किरायदार बनकर भाभी को यौन तृप्ति दी- 2
(Bhabhi Xxx Chudai Kahani)
भाभी Xxx चुदाई कहानी में मेरे मकान मालिक की बहू मेरे कमरे में आकर चूत चटवा चुकी थी. वह चूत में लंड लेने को बेचैन थी. रात को एक बजे वह मेरे कमरे में आई.
कहानी के पहले भाग
पड़ोसन भाभी की चूत चाटकर पानी निकाला
में आपने पढ़ा कि मैंने एक कमरा किराए पर लिया. वहां एक नई नवेली भाभी ने मेरा लंड देखा तो दीवानी हो गयी और खुद मेरे कमरे में आकर चूत चटवा कर गयी.
अब आगे भाभी Xxx चुदाई कहानी:
लगभग 8:30 बजे आदर्श ने नीचे से नाश्ता करने की आवाज लगाई।
मैं पाँच मिनट बाद पहुँच गया।
रचना के सास-ससुर पहले ही नाश्ता करके मंदिर जा चुके थे।
टेबल पर बीच में आदर्श बैठा था।
एक तरफ रचना और दूसरी तरफ मीनाक्षी बैठी थी।
अंदर पहुँचने पर रचना और मीनाक्षी मुझे देखकर शरारती मुस्कान भरने लगीं।
रचना ने मुझे अपने बगल में बैठा लिया और नाश्ता सर्व करने लगी।
हम सब नाश्ता करते हुए इधर-उधर की बात करने लगे।
रचना अपने हाथों को टेबल के नीचे से मेरी जाँघों पर सहलाने लगी।
इस वजह से मेरा लंड धीरे-धीरे फुफकारने लगा।
आदर्श को देर हो रही थी, तो उसने जल्दी नाश्ता खत्म करके ऑफिस के लिए निकल गया।
जब वो मुख्य दरवाजे से कार लेकर पूरी तरह चला गया, रचना ने अचानक मुझे अपनी ओर खींचकर किस करना शुरू कर दिया।
सामने मीनाक्षी भी बैठी थी।
मीनाक्षी बोली, “भाभी, गेट तो बंद कर लो! कहीं मम्मी-पापा आ गए, तो मुसीबत हो जाएगी!”
मुझे मीनाक्षी के सामने रचना को किस करना अच्छा नहीं लग रहा था।
मैंने रचना को अपने से अलग किया और कहा, “अपनी ननद की तो शर्म करो!”
रचना बोली, “शर्म क्यों करना? ये मेरी ननद नहीं, सहेली है! और अगर सब सही रहा, तो तुम्हें हम दोनों को एक साथ मजा देना पड़ेगा!”
ऐसा बोलकर रचना और मीनाक्षी दोनों खिलखिला कर हँसने लगीं।
उनकी बातें सुनकर मेरा मुँह खुला रह गया।
मैंने कहा, “वो बाद की बात है! पहले तुम मुझे अच्छे नंबरों से पास करो, फिर देखते हैं! और अभी कोई आ जाएगा, तो परेशानी होगी!”
ये कहकर वो अलग हुई।
मैं कॉलेज जाने के लिए निकल गया पर जाते-जाते रचना के स्तन मसलते हुए निकला।
कॉलेज पहुँचकर क्लास तो अटेंड की.
पर आज पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था।
रह-रहकर रचना का नंगा जिस्म मेरी नजरों के सामने घूम रहा था।
जैसे-तैसे दिन काटकर वापसी में चुदाई का सोचते हुए मेडिकल से तीन अलग-अलग तरह के कॉन्डम खरीद लिए।
घर पहुँचकर नीचे दरवाजे से अंदर देखने की कोशिश की.
पर दरवाजा बंद होने की वजह से कुछ दिखाई नहीं दिया।
मैं ऊपर आकर फ्रेश हुआ और अपने पेंडिंग काम निपटाने लगा।
आदर्श रात 8:15 को घर आया।
लगभग 8:45 पर मीनाक्षी ने मुझे खाने के लिए बुलाया।
हम सबने आराम से खाना खाया।
यहाँ रचना बिल्कुल नॉर्मल बिहेव कर रही थी।
कोई शरारत नहीं कर रही थी, ना ही ऐसा लग रहा था कि वो आगे बढ़ने का सोच रही है।
शायद सास-ससुर साथ थे, इस वजह से ऐसा कर रही थी।
खाना खाकर मैं 9:30 तक ऊपर आ गया।
थोड़ी पढ़ाई करके और मोबाइल चलाकर 11 बजे तक सो गया।
दरवाजा मैंने खुला रखा था ताकि अगर रचना का मूड बन जाए।
रात 1 बजे मुझे हल्की-सी पायल की आवाज सुनाई दी, जैसे कोई धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रहा हो।
इससे मेरी नींद खुल गई।
रचना का सोचकर दिल में तरंगें उठने लगीं।
मैं बाहर देखने के लिए उठ ही रहा था कि रचना फटाफट अंदर घुस गई और दरवाजे की कुंडी लगा दी।
मैं नंगा ही सोया था।
रचना को सामने देखकर लंड में धीरे-धीरे तनाव आना शुरू हुआ।
मैं रचना की ओर बढ़ चला।
रचना मुस्कुराकर बोली, “हमेशा बिना कपड़ों के ही रहते हो क्या?”
मैंने कहा, “तुम्हारा इंतजार था, इसलिए कपड़े नहीं पहने थे!”
इतना कहते ही हमारे होंठ आपस में चिपक गए।
हमारे हाथ एक-दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
दो मिनट बाद मैंने कहा, “अब आ तो गई हो, लेकिन 2-3 घंटे से पहले जाने का सोचना भी मत! वरना अभी चली जाओ!”
रचना इठलाकर बोली, “3 घंटे तक कर पाओगे?”
मैंने उसके चूतड़ मसलकर कहा, “तुम पहले ही मुझसे विनती करोगी कि आज का बस हो गया, बाकी किसी और दिन करेंगे!”
हमारे होंठ फिर से अपने काम में लग गए।
इस बार थोड़ा जोर से और हल्का-हल्का एक-दूसरे को काटने के हिसाब से हम किस कर रहे थे।
उतने में रचना ने अपना गाउन उतारकर फेंक दिया।
अंदर उसने सुबह की तरह कुछ भी नहीं पहना था।
मैंने एक कदम पीछे होकर उसके जिस्म का अच्छे से नजारा लिया।
गोरा बदन, सीधे काले लंबे बाल जो उसकी कमर तक थे।
34 के आकार के स्तन, जिनमें हल्का काला-गुलाबी मिक्स कलर का निप्पल।
लगभग 28 की कमर, बीचोबीच नाभि, 34 के चूतड़।
बिल्कुल गुलाबी चूत, जिसमें बाल तो छोड़िए, रोएँ का भी नामोनिशान नहीं।
मजबूत लेकिन पतली जाँघें।
जीरो वॉट के बल्ब की रोशनी में उसका बदन चाँद की तरह चमक रहा था।
मैं तुरंत नीचे होते हुए उसकी गर्दन, फिर स्तन, फिर नाभि को चूमते-चाटते रचना की फूली हुई चूत तक जा पहुँचा।
मैंने एक हाथ की उंगली से उसकी दहकती चूत को हल्का-सा खोला और नथुनों से उसकी मादक खुशबू सूँघने लगा।
तुरंत ही मैं नर्म फांकों पर अपनी जीभ फिराने लगा।
रचना कसमसाकर मेरे बाल नोचने लगी और अपनी चूत मेरे मुँह में घुसाने लगी।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आआहह… ऊउम्म्म… सीई ईई!”
मैं अपनी जीभ को पूरा अंदर घुसाकर उसके मादक रस का आनंद लेने लगा।
कुछ देर बाद जब रचना का पानी निकलने वाला था, उसने मुझे रोका और झुककर मेरे होंठ चूमने लगी।
उसने मुझे सीधा खड़ा किया और खुद नीचे बैठकर मेरे लंड को चाटते हुए धीरे-धीरे अपने मुँह में समाने लगी।
मैं मदहोशी में आँखें बंद करके जन्नत की सैर करने लगा।
मैंने रचना का सिर पकड़कर उसका मुख चोदन शुरू कर दिया।
कुछ पल बाद मेरा लंड उसके गले तक उतरने लगा जिससे उसे साँस लेने में तकलीफ होने लगी।
उसने मुझे रोका और लंड बाहर निकालकर साँस लेने लगी।
दो मिनट बाद हम मेरे बिस्तर पर थे।
रचना ने नीचे लेटकर मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और अपनी टाँगें खोलकर लंड को अंदर समाने के लिए लालायित हो उठी।
मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत पर रगड़ने लगा ताकि उसकी चूत अच्छे से गीली हो जाए और हमारा मिलन आसानी से हो।
पर वो इससे और उत्तेजित हो गई।
उसने अपनी कमर उठाकर लंड को अंदर घुसाने की कोशिश की।
मैंने देर न करते हुए उसके होंठ अपने होंठों में भरे और बिना रुके धीरे-धीरे अपना लंड उसकी नर्म चूत में घुसाने लगा।
रचना की आँखें बड़ी होती चली गईं।
उसके मुँह से घुटी-घुटी सी चीख निकलने लगी।
उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गाड़ दिए, जिससे हल्का-हल्का खून रिसने लगा।
आदर्श के छोटे लंड की वजह से रचना का कौमार्य भंग नहीं हुआ था इस वजह से उसकी चूत में काफी दर्द होने लगा।
मैं थोड़ा रुक गया और उसके चेहरे को चूमने लगा।
रचना निढाल होकर अपनी साँसों को काबू करने लगी।
जब वो संयमित होने लगी, मैंने अपनी कमर चलानी शुरू की और बिल्कुल धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा।
अब तक रचना भी काफी संभाल चुकी थी।
कुछ देर बाद वो मेरे जिस्म पर हाथ फेरकर और मुझे चूमकर मेरा साथ देने लगी।
पाँच मिनट बाद, जब सब कंट्रोल में हो गया, मैंने उसके मुँह को अपने हाथों से दबाया और एक जोर का शॉट लगाकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में समा दिया।
रचना जोर से चीख पड़ी, पर मुँह बंद होने की वजह से उसकी चीख उसके हलक में अटक गई।
जब उसका दर्द कम हुआ, मैंने हाथ हटाया।
तब उसने कहा, “मार ही डालोगे क्या? ऐसे भी कोई करता है!”
मैंने कहा, “बस मेरी जान, जो होना था वो हो गया! अब सारी जिंदगी सिर्फ मजा ही मिलेगा तुम्हें!”
ऐसा कहकर हमारे होंठ फिर से भिड़ गए।
मेरी कमर धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगी।
रचना भी अपनी कमर हिलाकर बखूबी साथ दे रही थी।
पर पहली बार असली चुदाई होने के दर्द की वजह से रचना जल्दी हार मान बैठी।
अपनी छाती उठाते हुए वो बोली, “आआहह… आआहह… गाआयई ईई!”
उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
उसकी चूत पूरी गीली हो गई, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर जाने लगा।
अब वो शांत होकर सिर्फ मेरे जिस्म से खेल रही थी, पर कमर हिलाकर साथ नहीं दे रही थी।
मैंने आसन बदला और उसे अपने ऊपर चढ़ा लिया, उसके स्तनों को बेरहमी से मसलने लगा।
रचना को थोड़ा दर्द होने लगा।
साथ ही लंड उसकी चूत में घुसे होने के कारण वो फिर से उत्तेजित होने लगी।
उसने धीरे-धीरे अपनी कमर आगे-पीछे करनी शुरू की।
मैंने उसके चूतड़ पर एक जोर से चमाट लगाई, जिससे “आआहह!” की मधुर आवाज आई।
उसने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रखे और रफ्तार बढ़ाते हुए लंड पर उछल-उछलकर उसे पूरा अंदर समाने लगी।
मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ मसलते हुए उसे ऊपर-नीचे करने में मदद करने लगे।
दस मिनट बाद, जब वो थकने लगी, उसने मेरे सीने पर सिर रखकर निढाल पड़ गई।
अब मैंने गाड़ी अपने कंट्रोल में ली।
मैंने उसके चूतड़ ऐसे पकड़े कि मेरी उंगलियाँ उसकी चूत से छूने लगीं।
अचानक ट्रेन की स्पीड से चुदाई शुरू कर दी।
रचना इस हमले के लिए तैयार नहीं थी।
वो पूरी हिल गई।
उसकी सिसकारियाँ दर्द में तब्दील होने लगीं।
पर ये ऐसा दर्द है, जिसे हर कोई जिंदगी भर लेना चाहता है, चाहे मर्द हो या औरत।
इस बीच रचना एक बार और झड़ गई।
उसका कामरस मेरे लंड के आसपास फैल गया।
इसके बाद मैं भी अपनी मंजिल तक पहुँचने वाला था।
मैंने रचना से पूछा, “अपना रस अंदर डाल दूँ क्या?”
उसने बिना कुछ कहे मेरी सवारी छोड़कर नीचे उतर गई और लंड को अपने मुँह में जितना हो सकता था भरकर जोर-जोर से चूसने लगी।
जल्द ही मेरा लावा फूट पड़ा।
रचना उसे अपने गले में उतारती चली गई। जितना हो सका, उसने पिया, बाकी का उसके मुँह से टपकता हुआ मेरे लंड के आसपास गिरने लगा।
पाँच मिनट तक रचना मेरे सीने से लगकर पड़ी रही।
भाभी Xxx चुदाई के बाद मैं उसके नंगे पीठ को सहला रहा था।
उसने घड़ी में वक्त देखा, जो तीन बजने का इशारा कर रहा था।
रचना ने उठकर धीरे से दरवाजा खोला, पहले बाहर देखा, फिर तसल्ली से नंगे बदन ही बाथरूम गई।
वहाँ उसने खुद को अच्छे से साफ किया।
दस मिनट बाद वो आकर मेरे ऊपर लेट गई और मेरे सीने में उंगलियाँ फिराते हुए बोली, “आज तुमने मुझे पूरा कर दिया! वरना शादी के इतने दिनों बाद भी मुझे सुहागन वाला सुख नहीं मिला था!”
मैंने उसे अपनी ओर खींचा।
हमारे होंठ फिर से भिड़ गए।
इस बार हम आहिस्ता-आहिस्ता, प्यार से चूम रहे थे।
पहले हम एक-दूसरे को खा जाना चाहते थे पर अब बिल्कुल प्यार से किस कर रहे थे।
मेरे वीर्य पीने की वजह से रचना के मुँह से अजीब-सी महक आ रही थी, जो मुझे धीरे-धीरे उत्तेजित कर रही थी।
मेरे हाथ उसकी पीठ छोड़कर उसके नर्म चूतड़ मसलने लगे।
मेरा लंड भी धीरे-धीरे तनाव में आने लगा।
जब मेरा लंड रचना के पेट में ठोकर मारने लगा, उसने मुस्कुराकर कहा, “आज के लिए इतना काफी है! पहली चुदाई की वजह से मेरी चूत भी दर्द कर रही है!”
मैंने कहा, “वो तो ठीक है, पर अब ये खड़ा हो गया! इसे भूख लगी है, कुछ तो करो इसका!”
रचना ने नशीली आँखों से मुझे देखा और बिना कुछ कहे नीचे सरककर गप्प से लंड को मुँह में भर लिया, अपने दाँतों को लंड पर रगड़कर, सपड़-सपड़ जोर-जोर से चूसने लगी।
हम दोनों वासना के सागर में गोते लगाने लगे।
मैं उसके सिर को लंड पर दबाए जा रहा था।
वो अपने नाखूनों से मेरे स्तन नोच रही थी।
अचानक उसने लंड मुँह से निकाला और अपनी जीभ पूरी निकालकर मेरे आंडों से लंड के टोपे तक चाटने लगी, जैसे वो लंड नहीं, कोई आइसक्रीम हो।
फिर से लंड मुँह में भरकर जोर-जोर से चूसने लगी।
दस मिनट बाद मेरा लावा फिर फूट पड़ा।
मैंने रचना का मुँह जोर से अपने लंड पर दबा दिया जब तक उसने मेरा पूरा रस निचोड़ लिया।
वो उठी और मुस्कुराकर हँसने लगी।
2-3 बूँदें उसके मुँह से होती हुई उसके स्तन पर गिरने लगीं।
वो बोली, “लो, हो गया आज का इसकी भूख का इंतजाम! अब खाना खत्म!”
हम दोनों हँस पड़े।
फिर रचना नीचे उतरी, ग्लास से पानी पिया और मेरे टॉवेल से खुद को अच्छे से साफ किया, फिर कपड़े पहनने लगी।
मैंने कहा, “थोड़ी देर और रुक जाओ!”
वो बोली, “4 बजने वाले हैं! थोड़ी देर में सास-ससुर उठ जाएँगे, तो परेशानी हो जाएगी! पर अब तो हम मिलते रहेंगे ही!”
ये कहकर उसने मुझे चूम लिया।
मैंने भी वक्त की नजाकत समझते हुए ज्यादा जिद नहीं की।
अब तो आग रचना के अंदर भी लग चुकी थी और उसे बुझाने के लिए मेरे पास आना ही पड़ेगा।
वो अपने कपड़े पहनकर एक जोरदार चुंबन देकर धीरे से नीचे अपने कमरे में चली गई।
तो दोस्तो, ये थी रचना के साथ मेरी पहली चुदाई।
मैं वहाँ 4 साल रहा और लगभग हर हफ्ते 3 से 4 बार रचना की चुदाई की।
यही नहीं, छह महीने बाद रचना ने अपनी ननद मीनाक्षी की भी चुदाई मुझसे करवाई।
पर वो सब अगली कहानी में!
भाभी Xxx चुदाई कहानी आपको कैसी लगी?
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