जीना इसी का नाम है-5
(Jeena Isi Ka Naam Hai-5)
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अनीता को एक बार चोदने के बाद मैं उससे काफी घुल मिल गया था, वह मुझ पर काफी भरोसा करती थी और मुझे एकदम सीधा सादा आदमी समझने लगी।
मैंने कभी भी उसे चोदने के लिए परेशान नहीं किया।
अनीता से मिली जानकारी के अनुसार वह अपर मिडल क्लास की अति महत्वाकांक्षी लड़की है, अनीता का एक भाई है जो अब अमेरिका में सेटल हो गया है, उसे पैसे, पॉवर, नाम, सेक्स सभी कुछ चाहिए था, इसके लिए वो कुछ भी कर सकती थी, बूढ़े अमीरों से अच्छा पैसा लेकर चुदवाती थी, सेक्स की भूख मिटाने के लिए जवान लौंडों को फांस रखा था, वो नेता, बड़े ऑफिसर और नामी गुंडे से भी चुदवाती थी ताकि पॉवर बना रहे और कोई काम पड़ने पर ये लोग मदद कर सकें।
पर कोई ऐरा-गैरा आदमी उस पर हाथ नहीं डाल सकता था, वो एक खास चीज थी जो खास लोगों के लिए ही बनी थी। वह अपने छोटे मोटे काम मुझसे करवाने लगी, जिसमें अक्सर वो ऑफिस में लेट होने पर अपने पिताजी को डॉक्टर के पास ले जाने और उनकी देखरेख करने का कम होता था।
मैं उसके पिताजी से भे काफी घुलमिल गया था।
इसी बीच में मौका मिलने पर मैं अनीता को अक्सर चोद लिया करता था।
वह दिल ही दिल में मुझसे प्यार करने लगी थी।
एक दिन मैं अनीता के घर पर गया, अनीता अभी ऑफिस से नहीं लौटी थी, मैं उसके पिता से बात कर रहा था, उसके पिता ने मुझे बताया कि वो अनीता की शादी को लेकर काफी चिंतित हैं।
इस बीच अनीता आ गई, उसके पिता ने कहा- अनीता, अभी हम तुम्हारी शादी की ही बात कर रहे थे।
अनीता कुछ चिढ़ कर बोली- पापा, आप भी न बस ले देकर एक ही बात के पीछे पड़े रहते हैं, मुझे नहीं करनी है शादी, और ऐसा लड़का जो मेरी हर बात माने, मेरी आदतों को स्वीकार करे? आपको मिलने वाला नहीं !
अब उसके पिताजी भी कुछ सख्त स्वर में बोले- अनीता, तुम्हें शादी तो करनी ही होगी और अपनी आदतों को बदलने की कोशिश करो। अच्छे लड़कों की कमी नहीं है, अब सौरभ को ही देखो कितना अच्छा लड़का है, जब भी बुलाओ आ जाता है, किसी काम को न नहीं करता है।
अनीता हंस कर बोली- यह तो सतयुग का बालक है जो गलती से कलयुग में पैदा हो गया है, अगर यह शादी करने को तैयार है तो मैं इससे शादी कर सकती हूँ।
मैं इस पर कुछ नहीं बोल सका और अपने रूम पर लौट आया।
इसके दो तीन दिन बाद अनीता के पिताजी ने मुझे बुलाया जब अनीता घर पर नहीं थी और बोले- बेटा, इस लड़की की शादी करके मैं अमेरिका अपने बेटे के पास चला जाना चाहता हूँ पर इसके बर्ताव की वजह से कोई लड़का नहीं मिल रहा है और ये भी कोई लड़के को पसंद नहीं कर रही है, इस हालत में वो सिर्फ तुमसे शादी के लिए तैयार है, मेरी आखिरी इच्छा यही है कि इसकी शादी हो जाए… बेटा, मुझ पर दया करो, अब मैं ज्यादा दिन जिन्दा नहीं रहूँगा, मेरा यह मकान मैं तुम लोगों को देकर जाऊँगा और जो भी नगद है वो सब तुम लोगों का ही रहेगा, बेटा सोच समझ कर मुझे इस शादी के लिए बताना।
मैं वापस घर आ गया, समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ! मैं सो गया।
सुबह उठ कर कम्पनी जा रहा था तो अनीता का फ़ोन आ गया, उसने मुझे शाम को मेघदूत गार्डन में मिलने को कहा।
शाम को मैं मेघदूत गार्डन में अनीता से मिला, उसने मुझे समझाया- यह मेरे पिताजी की इच्छा है, तुम शादी के लिए हाँ कर दो। तुम मेरे बारे में सब जानते हो, तुम चाहे तो इंकार भी कर सकते हो। मैं शराब सिगरेट और दूसरे मर्द सब छोड़ने के लिए तैयार हूँ। मेरे पिताजी को मैंने अज तक कोई ख़ुशी नहीं दी है पर तुम मुझसे शादी कर उन्हें ख़ुशी दे सकते हो, सोच समझ कर फैसला करना।उसकी आँखों में आँसू आ गए।
काफी सोचने के बाद मैंने शादी के लिए हाँ कर दी।
इस तरह मेरी शादी 23 साल की उम्र में, 26 साल की चुदी-चुदाई एक ऐसी लड़की से हो गई जो शादी के पहले ही पता नहीं कितने लंड ले चुकी थी।
अब मैं अनीता के साथ उसके बड़े घर में रहने लगा। सब कर के करीब 50 लाख की संपत्ति मेरे हाथ लगी।
अनीता के पिताजी अमेरिका चले गए।
अनीता की आदत में पहले तो लगा कि सुधार आया है, पर वो नहीं सुधर सकी, उसका ड्रिंक लेना, स्मोकिंग करना सब पहले की तरह ही रहा।
पिताजी के चले जाने के बाद तो उसे पूरी आजादी मिल गई, वो घर में भी ड्रिंक और स्मोकिंग करती थी, मेरे को तो वो पहले से ही कुछ नहीं समझती थी, बस बात रखने के लिए बोल देती थी- डार्लिंग बस आज… बस थोड़ी सी… तुम भी लो ना…
और उसका पराये मर्दों से चुदवाना भी चालू था, यह वो मुझसे छुपा कर करती थी, पर कई बार मुझे आभास हो जाता था कि वो दूसरे लोगो से बराबर पहले की तरह चुदवा रही है।
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अनीता पहले से अधिक बिगड़ चुकी थी, वह शराब पीकर बहक जाती थी और कई बार तो गन्दी गन्दी गालियाँ बकने लगती थी।
मैं परेशान हो गया था।
एक दिन रात को 11 बजे अनीता ड्रिंक लेकर लड़खड़ाते हुए घर आई, उसने पर्स में सिगरेट निकालने के लिए हाथ डाला पर पैकेट में सिगरेट ख़त्म हो चुकी थी, मुझसे बोली- डार्लिंग सिगरेट ख़त्म हो गई है, जाकर दूसरा पैकेट ला दो।
मैंने कहा- अनीता, अभी बहुत रात हो गई है, अब सिगरेट नहीं मिल सकती, दुकानें बंद हो गई होंगी, तुम सो जाओ, कल सिगरेट पी लेना।
वो बोली- मैं नहीं जानती, तुम कैसे भी करके अभी ही सिगरेट लाकर दो…
और बुरी तरह से जिद करने लगी।
मुझे मज़बूरी में रात के 11.30 को उसे बस स्टैंड (4.5 k.m) से सिगरेट ला कर देनी पड़ी।
मैं बच्चा चाहता था पर अनीता इसके लिए अपना फिगर ख़राब करने को तैयार नहीं थी, उसे अपने इसी फिगर के बलबूते अभी बहुत कुछ हासिल करना था।
कहानी जारी रहेगी।
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