जीजा ने कुंवारी साली को दोस्त से चुदवाया- 1
(Chut Chudai Ki Talab)
चूत चुदाई की तलब किसी भी लड़की या लड़के को पागल कर देती है. ऐसे ही मेरे एक दोस्त की साली को चुदाई की तलब हुई. उसने अपनी साली को मुझसे मिलवाया.
दोस्तो, मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ और मैं लगभग सभी कहानियां पढ़ चुका हूँ.
मैंने सेक्स कहानियां पढ़कर बहुत मुठ मारी है.
सबकी तरह मुझे भी चुदाई का शौक है.
ऊपर वाले की दया से मुझे चूतें अपने आप मिल जाती हैं.
कई बार तो कुंवारी टाइट चूत भी मिल जाती है.
शादीशुदा 40 साल, 45 साल की ठुकी हुई चूतों का तो कोई हिसाब ही नहीं है.
इसी लिए मेरे पास लिखने के लिए बहुत कुछ है.
समय-समय पर मैं आपको उनमें से कुछ मजेदार अनुभव आपके साथ साझा करूँगा.
मैं दिल्ली से राहुल हूँ, मैं 44 साल का हूँ और देखने में बहुत अच्छा हूँ.
इसका प्रमाण यह है कि मुझे आज तक किसी भी लड़की, महिला या कपल ने रिजेक्ट नहीं किया.
इस सच्ची चूत चुदाई की तलब सेक्स कहानी को मसालेदार बनाने के लिए हिंदी के कुछ गंदे शब्दों का प्रयोग किया गया है.
वास्तविक चुदाई में इतना नहीं होता, जितना कहानियों में लिखा जाता है.
मैंने अब तक कम से कम 100 चूतें चोदी होंगी.
मेरा पर्सनल अनुभव कहता है कि बहुत कम लड़कियां चुदाई के समय या उससे पहले के वक्त में हिंदी के गंदे शब्दों को या गालियों को बोलती हैं.
मेरा एक कपल मित्र प्रकाश (बदला हुआ नाम) करोल बाग, दिल्ली में रहता है.
वह मुझे पिछले कई साल से अपनी सेक्सी बीवी कोमल को चोदने के लिए लगातार बुला रहा है.
उसकी बीवी जब मुझसे चुदना शुरू हुई थी, तब उसकी चूत बहुत छोटी थी.
मैंने उसे इतना पेला कि उसकी चूत फटकर भोसड़ा हो गई है.
उसने मुझसे चुद कर मेरे वीर्य से जन्में अपने दो बच्चे भी चूत से निकाले हैं.
अब मुझे कोमल की चूत चोदने में मजा नहीं आता.
उन पति-पत्नी से मेरी अच्छी दोस्ती है.
कोमल को मेरे लंड का साइज बहुत पसंद है.
उसके पति का लंड मेरे से छोटा है, स्टैमिना भी कम है इसलिए वह मेरी काफी देर तक चलने वाली चुदाई से बहुत प्रभावित है.
प्रकाश ने मुझे कुछेक चूतें भी दिलाईं.
हम दोनों ने उसके घर की कामवाली और पड़ोसन को भी पेला था.
यह चूत चुदाई की तलब की सच्ची कथा उसकी जवान कुंवारी साली स्नेहा के बारे में है.
मैं उसकी बीवी कोमल को चोदता हूँ.
साली स्नेहा को यह बात तब पता चली, जब वह नरेला गांव से अपनी बहन के घर करोल बाग आई थी.
उसने अपनी बहन की चुदाई वाली चैट देख ली.
स्नेहा कॉलेज में थी और उसकी उम्र शायद 20-21 के आसपास थी.
अभी उसके लिए लड़का देखा जा रहा था.
स्नेहा बोली- जीजा जी, आपसे बात करनी है! आप तो छुपे रुस्तम निकले!
प्रकाश को अंदाजा नहीं था कि स्नेहा किस बारे में बात कर रही है.
उसने बड़े आराम से कहा- क्यों साली जी, क्या हो गया ऐसा?
स्नेहा थोड़े गुस्से से बोली- आपने मेरी दीदी कोमल को क्या समझ रखा है?
प्रकाश को लगा कि घर-गृहस्थी की कोई रोजमर्रा की बात होगी, जो बहनों में हुई होगी.
वह हंसते हुए बोला- मेरी प्यारी साली साहिबा, मैंने तेरी बहन को बीवी समझा है! अब पहेलियां बुझाती रहोगी या बताओगी कि क्या मसला है?
स्नेहा थोड़े गुस्से से बोली- आप कोमल को किसी और आदमी से मिलवाते हो! मैंने चैट पर सब पढ़ लिया है! आपको शर्म नहीं आती?
प्रकाश ने मन ही मन ऐसा सोचा कि ओहो, तो यह बात है! तभी यह कंटाप मिर्ची इतना शोर मचा रही है! साली को कैसे पता चल गया?
इसके साथ ही वह डर भी गया कि स्नेहा हमारे संबंध के बारे में किसी को न बता दे.
लेकिन यह भी था कि अगर ये चूत इतनी नाराज होती, तो अब तक महाभारत हो जाती, ससुर तक मामला चला गया होता!
शायद सेक्स का खेल देखकर स्नेहा की चूत भी अब लंड मांग रही है, चूत चुदाई की तलब के कारण वह इतना नाटक कर रही है.
यह सब कुछ अंदाजा ही था.
पक्की बात क्या है, स्नेहा के मन में क्या है, मालूम नहीं था.
यह सब मुझे प्रकाश ने बताया.
प्रथम दृष्ट्या यह मामला गंभीर था.
भविष्य में बात बिगड़ न जाए … साली कहीं बक न दे, यह सोचते हुए प्रकाश ने सोचा कि स्नेहा को भी एक बार चुदवा दिया जाए ताकि उसका मुँह बंद रहे और भविष्य में किसी तरह की गुस्ताखी न करे.
स्नेहा को खुद चोदने की जगह बाहर के किसी आदमी से चुदवाया जाए ताकि भविष्य में साली के बिगड़ने पर उसको सुना सके कि साली, तू भी तो बाहर के लंड से चुदी थी!
इस काम को मुझे अंजाम देना था.
प्रकाश की यह योजना सुनकर मेरा लंड खुशी से फूलने लगा.
मुझे इसमें क्या ऐतराज था कि कुंवारी लड़की मेरे लंड से चुदे?
योजना के तहत उसने 2-4 बार कॉन्फ्रेंस कॉल करके अपनी साली से बात करा दी ताकि हमारा अनजानापन थोड़ा दूर हो जाए.
हमारी योजना कामयाब रही.
कुछ दिनों में वह गर्म हो गई और उसकी चूत में खुजली होने लगी.
वह करोल बाग स्थित अपने जीजा-जिज्जी के घर चुदने को तैयार हो गई.
दस जून 2023 का दिन तय हुआ.
प्रकाश ने मुझे भी बुला लिया.
मैंने पिछली रात अपने लंड को साफ करके चिकना कर लिया था.
अब तक हमने एक-दूसरे को नहीं देखा था, सिर्फ फोन पर बात हुई थी.
मैं करोल बाग वाले फ्लैट पर गया, तो एक बहुत सुंदर लड़की नीले रंग का सूट पहने हुई मौजूद थी.
मेरी पारखी नजरों ने उसके दूध गांड की गोलाई का जायजा लिया.
वह 36-30-38 की साइज के साथ मेरे लंड को खड़ा करने के लिए मेरे सामने मौजूद थी.
मैंने उसका नाम पूछा- आप?
‘हां जी, मैं स्नेहा हूँ … बताइए?
उसने अपना नाम बताते हुए एक मुस्कान दे दी.
साली पूरा एटम बम थी! वह तो आम लड़की थी ही नहीं … कोई हूर या परी थी.
सुंदर होंठ, सुराहीदार गर्दन, उसका 5 फुट 4 इंच का कुंवारा शरीर. मदमस्त पतली कमर, नीचे विशाल भरी हुई दमदार गांड … आह देख कर ही आंखों ने उसकी चुदाई आरंभ कर दी थी.
जिस औरत या लड़की की बड़ी गांड होती है, मैं उसके प्रति अपने आप ही आकर्षित हो जाता हूँ.
चौड़ी गांड मेरी कमजोरी है! इस लड़की की गांड तो कातिल थी!
उसे देख कर लगा, आज तो जन्नत का नजारा आने वाला है! वाओ …
स्नेहा से मैंने अपना परिचय देते हुए हाथ मिलाया- हैलो, कैसी हो?
स्नेहा हंस कर बोली- ठीक हूँ!
उसका मक्खन से भी ज्यादा मुलायम हाथ मेरे हाथ में था.
हम दोनों सोफे पर बैठ गए.
स्नेहा नीची निगाह किए फर्श में गड़ी जा रही थी.
तभी प्रकाश भी आ गया और वह मुझे देखते हुए अपनी साली से बोला- स्नेहा, यह मेरा खास दोस्त है. यह तुम्हें कोई तकलीफ नहीं देगा. मेरी गारंटी है!
प्रकाश को महसूस हुआ कि उसकी मौजूदगी में स्नेहा खुल नहीं पाएगी और शर्माती रहेगी, तो उसने उधर से जाना तय कर लिया.
उसने कहा- स्नेहा, मैं एक घंटे के लिए कोमल (स्नेहा की दीदी) को देखता हूँ और उसको थोड़ा बिजी रखता हूँ, ताकि वह यहां आने की जल्दी न करे. तुम राहुल के साथ अच्छा टाइम बिता सको!
यह कहकर वह चला गया और जाते-जाते बाहर से लॉक लगा गया, ताकि कोई पड़ोसी या कूरियर वाला अन्दर आने की न सोचे.
अब हम दोनों यानि मैं और स्नेहा, बिल्कुल अकेले थे.
मैंने उसका हाथ पकड़कर बोला- स्नेहा, थैंक्स फॉर कमिंग! तुम डरो मत. मैंने पहले भी बहुत सी कुंवारी लड़कियों के साथ सेक्स किया है. मैं तुम्हें जरा भी तकलीफ नहीं दूँगा!
वह अभी भी शर्म के आगोश में थी.
मैंने उसका हाथ पकड़े-पकड़े चूमना शुरू कर दिया.
वह पसीना-पसीना हो रही थी.
मैं बोला- प्लीज, डरो मत! मुझे बिल्कुल अपना दोस्त मान कर चलो. तुम्हें डराकर, तकलीफ देकर मुझे कुछ हासिल नहीं होगा!
मेरी यह बात सुनकर वह थोड़ा बेफिक्र हुई.
मैं उसको खड़ा करके उसके तपते हुए शरीर के पास आ गया.
हम दोनों बिल्कुल पास-पास सटे खड़े थे.
उसके शरीर से निकलती हुई आंच साफ-साफ महसूस की जा सकती थी.
क्यों न हो, 24 साल की कुंवारी बुर में कितनी गर्मी होती है, यह बात हर चोदू को मालूम रहता है.
मैंने उसके माथे को चूमना शुरू किया, फिर गालों पर आ गया.
उसके गाल विद्या बालन की तरह भरे-भरे थे. मेरा एक हाथ उसके लंबे बालों से खेल रहा था और दूसरा उसकी कमर पर था.
मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया.
फिर मैंने उसके कानों की लौ को बहुत आहिस्ता-आहिस्ता चूमा और हल्का सा काटा भी.
वह एकदम से मेरी बांहों में झूल सी गई!
अब मैंने अगला कदम बढ़ाया. उसके गालों और कानों को छोड़ा और रसीले होंठों पर हमला कर दिया.
उसका ऊपरी होंठ पकड़ा और उसे अपने होंठों से खाने लगा.
मेरे इस कदम से स्नेहा की सांस अटक सी गई.
उसके नथुनों से गर्म सांस निकल रही थी. मैंने उसके होंठ बुरी तरह से चूमना शुरू कर दिया.
मेरा एक हाथ अभी भी उसके शरीर के भूगोल का माप ले रहा था.
दूसरा हाथ उसकी गांड की तरफ गया, तो मुझे लगा कि यह दुनिया की सबसे चौड़ी गांड है!
उसके जितनी चौड़ी गांड मैंने आज तक किसी कुंवारी लड़की की नहीं देखी थी.
मुझे लगा, साली कहीं गांड तो नहीं मरवाती?
मेरे दोनों हाथों ने उसकी गांड का माप लेना शुरू कर दिया.
अगर आज इस कुतिया की गांड मारने को मिल जाए, तो कितना अच्छा होगा!
लेकिन मैंने अपनी इस इच्छा को जाहिर नहीं किया.
वह अपनी चूत मरवाने आई थी, गांड नहीं.
किस्मत में हुई, तो भविष्य में कभी गांड भी मारेंगे!
मैं अब धीरे-धीरे उसका कुर्ता निकालने की कोशिश कर रहा था जो 36 साइज के बूब्स पर इतना ज्यादा फंसा हुआ था कि निकल ही नहीं रहा था.
मैंने उससे कुर्ता निकालने को बोला.
उसने अपने गोरे-गोरे हाथ ऊपर उठाकर कुर्ता बाहर निकाल दिया.
कुर्ते के बाहर निकलते ही उसकी दो विशाल टाइट चूचियां लाल ब्रा में मेरे सामने थीं.
मैंने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.
स्नेहा सेक्स के मारे तड़प उठी.
उसकी टांगें काँप रही थीं.
मैंने ब्रा खोल दी और ब्रा खुलते ही मोटी चूचियां बाहर कूदकर आ गईं.
गोरी-गोरी चूचियां, बड़े वाले आम के आकार की कुंवारी 36 साइज की चूचियां!
उन पर एक छोटा सा किशमिश जैसा निप्पल गजब ढा रहा था.
मैंने उसकी चूचियों को पकड़ा और एक को अपने मुँह में लेकर उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.
उसके 36 साइज के अनटच कुंवारे दूध कैसे रहे होंगे, आप अंदाज लगा सकते हैं!
वह आह आह किए जा रही थी.
अब सलवार खोलकर जन्नत का दरवाजा देखने का समय था.
मैंने सलवार का नाड़ा पकड़ कर ढीला कर दिया.
सलवार ढीली होकर नीचे गिर पड़ी.
स्नेहा मेरे सामने लाल रंग की पैंटी में नंगी खड़ी थी.
वह अजंता-एलोरा की मूर्ति लग रही थी!
जन्नत का दरवाजा लाल पैंटी ने कवर किया हुआ था.
स्नेहा को बहुत शर्म आई.
उसने जबरन सलवार पकड़ कर दोबारा पहन कर अपनी चूत छुपाने की कोशिश की हालाँकि चूत पर उसने पैंटी पहन रखी थी.
मैंने कहा- छोड़ो ना! ऐसे शर्म करोगी, तो कैसे काम चलेगा!
मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी सलवार निकाल दी.
अब वह लजाती हुई सुर्ख लाल पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी.
पैंटी जालीदार थी, जिसमें से उसकी चूत का गोरा-गोरा रंग झलक मार रहा था.
उसकी चूत बहुत गोरी थी और जालीदार पैंटी में ऐसी लग रही थी, जैसे अन्दर से सफेद रोशनी निकल कर बाहर आ रही हो.
मैंने धीरे से उसकी पैंटी में हाथ मारा और उसकी गांड की तरफ से पीछे से उसके चूतड़ नंगे कर दिए.
आह दुनिया के सबसे सुंदर चूतड़ मेरी आंखों के सामने थे!
उसकी पतली कमर से नीचे जब मैं अपने हाथों को उसके चूतड़ों की ओर ले गया, तभी मुझे अंदाज़ा हो गया था कि ये चूतड़ शायद दुनिया के सबसे चौड़े चूतड़ हैं!
हर आदमी की अपनी कमज़ोरी होती है और मेरी तो खास तौर पर ये थी.
अभी तक उसकी पैंटी पीछे से चूतड़ों की ओर से आज़ाद हो चुकी थी, लेकिन जन्नत का दीदार होना अभी बाकी था.
स्नेहा ने चूत को अभी भी ढक रखा था. उसने ऐसी कोशिश की थी कि मैं उसकी चूत न देख सकूं.
लेकिन इतना सब होने के बाद ये सारी कोशिशें बेकार थीं.
मैंने उसके दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से उसकी पैंटी को आगे से नीचे खींच दिया.
पैंटी उसकी विशाल, गोरी केले जैसी जांघों में फंस गई थी.
चूत अभी भी पूरी तरह नहीं दिख रही थी … मोटी-मोटी जांघों में फंसी हुई थी.
मैंने उस पर हाथ लगाया तो बिल्कुल चिकनी चूत मेरे सामने थी.
चूत बिल्कुल साफ थी, जैसे एक-दो दिन पहले ही साफ की हो.
मैंने जबरन पैंटी उतार दी.
पैंटी निकलते ही स्नेहा पूरी तरह नंगी, आदमजात अवस्था में मेरे सामने खड़ी थी.
मुझे लगा मैं किसी खजुराहो की नंगी मूर्ति को देख रहा हूँ.
सुंदर चेहरा, पतले-पतले होंठ, सुराहीदार गर्दन, शानदार स्तन, पतली कमर, केले के तने जैसी चिकनी, तराशी हुई जांघें और चौड़ी गांड!
जांघों के बीच में एक हल्की-सी लकीर, जो बता रही थी कि जन्नत का छेद कहीं अन्दर छिपा है.
उसे देखकर कौन पागल न हो जाए?
मैंने उसकी कोरी चूत को अब ध्यान से देखा.
बिल्कुल एक पतली लकीर-सी खींची हुई थी, जैसे आम को बीच में से काटकर चीरा लगा दिया हो.
कुल मिलाकर स्नेहा चोदने के लिए एक परफेक्ट आइटम थी.
मैंने झटके से अपनी पैंट उतारी और अंडरवियर में उसके सामने खड़ा हो गया.
उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने अंडरवियर के अन्दर अपने सांप जैसे बलखाते लंड पर रख दिया.
मेरे गर्म, विशाल लंड पर हाथ पड़ते ही वह शर्मा गई.
लगता था उसने मर्द का लंड पहली बार पकड़ा था.
वह बोली- नहीं, नहीं … मैं ऐसा नहीं करती!
मैंने कहा- बस पकड़ो, मुँह में लेने को नहीं कह रहा!
उसने कहा- ठीक है!
मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया.
मेरा लंबा लंड बाहर निकलते ही अपने रंग में आ गया.
कल प्रकाश का फोन आने के बाद मैंने लंड की सफाई की थी.
अब बिल्कुल साफ-सुथरा लंड उसके सामने था.
मेरे लंड पर एक भी बाल नहीं था.
अब चिकनी चूत और चिकने, मोटे लंड के मिलन को कोई नहीं रोक सकता था.
हम दोनों आमने सामने नंगे खड़े थे.
मेरा लंड उसके सपाट पेट में घुस रहा था.
कमरे में AC चल रहा था, लेकिन हम दोनों पसीने से तर-बतर थे.
मैं उसके नंगे, तपते बदन को फूल की तरह अपनी बांहों में उठाकर बेड पर ले गया.
उसे आराम से लिटाकर मैं भी उसके साथ लेट गया.
स्नेहा किसी मर्द से पहली बार चुदने जा रही थी.
वह मर्द और कोई नहीं, उसके जीजा का दोस्त था.
मैं धीरे-धीरे उसके ऊपर आ गया और उसके शरीर को चूमना शुरू कर दिया.
उसके होंठ, स्तन, कमर, पेट पर आते-आते मैंने अपना मुँह उसकी जांघों की ओर ले गया.
जांघों की अंदरूनी मुलायम त्वचा पर मैंने कई चुंबन किए और अपने होंठ नीचे पैरों तक ले गया.
वहां मैंने उसके तलवों, अंगूठे और उंगलियों को चूमा. चूत को जानबूझकर नहीं छेड़ा था.
वह भी बहुत गर्म हो चुकी थी. इसलिए मैंने उसकी चूत को भी छेड़ना शुरू कर दिया.
मुझे पूरा यकीन है कि जिनके पास लंड है, वे लंड से और जिनके पास चूत है, वे चूत से पानी निकाल रहे होंगे!
आगे क्या हुआ? स्नेहा को चोदने की बाकी मज़ेदार चूत चुदाई कहानी अगले भाग में.
मुझे मेल और फीमेल, दोनों के पत्रों का इंतज़ार रहेगा:
[email protected]
चूत चुदाई की तलब की कहानी का अगला भाग:
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