तन की प्यास

प्रियांशु
मुझे आप सभी की कहानियाँ बहुत पसंद आईं.
आज से एक साल पहले की बात है, मैं देहरादून से रूड़की जा रहा था। जैसे ही मैं बस में घुसा सामने ही एक औरत बैठी थी, उसके बगल वाली सीट खाली थी।
मैंने उससे पूछा- क्या यह सीट खाली है?
वो कुछ बोलती इससे पहले ही मैं पीछे निकल गया।
तभी किसी ने बोला- तुम्हें आगे वाली मैडम बुला रही हैं।
जब मैं गया तो वो बोली- बैठ जाओ!
मैं वहीं बैठ गया, थोड़ी देर में ही बस चलने लगी और वो सोने लगी। मैंने उसे गौर से देखा वो बड़ी ही दिलकश लगी, उसकी उम्र करीब 38 साल होगी, फिर मैं उसे देख कर अपने आप को रोक नहीं पा रहा था।
मुझे लगा कि ज़रूर इसके मन में कुछ है। तभी मेरे जाने के बाद भी इसने आगे अपने पास बुला लिया।
वैसे मैं बता दूँ कि मैं दिखने में अभी 20 साल का लगता हूँ पर मैं 26 साल का हूँ। दुबला-पतला पर दिखने में अच्छा हूँ।
मैं वापस कहानी पर आता हूँ।
मैंने अपना एक हाथ उसकी जाँघ पर धीरे से रख दिया, सोने का नाटक करके मैं उसकी जाँघों पर धीरे-धीरे सहलाते हुए उसकी चूत के पास धीरे-धीरे हाथ ले जाने लगा।
एक-दो बार लगा कि उसे थोड़ा कुछ हो रहा था, पर मैं भी रुकने वाला नहीं था।
मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि अपने आपको रोक नहीं पा रहा था।
फिर मैंने धीरे से अपनी कोहनी उसकी छाती के बगल से सटा दी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, थोड़ी देर में ही रुड़की आ गया।
मैंने सोच लिया था कि अब मैं दिल्ली तक जाऊँगा और जितना हो सकता है मज़े लूँगा।
रुड़की में मैंने उससे बोला- आप मेरा समान देखना!
मैंने बस से उतर कर कुछ खाने का सामान लिया और बस में आकर बैठ गया।
आने के बाद उसने मुझसे पूछा- तुम कहाँ तक जा रहे हो?
तो मैंने कहा- मुझे भी दिल्ली ही जाना है, पहले मैं रुड़की उतरने वाला था। कुछ काम था, पर अब देर हो गई है, तो मैं अब सीधे दिल्ली जाऊँगा।
फिर वो मुस्कुराने लगी, तभी वो एक सामान बेचने वाली पर गुस्सा होने लगी।
फिर मुझसे बोली- तुम करते क्या हो?
तो मैंने बोला- मैं बीटेक को पढ़ाता हूँ।
उससे विश्वास ही नहीं हो रहा था तो मैंने उसे अपना पहचान-पत्र दिखाया।
तो बोली- तुम्हारी उम्र कितनी है?
मैंने बोला- 26 साल है!
बोली- कोई तुम्हें देख कर नहीं कह सकता, वैसे तुम जितने सीधे लगते हो.. हो नहीं…!
मैं समझ गया, वो ऐसा क्यों बोल रही थी।
पर फिर भी मैंने पूछा- क्यों?
तो बोली- तुम्हें क्या लगा कि मुझे पता नहीं चलेगा, जो तुम कर रहे थे मुझे सब पता था। जब तुमने अपना हाथ मेरे शरीर से छुआ था, पर मैं देखना चाहती थी कि तुम कहाँ तक जाते हो!
मैंने उससे माफी माँगी और कहा- मैं अपने आप को रोक नहीं सका।
उसने कहा- कोई बात नहीं.. लेकिन यह बताओ तुम्हें डर नहीं लगा कि अगर मैं तुम्हें थप्पड़ मार देती तो?
मैंने कहा- मैं जानता था कि तुम ऐसा नहीं करोगी, क्योंकि जब मुझे अच्छा लग रहा था तो तुम्हें भी लग रहा होगा..!
उसने कहा- सच कहूँ.. मैं भी अपने आपको नहीं पाई, पता नहीं क्यूँ पर मेरा भी एक बार तुम्हारे साथ सेक्स करने का मन है।
मैंने बोला- तो फिर आज ही करते हैं!
तो बोली- नहीं, आज मेरी ट्रेन है.. दिल्ली से मुंबई की!
मैंने कहा- तुम ट्रेन छोड़ दो!
तो बोली- नहीं!
फिर बस रुड़की से दिल्ली के लिए निकल पड़ी, रात के 8 बज रहे थे। उसने अब अपना जैकेट निकाल कर अपने सीने पर रख लिया। मैंने भी अपना हाथ उसके छाती के ऊपर रख लिया और फिर काफ़ी देर तक मसलता रहा।
फिर मैंने अपना हाथ उसके जीन्स में डाल कर उसकी चूत को दबाने लगा।
वो उत्तेजित हो कर मुझसे चिपकने लगी। हम दोनों पूरी तरह से लैंगिक क्रियाओं के आनन्द में डूब गए थे।
वो बस बोले जा रही थी- मुझे तुम्हारा लण्ड चाहिए.. अपनी इस चूत में…!
तभी दिल्ली आ गया।
मैंने उससे दोबारा रुकने के लिए कहा, पर वो नहीं मान रही थी, तो मैंने अपने दोस्त को फोन करके उसकी सुबह की फ्लाइट की बुकिंग करवा दी।
फिर वो तैयार हो गई और हम दोनों ने दिल्ली में एक होटल में कमरा ले लिया और जाते ही वो पागलों की तरह मुझसे लिपट गई। जल्दी ही हम दोनों निर्वस्त्र हो गए और फिर मैं उसके चूचों को मुँह में भर कर चूसने लगा।
वो मचलने लगी और बोली- अब बर्दाश्त नहीं होता.. अपना लण्ड मेरी चूत में डालो और मेरी प्यास बुझा दो..!
उसने मेरा लण्ड अपने हाथों में लेकर उसे अपनी चूत पर सैट किया और फिर धक्के पे धक्के लगने शुरू हो गए।
कुछ ही पलों में वो तेज़ी से झड़ने लगी, पर मैं अभी नहीं झड़ा था मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा। फिर हमने दोबारा चुदाई आरम्भ की और वो फिर झड़ने लगी।
फिर वो थोड़ी देर रुकने के लिए बोली। हमने तीसरी बार चुदाई शुरू की और फिर मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
उसके बाद उसने मुझे बाथरूम में नहलाया और चूमने लगी।
सुबह के दो बज रहे थे फिर हम दोनों सो गए, क्यूँ कि सुबह 6 बजे उसकी फ्लाइट थी। मैं उसे सुबह एयरपोर्ट पर छोड़ कर वापस आ गया।
दोबारा फिर हम मिले और हमने एक बार और लम्बी चुदाई की, पर वो फिर कभी..!
दोस्तो, बताओ आपको मेरी कहानी कैसी लगी..!
आपके पत्रों की प्रतीक्षा में..!
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top