अनजानी लौंडिया की जबरदस्त चूत चुदाई-1

(Anjani Laundiya Ki Jabardast Chut Chudai- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरा नाम आदित्य है। मैं यूपी का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र बाइस वर्ष है। मैं पेशे से अध्यापक हूँ। मैं छः साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं अपनी आपबीती पहली कहानी के रूप में लिख रहा हूँ।

मैं देखने में तो औसत हूँ.. पर मेरा लण्ड काफी लम्बा है। लम्बे लण्ड तो समझ में आते हैं.. पर जब कोई सिर्फ 2 या 3 इंच मोटा लण्ड कहता है.. तो मुझे यकीन नहीं होता.. क्योंकि मेरा तो किसी बच्चे की हाथ की कलाई जितना मोटा है। जिससे मुझे चुदाई करने में सबसे ज्यादा मजा आता है। मुझे कुंवारी चूत चोदना और चाटना बहुत पसंद है। उसकी खुशबू मुझे बहुत पसंद है। आंटियों के मम्मे मसलने में मुझे बहुत मजा आता है।

बात दो साल पहले तब की है.. जब मैं एक प्रतियोगी परीक्षा के लिए नोएडा गया हुआ था। परीक्षा अगले दिन थी.. तो मैं शाम के वक्त सड़क पर घूमने के इरादे से निकल गया।

अचानक मैंने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की को देखा, देखने में 34-26-34 की फिगर की रही होगी।
मैं ऐसे ही उसके पास जाकर खड़ा हो गया और उससे नजदीक के किसी अच्छे से रेस्तरां के बारे में पूछा। उसने मुझे बड़े अजीब ढंग से देखा।

उसके इस तरह देखने से मुझे हँसी आ गई, मैंने उसे बताया- मैं यहाँ नया हूँ।
मेरी बात सुनकर उसने मुझे एक तरफ इशारा किया।

मैं वहाँ से खुद पर हँसते हुए चल दिया और एक रेस्तरां में जाकर बैठ गया। तभी मैंने उसी लड़की को अपनी एक सहेली के साथ उसी रेस्तरां में आते हुए देखा।
वो मेरे पास की ही एक टेबल पर बैठ गई।

मैंने वेटर को आर्डर के लिए बुलाया पर वो नहीं आया।
ऐसा तीन बार हुआ।
गुस्से में मैं उठकर चल दिया कि अचानक एक वेटर मेरे पास आया और मेरा आर्डर मांगा। मैं उसे डपट ही रहा था.. तभी वो लड़की मेरे पास आई और मुझे माइंड ना करने के लिए कहा.. क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि मैं वहाँ के बारे में कुछ गलत अनुभव लेकर जाऊँ।
मौका देखकर मैंने उसे जाइॅन करने को पूछा और उसने ‘हाँ’ कह दी।

उसका नाम ॠतु था.. यह उसका असली नाम नहीं है, वो दिल्ली की रहने वाली थी वो और उसकी फ्रेंड यहाँ घूमने आए थे।

बातें करते-करते हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई, बाद में सारा बिल मैंने ही पे कर दिया।
चलते वक्त मैंने उसका नंबर माँग लिया और एक बार फिर मिलने की इच्छा जाहिर की.. जो उसने खुशी-खुशी मान ली।

एग्जाम के बाद मैंने उसे फिर उसी रेस्तरां में मिलने के लिए बुलाया।
उसने शाम 5 बजे आने का वादा किया।

मैं ठीक पौने पाँच बजे ही वहाँ पहुँच गया। काफी देर इंतजार करने के बाद अचानक मुझे वो दिखाई दी।
काले रंग की मिनी स्कर्ट टॉप में वो एकदम कयामत लग रही थी।
मैं उसे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था।

उसके बाल खुले हुए थे। उसने तीन इंच की हील वाली सैंडल पहनी हुई थी.. जिससे उसके कूल्हे उभर कर दिख रहे थे।
उसने बहुत ही टाइट टॉप पहना था.. जिससे उसकी हर साँस के साथ मानो दुनिया भी ऊपर-नीचे हो रही थी।
उसके चूचों में जबरदस्त उठान था।
उसकी गोरी बांहें और टाँगें चाँदी सी चमक रही थीं और वो एकदम परी जैसी लग रही थी।

मैं उसे एकटक निहार रहा था.. वो कब मेरे पास आई मुझे पता ही ना चला। जब मेरा ध्यान भंग हुआ तो वो ड्रिंक्स के लिए आर्डर दे चुकी थी। वो समझ गई थी.. फिर भी उसने पूछा- तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

मैंने उसकी तारीफ की.. तो वो थोड़ा शरमा गई।
मैंने उसकी फ्रेंड के बारे में पूछा तो उसने बताया- उसे कुछ काम था।

शायद वो ये वक्त मेरे साथ अकेले बिताना चाहती थी।
वो मेरी कोई गर्लफ्रेंड ना होने के बारे में कल ही जान चुकी थी।

बातों-बातों में हम काफी क्लोज हो गए।
अंधेरा होने लगा था, डिनर के बाद उसने वापस जाने को कहा.. पर मैं चाहता था कि वो आज रात मेरे साथ ही रहे।

तब तक मेरे मन में उसे चोदने का कोई ख्याल नहीं था.. पर वो नहीं रुकी।
मैं उसे उसके स्टॉप तक छोड़ने चल दिया।

मैं बहुत उदास था.. शायद मेरी उदासी हवा में घुल कर टपकने लगी और वहाँ अचानक बारिश होने लगी।
हम दोनों पूरे भीग गए थे, मैं उसके भीगे जिस्म को देख रहा था और वो रात की तरह और भी हसीन होती जा रही थी।

मुझे कुमार सानू की ‘एक मुक्कमल गज़ल’ याद आ रही थी।

मैंने उसे अपने कमरे में रुक कर चेंज करने और बारिश थमने के बाद चले जाने को कहा।
वो मान गई हम अपने होटल में आ गए।

भीगे बालों और बदन में वो और भी हसीन लग रही थी, मैं अब भी उसे ही निहार रहा था, उसने बालों में तौलिया लपेटा हुआ था।
वो चुपके से मुझे ही देख रही थी।

मैं उसके पास आया और उसे कपड़े उतारने को कहा।
वो एकदम चौंक गई।
मुझ पर जैसे बिजली सी गिर पड़ीं।

मैंने उसके आगे अपने सूखे कपड़े कर दिए और बाहर चला आया। जब तक उसने कपड़े बदले.. मैं उसके लिए कॉफ़ी ले आया था।
मेरी ढीली शर्ट और जींस में वो कयामत लग रही थी।

उसने ऊपर का एक बटन खोल रखा था.. जिसमें से उसके चूचे बहुत खूबसूरत लग रहे थे।

बारिश रुकने के बाद मैंने उसे चलने को कहा.. पर उसने देर होने का बहाना कर दिया और अपनी सहेली को फोन करके कह दिया कि वो आज रात अपनी दोस्त के पास ही रहेगी।

मेरे तो जैसे मन की मुराद ही पूरी हो गई थी।

मैंने उसे अपने बिस्तर पर सोने को कहा और अपनी चादर नीचे बिछा ली लेकिन उसने मुझे बिस्तर पर ही सोने को कहा।
मैं उसके बराबर में जाकर लेट गया।

उसकी छाती हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया.. मैं उसे छूना चाहता था.. पर मुझे बहुत डर भी लग रहा था कि कहीं वो नाराज ना हो जाए।

मैंने उसकी तरफ पीठ कर ली।
अचानक वो बोली- मुझसे नाराज हो क्या?
मैंने उसकी तरफ रुख किया और कहा- नहीं तो.. कुछ चाहिए?
तो बोली- हाँ..

और मेरे गले से लग गई।

मेरी तो मानो लाटरी खुल गई थी.. अगले भाग में विस्तार से लिखता हूँ कि किस तरह का खेल हुआ।
आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।
[email protected]

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