बस के सफ़र से बेडरूम तक-2

(Bus Ke Safar Se Bedroom Tak-2)

योनि की जगह से उनकी कच्छी पूरी गीली हो गई थी, मैडम की चूत पूरी पनिया गई थी, मैंने अपना हाथ कच्छी के अंदर घुस दिया और उनकी चूत के दाने को मसलने लगा।
जैसे ही चूत के दाने को मैंने मसला तो मैडम पूरी तरह से कसमसा गई और सीईई… सीई ईईई… सी… सी.. मुँह से आवाज़ भी निकलने लगी और मेरे लण्ड को और जोर से दबाने लगी।

थोड़ी देर में चूत के दाने को धीरे धीरे एक उंगली से मसलता रहा और मैडम को मीठी मस्ती की सैर करवाता रहा।
इतने में राजगढ़ भी निकल गया लेकिन मस्ती के मज़े में मैडम भूल गई कि अगला स्टॉप उनका है। मैंने ही उन्हें बताया कि राजगढ़ निकल गया और अगला स्टॉप आपका है।

मैडम ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये और मुस्कुराते हुए मुझे बहुत धन्यवाद दिया और कहा इतना मज़ा तो फॉर प्ले में उन्हें कभी नहीं आया जितना आज आया। बहुत बहुत धन्यवाद आपका, लेकिन मनु मैं चाहती हूँ कि इस अधूरे काम को अब पूरा भी करके जाओ।
‘मैं समझा नहीं मैडम?’ मैंने कहा।

मैडम बोली- मनु, तुमने मेरी तन की आग भड़का दी तो मैं अब तुमसे चुदना चाहती हूँ और तुम यहीं मेरे साथ ब्यावर उतर जाओ और वैसे भी इतनी रात हो गई है, मेरा काम करके सुबह पहली बस से निकल जाना।

मैंने कुछ सोचा और हामी भर दी।
फिर मैं मैडम के साथ ही ब्यावर उतर गया और उनके साथ उनके घर चला गया।
मैडम ने मुझे बताया था कि वो अकेली रहती हैं।
जैसे ही उनके घर पहुचे तो मैडम ने दरवाजा बंद किया और वहीं मुझसे लिपट गई और पागलों की तरह मुझे चूमने लगी।
मैं भी उनका साथ देने लगा।
वो मेरे होठों को इस तरह चूस रही थी कि जैसे बरसों से चुदाई की प्यासी हों।

लगभग 5 मिनट के बाद मैंने उनको अलग किया, नहीं तो मुझे लग रहा था कि चूमने में उनके ब्रेक नहीं है।
वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई और मेरे सारे कपड़े बड़ी फ़ुर्ती के साथ उतार दिए और खुद भी पूरी नंगी हो गई।

मैंने कहा- जानेमन इतनी भी जल्दी क्या है।

लेकिन मुझे जवाब दिए बिना वो गप्प से मेरा लौड़ा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
क्या मज़े से लण्ड चूस रही थी मैडम… दोस्तो, शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
ज्यों ज्यों उनके मुँह की लार से लण्ड गीला हो रहा था तो उनके मुँह से लर्प… लर्प… सड़प… सड़प… की आवाज़ उनके मुँह से निकल
रही थी।
मैं भी मस्ती के नशे में उनके मुँह को ही चूत समझ कर चोदने लग गया था।
थोड़ी देर में मैं अपनी चरमसीमा पे पहुंच गया और मैडम के चूचों को पूरी ताकत से जोर जोर से दबाने लग गया।
मैडम कसमसा उठी, मैंने अपने लण्ड की धार उनके मुख में ही उतार दी और मैडम ने लण्ड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया।
मैडम ने मेरी और देखते हुए मुझसे पूछा- कैसा लगा जानू?

मैं उनके होठों को चूमते हुए बोला- लाजवाब… मगर अब मेरी बारी है।

कहते हुए मैंने उनकी चूत को पहले सहलाया और अपनी जुबान से सहलाने लग गया।
ऐसा करते ही मैडम के मुख से ऊई माँ… सीईई ईई… मर गई… उम्मम्मह… आह्ह… निकलने लगा और मैं चूत की पलकों हटाते हुए चूत को चाटता जा रहा था।
ज्यों ज्यों चाटने की मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी, त्यों त्यों मैडम अपने कूल्हों को ऊपर उचकाते हुए अपने पूरे नशे में मदमस्त होकर अपनी चूत को चटवा रही थी और कह रही थी- चाटो मेरी जान… और चाटो आह्ह्ह… आह्ह्ह… सी… सी… आह्ह्ह.. इसकी पूरी आग आग ठंडी कर दो।

फिर तो मैं अपनी जुबान से उनकी फ़ुद्दी को चोदने लगा।
थोड़ी ही देर में मैडम बोली- मैं गईई ईई… आह्ह्ह… जानू आह्ह्ह…जानू…

मैं समझ गया कि मैडम अब झड़ने वाली हैं तो मैंने उनकी चूत की पलकों को दाने सहित अपने मुंह में दबा लिया और चूसने लगा।
फिर तो मैडम के सब्र का बांध टूट गया और और वो धीरे धीरे अपनी कमर उचकाते हुए मेरे मुंह में झड़ने लगी।
बड़ा नमकीन टेस्ट था उनके रस का…

जब मैंने मैडम को देखा तो उनके चेहरे से असीम शांति के के भाव नज़र आने लगे जैसे बरसों बाद उनकी आत्मा को तृप्ति मिली हो!
मैं फिर से उनकी चूत को चाटने लग गया, थोड़ी देर में वो फिर से गर्म हो गई और लण्ड को चूत में डालने के लिए मनुहार करने लगी।

इस क्रिया में पूरे 10 से 12 मिनट लग गए और मेरा लण्ड वापस खड़ा हो गया।

मैंने मैडम की टांगों को ऊपर उठाकर अपने कंधों पर रखा और लण्ड को मैडम की चूत के मुँह से सटाया और एक धक्का लगाया।

चूत के गीली होने के कारण लण्ड बड़े आराम से गप्प की आवाज़ के साथ चूत की पलकों को चीरते हुए चूत की गहराइयों में उतरता चला गया।
फिर थोड़ी देर के लिए मैं मैडम से पूरा चिपट गया और लण्ड चूत के अंदर था।
फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए, लण्ड बड़े आराम से चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
मैडम फिर से सी…सी… उह्ह्ह… उह्ह… आह्ह…आह्ह…करके चुद रही थी।

फिर मैंने मैडम की टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए उनके कंधों से मिला दिया और फिर पूरी स्पीड के साथ उन्हें चोदने लगा।
मेरे ऐसा करने से मैडम की चूत का मुँह थोड़ा और खुल गया और थोड़ी ऊपर हो गई जिस कारण मैं उन्हें पूरी ताकत से चोद पा रहा था।

थोड़ी ही देर के बाद मैडम का शरीर अकड़ने लगा और वो जोर जोर से अपनी कमर उचकाने लगी। फिर लगभग दो मिनट के बाद चूत से पिच्च पिच्च पिच्च फच्च…फच्च की आवाज़ आने लग गई, मैं समझ गया कि मैडम झड़ चुकी हैं। फिर भी मैं रुका नहीं और लगातार चोदता रहा और इस कारण मैडम की चूत में हल्के हल्के झाग बनने लगे थे।
मैडम झड़ चुकी थी, इसके बावज़ूद वो लण्ड के हर धक्के का जवाब अपनी कमर उचका कर दे रही थी-
आह्ह… आह्ह… ऊह्ह… उह्ह… ह्ह्म्… ह्म्म्म… ह्म्म्म… ओह मेरी जान चोदो… चोदो… फाड़ दो आज मेरी मुनिया को.. हाय… हाय…. उम्ह्ह्ह्….उम्ह्ह्… हआ…हाआ…
लेकिन मैं तो अपनी मस्ती में चोदे जा रहा था।
फिर मैंने मैडम से अपने लंड के ऊपर कूदने के लिए बोला क्योंकि मैं भी अब झड़ने के कगार पर था।
ऐसा कहकर मैंने लण्ड को चूत से निकाला और नीचे लेट गया।

मैडम ने झट से मेरे लण्ड को हाथ में लेकर चूत के मुँह पर ले जा कर एक से चूत के अंदर डाल दिया और मज़े से लण्ड के ऊपर कूदने लगी।
मैंने भी मैडम के मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने और दबाने लगा।
फिर मैंने मम्मों की घुण्डियों को मसलना शुरु किया तो मैडम और जोर जोर से कूदने लगी।
दोस्तो, आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि घुंडी को मसलने से औरत और उत्तेजित होती है।

मैडम बड़े प्यार से लण्ड के ऊपर कूद रही थी- उह्ह..उह्ह.. उह्ह… उह्ह्ह…
मुझे भी मज़ा आ रहा था क्योंकि लण्ड के ऊपर मुझे कुदवाना अच्छा लगता है। मेरे मुंह से मस्ती भरी आह्ह.. आह्ह्ह… मेरी जान आह्ह… आह्ह्ह… कूदो और कूदो आह्ह्ह… निकल रहा था।

फिर मैंने मैडम को बोला कि मेरा पानी छुटने वाला है तो मैडम बोली- मेरा भी।
वो उत्तेजनावश जोर जोर से लण्ड के ऊपर कूदने लगी कि मेरा शरीर अकड़ने लगा और अपनी पिचकारी मैडम चूत के अंदर ही छोड़ दी और इस कारण मैंने उत्तेजना में मैडम के दोनों मम्मों को बुरी तरह से भींच दिया जिससे मैडम आईई… आई.. आई… आईई ईई… मेरे राजाआ.. आ… आह्ह आह्ह… करने लगी।

थोड़ी ही देर में मैडम भी ‘हाय मेरे राजा… मैं भी आ रही हूऊऊ… आह.. आह्ह… आईई… आईई… आह्ह्ह… करते हुए धीरे धीरे अपनी चूत को लण्ड पर रगड़ते हुए झड़ रही थी और बुरी तरह हांफ रही थी और निढाल होकर मुझसे चिपट गई।

मैं भी हांफते हुए एक बेल की तरह मैडम से चिपट गया।
थोड़ी देर के बाद जब हम नार्मल हुए तो मैडम बोली- मनु इतना मज़ा मुझे मेरी लाइफ में आज पहली बार आया है आज से मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, कभी भी आकर तुम मुझे चोद सकते हो।

मैं बोला- ठीक है मैडम।
सुबह के 4.30 बज चुके थे, हम साथ साथ नहाये और एक राउंड बाथरूम में और लिया उसके बाद मैं तैयार होकर निकलने को था तो मैडम मुझे मुझे 3000 रूपए देती हुए बोली- इन्हें रख लो!

तो मैंने लेने से मना कर दिया लेकिन उन्होंने मुझे जबरदस्ती पकड़ा दिए, फिर मुझे एक लम्बा किस दिया और सुबह सात बजे बस में बिठा कर गई।
तो दोस्तो, यह था बस से बेडरूम तक का सफ़र…
वैसे मेरी लाइफ में बहुत सी मैडमें चुदी तो मैडमों के ऊपर मेरी एक कविता है।
कविता का शीर्षक है- बदल बरसे आँगन में

एक हमारी प्यारी मैडम
मस्ती भरे इस यौवन में
शाम ढले जब पीया घर आये
खाट बिछाई आँगन में
लब चूसे स्तन दबाये
लंड घुसाया जान्घन में
झूम झूम कर मैडम चुद गई
जब बदल बरसे आँगन में…
तो दोस्तो, अपने विचार जरूर लिखें।

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