बस में मिली अनीता की सील तोड़ी

राहुल
हैलो दोस्तो, आज मैं पहली बार अपनी आपबीती आप सबको बताने जा रहा हूँ। मैं राहुल म.प्र. का रहने वाला हूँ और मैं दिखने में सामान्य सा लड़का हूँ। मेरी उम्र 28 साल है।
आगे मैं अपनी घटना बताने जा रहा हूँ, जो आपको बिल्कुल झूठ लगेगी मगर सच है।
यह उस समय की घटना है, जब मैं भोपाल में कंप्यूटर कोर्स कर रहा था।
मैंने आज तक सारे त्यौहार कभी भी घर से बाहर नहीं मनाए थे। अभी होली की त्यौहार आने वाला था और मैं अपना कंप्यूटर क्लास करके शाम को भोपाल से बस में घर आने के लिए बैठ गया।
मेरे शहर तक पहुँचने में बस से करीबन चार घंटे लगते हैं। मुझे बस में सफर करना अच्छाट लगता है इसलिए बस में बैठ गया। लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि यह सफर इतनी खुशनुमा होगा। मैं बस में खिड़की के पास बैठ गया और करीबन आधा सफर पूरा कर लिया था।
फिर एक जगह कुछ देर के लिए बस रूकी तो मैं सिगरेट पीने नीचे आया और जब चढ़ा तो देखा कि एक साँवली सी लड़की मेरी सीट के आगे वाली सीट पर बैठी हुई है‍। तब से मेरा मन उस पर मचल उठा।
वो लड़की 18 साल की थी, देखने में साँवली लड़की थी, मगर उसका फिगर जबरदस्त था। गोलाई का आकार लिए संतरे उसको देखने में सेक्स-बम बना रहे थे। नीचे टाइट जींस और ऊपर गुलाबी रंग का टॉप पहने हुई थी।
अब बस आगे बढ़ने लगी, तो मैं अपना पैर धीरे से आगे ले गया और उस लड़की के पैर में हल्का सा छुआ तो उसने अपना पैर आगे कर लिया।
मेरे मन में थोड़ा डर और थोड़ी उत्सुकता ने घर बना लिया था। फिर मैं अपना हाथ सीट से होते हुए उसके बालों को सहलाने लगा। सामने से कुछ रिस्पांस नहीं आया तो थोड़ा डर लगने लगा कि कहीं चिल्लाने न लगे।
फिर कुछ दूर जाने के बाद एक बार फिर अपना हाथ उसके गर्दन पर ले गया। लड़की तब भी कुछ नहीं बोली, इससे मुझे थोड़ी और हिम्मत आ गई।
फिर जब वह कुछ नहीं बोली, तो एक बार फिर उसके गर्दन, बाल और उसके बालियों से खेलने लगा। मुझे यह नहीं पता था कि वो लड़की कहाँ उतरने वाली थी, इसलिए मैंने बस टिकट पर अपना नम्बर लिख कर सामने बैठी उस लड़की को दे दिया क्योंकि मुझे पता था कि लड़की अब कुछ नहीं बोलेगी।
उसने वह टिकट जिस पर मेरा नम्बर था, लेकर मेरे हाथों को अपने हाथ में जकड़ लिया, उसकी वो बात मुझे बहुत अच्छी लगी।
जब यह सब हुआ तो मैं सीट की बगल से हाथ आगे ले जाकर उसके संतरे जैसे आकार वाली चूचियों से खेलने लगा।
करीबन आधे घंटे के सफर के बाद वो उतर गई और उतरते समय वो कातिल निगाहों से देख कर मुस्कुरा कर चल दी।
मैं अब बस में बैठ कर उसके साथ सफर के बारे में सोचने लगा। लड़की बहुत ही अच्छी थी और मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि लड़की इतनी जल्दी कैसे पट गई।
उसी के बारे में सोचते-सोचते कब घर पहुँचा, कुछ समझ में नहीं आया। अब रात को उसके बारे में सोच कर दो बार मुठ भी मार चुका था। अगले दिन होली मनाने के बाद घर में दो दिन और रूका फिर भोपाल आ गया।
मुझे लगने लगा कि वो लड़की कभी फोन नहीं करेगी और उसको एक खूबसूरत सपना समझ कर भूल गया।
मगर मुझे अच्छे से याद है मैं और मेरा दोस्त शुक्रवार को एक फिल्म देखने गए थे, तब एक अनजान नम्बर से फोन आया।
पहले तो मैंने सोचा कि फोन न उठाऊँ मगर पता नहीं क्या हुआ, मैंने बाहर आकर फोन रिसीव किया और दूसरी तरफ से एक लड़की की आवाज आई और उसने अपना नाम अनीता (बदला हुआ नाम) बताया। वो लड़की क्रिश्चियन थी।
मैंने पूछा- कौन अनीता?
तो उसने मुझे बस वाले सफर के बारे में बताया। मैं बहुत खुश था, अब फिल्म भी बेकार लगने लगी थी। रात में जाकर मैं बाथरूम में गया और फिर मुठ मारी और सो गया।
कुछ दिनों तक फोन पर ही बात करने के बाद उसने अपने घर का पता दिया और मुझसे मिलने का समय दोपहर को 2 बजे का तय किया क्योंकि उसके बाद उसके घर में और कोई नहीं रहता था।
दोस्तो, जब फोन पर बात हो रही थी, तब उसने बताया कि उसके साथ उस दिन उसके पिताजी भी थे। यह सुनकर तो मेरा दिल और ‘धक’ से रह गया। मगर वो बात बीत चुकी थी, इसलिए ज्यादा डरने की बात नहीं थी।
मैं अगले दिन 2 बजे उसके घर पहुँचा। घर ढूँढने में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन आँखों में चुदाई के सपने लिए घर से निकला था तो खाली हाथ तो वापस नहीं आने वाला था।
रास्ते में कंडोम का एक पैकेट और चाकलेट ले गया था, क्योंकि पहली बार खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लग रहा था।
मैं जब उसके घर पर गया तो वो मुझे बैठने के लिए बोली और मेरे लिए पानी एक गिलास लाकर मुझे पकड़ाने लगी तो मैंने उसको पकड़ कर उसको अपनी गोदी में बिठा लिया और धीरे-धीरे उसके गालों चूमने लगा।
वो ना-नुकुर कर रही थी, मगर फिर भी मैं उसको चूमने लगा।
उसके बाद उसके होंठों को फिर उसकी सुराहीदार गरदन को।
मेरे इन मदमस्त चुम्बनों से वो थोड़ी गर्म होने लगी और मैंने एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा।
धीरे-धीरे चुम्बन का कार्य भी प्रगति पर था और हमारे शरीर से कपड़े भी धीरे-धीरे अलग हो रहे थे।
फिर मैंने उसको अपना लण्ड चूसने के लिए बोला, तो वो मना करने लगी।
फिर धीरे से वो मेरा लण्ड चूसने लगी, मगर ज्यादा देर तक चूस नहीं पाई। मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते वो इतनी उत्तेजित हो गई कि एक बार वो झड़ गई थी।
अब वो कहनी लगी, “प्लीज राहुल, अब करो…! मैं अब और नहीं सह सकती।”
वो अपने मुँह से सीत्कारें निकाल रही थी। मुझे डर लग रहा था कि कोई सुन कर अन्दर ना आ जाए।
मेरा लण्ड भी तन गया था और अब मुझ में भी उसे रोकने की क्षमता नहीं रही। मैंने अपना लण्ड अनीता के चूत में जैसे ही डाला उसकी चूत गीली होते हुए भी मेरा लण्ड बाहर फिसल गया।
तब मैंने अनीता से पूछा- क्या  तुमने पहले किसी के साथ चुदाई की है..!
तो उसने मना कर दिया और कहने लगी, “ये मेरी पहली चुदाई है।”
कुछ देर रूक कर मैंने पहले अपने लण्ड पर तेल लगाया और थोड़ा तेल उसकी चूत पर भी मल दिया। उसके बाद धीरे-धीरे मैंने अपने लण्ड महाराज को उसकी चूत महारानी में प्रवेश कराया।
जैसे ही मैंने लौड़ा अन्दर डाला, उसकी आँखों से आँसू निकल आए। उसकी दर्द मिश्रित तेज आवाज हमारे होंठ मिले होने के कारण बाहर नहीं निकल पाई।
जब मेरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया, तो बिस्तर पर खून के धब्बे दिखाई देने लगे।
हम थोड़ा सा डर गए, लेकिन मैंने कहीं पढ़ा था कि जब लड़की पहली बार चुदती है तो उसकी चूत से खून निकलता है।
जब वो थोड़ा कंफर्टेबल हुई तो फिर हम दोनों अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाते चले गए।
वो भी मेरा साथ देने लगी और कमरे में चुदाई की ‘फच-‘फच की आवाज गूंज रही थी और उसके मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं।
उसकी मादक आवाजें माहौल को जोशीला बना रही थीं।
करीबन 20 मिनट की चुदाई के दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी। अब मेरा लण्ड शांत होने लगा और कुछ देर के बाद फिर हमारे बीच काम-क्रीड़ा चालू हुई।
मैं 2 से 4 बजे के बीच में उसको दो बार चोद चुका था। वो भी बेहाल हो चुकी थी और मैं भी बेहाल हो चुका था।
मगर इस चुदाई के बाद मुझे जो शांति मिली उसके बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता। मौसम एकदम से सुहाना लगने लगा।
मैं जब पेशाब करने गया तो मेरा लण्ड खून से हल्का लाल दिख रहा था। हमने कुछ देर आराम किया और फिर मैं अपने घर चला गया।
मगर इस चुदाई के बाद मुझे पता चला कि चुदाई कितनी जरूरी है।
अनिता और उसकी सहेली की चुदाई की कहानी फिर कभी।
तो दोस्तो, मेरी पहली कहानी कैसी लगी जरूर बताइए।
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