चूत की कहानी उसी की ज़ुबानी-4

(Choot Ki Kahani Usi Ki Jubani- Part 4)

पूनम चोपड़ा 2019-03-06 Comments

This story is part of a series:

आख़िर एक दिन उसने अपना हाथ मेरी सलवार के अंदर डाल दिया. मैंने उसको मना नहीं किया और वो बोला- यह तो पूरी गीली हुई है.
मैंने कहा- जब इसकी बहनों पर हाथ मारोगे तब यह रोएगी नहीं क्या?
वो बोला- मैंने कब इसकी बहन को कुछ किया है.
मैंने कहा- ओ बुद्धू महाराज, मेरे मम्में इसकी बहनें हैं. जब उन पर मार पड़ती है तो इसके आँसू निकलते हैं.
“ओह … तब साफ साफ बोलो ना कि इसका भी इलाज़ करना है.”
“तुम्हें नहीं पता जो मुझ से कहलवाना चाहते हो?”

उस वक़्त हम लोग किस पार्क की झाड़ियों में छिपे थे.

उसने झट से मेरी सलवार का नाड़ा खोला और अपना लंड पैन्ट को खोल कर बाहर निकाला जिसे मैंने आज पहले बार देखा. इससे पहले बस महसूस ही किया था. उसका लंड मस्त था वो धीरज के लंड से कुछ मोटा ही था जिसे देख कर मैं खुश थी कि आज जब मोटा लंड अंदर जाएगा तो लंड को इतने जल्दी से नहीं पता लगेगा कि इस चूत में पहले भी लंड जा चुका है.

अपने लंड को वो जैसे ही मेरी चूत पर रखता, मैं जानबूझ कर हिल जाती थी ताकि लंड असानी से चूत में ना जा पाए और उसे कुछ अहसास हो कि चूत चुड़ी हुई नहीं है, कुछ दम लगाना पड़ेगा लंड को अंदर करने के लिए. इस तरह से कुछ देर तक नाटक करने के बाद उस के लंड को चूत में घुसवा लिया और दर्द का ड्रामा करके कराहने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

जब लंड चूत में पूरी तरह से घुस गया तो उसने अपना कमाल देखाना शुरू कर दिया. उसने बहुत तेज तेज से झटके मारने शुरू कर दिए. मैं उससे कहती रही- ज़रा धीरे धीरे करो, दर्द हो रहा है.
वो बोला- अब नहीं रुका जाता, मैं बहुत दिनों से इस चूत का दीवाना बना हुआ हूँ, आज मुझे यह नसीब हुई है. आज नहीं छोड़ूँगा इसको.
मैंने कहा- मैंने तो तुमको मना नहीं किया था, तुमने ही नहीं इस पर ध्यान दिया.
वो बोला- अब पूरा इसका ख्याल रखूँगा. तुम देखती जाना, अब इसको कहीं नहीं जाने दूँगा.

जब पूरी तरह से उसने मेरी चूत को चोद लिया तो अपना सारा माल चूत में ही छोड़ दिया. मैंने भी उस को कुछ नहीं कहा और कुछ देर तक लंड को अंदर ही पड़े रहने दिया. जब लंड ढीला होकर बाहर आया तो मैंने उससे कहा- तुमने यह क्या कर दिया मुझे फुसला कर. सारा माल अंदर ही डाल दिया. इसका नतीजा क्या हो सकता है पता है क्या?
उसने कहा- कोई चिंता ना करो, अगर कुछ हो भी गया तो मैं पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूँ और तुमसे शादी कर लूँगा.
मैंने कहा- अगर कुछ ना हुआ तो नहीं करोगे?
उसने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख कर कहा- ऐसा मत कहो. शादी तो अब तुम से ही करनी है. वो तो मैंने कहा कि अगर कुछ हो जाता है तो जल्दी से कर लूँगा.

मैं चुप होकर उसके सीने से लग गई. अब मुझे एक तरह से कुछ तसल्ली मिल गई थी कि मैं इसको अब कह सकती हूँ कि मेरी चूत को तुमने ही फाड़ा है.

अब तो चूत और लंड का खेल जब भी मौक़ा मिलता तो होता रहा. जब मैं उससे बहुत बार चुद चुकी तो मेरा सारा डर जाता रहा ही कि वो मुझ से कुछ कह सकेगा मेरी पिछली चुदाई को लेकर, क्योंकि उसे यही लग रहा था कि मैं उसी से चुदी हूँ. अब तो चुदाई का पूरा नाच पूरी तरह से नंगे हो कर ही होता था. फिर मैंने अपनी चूत भी उससे चटवानी शुरू कर दी. जब वो मेरी चूत को खोल खोल कर चाटता तब भी उसे नहीं कुछ पता लगा कि यह पहले से चुदी हुई है. वो इसी ख्याल में रहा कि उसने बहुत बार मेरी चूत को चोद कर ही चौड़ा कर दिया है.
खैर मैं पूरी तरह से खुश थी उसका साथ पाकर और फिर वो मस्त चोदता था और चूत को पूरा खुश कर के रखता था.

फिर कुछ महीनों बाद हमारी शादी हो गई और हमें चुदाई का लाइसेन्स मिल गया. शादी में मेरा कज़िन भाई धीरज और आरती भी आए हुए थे. आरती मेरे पति अशोक को देखती ही रह गई. फिर मेरे से उसने पूछा- कभी इसे टेस्ट किया है ना?
मैंने कहा- हाँ बहुत बार. इसका बहुत मस्त है. तुम्हें लेना है तो बोलो, तुम्हें भी दिलवा कर चुदवा देती हूँ इसके लंड से.
उसने कहा- तुम्हें शर्म नहीं आती?
मैंने कहा- आरती शर्म और वो तुम्हें या मुझे? क्या बात करती हो. यार, सच सच बोलो अगर दिल आ गया हो तो मैं तुम्हारी चूत का इंतज़ाम करवा देती हूँ.
उसने कहा- ठीक है, आज तो तुम अपनी पहली रात इसके साथ गुजारो, फिर सोचना.

मैंने कहा- क्या पहली और क्या दूसरी … इसके साथ तो इतनी रातें गुजारी हैं कि अब कोई खास बात नहीं रह गई.
आरती ने कहा सच सच बोलो तुम्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा ना की अगर में इस का लंड ले लूँ तो.
मैंने कहा- सुन आरती, तू मेरी सहेली भी है और भाभी भी. हम दोनों ही एक दूसरे के सब राज़ जानती हैं. तुम्हें भी पता है तेरा पति और मेरा भाई मुझे कितनी बार चोद चुका है. मैं आज भी उस के लंड की दिवानी हूँ. मुझे खुशी होगी अगर तुम मेरे पति के लंड को भी टेस्ट करोगी ताकि तुम्हें भी कुछ अलग माल मिले.

यह सुनकर वो बहुत खुश नज़र आ रही थी. फिर उसने कहा- आज तो तुम अपनी सुहागरात मना लो.
मैंने कहा- क्या बात करती हो? मैंने ना जाने कितनी सुहागरात मनाई हुई हैं तुम्हारे पति और अपने पति से. तुम चिंता ना करो! मगर मेरी पति का लंड लेने के लिए तुम्हें फीस देनी पड़ेगी.
उसने हैरान होकर पूछा- मतलब.
मैंने कहा- मतलब कि तुम्हारे पति का लंड मेरी चूत में और मेरे पति का लंड तुम्हारी चूत में.
तब उसने कहा- मेरी तरफ से पूरी छूट है, तुम जब चाहो उससे चुदो.

रात को मैंने अपने पति से कहा- आज तुम्हें एक नई चूत दिलवाती हूँ ताकि तुम्हारी शादी के बाद वाली पहली रात पूरी यादगार बने.
उसने जब पूछा तो मैंने उसको बताया कि मेरी भाभी आज तुमसे चुदेगी. वो पूरी चुदक्कड़ है. आज अपने लंड का पूरा जलवा उसको दिखा कर ज़रा भी सांस ना लेने देना ताकि सुबह उसे लंगड़ा के चलना पड़े.
मेरा पति मेरा मुँह देख रहा था और जब उसको पता लगा कि आज किस चूत को उसने चोदना है तो वो उछल पड़ा. उसने कहा- उसके पति को पता लगा तो सारी रिश्तेदारी ख़त्म हो जाएगी.
मैंने कहा- उसकी तुम चिंता ना करो, बस आज जो मैं कह रही हूँ, वो ही करो ताकि भाभी तुम्हारे लंड की पूरी दीवानी हो जाए.

इस तरह से उसे पूरी तरह से समझा बुझा कर मैं आरती के पास आ गई और उससे बोली- आज चूत की पूरी सफाई करके जाना उसके पास … वो चूत को चूसने का बहुत बड़ा शौकीन है.
रात को आरती को अपने पति के कमरे के अंदर करके मैं बाहर आ गई और फिर सीधी धीरज के कमरे में चली गई और जाते ही उसके लंड को पकड़ लिया. सारी रात मैं अपने भाई से में चुदती रही.

अगले दिन सुबह आरती मेरी पति के कमरे से कुछ लंगड़ाती हुई निकली.
मैंने पूछा- क्या हो गया?
वो कुछ नहीं बोली.
तब मैंने पूछा- क्या उसने कुछ नहीं किया तुम्हारे साथ?
तब वो बोली- तुम्हारा पति तो पूरा कुत्ते की तरह से चोदता है. एक बार अंदर करके निकालना ही भूल जाता है. सारी रात उसने ज़रा भी नहीं सोने दिया. चोद चोद कर चूत की माँ चोद दी है. टाँगें पूरी चौड़ी करके चोदा है, तब टाँगें भी सीधी नहीं रखी जा रही. सही में तुमने मस्त लंड चुना है अपनी चूत के लिए.
मैंने उससे कहा- अब जब चाहो, उससे चुद लिया करो. अब तो तुम दोनों एक दूसरे से पूरी तरह से खुल चुके हो.

अगले तीन दिनों तक आरती हमारे यहाँ रही और इन तीनों दिन ही आरती को अशोक ने दबा दबा कर चोदा. आरती भी चुदाई का कोई मौक़ा हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी. लंडखोरी चूतों को मस्त लंड मिल रहे थे इसलिए सब खुश थे और लंड भी कभी इस चूत में तो कभी उस चूत में लंड डाल डाल कर मज़े कर रहे थे.
हां एक बात … ‘आरती की चुदाई का अशोक से और मेरी चुदाई का धीरज से’ सिवा हम दोनों के किसी को नहीं पता था. इसलिए हमारे पति यही समझते हैं आज भी कि हम सिवा उनके लंड के किसी और को देखती भी नहीं.

कुछ दिनों बाद मेरा कोई ऑफिस का काम था और मुझे आरती और धीरज के घर मुंबई में कुछ दिनों के लिए रहना था. आरती के पड़ोस में एक लड़का प्रसंग रहता था जिसकी शादी तो हो चुकी थी मगर उसकी बीवी किसी दूसरे शहर में रहा करती थी. मतलब साफ़ था कि उसका लंड चूत का भूखा था. मैंने वहाँ रहते हुए देखा कि वो लड़का अक्सर किसी ना किसी बहाने आरती के पास आता था. उसकी ड्यूटी रात की होती थी इसलिए वो सारा दिन घर पर ही रहता था. इधर धीरज सारा दिन ऑफिस में रहता था.

मैंने आरती से पूछा- क्या बात है?
और पूछते हुए उसे आँख भी मार दी.
वो बोली- नहीं यार, कुछ नहीं! तुम तो बस ऐसे ही शक़ करती हो. तुम्हें तो पता ही है कि धीरज का लंड पूरा मूसल है फिर मैं क्यों इधर उधर मुँह मारूँ.

मैं ऑफिस के काम से जल्दी ही वापिस आ जाया करती थी और हमेशा ही प्रसंग को आरती के पास देखती थी. मेरा भी दिल आया हुआ था उससे चुदने के लिए … मगर मैं खुल कर कुछ कह नहीं सकती थी जब तक की आरती को कुछ ग़लत करते हुए ना देख लूँ ताकि वो खुद ही मुझे उससे चुदवा कर अपना भेद छुपा कर रख सके.

मैंने इस का एक तरीका निकाल लिया. मैंने अपने ऑफिस में किसी से कह कर एक कैमरा पेन मंगा लिया जो दो घंटे तक रेकॉर्डिंग कर सके. फिर मैंने उसे फिक्स करके ऐसी जगह रख दिया जहाँ आरती को ना पता लगे और उसके बेड का चप्पा चप्पा रेकॉर्ड हो जाए.

पहले दिन जब मैंने आकर देखा तो उसमें कुछ भी नहीं था. तब मैंने सोचा हो सकता है मेरा ख्याल ग़लत हो.
मगर तब मुझे पता लगा कि उस दिन आरती को कहीं जाना था.
तब मैंने अगले दिन भी उसे फिक्स कर दिया. जब आकर मैंने उसको मोबाइल में डाल कर देखा तो पूरी ब्लू फिल्म निकली उसमें से जिसकी हिरोईन आरती थी और हीरो उसका पड़ोसी प्रसंग … जब मैंने यह सब देख लिया तो मेरी चूत में भी कीड़े दौड़ने लगे क्योंकि उस समय धीरज घर पर आ चुका था इसलिए मैं अगले दिन का इंतज़ार करने लगी.

अगले दिन मैंने आरती से फिर पूछा- यार, एक बात सच सच बता … यह प्रसंग कैसे लड़का है? जब भी मैं उसे देखती हूँ तो वो तुमको कुछ अजीब नज़रों से देखता है.
वो बोली- यार, तुम्हें तो शक़ करने की आदत है. मैंने तुम्हें बताया तो था कि ऐसी कोई बात नहीं … वरना क्या मैं तुमको नहीं बता देती? तुम तो जानती ही हो कि मैं तुमसे कितना खुली हुई हूँ. मैंने कहा- वो तो मैं जानती हूँ और बहुत कुछ जान भी चुकी हूँ. ज़रा मेरे साथ आना.

कहानी जारी रहेगी.
लेखिका पूनम की इमेल आईडी नहीं दी जा रही है.

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