चूत की चुदाई करवा ली एक अजनबी से-2

(Choot ki Chudai Karwa Li Ajnabi Se- Part 2)

चूत की चुदाई करवा ली एक अजनबी से-1

मेरी चूत की चुदाई की पोर्न सेक्स स्टोरी में आपने अब तक पढ़ा कि ट्रेन में एक अजनबी ने मेरे खूब दूध दबाए और बाद में मुझे एक होटल में ले गया।
अब आगे:

फिर वो मेरे ऊपर कूद पड़ा और मेरी ब्रा उतार दी। अब उसके सामने मेरी चूचियां बिल्कुल नंगी थीं।

‘अहह.. कितना तड़पाया है इन मम्मों ने.. एकदम रसीले आम जैसे.. बड़े-बड़े.. अह.. मन करता है कि खा जाऊं इनको..’
‘उम्म्म… अनूप तुम्हें अच्छा लगा?’
मेरे चूचियां चूसते हुए बोला- बहुत ही ज्यादा मस्त दूध हैं।
‘पहले किसी ने चूसा नहीं.. बस दबाया है।’
‘तो मेरी तो किस्मत खुल गई। तुम्हें मजा आ रहा है?’
‘हाँ.. बहुत.. और करो अच्छा लग रहा है।’

अब वो मेरे एक चूची को दबाता और दूसरी को चूसता, फिर कभी मेरे निप्पल को काटता.. कभी हाथ से, कभी दाँत से मेरे हार्ड निप्पल को खींचता।
मैं सिसकारी भर रही थी.. खुद ही अपनी चूचियों को दबा रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं ये सब कर रही हूँ।

‘रोशनी.. तुझे इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां कैसे मिलीं?’
‘कैसे नहीं.. ये पूछ क्यूँ मिलीं?’
‘क्यूँ?’
‘ताकि दबाने वालों को मजा आए.. उस लिए।’
‘अह..’
‘अनूप बाईट इट.. आह.. प्लीज़..’
‘डोंट वरी बेबी.. आज मैं दिन भर इसके साथ खेलूँगा।’

इतने में पापा जी का फोन आ गया.. तो मैंने पापा जी को कनफर्म कर दिया कि मैं हॉस्टल में आ गई हूँ।

फिर हम लोग शुरू हो गए।

उसका लंड खड़ा हो चुका था और मेरी जाँघों पर लग रहा था। वो मेरी जींस उतारने लगा। मैं खुश हो रही थी।

‘अपनी पेंटी उतारो जानेमन।’

वो भी बिल्कुल नंगा हो गया। उसका लंड देख कर मैं हैरान थी.. पूरे 8” लंबा और 3.5” मोटा। मैं उसका हब्शी लंड देख कर डर गई।

फिर वो मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चुत सहलाने लगा। मैं वासना से पागल हो रही थी। वो मेरे सामने था.. मैंने उसके लंड को हाथ में ले लिया।

‘ओह गॉड.. कितना मोटा है.. लोहे जैसे तना हुआ है।’
‘ये तुम्हारे लिए है जानेमन।’

ऐसा कहकर उसने मेरी पेंटी को फाड़ दिया और एक उंगली को मेरी चुत में घुसा दिया। ‘आअहह..’
‘रोशनी.. तुम तो हॉट हो गई हो.. गीली हो चुकी हो।’
‘हाँ अनूप.. आई एम हॉट’

वो मेरे पैरों के बीच में आ गया और उसने मेरी चुत के ऊपर किस किया।

‘वाउ.. रोशनी योर चुत स्मेल नाइस.. अभी मुझे इसके साथ खेलना है।’
‘खेल लो.. सब कुछ तुम्हारा ही है।’

फिर वो मेरी चुत में दो उंगलियां डाल कर मुझे उंगली से चोदने लगा और मेरी चुत को चाटने लगा।

‘अहह.. अनूप.. मैं पागल हो जाऊंगी।’

वो कभी मेरी चुत की फांकों को चाटता.. कभी क्लिट को काटता.. वो मेरी पूरी चुत को पाव समझ कर खा रहा था।

मैं उसके सर को अपने चुत पर दबा रही थी। मैंने सोची कि वो मेरी चुत को चाट चुका है.. तो क्यूँ ना मैं भी उसका लंड चूस लूँ.. जैसे कि पोर्न सेक्स मूवी में होता है। मैंने उसे नीचे खड़ा होने को कहा और खुद नीचे बैठ गई।

मेरी आखों के सामने उसके लंड तनतना रहा था। मैंने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और सहलाने लगी। मुझे अच्छा तो नहीं लग रहा था.. पर हिम्मत करके मैं उसके लंड को चाटने लगी। हम दोनों पूरे नंगे थे.. मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि मैं लंड चूस रही हूँ।

‘वाउ.. इट्स ग्रेट..’

फिर देखते ही देखते मैं उसके पूरे के पूरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी। साथ ही मैं उसके बॉल भी चाट रही थी। उसका लंड मेरे गले तक आ रहा था।

कुछ ही देर में मजा इतना अधिक बढ़ चुका था कि मैं पागलों की तरह उसके लंड को चूसने लगी।

‘आह्ह.. रोशनी.. तुम तो बहुत अच्छा चूस रही हो.. आह.. ऐसा कभी पहले भी हुआ है?’
‘कभी नहीं किया।’

फिर वो मेरे मुँह को अपने लंड से चोदने लगा ‘रोशनी मैं झड़ने वाला हूँ।’

फिर उसने अपने लंड को मेरे मुँह से निकाल लिया और मेरी चूचियों के ऊपर पानी छोड़ दिया।
कुछ देर रुकने के बाद उसने कहा- रोशनी अभी मैं तेरे दूध चोदूँगा.. चल जल्दी से बिस्तर पर आजा।

फिर वो मेरी चूचियों के बीच अपना लंड रख कर चोदने लगा। उधर नीचे मेरी चुत में खलबली मच रही थी। उसके लंड की रगड़ मेरी चूचियों में बहुत ही मजा दे रही थी। वो लंड से मेरे चूचियों को चोद रहा था- अनूप और रुका नहीं जा रहा.. प्लीज़ फक मी नाउ!
‘हिन्दी में बोलो मेरी जान।’
‘अनूप.. प्लीज़ मुझे चोदो.. अब और रुका नहीं जा रहा.. जल्दी से अपना लंड मेरी चुत में पेल दो और चोद दो मुझे।’
‘और तड़पो… जैसे मैं पूरे रास्ते में तड़पा।’
‘और मत तड़पाओ.. चोद दो साले.. फक मी नाउ..’

अब वो मेरी दोनों टांगों के बीच आ गया था और अपने लंड को मेरी चुत की फांकों में फंसा कर रगड़ने लगा।

मैं अपनी गांड उठा कर उसका लंड लीलने को मचल रही थी- अनूप और तड़पाओ मत!
‘ये लो मेरी जान..’ ये बोल कर उसने लंड को मेरी चुत के अन्दर घुसेड़ दिया।

‘आआहह.. मर गई.. अनूप.. निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है।’
‘नहीं मेरी जान.. जब से तुम्हें ट्रेन में देखा है.. तब से ये लंड तुम्हें चोदने को तड़प रहा है। अब तो ये तुम्हें चोद कर ही शांत होगा.. ये लो.. अहा.. ओह..’
‘आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गइईईई.. धीरे करो..!’
‘अब तो ये तेजी ही पकड़ेगा।’

उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और झटके मारने लगा। मुझे दर्द हो रहा था। फिर कुछ झटकों के बाद मेरा दर्द थोड़ा कम हो गया.. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं किसी अनजान के साथ चुद रही हूँ।

‘आह.. रोशनी.. तेरी चूची तो मस्त हिल रही हैं.. अह.. तेरी चुत भी एकदम कसी हुई है.. आहआ.. ये ले साली..’
‘ओह.. अनूप.. चोदो मुझे और अन्दर डालो साले.. मेरी चुत की सारी खुजली मिटा दो..’
‘उम्म.. ये ले और ले.. पूरा अन्दर डाल रहा हूँ.. आहा.. अहहा.. आह..’
‘और जोर से चोद… रोको मत..’

मैं अपनी गांड उछाल कर उसका साथ दे रही थी। वो मेरे दोनों चुचों को पकड़ कर मुझे चोदने लगा।

वो इतनी जोर से चोद रहा था कि पूरे कमरे में चुदाई की ‘फक..फहक..’ की आवाज़ गूँज रही थी। वो मुझे जोर-जोर से चोदते हुए कह रहा था- मजा आ रहा है ना?
‘हाँ.. बहुत.. मेरे चूचों को खींच-खींच कर मुझे चोदो.. ऊओह आह.. आअहह… मजा आ रहा है अनूप.. और जोर से करो और चोदो..’

‘चलो.. अब डॉगी बनो जान..’
मैं जल्दी डॉगी स्टाइल में आ गई जो कि मैंने बस वीडियो में देखी थी। उसने तुरंत ही मेरे पीछे आकर मेरी चुत में ही एक धक्के में अपना लंड अन्दर घुसा दिया और चोदने लगा।

‘आह.. अनूप और तेज चोदो.. और चोदो.. फक मी फक मी.. अह.. फक.. पूरा लंड अन्दर डालो।’
‘आज तेरी चुत की हालत बहुत खराब होने वाली है साली कुतिया.. तेरी चुत का भोसड़ा बना दूँगा..’
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कभी वो मेरी कमर पकड़ कर मुझे चोदता.. तो कभी चूचियों को खींच-खींच को मुझे ठोकता। जब भी वो मेरे तरबूज जैसी चूचियों को दबाता तो मुझे और ज्यादा मजा आता। काफ़ी देर चुदाई करने के बाद अनूप बोला- रोशनी.. अह.. मैं अब झड़ने वाला हूँ.. आआअहह।

‘चोदते रहो.. मैं भी आने वाली हूँ।’
‘आज हमारी पहली चुदाई है.. तो तुम्हारे अन्दर ही पानी छोड़ूँगा।’

कुछ देर बाद हम दोनों शांत हो गए।

वो मेरे ऊपर ही लेट गया।

‘अगर तुम ‘हाँ’ ना करतीं तो शायद मैं तुम्हारे साथ जोर आजमाइश कर देता। तुम इतनी हॉट हो कि कोई भी तुम्हें चोदना चाहेगा। मैंने तो तुम्हें देखते ही तुम्हें चोदने की सोच लिया था।’
‘अच्छा हुआ कि तुमने बता दिया.. नहीं तो इतने अच्छे से हमारी चुदाई कभी नहीं हो पाती।’
‘दरअसल.. मैंने जानबूझ कर तुम्हारे दूध पर पैर लगाया था। मैं उस वक्त पोर्न सेक्स देख रहा था.. तो मुझसे रुका नहीं गया और सामने तुम थीं.. तो मैंने पैर से तुम्हारी चूची दबा दी। मैंने तो तभी से ही तुम्हें नेकेड इमेजिन कर लिया था।
‘अब.. सब कुछ तुम्हारा है.. सब कुछ तो मिल गया.. अब कैसा लगा?’
‘तुम तो बहुत ही मस्त माल हो.. मजा आ गया.. जी करता है कि यूं ही दिन-रात तुमको चोदता रहूं।’
‘तो तुम्हें रोका किसने है.. चोदो न मुझे। मेरा सपना था कि कभी मैं भी जी भर कर बेशर्म की तरह चुदाई करवाऊं वो भी किसी पोर्न सेक्स मूवी के जैसे। आख़िर.. तुमने मेरा सपना तुम पूरा कर दिया।
‘अरे बाप रे.. तब तो बहुत कुछ बाकी है।’ ‘मतलब??’
‘मुझे तुम्हें और चोदना है।’
‘जैसा तुम चाहो।’

फिर वो मेरे निप्पल को चूसने लगा।

‘तुम फ्रेश हो जाओ.. मैं बाहर से कुछ सामान लेकर आता हूँ।’
‘ओके..’

वो कपड़ा पहन कर बाहर चला गया। मैं बिस्तर पर लेटे रह कर चुदाई के बारे में सोचने लगी। मुझे भी और चुदाई करनी थी.. उसका लंड चाहिए था। मैं उठ कर नहाने जाने वाली थी कि वो आ गया। वो कुछ नमकीन, पानी की बोतल, साबुन और आई-पिल लाया था।

‘थैंक्यू..’

फिर हम दोनों एक साथ नहाने गए। दोनों नंगे होकर एक साथ नहाया.. एक-दूसरे को साबुन लगाया। वो मेरी चुत के अन्दर साबुन डाल रहा था। जब मेरी चुत मचलने लगी.. तो फिर उसने मुझे चोद दिया। हम दोनों ने बाथरूम में ही चुदाई की।
वो तो अपना लंड मेरी चुत से निकाल ही नहीं रहा था। वैसे ही वो मुझे बिस्तर पर ले आया।

‘चलो मिरर के सामने तुम्हें चोदता हूँ।’ फिर उसने मुझे मिरर के सामने चोदा। मैं मिरर में खुद को चुदते हुए देख रही थी। हम दोनों को ऐसा लग रहा था कि बस चुदाई ही करते रहो। पता नहीं उसने क्या खाया था कि वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

हम दोनों की कमरे के हर एक कोने में घूम घूम कर चुदाई चल रही थी। वो मुझे कभी दीवार से सटा कर मेरी एक टांग उठा कर चोदता तो कभी नीचे चित्त लिटा कर पेलता.. कभी और किसी तरह से चोदने लगता।

फिर वो बोला- रोशनी मैं तुम्हारी गांड भी मारना चाहता हूँ।’
‘दर्द होगा..’
‘मजा भी तो आएगा.. तुम्हारे पास वैसलीन या फिर कोई लिप बाम तो होगा ना.. प्लीज़।’
‘हाँ.. मेरे हैण्डबैग में है।’
‘ठीक है दे दो।’

फिर मैं उसे क्रीम देकर डॉगी बन गई। उसने अपने लंड और मेरी गांड के छेद पर वैसलीन लगा दी।

‘धीरे करना..!’
‘तुम्हें बहुत मजा आएगा।’

वो अपना लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे डालने लगा। जब मुझे दर्द हुआ तो थोड़ा रुका और फिर डाला।

‘आह.. नहीं होगा.. दर्द हो रहा है।’
‘डरो मत कुछ नहीं होगा।’
‘हाँ’

फिर वो धीरे-धीरे मेरी गांड मारने लगा।

‘आ..आह.. धीरे करो।’
‘हाँ जान।’

अब वो थोड़ा तेज होने लगा.. उसके मोटे लंड से गांड मरवाने में मुझे अच्छा लग रहा था- आह अनूप.. सच में अब काफ़ी मजा आ रहा है.. चोदते रहो।

कुछ देर गांड मरवाने के बाद मैंने उससे कहा- अब मैं तुम्हें चोदूँगी.. चलो अब बिस्तर पर लेट जाओ।’

वो अब बिस्तर पर लेट गया और मैं उसके लंड के ऊपर बैठने हो गई.. मैंने हाथ में लंड लेकर खुद ही उसका लंड अपनी चुत के अन्दर घुसेड़ने लगी और लंड लीलते ही मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया।

‘आह.. पूरा अन्दर जा रहा है.. आह.. अह.. तेरे दूध तो मस्त हिल रहे हैं.. ला मैं इसके निप्पल चूस लूँ।’

फिर उसने मेरी चूचियों को पकड़ कर खींच लिया और चूसने लगा।

‘रोशनी मेरी जान.. कमाल की हो तुम।’ अब मैं अपनी गांड उछाल रही थी। उसका लंड पूरा अन्दर जा रहा था। हम दोनों ने हर एंगल से चुदाई की.. हर पोज़िशन में उसने मुझे चोदा।

दोपहर तक हम एक-दूसरे की हर तरह से चोद चुके थे। मेरी चूचियों पर काटने के लाल-लाल दाग पड़ चुके थे।

फिर थोड़ा रेस्ट करके शाम को हम लोग निकले। हम दोनों ने एक-दूसरे के बारे में कुछ भी जानने की कोशिश नहीं की.. बस चुदाई की। उसने मेरी बॉडी के हर पार्ट से बहुत अच्छे से खेला और उसे बहुत मजा आया।

आते टाइम हम दोनों एक-दूसरे को किस किया।

‘क्या हम फिर कभी मिलेंगे?’
‘पता नहीं अनूप..’
‘मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।’
‘मैं भी और थैंक्यू’।

वो फिर से मेरी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा। मुझसे भी और रुका नहीं जा रहा था। हम दोनों फिर से चुदाई की। फिर कपड़े पहन कर निकल पड़े। मैंने आई-पिल खा ली.. मेरे से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, किसी तरह मैं हॉस्टल आ गई।

उसके बाद 3 साल हो गए.. हम कभी नहीं मिले। मैं अब तक और दो लोगों के साथ चुदवा चुकी हूँ.. लेकिन उसके जैसे मजा किसी के साथ भी नहीं आया। उसके जैसा बड़ा मोटा लंड आज तक नहीं मिला। मैं आज भी उसके साथ चुदाई करने के लिए तड़पती हूँ।

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