई जरुरत नहीं है दी.. विकास को सिर्फ मेरा दूध पसंद है…है ना बेबी..!
मैंने भी बोल दिया- हम्म्म तुम्हारा दूध इतना मीठा जो है।
फिर हम तीनों हंसने लगे। रात हो गई थी, 12:30 हो रहे थे।
रिया ने बोला- चलो अब सोते हैं विकास, कल शाम को तुम अपने घर चले जाओगे, प्लीज़ आज रात सब साथ सोते है ना…!
मैंने प्रिया की तरफ देखा उसने थोड़ा सोचा और फिर बोली- ठीक है, जान.. हम साथ में ही सोते हैं।
तब रिया ने हम सबका बिस्तर साथ में लगाया, एक छोटा सा नाईट बल्ब छोड़ सारी लाईटें बंद कर दीं।
हम लोगों को नींद नहीं आ रही थी, प्रिया और मैं एक कम्बल में थे और रिया अलग कम्बल लिए हुए थी और हम बातें कर रहे थे।
अब मैंने एक अपनी फुटबाल वाली शर्ट और एक टी-शर्ट पहनी थी और अन्दर कुछ नहीं पहना था। मैं हमेशा ऐसे ही सोता हूँ। प्रिया यह बात जानती थी, मेरी बाँहों में आते ही वो थोड़ा उत्तेजित सी हो गई।
रिया मैं और प्रिया यहाँ-वहाँ की बातें करने लगे। बातें करते-करते मैं प्रिया के जिस्म को सहला रहा था। प्रिया पर खुमारी छाने लगी, रिया सामने थी इसलिए कुछ भी करने से वो थोड़ा हिचक रही थी, तभी रिया ने उसकी हालत भाँप ली।
रिया बोली- यार मुझे नींद आ रही है, मैं अब सोती हूँ तुम दोनों ज्यादा आवाजें मत करना।
फिर रिया सो गई।
मुझे पता था वो सोने का नाटक कर रही होगी, खैर मुझे उससे क्या..! मैं और प्रिया अपने प्यार में खो गए। प्रिया के थके होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं हो पाया लेकिन हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
सोने से पेहेले हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए थे क्योंकि अब प्रिया को रिया का डर भी नहीं था कि रिया देख लेगी, सो हम दोनों बेफिक्र होकर सो गए।
सोने के बाद मुझे अपने सीने पर कुछ महसूस हुआ। वो रिया का हाथ था, मैंने उसका हाथ हटाना चाहा, लेकिन वो जिद्दी थी। कुछ किए बिना नहीं मानने वाली थी।
तब मैंने ज्यादा विरोध करना मुनासिब नहीं समझा और मैंने प्रिया पर कम्बल डाल दिया और खुद रिया के तरफ़ खिसक गया।
रिया भी मेरी तरफ़ आ गई और अपने लब मेरे लबों पर रख दिए, मैं भी उसका साथ दे रहा था।
रिया ने अपना एक हाथ मेरे लिंग पर रख दिया और उसे सहलाने लगी।
रात के 3-4 बजे होंगे, रिया के कामुक चुम्बन और हाथ के नाजुक स्पर्श से मेरा लिंग उत्तेजित हो गया। फ़िर रिया ने मेरे लबों को छोड़, नीचे मेरे लिंग पर जाना जरुरी समझा और उसने अपने नाजुक लब मेरे लिंग के टोपे पर रख दिए, वो बहुत ही प्यार से मेरा लिंग चूसने लगी।
मैं भी उसके वक्ष दबा कर अपने मजे को दुगना करने लगा था। कुछ भी हो रिया का फ़िगर कमाल था, एकदम तमन्ना भाटिया जैसा।
हम दोनों जानते थे कि प्रिया साथ है तो ज्यादा खुल कर चुदाई कार्यक्रम के पहले वाला कार्यक्रम तो नहीं हो पाएगा, लेकिन रिया पूरे दिन से मुझे और प्रिया को देख कर जल रही थी, तो उसका रुकना मुश्किल था।
अब रिया ने मुझे सीधा लेटाया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे लिंग को हाथ में लेकर अपनी चूत पर लगा दिया और फ़िर जन्नत का सफ़र शुरु हो गया, बड़े मादक तरीके से वो अपनी कमर को गोल-गोल घुमाकर चुद रही थी।
रात की दूधिया रोशनी में मुझे उसकी नाभि दिखाई दी, सच में रंग गोरा, फ़िगर इतना कमाल और उस पर इतनी कामुक नाभि…!
तभी, “आआ अह्ह्ह्ह् आआआ अह्ह्ह्ह्ह्..!” और मेरा निकाल ही डाला उसने, मेरी पिचकारी छूट गई।
मेरे गरम वीर्य से वो भी अपने आप को रोक नहीं पाई।
रिया को मजा बहुत आया, मजा तो मुझे भी बहुत आया, लेकिन मेरे मन में प्रिया को पता चलने का डर ज्यादा था।
सम्भोग का नशा अब उतर चुका था। मैंने अपनी जान के पास जाना ज्यादा मुनासिब समझा। फ़िर मैं प्रिया के कम्बल में जाकर उसे अपनी बांहों में लेकर सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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