चूत में कॉपर टी लगाने वाले डॉक्टर से चुदी- 1

(Copper T Sex Protection)

गुरु 1090 2025-12-04 Comments

सेक्स प्रोटेक्शन के लिए कॉपर टी लगवाने मैं एक लड़के डॉक्टर के पास चली गयी मस्ती के लिए. उसने नई प्रक्टिस शुरू की थी. मैंने उसे कॉपर टी लगाने को कहा तो वह मुझे अंदर ले गया.

यह कहानी सुनें.

नमस्ते दोस्तो, मैं स्वीटी हूँ. कर्नल पुरोहित की इकलौती सेक्सी बेटी.

मेरी पिछली कहानी
बेटी बनी बाप की रखैल
में आपने पढ़ा था कि कैसे मां के गुजर जाने के बाद समय ने ऐसी करवट ली कि मैंने खुद अपने पापा का बिस्तर गर्म करके मां की कमी पूरी की.

पापा के साथ जिंदगी बहुत मस्त गुजर रही थी.
रोज़ की चुदाई ने मेरे जिस्म में गज़ब के बदलाव कर दिए थे.
मेरी ब्रा का साइज़ एक नंबर और कप दो नंबर तक बड़े हो गए थे, जांघें मांसल हो गईं और गांड भी खूब उठ गई थी.
बाकी शरीर पर भी रौनक छा गई थी.

हर वक्त दिमाग में लंड, चूत और चुदाई घूमते रहते थे, जिसकी वजह से मैं बहुत ही कामुक कपड़े पहनने लगी थी.

मैं रोज़ पापा के कमरे में ही सोती थी.
इससे एक एसी का बिल भी कम हो गया था और नाइटी का खर्चा भी बच रहा था क्योंकि घर में हम अक्सर नंगे ही रहते थे.
हां, उतना ही खर्चा कंडोम, आई-पिल वगैरह पर हो जाता होगा.

तीन बार अबॉर्शन भी करवाना पड़ा क्योंकि मैं अपने ही पापा के बच्चे की मां नहीं बन सकती थी.

वैसे पापा को कंडोम पसंद नहीं था और मुझे भी उसमें मज़ा नहीं आता था.
मेरा और पापा का मानना है कि जब तक चमड़ी पर चमड़ी की रगड़ न पड़े, तब तक चुदाई में मज़ा ही नहीं आता.

चुदाई के बाद जब गर्भाशय की दीवारों पर गर्मागर्म वीर्य की पिचकारी पड़ती है तो बिल्कुल जन्नती सुख का अहसास होता है.
इसी सब की वजह से एक दिन मैंने पापा से कहा- मैं कॉपर-टी लगवा लेती हूँ. उन्होंने भी हामी भर दी और हम दोनों ने कॉपर-टी लगवाने का फैसला ले लिया.

कॉपर-टी लगवा लेने से यह होना था कि जितनी मर्जी चुदाई करो, चूत में ही माल छोड़ो … साला बच्चा ठहरने की टेंशन ही नहीं.

सेक्स प्रोटेक्शन कॉपर टी लगवाने पापा मेरे साथ जा नहीं सकते थे.

हम दोनों के अलावा कोई तीसरा हमराज़ भी नहीं था तो मैंने अकेले ही जाकर कॉपर-टी लगवाने का फैसला किया.

सुबह नहा-धोकर मैंने एक क्रॉप टॉप और शॉर्ट स्कर्ट पहन ली.
सेक्स बम बनकर शीशे में खुद को निहारा और घर से दूर किसी क्लीनिक की तलाश में निकल पड़ी.

क्लीनिक में डॉक्टर से मिलने पर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा.
उस डॉक्टर की उम्र बहुत कम थी. शायद अभी पढ़ाई पूरी करके डॉक्टरी शुरू की होगी.

लेकिन गूगल पर जानकारी करने से उसकी रेटिंग्स बहुत अच्छी थी, मतलब डॉक्टर होशियार था.

एक तरफ मैं उस नौजवान लड़के को डॉक्टर मानने को तैयार नहीं थी, दूसरी तरफ मरीज़ के रूप में मुझे देखते ही उसका मुँह खुला का खुला रह गया.

अधेड़ उम्र की मोटी आंटियों के बीच मुझ जैसी सेक्सी डॉल को देखकर उसके मुँह से लार टपकने लगी थी.

वह बैठा था और मैं खड़ी थी, जिस वजह से मेरी शॉर्ट स्कर्ट में मेरी अंदरूनी जांघों पर उसकी निगाहें जैसे जम सी गई थीं.

मेरी चूत के नज़ारे लेने की कोशिश में उसकी झुकती गर्दन को मैंने टोका.

मैं- हैलो!
डॉक्टर- हम्म … हां हैलो-हैलो … प्लीज़ बैठें!

उसका सकपकाया चेहरा देखकर मैं मुस्कुराती हुई बैठ गई.
मुझे मुस्कुराता देख कर वह भी झेंप गया और शर्म से लाल हो गया.

कमरे का माहौल हल्का करने के लिए मैंने ही पहले बात शुरू की.

मैं- गुड मॉर्निंग डॉक्टर!
डॉक्टर- जी गुड मॉर्निंग … कहिए, क्या परेशानी है?

मैं- आप काफी यंग लगते हैं पक्का आप ही डॉक्टर हैं?
वह हंसते हुए बोला- जी हां, मैं ही डॉक्टर हूँ. पिछले साल ही पढ़ाई पूरी करके ये क्लीनिक शुरू किया है. आप मेरी उम्र पर मत जाइए, मुझसे बेहतर आपको ढूँढने से भी नहीं मिलेगा!

उसके लफ्जों में शैतानी का भाव था.
मैंने भी उसे सफलता का अहसास दिलाते हुए शर्माकर सिर झुका लिया.

अगले ही पल सिर उठाकर देखा तो उसकी निगाहें मेरे क्लीवेज में घुसी थीं और वह एकटक मेरे चूचों को घूरे जा रहा था.

मौके का फायदा उठाते हुए उसे दोबारा शर्मिंदा करने के लिए मैंने कहा.

मैं- गुप्त रोग का डॉक्टर होने के नाते आपने बहुत से गुप्तांग देखे होंगे, फिर भी मेरी देखने के लिए इतने उत्सुक हो!

ये सुनते ही वह शर्मिंदा हो गया और बोला- वह … दरअसल, आपके ‘फीचर’ बहुत अच्छे हैं. डॉक्टर होने के नाते मैं कह सकता हूँ कि आपने लाखों में एक जिस्म पाया है.

ये बात उसने मुझे रिझाने के लिए कही थी और वह अपने मकसद में सफल भी रहा.
मुझे सुनकर बहुत अच्छा लगा.

डॉक्टर- वैसे इतनी सी उम्र में आपको क्या गुप्त रोग हो गया?
मैं- रोग कोई नहीं है, मैं कॉपर-टी लगवाना चाहती हूँ.

यह सुनकर पहले वह थोड़ा कन्फ्यूज हुआ और बोला- आप शादीशुदा तो नहीं लगतीं?
मैं- नहीं, मेरी अभी शादी नहीं हुई है.

ये सुनकर वह मुस्कराते हुए मजाकिया अंदाज में बोला- लगता है, किसी की सेक्स लाइफ कुछ ज्यादा ही बढ़िया चल रही है.
ये सुनकर मैं कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी.

वह फिर से बोला- किस्मत वाली हो, यहां तो देखने को भी नहीं मिलती!

अब तक हम छेड़खानी और मजाक में खुल चुके थे.

मैं बोली- झूठ मत बोलो डॉक्टर हो, देखने को तो बहुत मिलती होंगी बाकी तुम क्यों ही बताओगे!

ये सुनकर वह जोर से हंस पड़ा और बोला- चलिए, उस केबिन में आपके कुछ टेस्ट करने होंगे.

मैं उठकर उसके बताए केबिन में गई तो देखा, वहां एक ऑपरेशन टेबल जैसा बेड था, जिस पर मैं बैठ गई और इंतजार करने लगी.

कुछ ही देर में वह डॉक्टर भी केबिन में आ गया और मेरे सामने खड़े होकर बोला- लेट जाइए और आपको अपने कपड़े हटाने होंगे.

ये सुनते ही मैं चौंकी और सोचा कि आज इस नौसिखिया डॉक्टर के साथ कुछ मस्ती की संभावना बन सकती है क्या?

वह दूसरी तरफ मुड़कर मशीन के कुछ बटन दबाने लगा था.

इधर उसकी बात मानते हुए मैंने अपना टॉप उतार कर किनारे रख दिया.
ब्रा मैंने पहनी ही नहीं थी, सो मेरे दोनों चूचे उछल कर आजाद हो गए.

वह वापस मेरी तरफ घूमा, तो मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी, सिर्फ एक शॉर्ट स्कर्ट में लेटी हुई थी.

कुछ पल के लिए वह जम सा गया और एकटक मेरे चूचों को निहारते हुए बोला.

डॉक्टर- वाउ … वैसे मैं नीचे के कपड़ों को हटाने की बात कर रहा था!

ये सुनते ही मुझे अपनी मंदबुद्धि का अहसास हुआ और वह भी मुस्कुराने लगा.
मैंने मुस्कुराते हुए अपना हाथ अपने माथे पर मारा और उठकर बैठ गई.

टॉप पहनने के लिए उठाया ही था कि वह फिर बोला- मैं कपड़े उतारने की बात कर रहा हूँ, पहनने की नहीं.

मतलब साफ था, मेरी बेवकूफी का फायदा उठाते हुए अब वह मुझे पूरी तरह नंगी करना चाहता था.

मैंने भी टॉप वापस रख दिया और खड़ी होकर अपनी स्कर्ट नीचे खिसका दी.

हालांकि स्कर्ट कुछ खास ढक भी नहीं रही थी, जांघें पहले भी नंगी थीं.
लेकिन अब स्कर्ट उतर जाने के बाद मेरे चूतड़ भी नंगे हो गए थे.

पैंटी भी थॉन्ग वाली थी, जो सिर्फ इंच भर चूत को ही ढक रही थी.
पीछे से धागे की तरह दोनों चूतड़ों के बीच घुसी होने के कारण गांड लगभग नंगी ही थी.

मेरी पीठ उसकी तरफ थी, तो चेहरा नहीं देख सकी.
लेकिन अंदाजा लगा सकती थी कि मेरी गोरी-चिट्टी गांड देखकर वह पागल हो गया होगा.

स्कर्ट उतारकर जब मैं घूमी, तो मेरी सोच के मुताबिक वह मेरी गांड को ही घूर रहा था.
उसके पैंट में बना तंबू उसके हालात साफ बयान कर रहा था.

उसकी खामोशी मुझे परेशान कर रही थी, वह बस एकटक मेरे नंगे जिस्म को घूरे जा रहा था.

शरीर ढकने के नाम पर सिर्फ एक छोटी-सी पैंटी और पैरों में हाई हील के सैंडल ही बचे थे.
उतारना तो मैं पैंटी भी चाहती थी, बस उसके कहने का इंतज़ार कर रही थी.

मुझे बैठते हुए देख उसका ध्यान टूटा और वह बोला- दरअसल, आपको ये पैंटी भी उतारनी होगी.

ये सुनते ही मैंने उसके चेहरे के भाव देखने के लिए उसकी तरफ देखा.

उसकी आंखों में मेरी चूत के दर्शन करने की लालसा साफ दिखाई पड़ रही थी.

मैंने भी उसे परेशान करने के लिए कहा- इसकी क्या जरूरत है? इतना काफी नहीं होगा क्या?

डॉक्टर- नहीं-नहीं, कॉपर-टी अन्दर डालने के लिए आपको पैंटी को हटाना ही होगा.

उसकी बात मानते हुए मैंने पैंटी उतार दी, लेकिन जांघें चिपका कर और हाथों से चूत को ढककर लेट गई.

उसका चेहरा देखकर साफ पता चल रहा था कि उससे सब्र नहीं हो रहा.
वह जल्दी-से-जल्दी मेरी चूत के दर्शन करना चाहता था.

उसने ग्लव्स पहने और मेरे पेट के निचले हिस्से पर कुछ जैल जैसा पदार्थ लगाकर मशीन से जुड़ा एक बल्ब जैसा औजार पेट पर फिराने लगा.

शायद वह अल्ट्रासाउंड कर रहा था.

मैं दोनों हाथों से चूत को ढककर लेटी हुई थी और वह कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखते हुए मेरे पेट के निचले हिस्से का अल्ट्रासाउंड करने लगा.

मेरे पेड़ू पर लगातार उसके हाथ और अल्ट्रासाउंड की रगड़ से मुझे अब मज़ा आने लगा था.

जल्दी ही मैंने आंखें बंद कर लीं और उसके हाथों का मज़ा लेने लगी.
मैं अपनी मादक हरकतों से उसको भी बेकाबू कर देना चाहती थी.

मेरी सांसें तेज़ चल रही थीं, मैंने अपने निचले होंठ को और दबा लिया.

तभी अचानक उसने मेरे हाथों को पकड़ कर चूत से हटा दिया.
मैंने चौंककर आंखें खोलीं, तो वह बोला- शर्माइए मत, रिलैक्स कीजिए. मैं अपना काम जानता हूँ.

मेरे हाथ हटाने के बाद उसने मुझे टांगें खोलने को भी कहा ताकि वह मेरी चूत का मुआयना कर सके.
लेकिन उसकी बात पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

तब उसने खुद ही मुझे टांगों से पकड़ कर उस टेबल पर नीचे खींच दिया, जिससे मेरी गांड बिल्कुल टेबल के किनारे पर पहुंच गई.

अब मैं उसके आगे बिल्कुल नंगी, सिर्फ हाई हील सैंडल पहनकर, अपने मुड़े हुए घुटनों को दोनों तरफ फैलाकर टेबल पर पड़ी थी.

मेरी चूत उसके आगे बिल्कुल खुली पड़ी थी जिसमें आंखें गढ़ाकर वह जैसे भूल ही गया था.

मेरी चूत से बस कुछ इंच की दूरी पर वह और उसका लंड दोनों खड़े थे.

यद्यपि उसने पूरे कपड़े पहने थे, फिर भी मुझे पूरा यकीन था कि अब वह अपना लंड निकाल कर मुझे चोदना शुरू कर देगा.

मेरी उम्मीद के विपरीत उसने झुककर मेरी चूत को छुआ और उसे हल्का-सा चौड़ा करके अन्दर झांकने लगा.
ऐसा करते वक्त उसका अंगूठा मेरे भगनासा के दाने पर टिका था, जिससे मेरे जिस्म में उत्तेजना का सैलाब-सा उमड़ रहा था.

उसका मुँह इतना करीब था कि मैं उसकी हर सांस को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी.

तभी अचानक उसने एक उंगली मेरी चूत में घुसा दी.
उसके ऐसा करते ही मुझे करंट-सा लगा और मैं उछल पड़ी.

मैंने आंखें बंद कर लीं और अपनी गांड को हवा में उठाकर उसकी उंगली के अगले झटके की प्रतीक्षा करने लगी.
लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया; वह अपनी एक उंगली से चुत के अन्दर कुछ टटोलता हुआ अपनी मेडिकल जांच में व्यस्त रहा.

उसकी इन हरकतों से मेरे जिस्म में चिंगारी भड़क रही थी, पर वह उसे आग में बदलकर विस्फोट नहीं होने दे रहा था.

मैंने आंखें खोलकर देखा तो वह मेरी चूत के ठीक ऊपर नाक रखकर उसकी खुशबू अपने फेफड़ों में भर रहा था.

उसकी आंखें बंद थीं और वह अंगूठे से मेरे भगनासा के दाने को दबाते हुए एक उंगली से अन्दर टटोल रहा था.

उसे इस तरह मेरे जिस्म का भोग करते देख मेरी चूत में ज्वालामुखी-सा उमड़ रहा था.
तभी उसने अपनी उंगली बाहर निकाली और दोनों अंगूठों से मेरी चूत को फैलाते हुए एक गहरी सांस ली.

उसकी इन मादक हरकतों को मैं बर्दाश्त न कर सकी.
हवा में झूलती अपनी एड़ी को उसके सिर के पीछे टिकाकर मैंने उसका सिर खींच लिया और अपनी चूत में घुसा दिया.

जैसे ही उसके होंठ मेरी चूत से छुए, मैंने अपनी जांघों से उसका सिर दबा लिया और दोनों हाथों से उसके बाल कसकर पकड़ लिए.
मेरे इस अचानक हमले का उसने भी पूरा समर्थन किया.

उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाट लिया और दोनों हाथों के ग्लव्स उतारकर मेरी जांघें जकड़ लीं.

दोनों हाथों से मेरी मांसल जांघों को गीले आटे की तरह मथते हुए उसने मेरी चूत में ऐसी जीभ घुमाई कि मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.

मेरी ‘आह… ओह…’ और ‘ईश्श…’ की आवाज़ों से वह छोटा-सा केबिन मानो गूँज उठा.

मैंने न जाने कब उसके सिर से हाथ हटाकर उसके हाथ पकड़ लिए और उन्हें खींचकर अपने चूचों पर रखकर दबाने लगी.
उसने भी इशारा समझ लिया और दोनों हाथों से मेरे चूचों को निचोड़ते हुए अपना मुँह मेरी चूत में जैसे गाड़-सा दिया.

मैं मादक सिसकारियों के साथ मदहोश-सी अपनी गांड उठा-उठाकर उसके मुँह पर रगड़ रही थी.

इस ताबड़तोड़ चूत चटाई से मैं जल्द ही झड़ने की कगार पर पहुंच गई.
दोनों हाथों से उसके बाल खींचते हुए मैं ‘आह… ओह्ह्ह… ओह माय गॉड… येस्स… येस्स्स… ओह्ह… आअह्ह… उम्मम्म…’ जैसी किलकारियों के साथ चिल्लाई.

मेरी चूत से प्रेम की रसधार बह निकली मेरी कमर पूरी तरह अकड़ गई.
मेरी गांड डेढ़ फुट हवा में उठ गई.

उसके बाल उखड़कर मेरी उंगलियों में आ चुके थे.
मेरी सांसें उखड़ रही थीं, लेकिन उसकी उंगलियां अब भी मेरे मुलायम चूचों में गड़ी हुई थीं.

झड़ने के बाद जिस्म में मानो जान ही न बची हो … मेरी गांड धड़ाम से टेबल पर जा गिरी.
टांगें दोनों तरफ लुढ़क गईं.
बदहवास-सा चेहरा लिए मैं एक मुर्दे की तरह उस डॉक्टर के सामने पड़ी थी.

मेरे सफेद चूचों पर उसकी बेरहमी के लाल निशान छलक रहे थे.
मैं बस उसका चेहरा देख रही थी, जो मेरी चुत के ही रस में पूरी तरह भीग चुका था.

उसके बाल खजैले कुत्ते की तरह बेतरतीब खड़े थे.
इस वक्त कोई भी उसे देखकर डॉक्टर नहीं बता सकता था.

इसी तरह आनन्द की लहरों में डूबते हुए मैंने आंखें बंद कर लीं.

डॉक्टर के इरादों से अनजान, मैं अपनी सांसों को समेटने में लगी थी कि तभी मुझे अपनी चूत पर फिर से कुछ गर्म-सा अहसास हुआ.

मुझे पता ही नहीं चला कि कब उस डॉक्टर ने अपनी पैंट नीचे सरका कर अपना फौलादी लौड़ा बाहर निकाला और मेरी चूत पर टिका दिया.

मैं कुछ प्रतिक्रिया दे पाती, उससे पहले ही उसने बिना मेरी इजाज़त लिए एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया जिससे उसकी गोटियां भी चट्ट की आवाज़ के साथ मेरी गांड से जा टकराईं.

वह पागलों की तरह मेरे चूचों पर टूट पड़ा और उन्हें चूसते हुए धकापेल मेरी चूत में झटके देने लगा.
हालांकि चुदाई मेरा पसंदीदा खेल है, लेकिन मैं अभी जड़ तक निचुड़ कर झड़ चुकी थी.

ऊपर से जिस तरह उसने बिना मेरी इजाज़त लिए मुझे अपने बाप का माल समझकर चोदना शुरू कर दिया, वह मुझे बुरा लगा.

मैंने बड़ी मुश्किल से उसे अपनी छाती से हटाया और धक्का मारकर खुद से अलग किया.

अलग होते ही पुच्छ की आवाज़ के साथ उसका लंड भी मेरी चूत से बाहर निकल गया.

लंड बाहर निकलते ही मुझे अन्दर एक खालीपन-सा महसूस हुआ, लेकिन उस वक्त आत्मसम्मान ज्यादा ज़रूरी था.

दोस्तो, डॉक्टर ने मेरी चुत में लंड पेल दिया था हालांकि मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन तब भी उस वक्त मुझे उसका लंड अपनी चुत में एक अतिक्रमण सा लगा था.

सेक्स प्रोटेक्शन के लिए कॉपर टी कहानी के अगले भाग में आपको मजेदार घटना मिलेगी.
प्लीज मेरे साथ बने रहें और मुझे अपने कमेंट्स से जरूर अवगत कराएं.
आपकी स्वीटी पुरोहित
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सेक्स प्रोटेक्शन के लिए कॉपर टी कहानी का अगला भाग: चूत में कॉपर टी लगाने वाले डॉक्टर से चुदी- 2

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